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स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा- संसाधनों और पैसों की कोई कमी नहीं, संक्रमण से नुकसान देखकर मन दुखी है

(पवन कुमार)काेराेनावायरस से लाॅकडाउन के बीच दैनिक भास्कर ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. हर्षवर्धन से बातचीत की। उन्हाेंने कहा कि देश में 80% संक्रमण मामूली लक्षण वाले हैं। 15% गंभीर हैं, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है। महज 5% नाजुक हैं, जिन्हें वेंटिलेटर लगाना पड़ सकता है। मुख्य अंश....

सवाल-कोविड-19 पर नियंत्रण के प्रयास पर लोगों ने संतोष जताया है। लोग जानना चाहते हैं कि क्या भारत ने प्रोएक्टिव कदम उठाए हैं?
जवाब-
हमने पोलियो को न केवल भारत बल्कि समूचे दक्षिण एशिया से समाप्त कर अपनी नीति की उपयोगिता और क्षमता को सिद्ध किया था। इसी तरह चेचक का भी उन्मूलन किया। हमने कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए सारी शक्ति लगा दी है। चीन ने 7 जनवरी को कोरोनावायरस के संक्रमण की विश्व को जानकारी दी थी और हमने 8 जनवरी से तैयारियां शुरू कर दी थीं। प्रधानमंत्री ने मंत्री समूह का गठन किया। विदेशों से आने वाले यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई। जरूरत के मुताबिक उन्हें अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड या होम क्वारेंटाइन एवं सरकारी फैसेलिटी में रखा गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत के प्रयासों की सराहना की।

सवाल-दिल्ली-पंजाब में संदिग्ध लोगों के हाथ पर मुहर लगाई जा रही है? कई राज्यों में ऐसा नहीं किया जा रहा। ऐसा क्यों?
जवाब-
यह राज्य सरकारों पर है। वे वर्तमान स्थिति और होम क्वारेंटाइन के लिए तय यात्रियों के गायब होने की संख्या के मद्देनजर निर्णय लेती हैं। राज्य सरकारें अपने तरीके से इसकी चिंता कर रही हैं।

सवाल-देश में 11 केस में ट्रेवल हिस्ट्री नहीं मिली। यह सामुदायिक संक्रमण नहीं तो क्या है?
जवाब-
कुछ मामलों के रिपोर्ट नहीं किए जाने और रोग के घटनाक्रम यानी इतिहास की जानकारी के बिना कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। समुदाय में जब रोग की दहशत हो और सामाजिक कलंक तथा बहिष्कार का भय हो, तो कोई भी रोग को छिपा सकता है। ऐसा भी होता है कि एक अकेले मामले के आधार पर लोग कह सकते हैं कि मध्य प्रदेश का इंदौर शहर सामुदायिक संक्रमण यानी तीसरे चरण में प्रवेश कर गया है, वे नकारात्मक प्रतिक्रिया भी कर सकते हैं।

सवाल- हर राज्य की अलग-अलग रणनीति क्यों है?
जवाब-यह हर जगह की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। भीलवाड़ा में एक अस्पताल में क्लस्टर बना। यह अस्पताल 6 हजार से ज्यादा लोगों को चिकित्सा दे चुका था और डॉक्टर स्टाफ भी संक्रमित पाए गए थे। इसलिए यह जरूरी था।

सवाल- जो लोग विदेश से आए हैं, वे क्वारेंटाइन रहे या नहीं, क्या इसका रिकॉर्ड है?
जवाब-अस्पतालों में भर्ती होने वाले हर व्यक्ति औरसब क्वारेंटाइन (होम या इंस्टीट्यूशनल) का रिकॉर्ड रखा जाता है। सरकारी अधिकारी उन पर देशभर में पैनी नजर रखे हैं।

सवाल- अस्पताल में बिस्तरों की संख्या की कमी को देखते हुए क्या जगह-जगह खड़ी ट्रेनोंको भी अस्पताल बनाया जा सकता है?
जवाब-इस विषय पर विचार किया गया है और उपलब्ध सभी साधनों का भरपूर इस्तेमाल करना सुनिश्चित कर रहे हैं। पर्याप्त बेड केंद्र के सरकारी अस्पताल, दूसरे केंद्रीय मंत्रालयों के अस्पताल, राज्य सरकारों के अस्पताल और निजी क्षेत्र में काफी संख्या में आइसोलेशन बेड तैयार किए गए हैं। आपातकालीन स्थिति के लिए नई प्रगतिशील व्यवस्थाओं के बारे में भी विचार किया जा रहा है। रेलवे का इस्तेमाल भी उनमें से एक है। रेलवे ने एक कोच को आइसोलेशन वार्ड में परिवर्तित कर उसमें चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।

सवाल- कोरोना का असर देश में कब तक रहेगा। क्या मरीजों-मृतकों की संख्या का संभावित अनुमान लगाया जा सकता है?
जवाब-
हम एकजुट होकर लगातार प्रभावी और धारदार कदम उठा रहे हैं। उभरती स्थानीय और वैश्विक स्थिति को देखते हुए नीति और कार्ययोजना संशोधित भी कर रहे हैं। सरकार की ओर से संसाधनों और राशि की कोई कमी नहीं है। विश्व के संपन्न देशों में इस संक्रमण से हुए नुकसान को देखकर मन दुखी होता है। हम चाहेंगे कि इस संकट का जल्द से जल्द पटाक्षेप हो और किसी भी अन्य रोगी को जान न गंवानी पड़े।

सवाल-कहा जा रहा है कि 5-6 घंटे संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने पर ही बीमारी होती है। वरना नहीं। क्या यह बात सही है?
जवाब-
नहीं। यह एक ड्रॉपलेट (छोटी बूंद) का संक्रमण है। यह अवधि से संबंधित नहीं है, लेकिन इस तथ्य से संबंधित है कि क्या मैं ड्रॉपलेट या फोमाइट्स के संपर्क में आने के बाद अपने मुंह और नाक को छूता हूं, जहां वे मौजूद हैं। यह हवा से होने वाला संक्रमण नहीं है।



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स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन (फाइल फोटो)


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अब रूस में सख्त लॉकडाउन, जापान 73 देशों की यात्रा पर बैन लगाएगा

कोरोनावायरस से खुद को ब्रेफ्रिक समझनेवाले जापान और रूस भी सहम गए हैं। रूस में मंगलवार को कोविड-19 के 500 से ज्यादा मरीज मिले। यह रूस में एक दिन में अब तक की सबसे अधिक संख्या है। मॉस्को हाटस्पॉट बना हुआ है। अचानक मामले बढ़ने के बाद रूस ने एक हफ्ते के लिए लॉकडाउन और सख्त कर दिया है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे एक ‘नॉन-वर्किंग वीक’ कहा है। लोगों को घरों में रहने के निर्देश दिए गए हैं।

बेफिक्र थे पुतिन,लोगों से खुले आम मिला रहे थे हाथ

इससे पहले राष्ट्रपति पुतिन कोरोनावायरस को लेकर बेफिक्र थे और खुलेआम लोगों से हाथ मिला रहे थे। उधर, अभी तक लॉकडाउन नहीं लगाने वाला जापान 73 देशों की यात्राओं पर रोक लगाने जा रहा है। इनमें अमेरिका, कनाडा, साउथ कोरिया भी हैं। यहां रविवार से अब तक कोरोनावायरस के केस 162% बढ़ गएहैं। दूसरी तरफ दुनियाभर में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या आठलाख को पार कर गई है। स्पेन में 553 मौत हुई हैं। यहां 94 हजार 417 लोग पॉजिटिव मिले हैं। वहीं, इटली में एक दिन में 812 मौतें होने के बाद चार अप्रैल को खत्म होने वाला लॉकडाउन ईस्टर तक बढ़ा दिया गया है।

जर्मनीः हाइजेनबर्ग को प्रयोगशाला बनाया, एकहजार लोगों पर टेस्टिंग शुरू

बर्लिन में जर्मनी ने सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके हाइजेनबर्ग को प्रयोगशाला में तब्दील कर दिया है। नीदरलैंड्स की सीमा से लगे इस इलाके में 1 हजार 281 पॉजिटिव केस मिले हैं। इसे ‘जर्मनी का वुहान’ कहा जा रहा है। यहां वैज्ञानिक और 40 मेडिकल स्टूडेंट एकहजार लोगों पर परीक्षण कर कोरोनावायरस के फैलने की वजह और उसे रोकने का तरीका खोजेंगे। दूसरी तरफ जर्मनी एकलाख लोगों पर कोरोना का एंटीबॉडी टेस्ट करेगा,ताकि कर्मचारी लॉकडाउन से बाहर आ सके और काम पर लौट सकें। इससे यह पता लग सकेगा कि किन लोगों पर कोरोना का खतरा कम है। साथ ही कोरोना के आसान शिकार वाले लोगों का भी पता लग सकेगा।

अमेरिकाः हवाई सेवा बंद हो सकती हैं, नागरिकों को लौटने को कहा गया

  • अमेरिका: विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने विदेशों में रह रहे अमेरिकियों को तुरंत देश लौटने को कहा है। चार्टर्ड और अन्य व्यवसायिक सेवाएं कभी भी रोकी जा सकती हैं।
  • नीदरलैंड्स: यहां मृतकों की संख्या 1000 पार हो गई। मंगलवार को 175 मौतें दर्ज हुईं। यहां सोशल डिस्टेंसिंग के नियम अप्रैल तक बढ़ाने की सिफारिश की गई है।
  • फ्रांस: फ्रांस में एक दिन 499 मौतें हुई। यह एक दिन में यहां सर्वाधिक मौतें हैं। फ्रांस में अब तक 3523 लोगों की जान जा चुकी है। 200 से ज्यादा संक्रमित लोग इलाज के लिए जर्मनी भेजे गए हैं।
  • ईरान: 3,111 नए केस मिले। यहां संक्रमित लोगों की संख्या 44 हजार606 पहुंच गई है। नई 141 मौत के साथ कुल मृतक संख्या 2898 हो गईहै। यहां हॉस्पिटल में जगह नहीं बची है। 3,703 लोग ही हॉस्पिटल में हैं।

न्यूयॉर्कः एकहजार बेड वाला शिप हॉस्पिटल पहुंच रहा

कोरोना वायरस से अमेरिका में मरने वालों की तादाद 3,573 पहुंच गई है। सबसे ज्यादा 914 मौतें न्यूयॉर्क सिटी में हुई हैं। यहां कोरोना के खतरे को देखते हुए अमेरिकी नौ सेना का एक हॉस्पिटल शिप ‘द कंफर्ट’ नॉरफॉल्क नेवी बेस से न्यूयॉर्क भेजा गया है। ये 8 दिन में पहुंचेगा। इस शिप में 12 कमरे ऐसे हैं जो आधुनिक स्वास्थ्य उपकरणों सेलैस हैं।



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मॉस्को : रूस ने एक हफ्ते के लिए लॉकडाउन और सख्त कर दिया।


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यहां ऐप के जरिए लोग डॉक्टर के संपर्क में, कोरोना का शक होने पर मेडिकल टीम घर पहुंच रही

मैड्रिड(मनीषा भल्ला).पंजाब के मशहूर लोकगायक राज ददराल के भाई प्रेम ददराल स्पेन के शहर बार्सिलोना में रहते हैं। उनका अपना रेस्त्रां है। बीते 20 दिन से बार्सिलोना में लॉकडाउन है। फोन पर प्रेम ददराल ने भास्कर को अपनी स्थिति बताई कि स्पेन की राजधानी मैड्रिड में भी लॉकडाउन है। पहले बार्सिलोना में लॉकडाउन नहीं किया गया था। लेकिन जब मैड्रिड के हालात खराब होने लगे तो यहां भी लॉकडाउन कर दिया गया।

डॉक्टरऑनलाइन ऐप से पता लगा रहे कोरोना के लक्षण

स्पेन सरकार ने एक ऐप बनाया है। इसके जरिये किसी को तबियतजरा भी गड़बड़ लगती है, तो वह ऑनलाइन डॉक्टरों से संपर्क करता है। उस व्यक्ति से ऑनलाइन हीलक्षण पूछकरबता दिया जाता है कि उसे कोरोना है या नहीं। अगर मेडिकल स्टाफ कोऐप के जरिये रत्ती भर भी कोरोना के लक्षण मिलते हैं, तो वे फौरन संबंधित व्यक्ति के घर पहुंचकर पूरे टेस्ट करते हैं। पूरे स्पेन में मास्क, सैनिटाइजर, दवाओं और खाने-पीने के सामान की कोई कमी नहीं है।

तेजी से बढ़ रहे संक्रमित

बार्सिलोना में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। मेडिकल सुविधाओं और खाने-पीने की तो कमी नहीं है, लेकिन केस बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। बार्सिलोना एक टूरिस्ट प्लेस है। आजकल सीजन था। हम लोगों के कमाने के यही दिन थे। लेकिन फुल लॉकडाउन चल रहा है। बाहर निकलने पर भारी जुर्माना है। पुलिस सख्ती से पेश आ रही है। टूरिस्ट प्लेस होने के चलते बार्सिलोना को भी मैड्रिड के साथ ही लॉकडाउन करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। नतीजा सरकार की लापरवाही लोगों को भुगतनी पड़ रही है।



