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अबुधाबी में हिंदू मंदिर का निर्माण शुरू; लोहे का इस्तेमाल नहीं होगा, पत्थरों को जोड़कर बनेगा

अबुधाबी .यूएई की राजधानी अबुधाबी में भूमि पूजन के करीब 2 साल बाद स्वामीनारायण संप्रदाय के हिंदू मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है। गुरुवार को इसकी नींव डाली गई। खास बात यह है कि इसमें किसी भी तरह के लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। मंदिर समिति के मुताबिक इसे भारत में पारंपरिक मंदिर वास्तुकला के हिसाब से बनाया जाएगा। इसमें लोहे की बजाय फ्लाई-ऐश कंक्रीट का इस्तेमाल किया जा रहा है।

यह नींव मजबूत करेगा, साथ ही मौसमी प्रभाव से भी बचाकर रखेगा। मंदिर में लगने वाले पत्थरों को भारत में अलग-अलग आकारों में काटा जाएगा और बाद में यूएई में एक-दूसरे से जोड़कर मंदिर बनाया जाएगा। बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्थान (बीएपीएस) का यह मंदिर करीब 14 एकड़ में बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मंदिर की आधारशिला रखी थी। यूएई में करीब 30 लाख भारतीय रहते हैं।

भारत में 3000 से ज्यादा कारीगर मंदिर के पत्थर तराशने के काम में जुटे

मंदिर समिति के मुताबिक इस मंदिर के लिए भारत में 3,000 से अधिक शिल्पकार जुटे हुए हैं। करीब 5,000 टन इटैलियन कैरारा मार्बल पर नक्काशी की जा रही है। मंदिर का बाहरी हिस्सा करीब 12,250 टन गुलाबी बलुआ पत्थर से बनेगा। जयपुर का हवामहल भी इन्हीं पत्थरों से बना है। कहा जाता है कि इन पत्थरों में भीषण गर्मी झेलने की क्षमता होती है और 50 डिग्री में भी गर्म नहीं होते।



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अबूधाबी में अल वाकबा में 55,000 वर्ग मीटर या 14 एकड़ में बन रहा है मंदिर।


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