World Wide Facts

Technology

चीन से लड़ने को तैयार की गई एक खुफिया रेजिमेंट, जो सेना के बजाए रॉ के जरिए सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करती है

अक्टूबर 2018 की बात है। यूरोपीय देश एस्टोनिया की मशहूर गायिका यना कास्कभारत आई थीं। वोअपना एक म्यूजिक वीडियो यहां शूट करना चाहती थीं और इसके लिए उन्होंने उत्तराखंड के चकराता क्षेत्र को चुना था।

देहरादून से करीब 100किलोमीटर दूर बसा चकराता एक बेहद खूबसूरत पहाड़ी कस्बा है। यहीं पर यना अपने दोस्तों के साथ शूटिंग कर ही रही थीं,लेकिन जैसे ही लोकल इंटेलिजेंसयूनिट को इसकी भनक लगी यना और उनके साथियों को तुरंत हिरासत में ले लिया गया। उन्हें देश छोड़कर जाने का नोटिस थमा दिया गया और स्थानीय पुलिस ने केंद्र सरकार से कहा कि यना को ब्लैक-लिस्ट कर दिया जाए ताकि वोभविष्य में भारत न आ सकें।
यह सब इसलिए हुआ क्योंकि चकराता एक प्रतिबंधित क्षेत्र है। यहां केंद्रीय गृह मंत्रालय की अनुमति के बिना किसी भी विदेशी नागरिक को जाने की इजाजतनहीं है। यनाइस बात से अनजान थीं और वोबिना किसी परमिशन के ही यहां दाखिल हो चुकी थीं, इसलिएउन्हें इस कार्रवाई का सामना करना पड़ा।

फोटो स्पेशल पैरा फोर्स की है, जो बेहद खुफिया तरीकों से बड़े-बड़े ऑपरेशन को अंजाम देती है, इसी तर्ज पर टूटू रेजिमेंट भी काम करती है।

यना की ही तरह ज्यादतरभारतीय भी इस बात से अनजान ही हैं कि चकराता में विदेशियों का आने पर रोक है। यह प्रतिबंध क्यों है, इसकी जानकारी तो और भी कम लोगों को है। चकराता एक छावनी क्षेत्र है जो कि सामरिक दृष्टि से भी काफीसंवेदनशील है। यहां विदेशियों के आने पर रोककी सबसे बड़ी वजह है भारतीय सेना की बेहद गोपनीय टूटू रेजिमेंट।

टूटू रेजिमेंट भारतीय सैन्य ताकत का वह हिस्सा है जिसके बारे में बहुत कमजानकारियां ही सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हैं। यह रेजिमेंट आज भी बेहद गोपनीय तरीकेसे काम करती हैऔर इसके होने का कोई प्रूफ भी पब्लिक नहीं किया गया है।

पूर्व पीएमजवाहरलाल नेहरू ने टूटू रेजिमेंट बनानेका फैसला लिया था

टूटू रेजिमेंट की स्थापना साल 1962 में हुई थी। ये वही समय था जब भारत और चीन के बीच युद्ध हो रहा था।तत्कालीन आईबी चीफभोला नाथ मलिक के सुझाव पर तब केप्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने टूटू रेजिमेंट बनानेका फैसला लिया था।

इस रेजिमेंट को बनाने का मकसद ऐसे लड़ाकों को तैयार करना था जोचीन की सीमा में घुसकर, लद्दाख की कठिन भौगोलिक स्थितियों में भी लड़ सकें। इस काम के लिए तिब्बत से शरणार्थी बनकर आए युवाओं से बेहतर कौन हो सकता था। ये तिब्बती नौजवान उस क्षेत्र से परिचित थे, वहां के इलाकों से वाकिफथे।

जिस चढ़ाई पर लोगों का पैदल चलते हुए दम फूलने लगता है, ये लोग वहीदौड़ते-खेलते हुए बड़े हुए थे। इसलिएतिब्बती नौजवानों को भर्ती कर एक फौज तैयार की गई। भारतीय सेना के रिटायर्ड मेजर जनरल सुजान सिंह को इस रेजिमेंट का पहला आईजी नियुक्त किया गया।

सुजान सिंह दूसरेविश्व युद्ध में 22वीं माउंटेन रेजिमेंट की कमान संभाल चुके थे। इसलिए नई बनी रेजिमेंट को ‘इस्टैब्लिशमेंट 22’ या टूटू रेजिमेंट भी कहा जाने लगा।

फोटो उन गोरखा कमांडो की है जो इस टूटूरेजिमेंट का हिस्सा होते हैं, लेकिन शुरुआत में सिर्फ तिब्बतीजवान ही इसमें शामिल हो पाते थे।

शुरुआत में अमेरिका की खुफिया एजेंसी ने दी थी ट्रेनिंग

दिलचस्प है कि टूटू रेजिमेंट को शुरुआती दौर में ट्रेंडकरने का काम अमेरिका कीखुफियाएजेंसीसीआईए ने किया था। इस रेजिमेंट के जवानों को अमेरिकीआर्मी की विशेष टुकड़ी ‘ग्रीन बेरेट’ की तर्ज़ पर ट्रेनिंग दी गई। इतना ही नहीं, टूटू रेजिमेंट को एम-1, एम-2 और एम-3 जैसे हथियार भी अमेरिका की तरफ से ही दिए गए।