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बार्सिलोना : राजधानी मैड्रिड के हालात खराब होने लगे यहां भी लॉकडाउन कर दिया गया।


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5 मिनट में पता लग जाएगी मरीज के दिल और फेफड़ों की हालत, डॉक्टर ऐप के जरिए कर निगरानी सकेंगे

नई दिल्ली (अमित कुमार निरंजन).जानलेवा कोरोनावायरस की चुनौती से निपटने के लिए दुनियाभर के मेडिकल साइंटिस्ट और टेक्निकल एक्सपर्ट तमाम प्रयासों में जुटे हुए हैं। देश में मानव संसाधन विकास मंत्रालय(एमएचआरडी) और अखिल भारतीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद(एआईसीटीई) द्वारा कोराना पर कराए गए आइडियाथॉन में कई इनोवेशन सामने आए। ये सभी साधन इजी टू यूज और इजी टू मूव हैं। मुंबई के एक स्टार्ट अप ने दिल की धड़कन और लंग्स में मौजूद फ्लूइड जांचने वाली डिवाइस बनाई है, जो कोरोना के लक्षणों की 90% तक सही जानकारी सिर्फ पांचमिनट में दे सकती है। वहीं, सेना के लिए रोबोट बनाने वाले पुणे के स्टार्टअप ने वेंटिलेटर की तरह ऑक्सीजन देने वाली इजी टू मूव डिवाइस बनाई है, जिसे अंबू एयर नाम दिया गया है। एमएचआरडी के इनोवेशन सेल डायरेक्टर डॉ मोहित गंभीर ने बताया कि आइडियाथॉन में आए इनोवेशन के बारे में डीएसटी और टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड से जानकारी साझा की गई है। उन्होंने इनपर काम भी शुरु कर दिया है।

ईजी टू यूज और ईजी टू मूव हैं: ये इनोवेटिव मेडिकल इंस्ट्रूमेंट

मुंबई स्थित अभया इन्फॉर्मेशनटेक्नॉलॉजी एलएलपी स्टार्टअप के सीईओ तरक वीएस नागराज ने बताया कि हमने हार्ट बीट और लंग्स में फ्लूइड टेस्ट के लिए एक खास डिवाइस विकसित की है। इसमें एक छोटा साउपकरण छाती पर लगाया जाता है। इसका नाम हार्टबीट है,जो धड़कनों की गणना और लंग्स में मौजूद फ्लूइड का आंकलन करता है। इसका डाटा मोबाइल एप के माध्यम से मिलता है। यह एप मरीज और डॉक्टर दोनों के पास होता है। जो छाती पर लगे डिवाइस का डाटा ब्लूटूथ से एप में कनेक्ट होकर क्लाउड के माध्यम से कहीं भी बैठे डॉक्टर को मिल जाएगा। एप में मौजूद एआई अस्थायी डॉक्टर की भूमिका निभाता है जो ह्रदयऔर लंग्स में होने वाली किसी भी खराबी के बारे में खुद ही डॉक्टर को सूचित कर देता है।

पुणे :वेंटिलेटर की तरह कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज को देगा ऑक्सजीन

सेना के लिए रोबोट तैयार करने वाले स्टार्टअप कॉम्बेट रोबोटिक्स इंडिया ने वेंटिलेटर जैसी डिवाइस तैयार की है। पुणे स्थित इस कंपनी के सीईओ गनेश पंडित सूर्यवंशी ने बताया कि हमने ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री में उपयोग होने वाले पार्ट्स की मदद की वेंटिलेटर की तरह काम करने वाला अंबू एयर बनाया है। यह बिजली और बैटरी दोनों से चलता है। कोरोना प्रभावित मरीज को सांस लेने में मुश्किल होने पर शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। अंबू एयर में मरीज को रखने पर उसे ऑक्सीजन की आपूर्ति तुरंत शुरू हो जाती है। यह डिवाईस वेंटिलेटर की तुलना में छोटी और हल्की होने से इजी टू मूव है। गनेश ने बताया कि यदि हमें प्रशासन और सरकार से मैन्युफैक्चरिंग के मामले में सपोर्ट मिले तो 100 अंबू एयर प्रतिदिन तैयार हो सकते हैं।



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सेना के लिए रोबोट तैयार करने वाले स्टार्टअप ने वेंटिलेटर जैसी डिवाइस तैयार की है।
हार्ट बीट और लंग्स में फ्लूइड टेस्ट के लिए यह खास डिवाइस विकसित की गई है।


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दिल्ली में इतिहास का सबसे ठंडा मार्च; 6 बार आया पश्चिमी विक्षोभ, इससे कई प्रदेशों में हुई बारिश-बर्फबारी, पारा गिरा

नई दिल्ली (अनिरुद्ध शर्मा).दिल्ली के इतिहास में इस साल का मार्च महीनासबसेठंडा रहा। दिल्ली में मार्च का औसत तापमान 29.6 डिग्री सेल्सियस रहता है, जबकि इस साल यह 28.4 डिग्री ही रहा। दिल्ली के सफदरजंग स्थित मौसम केंद्र में तो बीते महीने 109.6 मिमी बारिश दर्ज हुई, जो नया रिकॉर्ड है। मौसम विज्ञानी कुलदीप श्रीवास्तव के मुताबिक, 1901 से अब तक सिर्फ 2015 के मार्च में ही 97.5 मिमी बारिश हुई थी। श्रीवास्तव ने बताया कि इस सालमार्च में रिकॉर्ड 6 बार पश्चिमी विक्षोभ आए। इनसे पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी हुई। वहीं,पश्चिम, उत्तर और मध्य भारत में बारिश हुई।

दिल्ली के कई इलाकों में मंगलवार रात बारिश हुई।

मप्र समेत 9 राज्यों मे सामान्य से 250% से 486% ज्यादा बारिश
दिल्ली में मार्च में औसत बारिश 14.8 मिमी होती है। इस बार यह 69.4 मिमी हुई, जो सामान्य से 396% ज्यादा है। वहीं, पंजाब में 257%, हरियाणा में 476%, उत्तराखंड में 113%, यूपी में 449%, राजस्थान में 393%, मध्य प्रदेश में 264%, बिहार में 465%, झारखंड में 486%, छत्तीसगढ़ में 378%, महाराष्ट्र में 160% और ओडिशा में 164% ज्यादा बारिश हुई।

बीते 30 साल में बिहार समेत सात राज्यों में बारिश की कमी का ट्रेंड
मौसम विभाग ने बीते 30 साल में (1989 से 2018 के दौरान) में देशभर सेजिलावार आंकड़ों का अध्ययन कर बताया कि उत्तर प्रदेश, बिहार, प. बंगाल, हिमाचल, मेघालय, अरुणाचल औरनागालैंड की सालाना सामान्य बारिश में लगातार कमी आ रही है। इन राज्यों में मानसूनी बारिश लगातार कमी होने का ट्रेंडहै,जबकि गोवा एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां बारिश की मात्रा बढ़ रही है।

बारिश की वजह: पश्चिमी विक्षोभ हिमालय की बजाय दक्षिण की ओर मुड़ गए

स्काईमेट के महेश पलावत ने बताया कि अमूमन हर महीने तीन से चार पश्चिमी विक्षोभ आते हैं, पर इस मार्च में रिकॉर्ड 6 पश्चिमी विक्षोभ आए। मार्च के पश्चिमी विक्षोभ या तो कमजोर होते हैं या वे हिमालय के उत्तर की ओर चले जाते हैं। इस बार मार्च में आए सभी पश्चिमी विक्षोभ दक्षिण की ओर मुड़े, जिनका असर मध्य भारत तक देखा गया। इनसे चक्रवाती हवा का क्षेत्र भी बना और अरब सागर से आने वाली नमी से उत्तर-मध्य भारत के सभी राज्यों में बार-बार बारिश और ओलावृष्टि हुई।

अनुमान गलत निकला :वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के कारण नहीं चढ़ सका तापमान

मौसम विज्ञान केंद्र का फरवरी और मार्च में तापमान में बढ़ोतरी का अनुमान गलत निकला है। फरवरी में विभाग का अनुमान था कि वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का मार्च में खास असर नहीं होगा, लेकिन मार्च में इसका ठीक उल्टा प्रभावहुआ। इस दौरान देश के उत्तर, मध्य राज्यों में औसत तापमान एक डिग्री से तीन डिग्री तक कम रहा। मौसम विभाग ने बताया कि वह आगामी मानसून कोलेकर पूर्वानुमान अप्रैल के तीसरे हफ्ते में घोषित करेगा।



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बद्रीनाथ में पारा चढ़ने से 40 फीट ऊंचे हिमखंड टूट रहे हैं। इससे एनएच 58 बंद है।


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दिल्ली में इतिहास का सबसे ठंडा मार्च; 6 बार आया पश्चिमी विक्षोभ, इससे कई प्रदेशों में हुई बारिश-बर्फबारी, पारा गिरा

नई दिल्ली (अनिरुद्ध शर्मा).दिल्ली के इतिहास में इस साल का मार्च महीनासबसेठंडा रहा। दिल्ली में मार्च का औसत तापमान 29.6 डिग्री सेल्सियस रहता है, जबकि इस साल यह 28.4 डिग्री ही रहा। दिल्ली के सफदरजंग स्थित मौसम केंद्र में तो बीते महीने 109.6 मिमी बारिश दर्ज हुई, जो नया रिकॉर्ड है। मौसम विज्ञानी कुलदीप श्रीवास्तव के मुताबिक, 1901 से अब तक सिर्फ 2015 के मार्च में ही 97.5 मिमी बारिश हुई थी। श्रीवास्तव ने बताया कि इस सालमार्च में रिकॉर्ड 6 बार पश्चिमी विक्षोभ आए। इनसे पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी हुई। वहीं,पश्चिम, उत्तर और मध्य भारत में बारिश हुई।

दिल्ली के कई इलाकों में मंगलवार रात बारिश हुई।

मप्र समेत 9 राज्यों मे सामान्य से 250% से 486% ज्यादा बारिश
दिल्ली में मार्च में औसत बारिश 14.8 मिमी होती है। इस बार यह 69.4 मिमी हुई, जो सामान्य से 396% ज्यादा है। वहीं, पंजाब में 257%, हरियाणा में 476%, उत्तराखंड में 113%, यूपी में 449%, राजस्थान में 393%, मध्य प्रदेश में 264%, बिहार में 465%, झारखंड में 486%, छत्तीसगढ़ में 378%, महाराष्ट्र में 160% और ओडिशा में 164% ज्यादा बारिश हुई।

बीते 30 साल में बिहार समेत सात राज्यों में बारिश की कमी का ट्रेंड
मौसम विभाग ने बीते 30 साल में (1989 से 2018 के दौरान) में देशभर सेजिलावार आंकड़ों का अध्ययन कर बताया कि उत्तर प्रदेश, बिहार, प. बंगाल, हिमाचल, मेघालय, अरुणाचल औरनागालैंड की सालाना सामान्य बारिश में लगातार कमी आ रही है। इन राज्यों में मानसूनी बारिश लगातार कमी होने का ट्रेंडहै,जबकि गोवा एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां बारिश की मात्रा बढ़ रही है।

बारिश की वजह: पश्चिमी विक्षोभ हिमालय की बजाय दक्षिण की ओर मुड़ गए

स्काईमेट के महेश पलावत ने बताया कि अमूमन हर महीने तीन से चार पश्चिमी विक्षोभ आते हैं, पर इस मार्च में रिकॉर्ड 6 पश्चिमी विक्षोभ आए। मार्च के पश्चिमी विक्षोभ या तो कमजोर होते हैं या वे हिमालय के उत्तर की ओर चले जाते हैं। इस बार मार्च में आए सभी पश्चिमी विक्षोभ दक्षिण की ओर मुड़े, जिनका असर मध्य भारत तक देखा गया। इनसे चक्रवाती हवा का क्षेत्र भी बना और अरब सागर से आने वाली नमी से उत्तर-मध्य भारत के सभी राज्यों में बार-बार बारिश और ओलावृष्टि हुई।

अनुमान गलत निकला :वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के कारण नहीं चढ़ सका तापमान

मौसम विज्ञान केंद्र का फरवरी और मार्च में तापमान में बढ़ोतरी का अनुमान गलत निकला है। फरवरी में विभाग का अनुमान था कि वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का मार्च में खास असर नहीं होगा, लेकिन मार्च में इसका ठीक उल्टा प्रभावहुआ। इस दौरान देश के उत्तर, मध्य राज्यों में औसत तापमान एक डिग्री से तीन डिग्री तक कम रहा। मौसम विभाग ने बताया कि वह आगामी मानसून कोलेकर पूर्वानुमान अप्रैल के तीसरे हफ्ते में घोषित करेगा।



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बद्रीनाथ में पारा चढ़ने से 40 फीट ऊंचे हिमखंड टूट रहे हैं। इससे एनएच 58 बंद है।


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स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा- संसाधनों और पैसों की कोई कमी नहीं, संक्रमण से नुकसान देखकर मन दुखी है

(पवन कुमार)काेराेनावायरस से लाॅकडाउन के बीच दैनिक भास्कर ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. हर्षवर्धन से बातचीत की। उन्हाेंने कहा कि देश में 80% संक्रमण मामूली लक्षण वाले हैं। 15% गंभीर हैं, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है। महज 5% नाजुक हैं, जिन्हें वेंटिलेटर लगाना पड़ सकता है। मुख्य अंश....

