
इंदौर.रशियन हैकर्स की वेबसाइट से भारतीयों के क्रेडिट कार्ड का डेटा खरीदकर उनसे धोखाधड़ी करने वाले दो शातिर हैकर्स को मध्य प्रदेश साइबर सेल ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने पिछले दिनों फेसबुक पर आने वाले एक विज्ञापन का भुगतान चुराए गएक्रेडिट कार्ड डेटा की मदद से किया था। दोनों जालसाज देशभर में कई लोगों को इसी तरह करोड़ों की चपत लगा चुके हैं। पुलिस को इनके पास 700 क्रेडिट-डेबिट कार्ड का डेटा मिला है। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि अंडरग्राउंड ऑनलाइन साइट्स पर डेबिट-क्रेडिट कार्ड का डाटा खरीदने-बेचने के लिए बिट क्वाइन वॉलेट इस्तेमाल करते हैं।
साइबर सेल एसपी जितेंद्र सिंह के मुताबिक, पीड़ित अनूप तिवारी ने 9 दिसंबर को शिकायत में बताया था कि उनके एचडीएफसी बैंक के क्रेडिट कार्ड से 21,188 रु. का ट्रांजेक्शन हुआ, लेकिन न तो ओटीपी मिला और न ही उन्होंनेकिसी को कार्ड की जानकारी दी थी। इस मामले कीजांच में पता चला कि अनूप काक्रेडिट कार्ड का डेटा रशियन हैकर्स ने चोरी कर साइबर दुनिया के ग्रे मार्केट कहे जाने वाले ‘अंडर ग्राउंड मार्केट’ पर अपलोड कर दिया था, जिसे आरोपी चिराग औक मुकुल ने 8 डाॅलर (करीब 600 रुपए) में खरीदा था।डेटा की खरीदफरोख्त के लिए बिट क्वाइन वॉलेट इस्तेमाल करते हैं।
इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन में ओपीटी जरूरी नहीं होता: पुलिस
चिराग और मुकुल ने पीड़ित के क्रेडिट कार्ड से फेसबुक पर आने वाले एक विज्ञापन का खर्च चुकाया था। वे देशभर के कई लोगों को इसी तरह करोड़ों की चपत लगा चुके हैं। इनके पास 700 लोगों के क्रेडिट-डेबिट कार्ड का डेटा भी मिला है। पुलिस के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट पर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए ओटीपी की आवश्यकता नहीं होती है। सालसाज क्रेडिट कार्ड के जरिए चपत लगाने मेंइसी खामी का फायदा उठाते हैं।
जालसालों ने नौकरी छोड़ कंपनी बनाई, ऑफिस में38 लोग
पुलिस ने बताया कि आरोपी चिराग ने कम्प्यूटर इंजीनियरिंग से पॉलीटेक्निक डिप्लोमा किया है। वहीं मुकुल ने इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग से पॉलीटेक्निक का आधा कोर्स किया है। दोनों कम्प्यूटर साफ्टवेयर हैकिंग के मास्टर हैं। चिराग 2017 में इंदौर आया था। वह इंदौर में विट्टीफिड कंपनी में यूट्यूब इंचार्ज था। वहीं मुकुल चीफ ग्रोथ ऑफिसर था। कुछ साल पहले दोनों ने नौकरी छोड़कर खुद की ‘रोइरिंग वोल्फ मीडिया प्रालि’ कंपनी शुरू की।इंदौर के शेखर सेंट्रल माॅल में 9वें फ्लोर पर ऑफिस बनाया, यहां 38 लोग नौकरी करते हैं।
लोगों के कार्ड से फेसबुक को चुकाते थे विज्ञापनों का पैसा
आरोपी चिराग और मुकुल ने अपनी कंपनी के जरिएफेसबुक से टाईअप किया और डिजिटल विज्ञापन के सर्विस प्रोवाइडर बन गए। विज्ञापन प्रसारित करने के एवज में वे चुराए गए क्रेडिट कार्ड डेटा की मददसे फेसबुक को ऑनलाइन पेमेंट करते थे। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि अंडरग्राउंड ऑनलाइन साइट्स पर डेबिट-क्रेडिट कार्ड का डेटा खरीदने-बेचने के लिए बिट क्वाइन वॉलेट इस्तेमाल करते हैं।
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