
नई दिल्ली.सस्ते इंटरनेट डेटा और स्मार्टफोन की बढ़ती बिक्री के साथ देश में पोर्न वेबसाइट्स देखने वालों की संख्या भी बढ़ी है। चार साल में जहां डेटा की खपत 56 गुना बढ़ी है। वहीं, दुष्कर्म की घटनाएं भी बढ़ी हैं। 4 साल में देश में डेटा की दरें 99% कम हुई हैं। 2016 से 2019 के बीच कीमत में लगातार कमी से भारत दुनिया में सबसे सस्ता डेटा उपलब्ध कराने वाला देश बना है। इकोनाॅमिक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, डेटा दरें 2016 में 200 रुपए प्रति जीबी तक थीं, जो 2019 में घटकर 12 रुपए प्रति जीबी तक आ गई थीं।
दुनिया में सबसे ज्यादा देखी जानी वाली एक पोर्न वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि भारत में 2018 में औसतन 8.23 मिनट तक पोर्न वीडियो देखा गया, जबकि 2019 में यह अवधि बढ़कर 9.51 मिनट हो गई है। यह आंकड़ा सिर्फ एक वेबसाइट का है, जबकि दुनिया में पोर्न संंबंधी 150 करोड़ वेब पेज मौजूद हैं। इनमें 28 करोड़ वीडियो लिंक हैं। पिछले साल की रिपोर्ट बताती है कि इस पोर्न वेबसाइट का 80% ट्रैफिक जिन 20 देशों से था, भारत का स्थान उसमें तीसरा है। हालांकि पोर्न वेबसाइट्स पर प्रतिबंध के पुख्ता तकनीकी उपाय किए जाएं तो भारत इस बीमारी से बच सकता है। इसके संकेतमिलते हैं कि पोर्न की सबसे कुख्यात वेबसाइट की रैंकिंग में भारत इस साल 12वें स्थान से खिसककर 15वें पर पहुंच गया है।
प्रतिस्पर्धा के कारण सभी कंपनियों ने डेटा सस्ता किया, अन्य देशों से 12% ज्यादा पोर्न सर्चिंग
ऐसे बढ़ रही है डेटा की खपत
269 से घटकर 12 रु. पहुंचा डेटा
सितंबर 2019 तक 54,917 कराेड़ जीबी डेटा इस्तेमाल,हालांकि अब कीमत बढ़ रही है।
सर्च पैटर्न:मोबाइल पर 89% और डेस्कटाॅप पर सिर्फ 9%
89% मोबाइल और 9% लोग डेस्कटॉप पर पोर्न सर्च करते हैं। अन्य देशों से 12% ज्यादा। | 2018 में औसत 8.23 मिनट और 2019 में 9.51 मिनट तक पोर्न वीडियो देखा गया। | पोर्न देखने वालों की औसत उम्र 30 साल। इनमें 18 से 24 साल के 31% युवा शामिल हैं। | पोर्न देखने वालों में 67% पुरुष, 33% महिलाएं। पुरुषों की संख्या अन्य देशों से 3% अधिक है। |
विदेशी कंपनियाें के दबाव में पाबंदी टाली जा रही
सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता के मुताबिक, भारत में चाइल्ड व अन्य पोर्न आईपीसी और आईटी कानून के तहत अपराध हैं। जम्मू-कश्मीर में नियंत्रित तरीके से वेबसाइट्स को अनुमति देने से स्पष्ट है कि सरकार पोर्न वेबसाइट और सामग्री पर प्रतिबंध लागू कर सकती है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के दबाव में मामले को उलझाया जा रहा है। पोर्न बाजार से मोटा मुनाफा कमाने वाली कंपनियों की आपराधिक जवाबदेही तय होने पर तस्वीर में सुधार हो सकता है।
2018 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कहा था
नाबालिगाें पर याैन हमले बढ़ रहे हैं। शिक्षा संस्थानाें में भी बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। न्यूज रिपाेर्ट्स के अनुसार, लड़काें ने पाेर्न देखने के बाद नाबालिग लड़की काे स्टाेर रूम में बुलाकर याैन हमला किया। पाेर्न वेबसाइटाें तक असीमित पहुंच राेकने की जरूरत है। - जस्टिस राजीव शर्मा, जस्टिस मनाेज तिवारी
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