सवाल-कोविड-19 पर नियंत्रण के प्रयास पर लोगों ने संतोष जताया है। लोग जानना चाहते हैं कि क्या भारत ने प्रोएक्टिव कदम उठाए हैं?
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हमने पोलियो को न केवल भारत बल्कि समूचे दक्षिण एशिया से समाप्त कर अपनी नीति की उपयोगिता और क्षमता को सिद्ध किया था। इसी तरह चेचक का भी उन्मूलन किया। हमने कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए सारी शक्ति लगा दी है। चीन ने 7 जनवरी को कोरोनावायरस के संक्रमण की विश्व को जानकारी दी थी और हमने 8 जनवरी से तैयारियां शुरू कर दी थीं। प्रधानमंत्री ने मंत्री समूह का गठन किया। विदेशों से आने वाले यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई। जरूरत के मुताबिक उन्हें अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड या होम क्वारेंटाइन एवं सरकारी फैसेलिटी में रखा गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत के प्रयासों की सराहना की।

सवाल-दिल्ली-पंजाब में संदिग्ध लोगों के हाथ पर मुहर लगाई जा रही है? कई राज्यों में ऐसा नहीं किया जा रहा। ऐसा क्यों?
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यह राज्य सरकारों पर है। वे वर्तमान स्थिति और होम क्वारेंटाइन के लिए तय यात्रियों के गायब होने की संख्या के मद्देनजर निर्णय लेती हैं। राज्य सरकारें अपने तरीके से इसकी चिंता कर रही हैं।

सवाल-देश में 11 केस में ट्रेवल हिस्ट्री नहीं मिली। यह सामुदायिक संक्रमण नहीं तो क्या है?
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कुछ मामलों के रिपोर्ट नहीं किए जाने और रोग के घटनाक्रम यानी इतिहास की जानकारी के बिना कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। समुदाय में जब रोग की दहशत हो और सामाजिक कलंक तथा बहिष्कार का भय हो, तो कोई भी रोग को छिपा सकता है। ऐसा भी होता है कि एक अकेले मामले के आधार पर लोग कह सकते हैं कि मध्य प्रदेश का इंदौर शहर सामुदायिक संक्रमण यानी तीसरे चरण में प्रवेश कर गया है, वे नकारात्मक प्रतिक्रिया भी कर सकते हैं।

सवाल- हर राज्य की अलग-अलग रणनीति क्यों है?
जवाब-यह हर जगह की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। भीलवाड़ा में एक अस्पताल में क्लस्टर बना। यह अस्पताल 6 हजार से ज्यादा लोगों को चिकित्सा दे चुका था और डॉक्टर स्टाफ भी संक्रमित पाए गए थे। इसलिए यह जरूरी था।

सवाल- जो लोग विदेश से आए हैं, वे क्वारेंटाइन रहे या नहीं, क्या इसका रिकॉर्ड है?
जवाब-अस्पतालों में भर्ती होने वाले हर व्यक्ति औरसब क्वारेंटाइन (होम या इंस्टीट्यूशनल) का रिकॉर्ड रखा जाता है। सरकारी अधिकारी उन पर देशभर में पैनी नजर रखे हैं।

सवाल- अस्पताल में बिस्तरों की संख्या की कमी को देखते हुए क्या जगह-जगह खड़ी ट्रेनोंको भी अस्पताल बनाया जा सकता है?
जवाब-इस विषय पर विचार किया गया है और उपलब्ध सभी साधनों का भरपूर इस्तेमाल करना सुनिश्चित कर रहे हैं। पर्याप्त बेड केंद्र के सरकारी अस्पताल, दूसरे केंद्रीय मंत्रालयों के अस्पताल, राज्य सरकारों के अस्पताल और निजी क्षेत्र में काफी संख्या में आइसोलेशन बेड तैयार किए गए हैं। आपातकालीन स्थिति के लिए नई प्रगतिशील व्यवस्थाओं के बारे में भी विचार किया जा रहा है। रेलवे का इस्तेमाल भी उनमें से एक है। रेलवे ने एक कोच को आइसोलेशन वार्ड में परिवर्तित कर उसमें चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।

सवाल- कोरोना का असर देश में कब तक रहेगा। क्या मरीजों-मृतकों की संख्या का संभावित अनुमान लगाया जा सकता है?
जवाब-
हम एकजुट होकर लगातार प्रभावी और धारदार कदम उठा रहे हैं। उभरती स्थानीय और वैश्विक स्थिति को देखते हुए नीति और कार्ययोजना संशोधित भी कर रहे हैं। सरकार की ओर से संसाधनों और राशि की कोई कमी नहीं है। विश्व के संपन्न देशों में इस संक्रमण से हुए नुकसान को देखकर मन दुखी होता है। हम चाहेंगे कि इस संकट का जल्द से जल्द पटाक्षेप हो और किसी भी अन्य रोगी को जान न गंवानी पड़े।

सवाल-कहा जा रहा है कि 5-6 घंटे संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने पर ही बीमारी होती है। वरना नहीं। क्या यह बात सही है?
जवाब-
नहीं। यह एक ड्रॉपलेट (छोटी बूंद) का संक्रमण है। यह अवधि से संबंधित नहीं है, लेकिन इस तथ्य से संबंधित है कि क्या मैं ड्रॉपलेट या फोमाइट्स के संपर्क में आने के बाद अपने मुंह और नाक को छूता हूं, जहां वे मौजूद हैं। यह हवा से होने वाला संक्रमण नहीं है।



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स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन (फाइल फोटो)


from Dainik Bhaskar /local/delhi-ncr/news/health-minister-of-the-country-dr-harsh-vardhan-said-there-is-no-shortage-of-resources-and-money-the-heart-is-sad-to-see-the-loss-due-to-infectioncoronavirus-outbreak-live-corona-virus-cases-in-india-cases-death-toll-latest-news-and-updates-127082669.html
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वैज्ञानिकों के मुताबिक- जब 30% मामलों में संक्रमण का स्रोत पता न चले, तब आता है तीसरा चरण

देश में कोरोनावायरस के मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच कई मीडिया रिपोर्ट्स इस महामारी की तीसरी स्टेज आने की आशंका जताने लगी हैं। हालांकि, सरकार इससे इनकार कर रही है। सरकार का दावा है कि तीसरी स्टेज न आए, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार जब 30% मामलों में संक्रमण का सोर्स पता ना चले, तबमहामारी की तीसरी स्टेज मानी जातीहै।

देश में बीमारी के चार चरण, देखिए कैसे बढ़ता जाता है असर

पहली स्टेज :विदेश से आए लोग वायरस लाते हैं :पहले चरण में वायरस विदेश यात्रा कर लौटे लोगों या विदेश से आए लोगों से उस देश में आता है, जहां वह वायरस पहले से नहीं है। दुनिया के ज्यादातर देशों के लिए कोरोना वायरस देने वाला देश चीन रहा है। हालांकि भारत के मामले में ऐसा माना जा रहा है कि यहां सबसे पहले वायरस लाने वाले इटली से आए कुछ पर्यटक थे, जो बाद में कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए।

दूसरी स्टेज : जब वायरस स्थानीय स्तर पर फैलता है :जो लोग देश के बाहर नहीं गए थे और ट्रैवल हिस्ट्री वाले संक्रमित लोगों के संपर्क में आ गए, उन्हें भी संक्रमण हो जाता है। इस स्टेज को लोकल ट्रांसमिशन यानी स्थानीय प्रसार कहते हैं, जिसमें यह स्पष्ट हो जाता है कि संक्रमण किसी क्षेत्र विशेष में फैल रहा है और वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जा रहा है। अब तक माना जा रहा है कि देश दूसरी स्टेज में ही है।

तीसरी स्टेज : वायरस का समुदाय स्तर पर फैलना :विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कम्युनिटी ट्रांसमिशन (सामुदायिक प्रसार) की स्थिति तब आती है, जब बड़ी संख्या में वायरस के कंफर्म मामलों के बारे में यह पता न किया जा सके कि वायरस कहां से या किससे फैल रहा हैं। किसी व्यक्ति में यह संक्रमण कहां से आया। यानी वायरस के स्रोत का पता नहीं चलता और यह लोगों में फैलता जाता है।

चौथी स्टेज : जब देश के लिए भी बीमारी महामारी बन जाए :हर महमारी में एक चौथी स्टेज होती है। यह तब आती है जब ये वैश्विक महामारी, किसी देश के लिए भी महामारी बन जाती है। चीन में यही हुआ, जब बड़ी संख्या में, तेजी से लोग संक्रमित होने लगे और मरने लगे। इस स्थिति में बीमारी का स्पष्ट अंत नजर नहीं आता है। इस स्टेज की बीमारी साल में कई बार उभर सकती है। उदाहरण के लिए मलेरिया और डेंगू भारत में महामारियां हैं।

तीसरी स्टेज क्यों खतरनाक है?
पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि मरीज कैसे संक्रमित हुआ। अमेरिका के मिसौरी में पब्लिक हेल्थ की अधिकारी शेजनी शुल्ट इसे आसानी से समझाती हैं।अगर कोई तीसरी स्टेज में संक्रमित होता है, तो वह सोचता ही रह जाएगा कि उसे संक्रमण कैसे हुआ। वह किसी एक व्यक्ति या जगह की तरफ इशारा नहीं कर पाएगा कि उसे इसकी वजह से बीमारी हुई। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का कहना है कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि भारत ने वायरस को नियंत्रित कर लिया है। हम उम्मीद करते हैं कि देश तीसरी स्टेज में न पहुंचे, लेकिन इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता।

क्या देश में तीसरी स्टेज आ गई?
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने अपने एक बयान में कहा, ‘समुदाय प्रसार की परिभाषा के अनुसार यह तभी माना जाएगा, जब बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आने लगें जहां स्रोत का पता न लगाया जा सके। इस आधार पर कह सकते हैं कि देश अभी तीसरी स्टेज में नहीं है। हमारे जैसे बड़े देश में ऐसे कुछ ही मामले आए हैं जिनका स्रोत नहीं पता है। यह आसान प्रक्रिया नहीं है और इसमें समय लगता है।’

20 से 30 प्रतिशत मामले जब ऐसे आने लगें, जिनमें संक्रमण का कारण पता न चले तो इसका मतलब है तीसरी स्टेज आ चुकी है। - स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय

कोरोना को रोकने के लिए सरकार ने क्या किया

  • आईसीएमआर ने लॉकडाउन से पहले कम्युनिटी ट्रांसमिशन की जांच करने के लिए 800रैंडम सैंपल लिए थे। सभी निगेटिव निकले।
  • 20लाख लोगों की सभी बॉर्डर पोस्ट्स पर जांच की गई।
  • 40हजार लोगों की समुद्री पोर्ट्स पर जांच की गई।
  • 15.25लाख लोगों की एयरपोर्ट पर थर्मल जांच की गई।

(स्रोत: सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए गए आंकड़े और मीडिया रिपोर्ट्स)



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बेल्जियम में मेडिकल वर्कर सांस लेने में मदद करने वाले एक नए मास्क का टेस्ट कर रहे हैं।


from Dainik Bhaskar /national/news/according-to-scientists-when-the-source-of-infection-is-not-found-in-30-of-cases-then-the-third-stage-comes-127082827.html
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विशेषज्ञ बोले- जांच के मामले में भारत बहुत पीछे, शायद इसीलिए संक्रमितों की संख्या कम

(पवन कुमार). देश में काेराेनावायरस के मरीजाें की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन जांच का दायरा नहीं बढ़ रहा है। सरकार ने जांच के जो मानक तय किए हैं, उनके मुताबिक भी शत-प्रतिशत जांच नहीं होरही है। विशेषज्ञों के अनुसार सरकार का अगर यही रवैया रहा, तो आने वाले समय में भीषण नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं।21 दिन का लॉकडाउनतभी कारगर होगा, जब कोरोना के संदिग्धों की बड़ी संख्या में जांच की जाएगी।

