
नई दिल्ली.विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक अनूठा समाधान सुझाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा- ‘हम चाहते हैं कि देशभर के पर्यावरणविद, अर्थशास्त्री और वैज्ञानिक यह देखें कि एक पेड़ अपने पूरे जीवनकाल में कितनी ऑक्सीजन देता है। उसी आधार पर पेड़ की कीमत का आकलन होना चाहिए। यह कीमत उस प्रोजेक्ट की कीमत में शामिल की जानी चाहिए, जिसमें पेड़ों को काटने की जरूरत पड़ती है। हमारे अनुसार सबसे अच्छा समाधान यही है।’
सरकारी अफसरों को लगाई फटकार
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल के 5 रेलवे ओवरब्रिजों के मामले में की है। साथ ही सरकारी अफसरों को फटकार लगाते हुए कहा- ‘हमें पता है कि आपके पास इतना दिमाग ही नहीं है कि आप पर्यावरण को बचाने के लिए सही फैसले ले सकें। इसलिए कम से कम बचे हुए पेड़ों को तो मत काटो। पेड़ों को काटे बिना रास्ता बनाने का कोई तरीका हो सकता है? यह थोड़ा अधिक महंगा हो सकता है, लेकिन यदि आप संपत्ति को महत्व देते हैं, तो यह समाधान ही सबसे बेहतर होगा।’ कोर्ट ने इस मामले में गठित कमेटी को अपनी रिपोर्ट दायर करने के लिए अतिरिक्त समय देते हुए मामले की सुनवाई 4 सप्ताह के लिए टाल दी।
ओवरब्रिज बनाने के लिए 356 पेड़ काटने की जरूरत बताई
दरअसल, इन रेलवे लाइनों के पास 800 मौतें होने के कारण सरकार ने यहां ओवरब्रिज बनाने का फैसला लिया। इसके लिए 356 पेड़ों को काटने की जरूरत बताई गई थी। इस प्रोजेक्ट के खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन आॅफ डेमोक्रेटिक राइट्स ने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उन्हें पेड़ काटने की अनुमति दे दी थी। इस निर्णय को एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
पेड़ों की कीमत जीवनभर दी जाने वाली ऑक्सीजन के आधार पर लगाएं
इस मामले में पिछली सुनवाई में सीजेआई ने कहा था- ‘अब समय आ गया है कि पेड़ों द्वारा दी जाने वाली आॅक्सीजन का आकलन किया जाए। अथॉरिटी किसी भी प्रोजेक्ट में पेड़ों को काटे जाने का अनुमान तो लगाती है, लेकिन अब पेड़ों की कीमत उनके द्वारा जीवनभर दी जाने वाली आॅक्सीजन की कीमत के आधार पर होनी चाहिए।
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