नई दिल्ली. इस दशक के पहले बजट को एक्सपर्ट्स मिलाजुला बता रहे हैं, लेकिन उनकी राय है कि इसमें अर्थव्यवस्था और खासकर प्राइवेट सेक्टर की मरती हुई स्पिरिट को जिंदा रखने की कोशिश की गई है। छूट छोड़कर जो निम्न कर दर अपनाने का कॉर्पोरेट्स को विकल्प मिला था, ठीक वैसा ही विकल्प 15 लाख रुपए तक हर साल कमाने वालों को दिया गया है। पढ़ें उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, कृषि विशेषज्ञ अजय काकरा, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर राम सिंह और निवेश सलाहकार हर्ष रूंगटा का एनालिसिस।
एक्सपर्ट- कुमार मंगलम बिड़ला, उद्योगपति
कम समय में विकास दर बढ़ाने की चुनौती, हर मुद्दे को छूने की कोशिश
वर्ष 2020 के बजट प्रस्ताव विकास को दिशा दिखाते हैें। आगे बढ़ते नए भारत का ध्यान रखते हैं। अर्थव्यवस्था की छोटी और लंबी अवधि की जरूरतों को पूरा करते हैं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वैश्विक आर्थिक मंदी की पृष्ठभूमि में व्यावहारिक और विश्वसनीय बजट पेश किया है। इसमें सभी लोगों के लिए कुछ न कुछ है। बजट की तीन खास थीम हैं- महत्वाकांक्षी भारत, सबका आर्थिक विकास और लोगों का ख्याल रखने वाला समाज। इन तीन स्तंभों के आधार पर बजट में तेज आर्थिक विकास की बुनियाद रखी गई है। टैक्स चुकाने वाले मध्यम वर्ग को जरूरी राहत मिली है। व्यक्तिगत इनकम टैक्स के ढांचे में परिवर्तन से नीचे बैठे करदाताओं को राहत मिलेगी। सितंबर में जिस तरह कारपोरेट्स को छूट छोड़कर निम्न कर दर अपनाने का विकल्प मिला था। वैसा ही विकल्प 15 लाख रुपए हर साल कमाने वालों को दिया है। लाभांश वितरण टैक्स हटाने और नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों, बिजली कंपनियों के लिए 15% कॉरपोरेट टैक्स से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा।वित्तमंत्री ने किसानों की समृद्धि पर फोकस किया है। 16 सूत्री एक्शन प्लान से खेती को बढ़ावा मिलेगा। सरकार ने इस वर्ष भी स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र पर जोर दिया है। इन क्षेत्रों में आवंटन बढ़ाने के साथ प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी का भी जिक्र किया गया है। इंडस्ट्री की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कौशल विकास को महत्व दिया है। बजट का एक अन्य पहलू प्रशंसनीय है। कम अवधि में विकास दर बढ़ाने की चुनौती के साथ लंबी अवधि के उभरते ट्रेंड पर भी गौर किया है। उदाहरण के लिए सौ जिलों में पानी की कमी से निपटने का प्रावधान। एक अन्य ज्वलंत मुद्दे वायु प्रदूषण से निपटने की कोशिश की गई है। शहरों में हवा की क्वालिटी सुधारने के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहन दिया है। कुल मिलाकर बजट में इस मोड़ पर अर्थव्यवस्था की सभी जरूरतों को पूरा करने का प्रयास किया गया है।
एक्सपर्ट- प्रो. राम सिंह, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनाॅमिक्स
कॉर्पोरेट सेंटीमेंट के लिए ठीक, पर खपत बढ़ाने का खाका नहीं
बजट 2020 ऐसे समय में पेश किया गया है, जब वृद्धि दर और निजी क्षेत्र का सेंटीमेंट छह साल में सबसे निचले स्तर पर हैं। साथ ही आधिकारिक ताैर पर बेराेजगारी की दर भी 45 साल में सबसे ऊपर है। ऐसे में बजट काे इस नजरिये से देखना चाहिए कि प्राइवेट सेक्टर के सेंटीमेंट, मांग और बुनियादी ढांचे में आधिकारिक निवेश पर इसका क्या असर पड़ेगा। पहले पैरामीटर पर ताे यह बजट अच्छा दिख रहा है, लेकिन बाकी मुद्दाें पर काफी कुछ करने लायक छूट गया। यह बजट प्राइवेट सेक्टर की मरती हुई स्प्रिट काे जिंदा करने की काेशिश है। वित्त मंत्री ने भराेसा दिया है कि कंपनीज एक्ट के तहत फर्म्स के दीवानी उल्लंघनाें को अापराधिक नहीं माना जाएगा। इसी तरह, डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स