सर गंगाराम अस्पताल के सेंटर फॉर चेस्ट सर्जरी के चेयरमैन डॉ. अरविंद कुमार सिंह कहते है कि एक पाॅजिटिव मरीज भी लॉकडाउन तोड़ता है तो समाज में बीमारी फैला देगा। सरकार जांच की क्षमता बढ़ाए। उनकी भी जांच करे, जिनके किसी के संपर्क में आने की आशंका है। इटली, स्पेन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया में अधिक से अधिक जांच के बाद पाॅजिटिव लोगोंकोअलग किया जा रहा है, ताकि वायरस पर अंकुश लगे।

इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बैलियरी साइंसेज के निदेशक डॉ. एसके सरीन ने भी अधिक से अधिक जांच की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के 80% से ज्यादा मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है। लेकिन यदि मरीज को बीमारी का पता नहीं होगा, तो उससे परिवार के दूसरे लोगोंकोभी बीमारी होसकती है। आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार, जिसके संक्रमित होने की आशंका हो, उसे जांच के बाद आइसोलेट कर दिया जाना चाहिए। लेकिन, भारत के पास इतनी क्षमता नहीं है। ऐसे में ज्यादा जांच करना जरूरी है। जो पाॅजिटिव न मिले, उसे काम पर लगाना चाहिए, ताकि अर्थव्यवस्था कोनुकसान न हाे। अभी भारत सरकार की जोरणनीति है, उसकी निंदा करने के बजाय सख्ती से पालन करना चाहिए।

उधर डैंग लैब के प्रमुख डॉ. नवीन डैंग के अनुसार सरकार की जांच का क्राइटेरिया कुछ दिन पहले तक तो ठीक था, लेकिन अब दायरा बढ़ाना ही होगा। कम जांच से नुकसान ही होगा। अभी तोसरकार के क्राइटेरिया के अनुसार भी शत-प्रतिशत जांच नहीं होरही। निजी लैब के पास किट नहीं हैं। सैंपल लेने वालों की कमी है।

डब्ल्यूएचओ ने क्या कहा है-

कोविड-19 की जांच के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का सिर्फ यही कहना है कि ज्यादा से ज्यादा जांच करें। जहां भी लोगों को आशंका हो या उनमें लक्षण दिखें, उनकी जांच की जाए।

भारत में पांच तरह के लोगों कोजांच के दायरे में रखा गया

  • वो लोग जो विदेश से आए हों और जिनमें कोरोना के लक्षण दिखाई दें।
  • विदेश से आए लोग जिनमें कोरोना केलक्षण थे, उनके संपर्क में आए वो लोग जिनमें लक्षण दिख रहे हों।
  • कोरोना मरीज के परिजन जो किसी रूप में उसके संपर्क में आए हों।
  • अस्पतालाें में भर्ती वे मरीज, जिन्हें सांस की बीमारी है और उनमें लक्षण दिख रहेहों।
  • स्वास्थ्य कर्मी या डॉक्टर जो कोरोना मरीजों या संदिग्धों के इलाज में लगे हों और उनमें भी लक्षण दिख रहे हों। ऐसे लोगों की जांच को सरकार ने मानक बनाया है।

द. कोरिया ने विदेश से लौटे हर व्यक्ति की जांच की

सिर्फ दक्षिणकोरिया ने हर उस व्यक्ति की जांच की, जिसने पिछले दिनों क्रूज शिप में यात्रा की हो याविदेश से लौटा हो। कोरोना पॉजिटिव के संपर्क मेंआने वाले और हैल्थ वर्कर की भी जांच की गई। भारत में ऐसा सिर्फ निजामुद्दीन में होने जा रहा है। जबकि, दुनियाभर में सिर्फ उन लोगों की जांच की जा रही है, जिनमें लक्षण दिखाई दे रहे हैं।

निजी लैब को भी सरकार ने जांच की इजाजत दी

सरकार ने कोरोनावायरस की जांच के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं की सूची जारी की है। https://ift.tt/2H6SUX3 पर यहलिस्ट उपलब्ध है। कोविड-19 के परीक्षण के लिए सरकार ने निजी अस्पतालों और निजी प्रयोगशालाओं को कुछ शर्तों के साथ जांच की अनुमति दी है। निजी प्रयोगशालाएं जांच के लिए 4,500 रुपए से अधिक शुल्क नहीं वसूल सकतीं। हालांकि सरकार ने निजी लैब से भी जांच सुविधा बिना किसी लागत के उपलब्ध कराने का कहा है।

दुनिया के प्रमुख देशों में टेस्ट का डाटा

देश कुल टेस्ट टेस्ट प्रति

10 लाख

मरीज प्रति

1000 टेस्ट

अमेरिका 10.21 लाख 3,078 159
द. कोरिया 4.10 लाख 6,931 24
इटली 4.77 लाख 3,657 213
भारत 42.7 हजार 32 29


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दक्षिण कोरिया में कॉल सेंटर और शॉपिंग माॅल में जाकर लोगों की जांच की जा रही है।


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विशेषज्ञ बोले- जांच के मामले में भारत बहुत पीछे, शायद इसीलिए संक्रमितों की संख्या कम

(पवन कुमार). देश में काेराेनावायरस के मरीजाें की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन जांच का दायरा नहीं बढ़ रहा है। सरकार ने जांच के जो मानक तय किए हैं, उनके मुताबिक भी शत-प्रतिशत जांच नहीं होरही है। विशेषज्ञों के अनुसार सरकार का अगर यही रवैया रहा, तो आने वाले समय में भीषण नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं।21 दिन का लॉकडाउनतभी कारगर होगा, जब कोरोना के संदिग्धों की बड़ी संख्या में जांच की जाएगी।

सर गंगाराम अस्पताल के सेंटर फॉर चेस्ट सर्जरी के चेयरमैन डॉ. अरविंद कुमार सिंह कहते है कि एक पाॅजिटिव मरीज भी लॉकडाउन तोड़ता है तो समाज में बीमारी फैला देगा। सरकार जांच की क्षमता बढ़ाए। उनकी भी जांच करे, जिनके किसी के संपर्क में आने की आशंका है। इटली, स्पेन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया में अधिक से अधिक जांच के बाद पाॅजिटिव लोगोंकोअलग किया जा रहा है, ताकि वायरस पर अंकुश लगे।

इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बैलियरी साइंसेज के निदेशक डॉ. एसके सरीन ने भी अधिक से अधिक जांच की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के 80% से ज्यादा मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है। लेकिन यदि मरीज को बीमारी का पता नहीं होगा, तो उससे परिवार के दूसरे लोगोंकोभी बीमारी होसकती है। आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार, जिसके संक्रमित होने की आशंका हो, उसे जांच के बाद आइसोलेट कर दिया जाना चाहिए। लेकिन, भारत के पास इतनी क्षमता नहीं है। ऐसे में ज्यादा जांच करना जरूरी है। जो पाॅजिटिव न मिले, उसे काम पर लगाना चाहिए, ताकि अर्थव्यवस्था कोनुकसान न हाे। अभी भारत सरकार की जोरणनीति है, उसकी निंदा करने के बजाय सख्ती से पालन करना चाहिए।

उधर डैंग लैब के प्रमुख डॉ. नवीन डैंग के अनुसार सरकार की जांच का क्राइटेरिया कुछ दिन पहले तक तो ठीक था, लेकिन अब दायरा बढ़ाना ही होगा। कम जांच से नुकसान ही होगा। अभी तोसरकार के क्राइटेरिया के अनुसार भी शत-प्रतिशत जांच नहीं होरही। निजी लैब के पास किट नहीं हैं। सैंपल लेने वालों की कमी है।

डब्ल्यूएचओ ने क्या कहा है-

कोविड-19 की जांच के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का सिर्फ यही कहना है कि ज्यादा से ज्यादा जांच करें। जहां भी लोगों को आशंका हो या उनमें लक्षण दिखें, उनकी जांच की जाए।

भारत में पांच तरह के लोगों कोजांच के दायरे में रखा गया

  • वो लोग जो विदेश से आए हों और जिनमें कोरोना के लक्षण दिखाई दें।
  • विदेश से आए लोग जिनमें कोरोना केलक्षण थे, उनके संपर्क में आए वो लोग जिनमें लक्षण दिख रहे हों।
  • कोरोना मरीज के परिजन जो किसी रूप में उसके संपर्क में आए हों।
  • अस्पतालाें में भर्ती वे मरीज, जिन्हें सांस की बीमारी है और उनमें लक्षण दिख रहेहों।
  • स्वास्थ्य कर्मी या डॉक्टर जो कोरोना मरीजों या संदिग्धों के इलाज में लगे हों और उनमें भी लक्षण दिख रहे हों। ऐसे लोगों की जांच को सरकार ने मानक बनाया है।

द. कोरिया ने विदेश से लौटे हर व्यक्ति की जांच की

सिर्फ दक्षिणकोरिया ने हर उस व्यक्ति की जांच की, जिसने पिछले दिनों क्रूज शिप में यात्रा की हो याविदेश से लौटा हो। कोरोना पॉजिटिव के संपर्क मेंआने वाले और हैल्थ वर्कर की भी जांच की गई। भारत में ऐसा सिर्फ निजामुद्दीन में होने जा रहा है। जबकि, दुनियाभर में सिर्फ उन लोगों की जांच की जा रही है, जिनमें लक्षण दिखाई दे रहे हैं।

निजी लैब को भी सरकार ने जांच की इजाजत दी

सरकार ने कोरोनावायरस की जांच के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं की सूची जारी की है। https://ift.tt/2H6SUX3 पर यहलिस्ट उपलब्ध है। कोविड-19 के परीक्षण के लिए सरकार ने निजी अस्पतालों और निजी प्रयोगशालाओं को कुछ शर्तों के साथ जांच की अनुमति दी है। निजी प्रयोगशालाएं जांच के लिए 4,500 रुपए से अधिक शुल्क नहीं वसूल सकतीं। हालांकि सरकार ने निजी लैब से भी जांच सुविधा बिना किसी लागत के उपलब्ध कराने का कहा है।

दुनिया के प्रमुख देशों में टेस्ट का डाटा

देश कुल टेस्ट टेस्ट प्रति

10 लाख

मरीज प्रति

1000 टेस्ट

अमेरिका 10.21 लाख 3,078 159
द. कोरिया 4.10 लाख 6,931 24
इटली 4.77 लाख 3,657 213
भारत 42.7 हजार 32 29


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दक्षिण कोरिया में कॉल सेंटर और शॉपिंग माॅल में जाकर लोगों की जांच की जा रही है।


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संक्रमण के 76 रोगियों में से 48 आपस में रिश्तेदार हैं या सहकर्मी, कहीं-कहीं पूरा परिवार संक्रमित

(डूंगरसिंह राजपुरोहित).प्रदेश में 29 दिन में 93 मरीज सामने आचुके हैं। इनमें 76 प्रदेश के हैं, जबकि 17 ईरान से लाए गए भारतीयाें में पाॅजिटिव मिले हैं। प्रदेश के 76 राेगियाें में से 48 या तो एक ही परिवार के सदस्य हैं, आपसी रिश्तेदार हैं या एक ही संस्थान के सहकर्मी हैं। सात शहरों में तो इतना आपसी संक्रमण फैल गया कि कई परिवार ताे ऐसे हैं, जिनमें शायद ही काेई व्यक्ति इस राेगी से पीड़ित बचा हाे। इस हिसाब से प्रदेश में फैमिली संक्रमण वालों का आंकड़ा 63.15 प्रतिशत हो गया है, जो खतरे का संकेत है। इस बीच, प्रदेश में कुल 20 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव हो चुकी। काेराेनाजाेन बने भीलवाड़ा के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती 26 में से 13 मरीजों की रिपोर्ट पाॅजिटिव से निगेटिव आई है। यहां दो मौतें हो चुकी हैं। झुंझुनूं में भी कुल 8 में 3, जयपुर में भी 21 मरीजों में से 4 की रिपोर्ट पाॅजिटिव से निगेटिव आई है। जोधपुर में दो की रिपोर्ट पहले पाॅजिटिव और अब निगेटिव आई।

जयपुर : दो रोगियों से 12 पॉजिटिव

2 मार्च को इटली का यात्री रोगी मिला। 48 घंटे बाद उनकी पत्नी भी पाॅजटिव मिली। ओमान से आए मरीज के दोस्त को संक्रमण हुआ। फिर उसके परिवार में माता व बेटा भी पाॅजिटिव मिले। दो परिवारों के 12 लोग पाॅजिटिव हुए।

जोधपुर: 3 रिश्तेदारों को रोगी बनाया

एक व्यक्ति विदेश से आया व पाॅजिटिव मिला। कुछ दिन घर पर रहने से उसके 3 रिश्तेदार भी संक्रमित हो गए। इसी तरह लंदन से दो दोस्त आए। जोधपुर में टेस्टिंग की तो पहले दिन एक और दूसरे दिन दूसरा साथी पाॅजिटिव निकला।

डूंगरपुर : 3 पीढ़ियां संक्रमित हो गईं
इंदौर से पिता-पुत्र लौटे। दोनों टेस्ट में पाॅजिटिव मिले। मंगलवार को 40 वर्षीय इस व्यक्ति के 65 वर्षीय पिता भी पाॅजिटिव निकले। इस तरह इनकी तीन पीढ़ी संक्रमित हो गई।

