
अयोध्या. श्री राम मंदिर निर्माण तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े के महंत दिनेंद्र दास ने ने भास्कर से बातचीत में कहा- यह गलत प्रचार किया जा रहा है कि बोर्ड में हमें वोटिंग का अधिकार नहीं है। ट्रस्ट के सभी सदस्यों को अपना मत रखने का पूर्ण अधिकार है। प्रभु राम के काम में संतों को आपसी मतभेद त्यागकर आगे बढ़ना चाहिए। विहिप के मॉडल या उनकी कार्यशाला में तराशे गए पत्थरों का उपयोग पर हमें कोई आपत्ति नहीं है। प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश....
भास्कर: मंदिर से 22 किलोमीटर दूर मस्जिद के लिए जगह दी गई है। अगर वहां उसका नाम बाबरी मस्जिद ही रखा जाए तो क्या आपको आपत्ति होगी?
दिनेंद्र दास: बाबर के नाम से मस्जिद 90 फीसदी से ज्यादा लोग नहीं चाहते। मुस्लिम पक्षकार ही मस्जिद के साथ स्कूल व अस्पताल बनाने की बात कर रहे हैं। बहुमत पर ही बात तय होगी।
भास्कर: अगर कोई मुस्लिम नेता मंदिर निर्माण में सहयोग करेगा तो क्या आप उसे लेंगे?
दिनेंद्र दास: मुस्लिम समाज मंदिर निर्माण में सहयोग करें, इसमें कोई ऐतराज नहीं। हम सब ईश्वर के बंदे हैं। यह आपसी प्यार मोहब्बत की नजीर होगी।
भास्कर:जिस तरह ट्रस्ट में दलित सदस्य अनिवार्य रखने की शर्त है उसे प्रकार मंदिर में दलित पुजारी भी रखे जाने की चर्चा आ रही है? अगर ऐसा होगा तो क्या आप इससे सहमत होंगे?
दिनेंद्र दास: निर्मोही अखाड़ा ही रामलला विराजमान की शुरू से पूजा अर्चना का दायित्व निभाता रहा है। हमारी परम्परा में दलित पुजारी नहीं रखा जाता। मुख्य तौर पर जनेऊ धारण करने वाले ब्राह्मण व क्षत्रिय ही पुजारी रखेजाते हैं। मैं यही पक्ष रखूंगा।
भास्कर: वर्तमान में रामलला विराजमान के जो सेवादार हैं, उन्हें क्या नए मंदिर में सेवा के लिए रखा जाएगा?
दिनेंद्र दास: मैंने कहा न- पूजा व्यवस्था का अधिकार निर्मोही अखाड़ा को मिलना चाहिए। निर्मोही अखाड़ा वैष्णव परम्परा के हिसाब से व्यवस्था कर देगा।
भास्कर: मंदिर में विहिप धनुषधारी राम की प्रतिमा चाहता है और निर्मोही अखाड़ा श्रीराम के बाल स्वरूप की प्रतिमा चाहता है। आप क्या राय रखने वाले हैं?
दिनेंद्र दास: इसमें कोई विवाद नहीं है। रामलला के बाल रूप के साथ धनुषधारी प्रभु राम की प्रतिमा भी स्थापित की जा सकती है।
भास्कर: आप अयोध्या के ट्रस्टियों में इकलौते संत हैं, आपको ट्रस्ट की बैठकों में वोट देने का अधिकार नहीं रहेगा। क्या कहना है ?
दिनेंद्र दास: अगर ऐसा होता तो ट्रस्ट में रखने से मेरा सम्मान नहीं अपमान होता। यह गलत तरीके से प्रचारित किया गया। ट्रस्ट के नोटिफिकेशन में यह बात साफतौर पर कही गई है कि निर्मोही अखाड़े के प्रतिनिधि को ट्रस्ट की बैठक में वोट देने का अधिकार रहेगा। अब ट्रस्ट के सभी सदस्य एक मत हो कर निर्णय करेंगे। किसी के बीच कोई मतभेद नहीं है।
भास्कर: कब तक ट्स्ट की बैठक होगी, आपके क्या सुझाव रहेंगे ?
दिनेंद्र दास:बैठक की कोई सूचना नहीं मिली है, लेकिन बताया जा रहा है कि 10 दिन के बीच बैठक की सूचना आ जाएगी। सब चाहते हैं कि प्रभु राम के काम में देरी न की जाए।
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