टिड्डी दल का हमला बागवानी के लिए बड़ा खतरा बनकर उभरा है। अगर मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश में बागवानी उत्पादन को सुरक्षित नहीं किया गया तो देश का कुल 38 प्रतिशत बागवानी उत्पादन प्रभावित हो जाएगा। वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक सेक्टर रिपोर्ट में यह अंदेशा जताया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, रबी की फसल कटाई अप्रैल में शुरू होती है और मई में खत्म होती है। इस तरह, वर्तमान में हमले के जोखिम वाले क्षेत्र में प्रमुख फसलों की कटाई हो चुकी है। हालांकि, यदि हमले पर अंकुश नहीं लगाया जाता है, तो यह खरीफ उत्पादन के लिए जोखिम पैदा करेगा।
वहीं, बागवानी के साथ ऐसा नहीं है। राजस्थान, महाराष्ट्र, मप्र, यूपी और गुजरात में फल और सब्जियों की फसल पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। टिड्डी दल का हमला यूपी में गन्ने की फसल को प्रभावित कर सकता है। देश में कुल गन्ना उत्पादन में यूपी का हिस्सा 45% है।
क्लोरफाइरीफोस और मेलाथियान कीटनाशकों का इस्तेमाल करें
अगर खरीफ की फसल पर टिड्डी दल ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं तो किसानों की आय घटेगी। इससे एग्रो केमिकल कंपनियों का प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों में क्लोरफाइरीफोस, मेलाथियान और डेल्टामिथ्रिन का उपयोग किया जा सकता है।
जुलाई में मानसूनी हवाओं के साथ फिर लौट सकता है टिड्डी दल
रिपोर्ट के मुताबिक, टिड्डी दल से प्रभावित पांच प्रमुख राज्य 3.12 करोड़ टन बागवानी उत्पादन करते हैं। भारत की कुल बागवानी में इनका 38% का योगदान है। सब्जियों का उत्पादन 59% होता है। बागवानी उत्पादन का लगभग 31% फलों से आता है। गर्मियों के फलों में आम, तरबूज, नारंगी, कस्तूरी, मीठे नीबू, कटहल, काली बेर, लीची, अनानास, अंजीर और बर्फ सेब शामिल हैं।
विशेषज्ञोंं के मुताबिक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मप्र में टिड्डी दल की जुलाई में मानसूनी हवाओं के साथ दोबारा वापसी होने की संभावना है।
- 3.12 करोड़ टन बागवानी उत्पादन होता है टिड्डी प्रभावित राज्यों में
- 59 फीसदी सब्जियों का हिस्सा है कुल उत्पादन में
- 31 फीसदी फलों की है हिस्सेदारी
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