अलवर : साथी से मिला रोग
फिलिपींस से आए युवक को 30 मार्च को पाॅजीटिव घोषित किया। बताया जा रहा है कि अपनी बहन सहित कई लोगों से मिला। वह झुंझुनूं के कोरोना रोगी से संक्रमित हुआ था।

भीलवाड़ा : एक डॉक्टर की लापरवाही से अब तक 26 संक्रमित
बांगड़ अस्पताल के ही 6 डाॅक्टर-नर्स पहले दिन 20 मार्च को कोरोना पाॅजिटिव मिले। इसके बाद से अब तक 18 से अधिक इसी अस्पताल के सहकर्मी पाॅजीटिव मिल चुके हैं। इनमें टाइपिस्ट, लैब असिस्टेंट, अटेंडर आदि शामिल हैं। इसी अस्पताल में इलाज के दाैरान संक्रमित हुए 60 वर्षीय व्यक्ति की माैत हाे गई। इसके 12 घंटे बाद ही बेटा और पाेती भी पाॅजिटिव मिले। सुखद खबर यह है कि मंगलवार को यहां कोई नया रोगी नहीं मिला।

अजमेर : परिवार के पांचों सदस्यों को कोरोना ने घेरा
अजमेर में एक युवक में कोरोना की पुष्टि हुई। तीन दिन पहले उसके 57 वर्षीय पिता, 40 वर्षीय मां व 20 वर्षीय भाई भी पीड़ित मिले। मंगलवार को 17 वर्षीय बहन भी पाॅजीटिव हो गई। इस परिवार के पांचों सदस्यों को कोरोना हो गया।

झुंझुनूं : दुबई से लौटे युवक के कारण 6 घरवाले क्वारेंटाइन
दुबई से आया युवक क्वारेंटाइन में रखा गया। जांच रिपोर्ट आती तब तक भागकर घर पहुंच गया। घर वालों से मिला। मंगलवार काे उसकी रिपोर्ट पाॅजिटिव आई। अब घर के छह लोग क्वारेंटाइन में रखे गए हैं।



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बीकानेर में झुग्गियों में जाकर मास्क पहनाते वालंटियर।


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स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा- संसाधनों और पैसों की कोई कमी नहीं, संक्रमण से नुकसान देखकर मन दुखी है

(पवन कुमार)काेराेनावायरस से लाॅकडाउन के बीच दैनिक भास्कर ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. हर्षवर्धन से बातचीत की। उन्हाेंने कहा कि देश में 80% संक्रमण मामूली लक्षण वाले हैं। 15% गंभीर हैं, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है। महज 5% नाजुक हैं, जिन्हें वेंटिलेटर लगाना पड़ सकता है। मुख्य अंश....

सवाल-कोविड-19 पर नियंत्रण के प्रयास पर लोगों ने संतोष जताया है। लोग जानना चाहते हैं कि क्या भारत ने प्रोएक्टिव कदम उठाए हैं?
जवाब-
हमने पोलियो को न केवल भारत बल्कि समूचे दक्षिण एशिया से समाप्त कर अपनी नीति की उपयोगिता और क्षमता को सिद्ध किया था। इसी तरह चेचक का भी उन्मूलन किया। हमने कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए सारी शक्ति लगा दी है। चीन ने 7 जनवरी को कोरोनावायरस के संक्रमण की विश्व को जानकारी दी थी और हमने 8 जनवरी से तैयारियां शुरू कर दी थीं। प्रधानमंत्री ने मंत्री समूह का गठन किया। विदेशों से आने वाले यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई। जरूरत के मुताबिक उन्हें अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड या होम क्वारेंटाइन एवं सरकारी फैसेलिटी में रखा गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत के प्रयासों की सराहना की।

सवाल-दिल्ली-पंजाब में संदिग्ध लोगों के हाथ पर मुहर लगाई जा रही है? कई राज्यों में ऐसा नहीं किया जा रहा। ऐसा क्यों?
जवाब-
यह राज्य सरकारों पर है। वे वर्तमान स्थिति और होम क्वारेंटाइन के लिए तय यात्रियों के गायब होने की संख्या के मद्देनजर निर्णय लेती हैं। राज्य सरकारें अपने तरीके से इसकी चिंता कर रही हैं।

सवाल-देश में 11 केस में ट्रेवल हिस्ट्री नहीं मिली। यह सामुदायिक संक्रमण नहीं तो क्या है?
जवाब-
कुछ मामलों के रिपोर्ट नहीं किए जाने और रोग के घटनाक्रम यानी इतिहास की जानकारी के बिना कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। समुदाय में जब रोग की दहशत हो और सामाजिक कलंक तथा बहिष्कार का भय हो, तो कोई भी रोग को छिपा सकता है। ऐसा भी होता है कि एक अकेले मामले के आधार पर लोग कह सकते हैं कि मध्य प्रदेश का इंदौर शहर सामुदायिक संक्रमण यानी तीसरे चरण में प्रवेश कर गया है, वे नकारात्मक प्रतिक्रिया भी कर सकते हैं।

सवाल- हर राज्य की अलग-अलग रणनीति क्यों है?
जवाब-यह हर जगह की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। भीलवाड़ा में एक अस्पताल में क्लस्टर बना। यह अस्पताल 6 हजार से ज्यादा लोगों को चिकित्सा दे चुका था और डॉक्टर स्टाफ भी संक्रमित पाए गए थे। इसलिए यह जरूरी था।

सवाल- जो लोग विदेश से आए हैं, वे क्वारेंटाइन रहे या नहीं, क्या इसका रिकॉर्ड है?
जवाब-अस्पतालों में भर्ती होने वाले हर व्यक्ति औरसब क्वारेंटाइन (होम या इंस्टीट्यूशनल) का रिकॉर्ड रखा जाता है। सरकारी अधिकारी उन पर देशभर में पैनी नजर रखे हैं।

सवाल- अस्पताल में बिस्तरों की संख्या की कमी को देखते हुए क्या जगह-जगह खड़ी ट्रेनोंको भी अस्पताल बनाया जा सकता है?
जवाब-इस विषय पर विचार किया गया है और उपलब्ध सभी साधनों का भरपूर इस्तेमाल करना सुनिश्चित कर रहे हैं। पर्याप्त बेड केंद्र के सरकारी अस्पताल, दूसरे केंद्रीय मंत्रालयों के अस्पताल, राज्य सरकारों के अस्पताल और निजी क्षेत्र में काफी संख्या में आइसोलेशन बेड तैयार किए गए हैं। आपातकालीन स्थिति के लिए नई प्रगतिशील व्यवस्थाओं के बारे में भी विचार किया जा रहा है। रेलवे का इस्तेमाल भी उनमें से एक है। रेलवे ने एक कोच को आइसोलेशन वार्ड में परिवर्तित कर उसमें चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।

सवाल- कोरोना का असर देश में कब तक रहेगा। क्या मरीजों-मृतकों की संख्या का संभावित अनुमान लगाया जा सकता है?
जवाब-
हम एकजुट होकर लगातार प्रभावी और धारदार कदम उठा रहे हैं। उभरती स्थानीय और वैश्विक स्थिति को देखते हुए नीति और कार्ययोजना संशोधित भी कर रहे हैं। सरकार की ओर से संसाधनों और राशि की कोई कमी नहीं है। विश्व के संपन्न देशों में इस संक्रमण से हुए नुकसान को देखकर मन दुखी होता है। हम चाहेंगे कि इस संकट का जल्द से जल्द पटाक्षेप हो और किसी भी अन्य रोगी को जान न गंवानी पड़े।

सवाल-कहा जा रहा है कि 5-6 घंटे संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने पर ही बीमारी होती है। वरना नहीं। क्या यह बात सही है?
जवाब-
नहीं। यह एक ड्रॉपलेट (छोटी बूंद) का संक्रमण है। यह अवधि से संबंधित नहीं है, लेकिन इस तथ्य से संबंधित है कि क्या मैं ड्रॉपलेट या फोमाइट्स के संपर्क में आने के बाद अपने मुंह और नाक को छूता हूं, जहां वे मौजूद हैं। यह हवा से होने वाला संक्रमण नहीं है।



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स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन (फाइल फोटो)


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अब रूस में सख्त लॉकडाउन, जापान 73 देशों की यात्रा पर बैन लगाएगा

कोरोनावायरस से खुद को ब्रेफ्रिक समझनेवाले जापान और रूस भी सहम गए हैं। रूस में मंगलवार को कोविड-19 के 500 से ज्यादा मरीज मिले। यह रूस में एक दिन में अब तक की सबसे अधिक संख्या है। मॉस्को हाटस्पॉट बना हुआ है। अचानक मामले बढ़ने के बाद रूस ने एक हफ्ते के लिए लॉकडाउन और सख्त कर दिया है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे एक ‘नॉन-वर्किंग वीक’ कहा है। लोगों को घरों में रहने के निर्देश दिए गए हैं।

बेफिक्र थे पुतिन,लोगों से खुले आम मिला रहे थे हाथ

इससे पहले राष्ट्रपति पुतिन कोरोनावायरस को लेकर बेफिक्र थे और खुलेआम लोगों से हाथ मिला रहे थे। उधर, अभी तक लॉकडाउन नहीं लगाने वाला जापान 73 देशों की यात्राओं पर रोक लगाने जा रहा है। इनमें अमेरिका, कनाडा, साउथ कोरिया भी हैं। यहां रविवार से अब तक कोरोनावायरस के केस 162% बढ़ गएहैं। दूसरी तरफ दुनियाभर में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या आठलाख को पार कर गई है। स्पेन में 553 मौत हुई हैं। यहां 94 हजार 417 लोग पॉजिटिव मिले हैं। वहीं, इटली में एक दिन में 812 मौतें होने के बाद चार अप्रैल को खत्म होने वाला लॉकडाउन ईस्टर तक बढ़ा दिया गया है।

जर्मनीः हाइजेनबर्ग को प्रयोगशाला बनाया, एकहजार लोगों पर टेस्टिंग शुरू

बर्लिन में जर्मनी ने सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके हाइजेनबर्ग को प्रयोगशाला में तब्दील कर दिया है। नीदरलैंड्स की सीमा से लगे इस इलाके में 1 हजार 281 पॉजिटिव केस मिले हैं। इसे ‘जर्मनी का वुहान’ कहा जा रहा है। यहां वैज्ञानिक और 40 मेडिकल स्टूडेंट एकहजार लोगों पर परीक्षण कर कोरोनावायरस के फैलने की वजह और उसे रोकने का तरीका खोजेंगे। दूसरी तरफ जर्मनी एकलाख लोगों पर कोरोना का एंटीबॉडी टेस्ट करेगा,ताकि कर्मचारी लॉकडाउन से बाहर आ सके और काम पर लौट सकें। इससे यह पता लग सकेगा कि किन लोगों पर कोरोना का खतरा कम है। साथ ही कोरोना के आसान शिकार वाले लोगों का भी पता लग सकेगा।

अमेरिकाः हवाई सेवा बंद हो सकती हैं, नागरिकों को लौटने को कहा गया

  • अमेरिका: विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने विदेशों में रह रहे अमेरिकियों को तुरंत देश लौटने को कहा है। चार्टर्ड और अन्य व्यवसायिक सेवाएं कभी भी रोकी जा सकती हैं।
  • नीदरलैंड्स: यहां मृतकों की संख्या 1000 पार हो गई। मंगलवार को 175 मौतें दर्ज हुईं। यहां सोशल डिस्टेंसिंग के नियम अप्रैल तक बढ़ाने की सिफारिश की गई है।
  • फ्रांस: फ्रांस में एक दिन 499 मौतें हुई। यह एक दिन में यहां सर्वाधिक मौतें हैं। फ्रांस में अब तक 3523 लोगों की जान जा चुकी है। 200 से ज्यादा संक्रमित लोग इलाज के लिए जर्मनी भेजे गए हैं।
  • ईरान: 3,111 नए केस मिले। यहां संक्रमित लोगों की संख्या 44 हजार606 पहुंच गई है। नई 141 मौत के साथ कुल मृतक संख्या 2898 हो गईहै। यहां हॉस्पिटल में जगह नहीं बची है। 3,703 लोग ही हॉस्पिटल में हैं।

न्यूयॉर्कः एकहजार बेड वाला शिप हॉस्पिटल पहुंच रहा

कोरोना वायरस से अमेरिका में मरने वालों की तादाद 3,573 पहुंच गई है। सबसे ज्यादा 914 मौतें न्यूयॉर्क सिटी में हुई हैं। यहां कोरोना के खतरे को देखते हुए अमेरिकी नौ सेना का एक हॉस्पिटल शिप ‘द कंफर्ट’ नॉरफॉल्क नेवी बेस से न्यूयॉर्क भेजा गया है। ये 8 दिन में पहुंचेगा। इस शिप में 12 कमरे ऐसे हैं जो आधुनिक स्वास्थ्य उपकरणों सेलैस हैं।