खत्म करना, टैक्स से जुड़े विवादाें पर सहानुभूतिपूर्वक विचार का आश्वासन और टैक्सपेयर्स चार्टर लागू करने का आश्वासन भी प्राइवेट सेक्टर और सरकार के बीच भराेसा बढ़ाएगा। वित्त मंत्री ने भले ही यह स्वीकार कर लिया कि देश में शिक्षकाें, पैरामेडिकल स्टाफ और केयर गिवर्स की भारी मांग पूरी नहीं हाे रही है अाैर भारतीय युवाअाें का काैशल कमजाेर है। फिर भी उन्हाेंने काैशल विकास के लिए सिर्फ तीन हजार कराेड़ रुपए का ही अावंटन किया। दुनिया की सबसे बड़ी वर्कफाेर्स काे बेकार करना यह देश वहन नहीं कर सकता। बेराेजगार युवाअाें काे इंटर्नशिप अाैर अाॅन साइट वाेकेशनल ट्रेनिंग का माैका देने वाली कंपनियाें के लिए भी टैक्स छूट की बजट में घाेषणा की जानी चाहिए थी। जब मांग या खपत बढ़ाने की बात अाती है ताे यह बजट उम्मीदाें पर खरा नहीं उतरता। पीएम-किसान अाैर मनरेगा के बजट अावंटन निराशाजनक हैं। मनरेगा काे 61500 कराेड़ रुपए दिए गए हैं, जबकि माैजूदा वित्त वर्ष में यह अावंटन 71 हजार कराेड़ रुपए का था। पीएम-किसान का अावंटन भी घटा है। यह दाेनाें ही याेजनाएं छाेटे किसानाें अाैर भूमिहीन श्रमिकाें तक अामदनी पहुंचाने का अच्छा जरिया हैं। यह वर्ग अपनी अामदनी का अधिकतर हिस्सा खर्च कर देता है अाैर वस्तु एवं सेवाअाें के लिए बड़ी मांग पैदा करता है।
इन याेजनाओंके तहत ज्यादा पैसा देने से अर्थव्यवस्था के ज्यादातर सेक्टर्स काे फायदा हाेता।
श्रम से जुड़े छाेटे और मझाेले उद्याेग भी राेजगार पैदा करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। 11 कराेड़ से ज्यादा लाेगाें काे इनमें राेजगार मिला है। छाेटे रिटेलर, ट्रेडर, दुकानरदार जैसे एसएमई सेक्टर पर कानूनाें का बाेझ कम करते हुए उन कंपनियाें के लिए खाताें के ऑडिट की सीमा 1 कराेड़ से बढ़ाकर 5 कराेड़ रुपए कर दी गई है, जिनका 5 फीसदी से कम लेनदेन कैश में हाेता है। कर्ज रिस्ट्रक्चर करने की विंडाे 31 मार्च, 2021 तक बढ़ाना भी सराहनीय है। हालांकि, कई मुद्दाें पर ध्यान नहीं दिया गया है। इस सेक्टर की ओर से उत्पादित कई वस्तुओं पर इनपुट टैक्स की दरें तैयार वस्तु से ज्यादा हैं। इस विसंगति के चलते इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में सरकार के पास सालाना करीब 20 हजार कराेड़ रुपए अटके रहते हैं।
ट्रांसपाेर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 1.7 लाख कराेड़ रुपए का आवंटन स्वागत याेग्य
स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और ग्रामीण विकास की याेजनाओं का आवंटन भी बेहद कम बढ़ाया गया है। पानी की कमी वाले 100 जिलाें के लिए माइक्राे इरिगेशन स्कीम, ग्रामीण सड़कें, काेल्ड स्टाेरेज और लाॅजिस्टिक चेन जैसी याेजनाएं ग्रामीण भारत में आमदनी और राेजगार बढ़ाने में महत्वपूर्ण हैं। ट्रांसपाेर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 1.7 लाख कराेड़ रुपए का आवंटन स्वागत याेग्य कदम है लेकिन काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि इस रकम में से कितनी सही मायनाें में निवेश की जाती है। अर्थव्यस्था में तेजी लाने के लिए निवेश फ्रंट लाेडेड हाेना जरूरी है। नए प्राेजेक्ट लाने के बजाय अभी शुरू हाे चुके प्राेजेक्टाें के लिए पैसे का इंतजाम करना जरूरी है, ताकि वह समय से पूरे हाे पाएं।
एक्सपर्ट-हर्ष रूंगटा, निवेश सलाहकार
सरकार के विनिवेश लक्ष्य को दोगुना करने से नए निवेश का मौका मिलेगा
