
कोरोनावायरस महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था का मंदी के दौर में जाना लगभग तय दिख रहा है। दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मंदी आएगी और संभव है कि यह 2008 की मंदी से ज्यादा बड़ी हो। अब बहस इस बात पर हो रही है कि मंदी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था कैसे रिकवर करेगी।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल इकोनॉमी में रिकवरी कैसे होगी इसको लेकर दुनियाभर के आर्थिक विशेषज्ञों में अनिश्चितता कायम है। जेपी-मोर्गन चेज एंड कंपनी के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रूस कसमान और उनकी टीम ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भविष्य बहुत अनिश्चितता भरा है। वायरस संक्रमण के सफर, संक्रमण को रोकने की कोशिश के असर, आर्थिक राहत की नीतियों और निजी सेक्टर के व्यवहार के बीच बहुत जटिल संबंध है। आगे स्थिति क्या होगी इस बात पर रिकवरी निर्भर करेगी।
मई तक संक्रमण रुका तो तेज रिकवरी संभव
अर्थव्यवस्था में तेज गिरावट के बाद अगर रिकवरी भी उतनी ही तेज होती है तो इसे वी शेप रिकवरी कहते हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, वी शेप की रिकवरी प्रक्रिया तब होगी, जब अप्रैल या मई तक पूरी दुनिया से वायरस का संक्रमण पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
जून तक कंट्रोल हुआ तो यू शेप रिकवरी
अगर तेज गिरावट के बाद कुछ समय हालात स्थिर रहते हैं और फिर तेज रिकवरी होती है तो इसे यू शेप रिकवरी कहते हैं। यह भी तभी संभव है जब कोरोना पर जून तक नियंत्रण हो जाए। यू शेप की रिकवरी में 2020 के आखिर तक इकोनॉमी में वापस तेजी आ पाएगी।
जून के बाद भी संक्रमण तो एल शेप रिकवरी
तेज गिरावट के दौर के बाद अगर अर्थव्यवस्था लंबे समय तक निचले स्तर पर रहे तो इे एल शेप रिकवरी कहते हैं। वायरस का कहर अगर जून के बाद भी जारी रहता है तो इसकी आशंका काफी ज्यादा है। ऐसी स्थिति में सोशल डिस्टेंसिंग के नियम भी जून के बाद तक जारी रहेंगे।
वायरस की वापसी पर डब्ल्यू शेप रिकवरी
डब्ल्यू शेप की रिकवरी तब होगी, जब वायरस की फिर से वापसी हो जाएगी। लंदन के इंपीरियल कॉलेज के प्रोफेसर्स का मानना है कि संक्रमण थमने के बाद फिर से बढ़ता है तो सरकारें फिर से सारी पाबंदियां लगाएंगी। इसके कारण अनिश्चितता पैदा होगी।
कोरोना के फैलाव, ओपेक बैठक और एफआईआई तय करेंगे बाजार की चाल
कोरोनावायरस के गहराते प्रकोप की वजह से देश के शेयर बाजारों में इस हफ्ते भी अनिश्चितता का माहौल रहेगा। इस हफ्ते शेयर बाजारों में तीन दिन ही कारोबार होगा। सोमवार (5 मार्च) महावीर जयंती और शुक्रवार (10 मार्च) को गुड फ्राइडे पर बाजार बंद रहेंगे। हफ्ते में कोरोना संक्रमण के फैलाव, ओपेक मीट और विदेशी निवेशकों की ओर से भारतीय बाजार में निवेश का प्रवाह कैसा रहता है इस पर बाजार की खास नजर रहेगी।
सरकार के ऐलान पर भी बाजार की नजर
1. कोरोना फैलाव: लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से हटाया जा सकता है। ऐसी कोई घोषणा होती है तो बाजार में पॉजिटिव सेंटीमेंट लौट सकता है।
2. एफआईआई की बिकवाली: मार्च में एफआईआई ने 1,18,203 करोड़ रुपए की नेट बिकवाली की थी। अप्रैल में उन्होंने अब तक 6,750 करोड़ रुपए की निकाले हैं।
3. रुपए का कमजोर होना: फॉरेक्स मार्केट में उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए केंद्रीय बैंक ने भले ट्रेडिंग का समय घटा दिया है, लेकिन फिर भी रुपए में गिरावट दिख सकती है।
4. मंदी की आशंका: बार्कलेज का मानना है कि लॉकडाउन से देश को 12 हजार करोड़ डॉलर (करीब 9 लाख करोड़ रुपए) या देश की जीडीपी के 4% के बराबर तक नुकसान होगा।
लगातार सातवें हफ्ते गिरे सेंसेक्स-निफ्टी
कोरोना के कहर के बीते सप्ताह भी सेंसेक्स-निफ्टी में लगातार सातवें सप्ताह गिरावट दर्ज हुई। सेंसेक्स 7.46% की साप्ताहिक गिरावट के साथ बंद हुआ। निफ्टी में 6.66% की साप्ताहिक गिरावट रही।
रुपया और कमजोर हो सकता है
सुगंधा सचदेवा, वीपी-मेटल्स, एनर्जी एंड करेंसी रिसर्च, रेलिगेयर ब्रोकिंग यदि रुपया 76.26 के स्तर को तोड़ता है तो यह 77.50 तक कमजोर होने की ओर बढ़ सकता है।
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