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मॉस्को : रूस ने एक हफ्ते के लिए लॉकडाउन और सख्त कर दिया।


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यहां ऐप के जरिए लोग डॉक्टर के संपर्क में, कोरोना का शक होने पर मेडिकल टीम घर पहुंच रही

मैड्रिड(मनीषा भल्ला).पंजाब के मशहूर लोकगायक राज ददराल के भाई प्रेम ददराल स्पेन के शहर बार्सिलोना में रहते हैं। उनका अपना रेस्त्रां है। बीते 20 दिन से बार्सिलोना में लॉकडाउन है। फोन पर प्रेम ददराल ने भास्कर को अपनी स्थिति बताई कि स्पेन की राजधानी मैड्रिड में भी लॉकडाउन है। पहले बार्सिलोना में लॉकडाउन नहीं किया गया था। लेकिन जब मैड्रिड के हालात खराब होने लगे तो यहां भी लॉकडाउन कर दिया गया।

डॉक्टरऑनलाइन ऐप से पता लगा रहे कोरोना के लक्षण

स्पेन सरकार ने एक ऐप बनाया है। इसके जरिये किसी को तबियतजरा भी गड़बड़ लगती है, तो वह ऑनलाइन डॉक्टरों से संपर्क करता है। उस व्यक्ति से ऑनलाइन हीलक्षण पूछकरबता दिया जाता है कि उसे कोरोना है या नहीं। अगर मेडिकल स्टाफ कोऐप के जरिये रत्ती भर भी कोरोना के लक्षण मिलते हैं, तो वे फौरन संबंधित व्यक्ति के घर पहुंचकर पूरे टेस्ट करते हैं। पूरे स्पेन में मास्क, सैनिटाइजर, दवाओं और खाने-पीने के सामान की कोई कमी नहीं है।

तेजी से बढ़ रहे संक्रमित

बार्सिलोना में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। मेडिकल सुविधाओं और खाने-पीने की तो कमी नहीं है, लेकिन केस बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। बार्सिलोना एक टूरिस्ट प्लेस है। आजकल सीजन था। हम लोगों के कमाने के यही दिन थे। लेकिन फुल लॉकडाउन चल रहा है। बाहर निकलने पर भारी जुर्माना है। पुलिस सख्ती से पेश आ रही है। टूरिस्ट प्लेस होने के चलते बार्सिलोना को भी मैड्रिड के साथ ही लॉकडाउन करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। नतीजा सरकार की लापरवाही लोगों को भुगतनी पड़ रही है।



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बार्सिलोना : राजधानी मैड्रिड के हालात खराब होने लगे यहां भी लॉकडाउन कर दिया गया।


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5 मिनट में पता लग जाएगी मरीज के दिल और फेफड़ों की हालत, डॉक्टर ऐप के जरिए कर निगरानी सकेंगे

नई दिल्ली (अमित कुमार निरंजन).जानलेवा कोरोनावायरस की चुनौती से निपटने के लिए दुनियाभर के मेडिकल साइंटिस्ट और टेक्निकल एक्सपर्ट तमाम प्रयासों में जुटे हुए हैं। देश में मानव संसाधन विकास मंत्रालय(एमएचआरडी) और अखिल भारतीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद(एआईसीटीई) द्वारा कोराना पर कराए गए आइडियाथॉन में कई इनोवेशन सामने आए। ये सभी साधन इजी टू यूज और इजी टू मूव हैं। मुंबई के एक स्टार्ट अप ने दिल की धड़कन और लंग्स में मौजूद फ्लूइड जांचने वाली डिवाइस बनाई है, जो कोरोना के लक्षणों की 90% तक सही जानकारी सिर्फ पांचमिनट में दे सकती है। वहीं, सेना के लिए रोबोट बनाने वाले पुणे के स्टार्टअप ने वेंटिलेटर की तरह ऑक्सीजन देने वाली इजी टू मूव डिवाइस बनाई है, जिसे अंबू एयर नाम दिया गया है। एमएचआरडी के इनोवेशन सेल डायरेक्टर डॉ मोहित गंभीर ने बताया कि आइडियाथॉन में आए इनोवेशन के बारे में डीएसटी और टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड से जानकारी साझा की गई है। उन्होंने इनपर काम भी शुरु कर दिया है।

ईजी टू यूज और ईजी टू मूव हैं: ये इनोवेटिव मेडिकल इंस्ट्रूमेंट

मुंबई स्थित अभया इन्फॉर्मेशनटेक्नॉलॉजी एलएलपी स्टार्टअप के सीईओ तरक वीएस नागराज ने बताया कि हमने हार्ट बीट और लंग्स में फ्लूइड टेस्ट के लिए एक खास डिवाइस विकसित की है। इसमें एक छोटा साउपकरण छाती पर लगाया जाता है। इसका नाम हार्टबीट है,जो धड़कनों की गणना और लंग्स में मौजूद फ्लूइड का आंकलन करता है। इसका डाटा मोबाइल एप के माध्यम से मिलता है। यह एप मरीज और डॉक्टर दोनों के पास होता है। जो छाती पर लगे डिवाइस का डाटा ब्लूटूथ से एप में कनेक्ट होकर क्लाउड के माध्यम से कहीं भी बैठे डॉक्टर को मिल जाएगा। एप में मौजूद एआई अस्थायी डॉक्टर की भूमिका निभाता है जो ह्रदयऔर लंग्स में होने वाली किसी भी खराबी के बारे में खुद ही डॉक्टर को सूचित कर देता है।

पुणे :वेंटिलेटर की तरह कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज को देगा ऑक्सजीन

सेना के लिए रोबोट तैयार करने वाले स्टार्टअप कॉम्बेट रोबोटिक्स इंडिया ने वेंटिलेटर जैसी डिवाइस तैयार की है। पुणे स्थित इस कंपनी के सीईओ गनेश पंडित सूर्यवंशी ने बताया कि हमने ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री में उपयोग होने वाले पार्ट्स की मदद की वेंटिलेटर की तरह काम करने वाला अंबू एयर बनाया है। यह बिजली और बैटरी दोनों से चलता है। कोरोना प्रभावित मरीज को सांस लेने में मुश्किल होने पर शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। अंबू एयर में मरीज को रखने पर उसे ऑक्सीजन की आपूर्ति तुरंत शुरू हो जाती है। यह डिवाईस वेंटिलेटर की तुलना में छोटी और हल्की होने से इजी टू मूव है। गनेश ने बताया कि यदि हमें प्रशासन और सरकार से मैन्युफैक्चरिंग के मामले में सपोर्ट मिले तो 100 अंबू एयर प्रतिदिन तैयार हो सकते हैं।



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सेना के लिए रोबोट तैयार करने वाले स्टार्टअप ने वेंटिलेटर जैसी डिवाइस तैयार की है।
हार्ट बीट और लंग्स में फ्लूइड टेस्ट के लिए यह खास डिवाइस विकसित की गई है।


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दिल्ली में इतिहास का सबसे ठंडा मार्च; 6 बार आया पश्चिमी विक्षोभ, इससे कई प्रदेशों में हुई बारिश-बर्फबारी, पारा गिरा

नई दिल्ली (अनिरुद्ध शर्मा).दिल्ली के इतिहास में इस साल का मार्च महीनासबसेठंडा रहा। दिल्ली में मार्च का औसत तापमान 29.6 डिग्री सेल्सियस रहता है, जबकि इस साल यह 28.4 डिग्री ही रहा। दिल्ली के सफदरजंग स्थित मौसम केंद्र में तो बीते महीने 109.6 मिमी बारिश दर्ज हुई, जो नया रिकॉर्ड है। मौसम विज्ञानी कुलदीप श्रीवास्तव के मुताबिक, 1901 से अब तक सिर्फ 2015 के मार्च में ही 97.5 मिमी बारिश हुई थी। श्रीवास्तव ने बताया कि इस सालमार्च में रिकॉर्ड 6 बार पश्चिमी विक्षोभ आए। इनसे पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी हुई। वहीं,पश्चिम, उत्तर और मध्य भारत में बारिश हुई।

दिल्ली के कई इलाकों में मंगलवार रात बारिश हुई।

मप्र समेत 9 राज्यों मे सामान्य से 250% से 486% ज्यादा बारिश
दिल्ली में मार्च में औसत बारिश 14.8 मिमी होती है। इस बार यह 69.4 मिमी हुई, जो सामान्य से 396% ज्यादा है। वहीं, पंजाब में 257%, हरियाणा में 476%, उत्तराखंड में 113%, यूपी में 449%, राजस्थान में 393%, मध्य प्रदेश में 264%, बिहार में 465%, झारखंड में 486%, छत्तीसगढ़ में 378%, महाराष्ट्र में 160% और ओडिशा में 164% ज्यादा बारिश हुई।

बीते 30 साल में बिहार समेत सात राज्यों में बारिश की कमी का ट्रेंड
मौसम विभाग ने बीते 30 साल में (1989 से 2018 के दौरान) में देशभर सेजिलावार आंकड़ों का अध्ययन कर बताया कि उत्तर प्रदेश, बिहार, प. बंगाल, हिमाचल, मेघालय, अरुणाचल औरनागालैंड की सालाना सामान्य बारिश में लगातार कमी आ रही है। इन राज्यों में मानसूनी बारिश लगातार कमी होने का ट्रेंडहै,जबकि गोवा एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां बारिश की मात्रा बढ़ रही है।

बारिश की वजह: पश्चिमी विक्षोभ हिमालय की बजाय दक्षिण की ओर मुड़ गए

स्काईमेट के महेश पलावत ने बताया कि अमूमन हर महीने तीन से चार पश्चिमी विक्षोभ आते हैं, पर इस मार्च में रिकॉर्ड 6 पश्चिमी विक्षोभ आए। मार्च के पश्चिमी विक्षोभ या तो कमजोर होते हैं या वे हिमालय के उत्तर की ओर चले जाते हैं। इस बार मार्च में आए सभी पश्चिमी विक्षोभ दक्षिण की ओर मुड़े, जिनका असर मध्य भारत तक देखा गया। इनसे चक्रवाती हवा का क्षेत्र भी बना और अरब सागर से आने वाली नमी से उत्तर-मध्य भारत के सभी राज्यों में बार-बार बारिश और ओलावृष्टि हुई।

अनुमान गलत निकला :वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के कारण नहीं चढ़ सका तापमान

मौसम विज्ञान केंद्र का फरवरी और मार्च में तापमान में बढ़ोतरी का अनुमान गलत निकला है। फरवरी में विभाग का अनुमान था कि वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का मार्च में खास असर नहीं होगा, लेकिन मार्च में इसका ठीक उल्टा प्रभावहुआ। इस दौरान देश के उत्तर, मध्य राज्यों में औसत तापमान एक डिग्री से तीन डिग्री तक कम रहा। मौसम विभाग ने बताया कि वह आगामी मानसून कोलेकर पूर्वानुमान अप्रैल के तीसरे हफ्ते में घोषित करेगा।



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बद्रीनाथ में पारा चढ़ने से 40 फीट ऊंचे हिमखंड टूट रहे हैं। इससे एनएच 58 बंद है।


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दिल्ली में इतिहास का सबसे ठंडा मार्च; 6 बार आया पश्चिमी विक्षोभ, इससे कई प्रदेशों में हुई बारिश-बर्फबारी, पारा गिरा

नई दिल्ली (अनिरुद्ध शर्मा).दिल्ली के इतिहास में इस साल का मार्च महीनासबसेठंडा रहा। दिल्ली में मार्च का औसत तापमान 29.6 डिग्री सेल्सियस रहता है, जबकि इस साल यह 28.4 डिग्री ही रहा। दिल्ली के सफदरजंग स्थित मौसम केंद्र में तो बीते महीने 109.6 मिमी बारिश दर्ज हुई, जो नया रिकॉर्ड है। मौसम विज्ञानी कुलदीप श्रीवास्तव के मुताबिक, 1901 से अब तक सिर्फ 2015 के मार्च में ही 97.5 मिमी बारिश हुई थी। श्रीवास्तव ने बताया कि इस सालमार्च में रिकॉर्ड 6 बार पश्चिमी विक्षोभ आए। इनसे पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी हुई। वहीं,पश्चिम, उत्तर और मध्य भारत में बारिश हुई।

दिल्ली के कई इलाकों में मंगलवार रात बारिश हुई।

मप्र समेत 9 राज्यों मे सामान्य से 250% से 486% ज्यादा बारिश
दिल्ली में मार्च में औसत बारिश 14.8 मिमी होती है। इस बार यह 69.4 मिमी हुई, जो सामान्य से 396% ज्यादा है। वहीं, पंजाब में 257%, हरियाणा में 476%, उत्तराखंड में 113%, यूपी में 449%, राजस्थान में 393%, मध्य प्रदेश में 264%, बिहार में 465%, झारखंड में 486%, छत्तीसगढ़ में 378%, महाराष्ट्र में 160% और ओडिशा में 164% ज्यादा बारिश हुई।