इस रेजिमेंट के जवानों की अभी भर्ती भी पूरी नहीं हुई थी कि नवंबर 1962 में चीन ने एकतरफायुद्धविराम की घोषणा कर दी,लेकिन इसके बाद भी टूटू रेजिमेंट को भंग नहीं किया गया। बल्कि इसकी ट्रेनिंग इस सोच के साथ बरकरार रखी गई कि भविष्य में अगर कभी चीन से युद्ध होता है तो यह रेजिमेंट हमारा सबसे कारगर हथियार साबित होगी।

टूटू रेजिमेंट के जवानों को विशेष तौर से गुरिल्ला युद्ध में ट्रेंड किया जाता है। इन्हें रॉक क्लाइंबिंग और पैरा जंपिंगकी स्पेशलट्रेनिंग दी जाती है और बेहद कठिनपरिस्थितियों में भी जीवित रहने केगुर सिखाए जाते हैं।

1971 मेंस्पेशलऑपरेशन ईगल में किया गया था शामिल

अपने अदम्य साहस का प्रमाण टूटू रेजिमेंट ने 1971 के बांग्लादेश युद्ध में भी दिया है, जहां इसके जवानों को स्पेशलऑपरेशन ईगल में शामिल किया गया था। इस ऑपरेशन को अंजाम देने में टूटू रेजिमेंट के 46 जवानों को शहादत भी देनी पड़ी थी। इसके अलावा 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार, ऑपरेशन मेघदूत और 1999 में हुए करगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय में भी टूटू रेजिमेंट ने अहम भूमिका निभाई।

शहादत के बदले नहीं मिलता सार्वजनिक सम्मान

इस रेजिमेंट के जवानों का सबसे बड़ा दर्द ये रहा है कि इन्हें अपनी क़ुर्बानियों के बदले कभी वो सार्वजनिक सम्मान नहीं मिल पाया जो देश के लिए शहीद होने वाले दूसरेजवानों को मिलता है। इसके पीछे वजहहै किटूटू रेजिमेंट बेहद गोपनीय तरीकेसे काम करती रही है। इसकी गतिविधियों को कभी पब्लिकनहीं किया जाता।

यही वजह है कि 1971 में शहीद हुए टूटू के जवानों को न तो कोई मेडल मिलाऔर न हीकोई पहचान मिली। जिस तरह से रॉ के लिए काम करने वाले देश के कई जासूसों की कुर्बानियांअक्सर गुमनामजाती हैं, वैसे ही टूटू के जवानों के शहादत को पहचान नहीं मिल सका।

बीते कुछ सालों में इतना फर्कजरूर आया है कि टूटू रेजिमेंट के जवानों को अब भारतीय सेना के जवानों जितना ही वेतन मिलने लगा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कुछ साल पहलेकहा था, ‘ये जवान न तो भारतीय सेना का हिस्सा हैं और न ही भारतीय नागरिक। लेकिन, इसके बावजूद भी ये भारत की सीमाओं की रक्षा के लिए हमारे जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे हैं।’

पूर्वभारतीय सेना प्रमुख रहे दलबीर सिंह सुहाग भी टूटू रेजिमेंट की कमान संभाल चुके हैं।

पूर्व सेना प्रमुखदलबीर सिंह संभाल चुके हैं कमान

टूटू रेजिमेंट के काम करने के तरीकों की बात करें तो आधिकारिक तौर परयह भारतीय सेना का हिस्सानहीं है। हालांकि, इसकी कमान डेप्युटेशन पर आए किसी सैन्य अधिकारी के ही हाथों में होती हैं। पूर्वभारतीय सेना प्रमुख रहे दलबीर सिंह सुहाग भीटूटू रेजिमेंट की कमान सम्भाल चुके हैं। यह रेजिमेंट सेना के बजाय रॉ और कैबिनेट सचिव के जरिएसीधेप्रधानमंत्री को रिपोर्ट करती है।

शुरुआती दौर में जहां टूटू रेजिमेंट में सिर्फतिब्बती मूल के जवानों को ही भर्ती किया जाता था, वहीं अब गोरखा नौजवानों को भी टूटू का हिस्सा बनाया जाता है। इस रेजिमेंट की रिक्रूटमेंट भी पब्लिक नहीं किया जाता है।

टूटू रेजिमेंट में आज कितने जवान हैं, कितने अफसर हैं, इनकी बेसिक और एडवांस ट्रेनिंग कैसे होती है और ये काम कैसे करते हैं,यह आज भी एक रहस्य ही हैं। टूटू रेजिमेंट का उद्देश्य आज भी वही है जो इसकी स्थापना के वक्त था, चीन से युद्ध की स्थिति में भारतीय सैन्य ताकत का सबसे मजबूत हथियार साबित होना।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
ये फोटो स्पेशल फोर्स के नाम से अलग-अलग डिफेंस वेबसाइट्स पर शेयर की गई है, टूटू रेजिमेंट की तरह उनकी तस्वीर भी गोपनीय ही है।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2Zdhygy
Share:

0 Comments:

Post a Comment

Blog Archive

Definition List

header ads

Unordered List

3/Sports/post-list

Support

3/random/post-list