मोदी सरकार के पहले पूर्ण बजट को अगर ध्यान से देखें तो मोटे तौर पर कह सकते हैं कि आप निवेशक को निराश ही किया है। भारत में रहने के नियम, रेसीडेंसी का प्रोविजन छह माह से बढ़ाकर 240 दिन कर दिया है। इससे मर्चेंट नेवी वाले अधिकतर लोग कर दायरे में आ जाएंगे। सरकार ने अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं की है कि दुबई आदि में रहने वालों पर क्या असर होगा। मेरा व्यक्तिगत मानना है कि डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स, डीडीटी कंपनी के बजाए छोटे निवेशक का देना सही कदम है। पहले लाभांश पर कंपनी प्रमोटर्स पर 20.56 फीसदी का भार आता था। कंपनी प्रोमेटर्स कई बार लाभांश घोषित नहीं करते थे लेकिन अब कर भार न होने से वे निवेशक को देंगे। सरकार को इस कदम से अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। एनआरआई या विदेशी निवेशकों के लिए कई प्रावधान किए हैं। जैसे बॉन्ड में एनआरआई नौ से पंद्रह परसेंट हिस्सेदारी खरीद सकते हैं। सरकार ने चुनिंदा सरकारी प्रतिभूतियों में एनआरआई को खरीदने की अनुमति दी है। गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में रिस्क नहीं है लेकिन ब्याज पर कर तो लगता है। एनआरआई के लिए सरकार ने नए निवेश के प्रावधान किए हैं देखना होगा कि वो भारतीय बाजारों के प्रति कितना रुझान दिखाते हैं। सरकार ने विनिवेश लक्ष्य को 1.05 लाख करोड़ से बढ़ाकर 2.10 लाख करोड़ रुपए किया है। ऐसे में सरकार अपनी हिस्सेदारी पब्लिक फंड के जरिए बेंचे तो निवेशकों को मौका मिलेगा। एलाआईसी के लिए सरकार ने आईपीओ लाने की बात की है, मैं समझता हूं कि यह देरी से उठाया गया कदम है। निवेशक जरूर एलआईसी में निवेश की ओर आकर्षित होंगे। सरकार के पास निवेशकों को गिनाने के लिए कई प्रावधान होंगे लेकिन प्रभावी कदमों का अभाव ही लगता है। घरेलू निवेशक के लिए सरकार ने विशेष कुछ भी प्रावधान नहीं किए हैं। सोना, कमोडिटी आदि को तो करीब-करीब छोड़ ही दिया है।
एक्सपर्ट- अजय काकरा, कृषि विशेषज्ञ
नीली अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देगा विकास को रफ्तार
बजट में आर्थिक विकास में तेजी के लिए कृषि क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण माना गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि और उससे जुड़े क्षेत्र के लिए 1.6 लाख करोड़ रुपए का बजटीय प्रावधान किया है। 16-एक्शन पॉइंट्स में नीली अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने, कृत्रिम गर्भाधान के जरिये पशु उत्पादन बढ़ाने और पानी की कमी वाले क्षेत्रों में विकास के लिए व्यापक उपाय सुझाए हैं।
नीली अर्थव्यवस्था की संभावनाओं का अधिक लाभ उठाना अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका के लिए अहम है। भारत में 7,516.6 किमी की तटीय सीमा है। मछली उत्पादन में हम दुनिया में दूसरे नंबर पर हैं। इसके बावजूद हमारी उत्पादन क्षमता चीन के मुकाबले दसवां हिस्सा ही है। इसकी वजह सैटेलाइट गाइडेड फिशिंग और रिसोर्स आइडेंटिफिकेशन जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल न होना है। नीली अर्थव्यवस्था को वित्त मंत्री ने 16 एक्शन-पॉइंट के दूसरे स्थान पर रखा है। सबसे ज्यादा महत्व विकास, प्रबंधन और समुद्री मछली संसाधनों पर है। दूसरा, तटीय इलाकों में फिश प्रोसेसिंग से युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकते हैं। इसके लिए ग्रामीण युवाओं को 3,477 सागर मित्र और 500 फिश प्रोड्यूसर संगठनों से जोड़ा जाएगा। यह हमें 2022-23 तक 200 लाख टन मछली उत्पादन में मदद करेगा।
भारत में दूध उत्पादन प्रति गाय 10 लीटर प्रतिदिन से कम है। कृत्रिम गर्भाधान से साइंटिफिक ब्रीडिंग को बढ़ावा दिया जा सकता है। मौजूदा संसाधनों में हमारे यहां कृत्रिम गर्भाधान महज 30 प्रतिशत हो रहा है। इस साल के बजट में 2025 तक इसका लक्ष्य 70 प्रतिशत रखा है। इसे हासिल करने के लिए निजी निवेश की आवश्यकता होगी। सरकार ने कम पानी वाले 100 जिलों का उल्लेख विशेष तौर पर किया है। जल जीवन मिशन की अम्ब्रेला योजना से भविष्य में पानी की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।
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