बीते 30 साल में बिहार समेत सात राज्यों में बारिश की कमी का ट्रेंड
मौसम विभाग ने बीते 30 साल में (1989 से 2018 के दौरान) में देशभर सेजिलावार आंकड़ों का अध्ययन कर बताया कि उत्तर प्रदेश, बिहार, प. बंगाल, हिमाचल, मेघालय, अरुणाचल औरनागालैंड की सालाना सामान्य बारिश में लगातार कमी आ रही है। इन राज्यों में मानसूनी बारिश लगातार कमी होने का ट्रेंडहै,जबकि गोवा एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां बारिश की मात्रा बढ़ रही है।

बारिश की वजह: पश्चिमी विक्षोभ हिमालय की बजाय दक्षिण की ओर मुड़ गए

स्काईमेट के महेश पलावत ने बताया कि अमूमन हर महीने तीन से चार पश्चिमी विक्षोभ आते हैं, पर इस मार्च में रिकॉर्ड 6 पश्चिमी विक्षोभ आए। मार्च के पश्चिमी विक्षोभ या तो कमजोर होते हैं या वे हिमालय के उत्तर की ओर चले जाते हैं। इस बार मार्च में आए सभी पश्चिमी विक्षोभ दक्षिण की ओर मुड़े, जिनका असर मध्य भारत तक देखा गया। इनसे चक्रवाती हवा का क्षेत्र भी बना और अरब सागर से आने वाली नमी से उत्तर-मध्य भारत के सभी राज्यों में बार-बार बारिश और ओलावृष्टि हुई।

अनुमान गलत निकला :वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के कारण नहीं चढ़ सका तापमान

मौसम विज्ञान केंद्र का फरवरी और मार्च में तापमान में बढ़ोतरी का अनुमान गलत निकला है। फरवरी में विभाग का अनुमान था कि वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का मार्च में खास असर नहीं होगा, लेकिन मार्च में इसका ठीक उल्टा प्रभावहुआ। इस दौरान देश के उत्तर, मध्य राज्यों में औसत तापमान एक डिग्री से तीन डिग्री तक कम रहा। मौसम विभाग ने बताया कि वह आगामी मानसून कोलेकर पूर्वानुमान अप्रैल के तीसरे हफ्ते में घोषित करेगा।



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बद्रीनाथ में पारा चढ़ने से 40 फीट ऊंचे हिमखंड टूट रहे हैं। इससे एनएच 58 बंद है।


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स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा- संसाधनों और पैसों की कोई कमी नहीं, संक्रमण से नुकसान देखकर मन दुखी है

(पवन कुमार)काेराेनावायरस से लाॅकडाउन के बीच दैनिक भास्कर ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. हर्षवर्धन से बातचीत की। उन्हाेंने कहा कि देश में 80% संक्रमण मामूली लक्षण वाले हैं। 15% गंभीर हैं, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है। महज 5% नाजुक हैं, जिन्हें वेंटिलेटर लगाना पड़ सकता है। मुख्य अंश....

सवाल-कोविड-19 पर नियंत्रण के प्रयास पर लोगों ने संतोष जताया है। लोग जानना चाहते हैं कि क्या भारत ने प्रोएक्टिव कदम उठाए हैं?
जवाब-
हमने पोलियो को न केवल भारत बल्कि समूचे दक्षिण एशिया से समाप्त कर अपनी नीति की उपयोगिता और क्षमता को सिद्ध किया था। इसी तरह चेचक का भी उन्मूलन किया। हमने कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए सारी शक्ति लगा दी है। चीन ने 7 जनवरी को कोरोनावायरस के संक्रमण की विश्व को जानकारी दी थी और हमने 8 जनवरी से तैयारियां शुरू कर दी थीं। प्रधानमंत्री ने मंत्री समूह का गठन किया। विदेशों से आने वाले यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई। जरूरत के मुताबिक उन्हें अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड या होम क्वारेंटाइन एवं सरकारी फैसेलिटी में रखा गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत के प्रयासों की सराहना की।

सवाल-दिल्ली-पंजाब में संदिग्ध लोगों के हाथ पर मुहर लगाई जा रही है? कई राज्यों में ऐसा नहीं किया जा रहा। ऐसा क्यों?
जवाब-
यह राज्य सरकारों पर है। वे वर्तमान स्थिति और होम क्वारेंटाइन के लिए तय यात्रियों के गायब होने की संख्या के मद्देनजर निर्णय लेती हैं। राज्य सरकारें अपने तरीके से इसकी चिंता कर रही हैं।

सवाल-देश में 11 केस में ट्रेवल हिस्ट्री नहीं मिली। यह सामुदायिक संक्रमण नहीं तो क्या है?
जवाब-
कुछ मामलों के रिपोर्ट नहीं किए जाने और रोग के घटनाक्रम यानी इतिहास की जानकारी के बिना कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। समुदाय में जब रोग की दहशत हो और सामाजिक कलंक तथा बहिष्कार का भय हो, तो कोई भी रोग को छिपा सकता है। ऐसा भी होता है कि एक अकेले मामले के आधार पर लोग कह सकते हैं कि मध्य प्रदेश का इंदौर शहर सामुदायिक संक्रमण यानी तीसरे चरण में प्रवेश कर गया है, वे नकारात्मक प्रतिक्रिया भी कर सकते हैं।

सवाल- हर राज्य की अलग-अलग रणनीति क्यों है?
जवाब-यह हर जगह की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। भीलवाड़ा में एक अस्पताल में क्लस्टर बना। यह अस्पताल 6 हजार से ज्यादा लोगों को चिकित्सा दे चुका था और डॉक्टर स्टाफ भी संक्रमित पाए गए थे। इसलिए यह जरूरी था।

सवाल- जो लोग विदेश से आए हैं, वे क्वारेंटाइन रहे या नहीं, क्या इसका रिकॉर्ड है?
जवाब-अस्पतालों में भर्ती होने वाले हर व्यक्ति औरसब क्वारेंटाइन (होम या इंस्टीट्यूशनल) का रिकॉर्ड रखा जाता है। सरकारी अधिकारी उन पर देशभर में पैनी नजर रखे हैं।

सवाल- अस्पताल में बिस्तरों की संख्या की कमी को देखते हुए क्या जगह-जगह खड़ी ट्रेनोंको भी अस्पताल बनाया जा सकता है?
जवाब-इस विषय पर विचार किया गया है और उपलब्ध सभी साधनों का भरपूर इस्तेमाल करना सुनिश्चित कर रहे हैं। पर्याप्त बेड केंद्र के सरकारी अस्पताल, दूसरे केंद्रीय मंत्रालयों के अस्पताल, राज्य सरकारों के अस्पताल और निजी क्षेत्र में काफी संख्या में आइसोलेशन बेड तैयार किए गए हैं। आपातकालीन स्थिति के लिए नई प्रगतिशील व्यवस्थाओं के बारे में भी विचार किया जा रहा है। रेलवे का इस्तेमाल भी उनमें से एक है। रेलवे ने एक कोच को आइसोलेशन वार्ड में परिवर्तित कर उसमें चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।

सवाल- कोरोना का असर देश में कब तक रहेगा। क्या मरीजों-मृतकों की संख्या का संभावित अनुमान लगाया जा सकता है?
जवाब-
हम एकजुट होकर लगातार प्रभावी और धारदार कदम उठा रहे हैं। उभरती स्थानीय और वैश्विक स्थिति को देखते हुए नीति और कार्ययोजना संशोधित भी कर रहे हैं। सरकार की ओर से संसाधनों और राशि की कोई कमी नहीं है। विश्व के संपन्न देशों में इस संक्रमण से हुए नुकसान को देखकर मन दुखी होता है। हम चाहेंगे कि इस संकट का जल्द से जल्द पटाक्षेप हो और किसी भी अन्य रोगी को जान न गंवानी पड़े।

सवाल-कहा जा रहा है कि 5-6 घंटे संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने पर ही बीमारी होती है। वरना नहीं। क्या यह बात सही है?
जवाब-
नहीं। यह एक ड्रॉपलेट (छोटी बूंद) का संक्रमण है। यह अवधि से संबंधित नहीं है, लेकिन इस तथ्य से संबंधित है कि क्या मैं ड्रॉपलेट या फोमाइट्स के संपर्क में आने के बाद अपने मुंह और नाक को छूता हूं, जहां वे मौजूद हैं। यह हवा से होने वाला संक्रमण नहीं है।



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स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन (फाइल फोटो)


from Dainik Bhaskar /local/delhi-ncr/news/health-minister-of-the-country-dr-harsh-vardhan-said-there-is-no-shortage-of-resources-and-money-the-heart-is-sad-to-see-the-loss-due-to-infectioncoronavirus-outbreak-live-corona-virus-cases-in-india-cases-death-toll-latest-news-and-updates-127082669.html
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वैज्ञानिकों के मुताबिक- जब 30% मामलों में संक्रमण का स्रोत पता न चले, तब आता है तीसरा चरण

देश में कोरोनावायरस के मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच कई मीडिया रिपोर्ट्स इस महामारी की तीसरी स्टेज आने की आशंका जताने लगी हैं। हालांकि, सरकार इससे इनकार कर रही है। सरकार का दावा है कि तीसरी स्टेज न आए, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार जब 30% मामलों में संक्रमण का सोर्स पता ना चले, तबमहामारी की तीसरी स्टेज मानी जातीहै।

देश में बीमारी के चार चरण, देखिए कैसे बढ़ता जाता है असर

पहली स्टेज :विदेश से आए लोग वायरस लाते हैं :पहले चरण में वायरस विदेश यात्रा कर लौटे लोगों या विदेश से आए लोगों से उस देश में आता है, जहां वह वायरस पहले से नहीं है। दुनिया के ज्यादातर देशों के लिए कोरोना वायरस देने वाला देश चीन रहा है। हालांकि भारत के मामले में ऐसा माना जा रहा है कि यहां सबसे पहले वायरस लाने वाले इटली से आए कुछ पर्यटक थे, जो बाद में कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए।

दूसरी स्टेज : जब वायरस स्थानीय स्तर पर फैलता है :जो लोग देश के बाहर नहीं गए थे और ट्रैवल हिस्ट्री वाले संक्रमित लोगों के संपर्क में आ गए, उन्हें भी संक्रमण हो जाता है। इस स्टेज को लोकल ट्रांसमिशन यानी स्थानीय प्रसार कहते हैं, जिसमें यह स्पष्ट हो जाता है कि संक्रमण किसी क्षेत्र विशेष में फैल रहा है और वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जा रहा है। अब तक माना जा रहा है कि देश दूसरी स्टेज में ही है।

तीसरी स्टेज : वायरस का समुदाय स्तर पर फैलना :विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कम्युनिटी ट्रांसमिशन (सामुदायिक प्रसार) की स्थिति तब आती है, जब बड़ी संख्या में वायरस के कंफर्म मामलों के बारे में यह पता न किया जा सके कि वायरस कहां से या किससे फैल रहा हैं। किसी व्यक्ति में यह संक्रमण कहां से आया। यानी वायरस के स्रोत का पता नहीं चलता और यह लोगों में फैलता जाता है।

चौथी स्टेज : जब देश के लिए भी बीमारी महामारी बन जाए :हर महमारी में एक चौथी स्टेज होती है। यह तब आती है जब ये वैश्विक महामारी, किसी देश के लिए भी महामारी बन जाती है। चीन में यही हुआ, जब बड़ी संख्या में, तेजी से लोग संक्रमित होने लगे और मरने लगे। इस स्थिति में बीमारी का स्पष्ट अंत नजर नहीं आता है। इस स्टेज की बीमारी साल में कई बार उभर सकती है। उदाहरण के लिए मलेरिया और डेंगू भारत में महामारियां हैं।

तीसरी स्टेज क्यों खतरनाक है?
पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि मरीज कैसे संक्रमित हुआ। अमेरिका के मिसौरी में पब्लिक हेल्थ की अधिकारी शेजनी शुल्ट इसे आसानी से समझाती हैं।अगर कोई तीसरी स्टेज में संक्रमित होता है, तो वह सोचता ही रह जाएगा कि उसे संक्रमण कैसे हुआ। वह किसी एक व्यक्ति या जगह की तरफ इशारा नहीं कर पाएगा कि उसे इसकी वजह से बीमारी हुई। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का कहना है कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि भारत ने वायरस को नियंत्रित कर लिया है। हम उम्मीद करते हैं कि देश तीसरी स्टेज में न पहुंचे, लेकिन इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता।

क्या देश में तीसरी स्टेज आ गई?
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने अपने एक बयान में कहा, ‘समुदाय प्रसार की परिभाषा के अनुसार यह तभी माना जाएगा, जब बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आने लगें जहां स्रोत का पता न लगाया जा सके। इस आधार पर कह सकते हैं कि देश अभी तीसरी स्टेज में नहीं है। हमारे जैसे बड़े देश में ऐसे कुछ ही मामले आए हैं जिनका स्रोत नहीं पता है। यह आसान प्रक्रिया नहीं है और इसमें समय लगता है।’

