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डब्ल्यूएचओ की कुल फंडिंग का 15% अकेले अमेरिका देता है; फंडिंग रुकने से कोरोना ही नहीं, बल्कि पोलियो खत्म करने में भी असर पड़ेगा

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने डब्ल्यूएचओ की फंडिंग रोक दी है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने कोरोनावायरस को गंभीरता से नहीं लिया, जिसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ रहा है। अगर डब्ल्यूएचओ अपना काम सही से करता तो, महामारी दुनियाभर में नहीं फैलती। मरने वालों की संख्या भी काफी कम होती।


1948 में बने डब्ल्यूएचओ को अमेरिका हर साल सबसे ज्यादा मदद करता रहा है। डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट के मुताबिक अमेरिका ने उसे दो साल में 893 मिलियन डॉलर यानी 6 हजार 876 करोड़ रुपए की मदद की है। ये डब्ल्यूएचओ की कुल फंडिंग का 15% है। इसका मतलब हुआ कि डब्ल्यूएचओ को दुनियाभर से जितनी मदद मिलती है, उसका 15% अकेले अमेरिका देता है। वहीं, चीन से अमेरिका से 10 गुना कम, यानी सिर्फ 86 मिलियन डॉलर (662 करोड़ रुपए) की मदद मिली।


अमेरिका के बाद डब्ल्यूएचओ को अमेरिका के ही अरबपति बिल गेट्स की बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन मदद करती है। फाउंडेशन ने 530.96 मिलियन डॉलर (4 हजार 81 करोड़ रुपए) की मदद की।


तो क्या ट्रम्प के फैसले से कोरोना के खिलाफ लड़ाई कमजोर होगी?
ट्रम्प ने ऐसे समय डब्ल्यूएचओ की फंडिंग रोकी है, जब कोरोनावायरस लगातार फैल रहा है। कोरोना के 20 लाख से ज्यादा मामले आ चुके हैं। 1.26 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। खुद अमेरिका कोरोना से बुरी तरह प्रभावित है। वहां 6 लाख से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं और 26 हजार से अधिक मौतें हो चुकी हैं।


ट्रम्प के इस फैसले से कोरोना के खिलाफ लड़ाई भी कमजोर हो सकती है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनिया गुटेरस का कहना है कि ‘ये समय डब्ल्यूएचओ या कोरोना के खिलाफ लड़ने वाले किसी भी संगठन के रिसोर्सेज में कमी करने का नहीं है। बल्कि कोरोना के खिलाफ एकजुट होने का है।'


क्या ट्रम्प के फैसले से बाकी चीजों पर भी असर होगा?
डब्ल्यूएचओ अपने फंड का इस्तेमाल दुनियाभर में फैली बीमारियों से लड़ने और स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर बनाने में करता है। डब्ल्यूएचओ को मिलने वाला फंड उसके हेडक्वार्टर (जेनेवा, स्विट्जरलैंड) और छह रीजन में जाता है। रीजन और हेडक्वार्टर से ये फंड खर्च होता है।


अमेरिका से डब्ल्यूएचओ को जो फंड मिलता है, उसका सबसे ज्यादा 27% पोलियो खत्म करने पर खर्च होता आया है। पाकिस्तान समेत दुनिया के कई देशों में अब भी पोलियोगंभीर बीमारी बनी हुई है।



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The US alone gives 15% of WHO's total funding; Stopping funding will not only affect the corona, but also eliminate polio


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