20 से 30 प्रतिशत मामले जब ऐसे आने लगें, जिनमें संक्रमण का कारण पता न चले तो इसका मतलब है तीसरी स्टेज आ चुकी है। - स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय

कोरोना को रोकने के लिए सरकार ने क्या किया

  • आईसीएमआर ने लॉकडाउन से पहले कम्युनिटी ट्रांसमिशन की जांच करने के लिए 800रैंडम सैंपल लिए थे। सभी निगेटिव निकले।
  • 20लाख लोगों की सभी बॉर्डर पोस्ट्स पर जांच की गई।
  • 40हजार लोगों की समुद्री पोर्ट्स पर जांच की गई।
  • 15.25लाख लोगों की एयरपोर्ट पर थर्मल जांच की गई।

(स्रोत: सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए गए आंकड़े और मीडिया रिपोर्ट्स)



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बेल्जियम में मेडिकल वर्कर सांस लेने में मदद करने वाले एक नए मास्क का टेस्ट कर रहे हैं।


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यहां ऐप के जरिए लोग डॉक्टर के संपर्क में, कोरोना का शक होने पर मेडिकल टीम घर पहुंच रही

मैड्रिड(मनीषा भल्ला).पंजाब के मशहूर लोकगायक राज ददराल के भाई प्रेम ददराल स्पेन के शहर बार्सिलोना में रहते हैं। उनका अपना रेस्त्रां है। बीते 20 दिन से बार्सिलोना में लॉकडाउन है। फोन पर प्रेम ददराल ने भास्कर को अपनी स्थिति बताई कि स्पेन की राजधानी मैड्रिड में भी लॉकडाउन है। पहले बार्सिलोना में लॉकडाउन नहीं किया गया था। लेकिन जब मैड्रिड के हालात खराब होने लगे तो यहां भी लॉकडाउन कर दिया गया।

डॉक्टरऑनलाइन ऐप से पता लगा रहे कोरोना के लक्षण

स्पेन सरकार ने एक ऐप बनाया है। इसके जरिये किसी को तबियतजरा भी गड़बड़ लगती है, तो वह ऑनलाइन डॉक्टरों से संपर्क करता है। उस व्यक्ति से ऑनलाइन हीलक्षण पूछकरबता दिया जाता है कि उसे कोरोना है या नहीं। अगर मेडिकल स्टाफ कोऐप के जरिये रत्ती भर भी कोरोना के लक्षण मिलते हैं, तो वे फौरन संबंधित व्यक्ति के घर पहुंचकर पूरे टेस्ट करते हैं। पूरे स्पेन में मास्क, सैनिटाइजर, दवाओं और खाने-पीने के सामान की कोई कमी नहीं है।

तेजी से बढ़ रहे संक्रमित

बार्सिलोना में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। मेडिकल सुविधाओं और खाने-पीने की तो कमी नहीं है, लेकिन केस बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। बार्सिलोना एक टूरिस्ट प्लेस है। आजकल सीजन था। हम लोगों के कमाने के यही दिन थे। लेकिन फुल लॉकडाउन चल रहा है। बाहर निकलने पर भारी जुर्माना है। पुलिस सख्ती से पेश आ रही है। टूरिस्ट प्लेस होने के चलते बार्सिलोना को भी मैड्रिड के साथ ही लॉकडाउन करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। नतीजा सरकार की लापरवाही लोगों को भुगतनी पड़ रही है।



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बार्सिलोना : राजधानी मैड्रिड के हालात खराब होने लगे यहां भी लॉकडाउन कर दिया गया।


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अब रूस में सख्त लॉकडाउन, जापान 73 देशों की यात्रा पर बैन लगाएगा

कोरोनावायरस से खुद को ब्रेफ्रिक समझनेवाले जापान और रूस भी सहम गए हैं। रूस में मंगलवार को कोविड-19 के 500 से ज्यादा मरीज मिले। यह रूस में एक दिन में अब तक की सबसे अधिक संख्या है। मॉस्को हाटस्पॉट बना हुआ है। अचानक मामले बढ़ने के बाद रूस ने एक हफ्ते के लिए लॉकडाउन और सख्त कर दिया है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे एक ‘नॉन-वर्किंग वीक’ कहा है। लोगों को घरों में रहने के निर्देश दिए गए हैं।

बेफिक्र थे पुतिन,लोगों से खुले आम मिला रहे थे हाथ

इससे पहले राष्ट्रपति पुतिन कोरोनावायरस को लेकर बेफिक्र थे और खुलेआम लोगों से हाथ मिला रहे थे। उधर, अभी तक लॉकडाउन नहीं लगाने वाला जापान 73 देशों की यात्राओं पर रोक लगाने जा रहा है। इनमें अमेरिका, कनाडा, साउथ कोरिया भी हैं। यहां रविवार से अब तक कोरोनावायरस के केस 162% बढ़ गएहैं। दूसरी तरफ दुनियाभर में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या आठलाख को पार कर गई है। स्पेन में 553 मौत हुई हैं। यहां 94 हजार 417 लोग पॉजिटिव मिले हैं। वहीं, इटली में एक दिन में 812 मौतें होने के बाद चार अप्रैल को खत्म होने वाला लॉकडाउन ईस्टर तक बढ़ा दिया गया है।

जर्मनीः हाइजेनबर्ग को प्रयोगशाला बनाया, एकहजार लोगों पर टेस्टिंग शुरू

बर्लिन में जर्मनी ने सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके हाइजेनबर्ग को प्रयोगशाला में तब्दील कर दिया है। नीदरलैंड्स की सीमा से लगे इस इलाके में 1 हजार 281 पॉजिटिव केस मिले हैं। इसे ‘जर्मनी का वुहान’ कहा जा रहा है। यहां वैज्ञानिक और 40 मेडिकल स्टूडेंट एकहजार लोगों पर परीक्षण कर कोरोनावायरस के फैलने की वजह और उसे रोकने का तरीका खोजेंगे। दूसरी तरफ जर्मनी एकलाख लोगों पर कोरोना का एंटीबॉडी टेस्ट करेगा,ताकि कर्मचारी लॉकडाउन से बाहर आ सके और काम पर लौट सकें। इससे यह पता लग सकेगा कि किन लोगों पर कोरोना का खतरा कम है। साथ ही कोरोना के आसान शिकार वाले लोगों का भी पता लग सकेगा।

अमेरिकाः हवाई सेवा बंद हो सकती हैं, नागरिकों को लौटने को कहा गया

  • अमेरिका: विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने विदेशों में रह रहे अमेरिकियों को तुरंत देश लौटने को कहा है। चार्टर्ड और अन्य व्यवसायिक सेवाएं कभी भी रोकी जा सकती हैं।
  • नीदरलैंड्स: यहां मृतकों की संख्या 1000 पार हो गई। मंगलवार को 175 मौतें दर्ज हुईं। यहां सोशल डिस्टेंसिंग के नियम अप्रैल तक बढ़ाने की सिफारिश की गई है।
  • फ्रांस: फ्रांस में एक दिन 499 मौतें हुई। यह एक दिन में यहां सर्वाधिक मौतें हैं। फ्रांस में अब तक 3523 लोगों की जान जा चुकी है। 200 से ज्यादा संक्रमित लोग इलाज के लिए जर्मनी भेजे गए हैं।
  • ईरान: 3,111 नए केस मिले। यहां संक्रमित लोगों की संख्या 44 हजार606 पहुंच गई है। नई 141 मौत के साथ कुल मृतक संख्या 2898 हो गईहै। यहां हॉस्पिटल में जगह नहीं बची है। 3,703 लोग ही हॉस्पिटल में हैं।

न्यूयॉर्कः एकहजार बेड वाला शिप हॉस्पिटल पहुंच रहा

कोरोना वायरस से अमेरिका में मरने वालों की तादाद 3,573 पहुंच गई है। सबसे ज्यादा 914 मौतें न्यूयॉर्क सिटी में हुई हैं। यहां कोरोना के खतरे को देखते हुए अमेरिकी नौ सेना का एक हॉस्पिटल शिप ‘द कंफर्ट’ नॉरफॉल्क नेवी बेस से न्यूयॉर्क भेजा गया है। ये 8 दिन में पहुंचेगा। इस शिप में 12 कमरे ऐसे हैं जो आधुनिक स्वास्थ्य उपकरणों सेलैस हैं।



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मॉस्को : रूस ने एक हफ्ते के लिए लॉकडाउन और सख्त कर दिया।


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37 हजार 797 मौतें: वॉशिंगटन में घर में रहने के आदेश, उल्लंघन करने पर 3.7 लाख रुपए जुर्माना; ट्रम्प ने कहा- अब तक 10 लाख लोगों का टेस्ट हुआ

वॉशिंगटन/रोम. दुनियाभर में कोरोनावायरस के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। 199 देशों में करीब सात लाख 85 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। अब तक 37 हजार 797 मौतें हो चुकी हैं। वहीं, एक लाख 65 हजार 387 व्यक्ति ठीक भी हुए हैं। उधर, सबसे ज्यादा संक्रमण के एक लाख 64 हजार 121 मामले अमेरिका में सामने आए हैं। यहां तीन हजार 163 लोगों की जान जा चुकी है। वॉशिंगटन में लोगों को घर में ही रहने के आदेश जारी किए गए हैं। इसका उल्लंघन करने पर करीब 3.7 लाख जुर्माना (पांच हजार डॉलर), 90 दिन जेल या फिर दोनों ही हो सकती है। वहीं, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को कहा कि किसी भी अन्य देश की तुलना मेंयहांअब तक 10 लाख लोगों मेंकोरोना की जांच की जा चुकी है। वहीं, अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्री एलेक्स अजार ने कहा कि हर दिन हम एक लाख सैम्पलकी जांच कर रहे हैं।

कोलंबिया जिले की मेयर मुरियल बोसर ने सोमवार को ट्वीट किया, “कोरोनावायरस के मामलों में वृद्धि हो रही, इस वजह से मैं कोलंबिया जिले के लिए घर में रहने का आदेश जारी कर रही हूं। लोगों को केवल जरूरी कामों जैसे चिकित्सा, भोजन, जरूरी सामान लाने और महत्वपूर्ण काम के लिए ही बाहर जाने अनुमति होगी है।” वॉशिंगटन के आसपास के स्टेट वर्जीनिया और मैरीलैंड में एक दिन पहले ही इसी तरह के आदेश जारी किए गए थे।

न्यूयॉर्क के पियर 90 बंदरगाह पर खड़ेअमेरिकी नौसेना के जहाज पर लगी जाली से झांकते लोग।

इटली: संक्रमण का आंकड़ा एक लाख के पार
वर्ल्डोमीटर्स डॉट इन्फो के मुताबिक, इटली में संक्रमण का आंकड़ा एक लाख एक हजार 729 हो गया है। वहीं, यहां 11 हजार 591 लोगों की मौत हो चुकी है। इटली में हर दिन औसतन 600 से ज्यादा लोग मारे जा रहे हैं। हालांकि, ईस्टर तक इटली में लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है। हालांकि, संक्रमण दर में गिरावट की उम्मीद है। सोमवार को 1,648 लोग संक्रमित थे, जबकि एक दिन पहले 3,815 केस सामने आए थे। मौतों के मामले में इटली दुनिया का सबसे ज्यादा प्रभावित देश है।

इटली: बरगामो शहर के धर्मशाला को सैनिटाइज करते स्वास्थ्यकर्मी।

स्पेन: मौतों का आंकड़ा 7 हजार के पार
इटली के बाद सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित देश स्पेन है। यहां मौतों का आंकड़ा सात हजार 716 हो गया है। एक दिन पहले तक यहां छह हजार मौतें हुई थीं। यहां संक्रमितों की संख्या 87 हजार 956 है।

स्पेन: बार्सिलोना में एक नर्सिंग होम के बाहर बैठे फायर फाइटर्स।

फ्रांस: 44 हजार 550 संक्रमित
फ्रांस में संक्रमण के 44 हजार 550 मामले हो चुके हैं। यहां अब तक तीन हजार 24 लोगों की मौत हो चुकी है। फ्रांस यूरोप का पांचवा देश हैं, जहां तीन हजार से ज्यादा लोगों की जान गई है।

टॉप-10 देश जोकोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं

देश कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 1,64,121 3,163 5,506
इटली 1,01,739 11,591 14,620
स्पेन 87,956 7,716 16,780
चीन 81,518 3,305 76,052
जर्मनी 66,885 645 13,500
फ्रांस 44,550 3,024 7,927
ईरान

41,495

2,757 13,911
ब्रिटेन 22,141 1,408 135
स्विट्जरलैंड

15,922

359 1,823
बेल्जियम 11,899 513 1,527


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सोमवार को कोरोना पर मीडिया ब्रीफिंग के दौरान ट्रम्प ने कहा- अब तक 10 लाख लोगों का टेस्ट हुआ।


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