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दूसरे देशों को भारत ने 3 महीने में 33 हजार करोड़ रुपए के फार्मा प्रोडक्ट्स बेचे; पिछले साल के मुकाबले इम्पोर्ट 58 करोड़ कम हुआ

क्या आपको पता है कि जब देश में कोरोनावायरस का पहला मरीज आया, तब भारत में कितनी पीपीई किट बनती थीं? अगर नहीं, तो हम बता देते हैं कि उस समय तक देश एक भी पीपीई किट नहीं बना पाता था। लेकिन, अब हमारा देश पीपीई किट बनाने के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर बन गया है। चीन के बाद। अब हमारे देश में रोजाना 5 लाख पीपीई किट बन रही हैं।

अब हम न सिर्फ पीपीई किट बना रहे हैं, बल्कि इसको अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों को बेच भी रहे हैं। हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, जुलाई में अमेरिका-ब्रिटेन और यूएई समेत 5 देशों को भारत ने 23 लाख पीपीई किट एक्सपोर्ट की हैं।

सिर्फ पीपीई किट ही नहीं, बल्कि हमने मास्क बनाने की कैपेसिटी भी बढ़ाई है। अब हम रोजाना 3 लाख से ज्यादा एन-95 मास्क बना रहे हैं। पहले भी बनाते थे, लेकिन इतना नहीं, जितना अब बनाने लगे हैं।

फार्मा प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट बढ़ा, इम्पोर्ट घटा
सिर्फ पीपीई किट और मास्क तक ही नहीं, बल्कि भारत ने फार्मा प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट भी बढ़ाया है। मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स पर मौजूद डेटा के मुताबिक, अप्रैल से जून के बीच इन तीन महीनों में फार्मा प्रोडक्ट्स के इम्पोर्ट में 1.41% की कमी आई है। पिछले साल अप्रैल से जून के बीच भारत ने दूसरे देशों से 4 हजार 172 करोड़ रुपए के फार्मा प्रोडक्ट्स इम्पोर्ट किए थे। जबकि, इस साल इन तीन महीनों में हमने 4 हजार 113 करोड़ रुपए के प्रोडक्ट्स इम्पोर्ट किए हैं। यानी, पिछले साल की तुलना में इस साल फार्मा प्रोडक्ट्स के इम्पोर्ट में 58 करोड़ रुपए की कमी आई है।

इसके उलट इन्हीं तीन महीनों के दौरान इसके एक्सपोर्ट में पिछले साल के मुकाबले करीब 22% की बढ़ोतरी हुई है।

कोरोनाकाल में भारत ने 150 देशों तक मदद पहुंचाई
मार्च में जैसे ही कोरोनावायरस चीन से निकलकर दूसरे देशों में पैर पसारने शुरू किए, वैसे ही दुनिया में भारत की डिमांड बढ़ गई। कारण- हाइड्रोक्सीक्लोरीक्वीन दवा। ये दवा वैसे तो मलेरिया को ठीक करने के लिए होती है, लेकिन शुरुआत में कोरोना संक्रमित मरीजों पर भी इसका अच्छा असर दिखा था। इसके बाद दुनिया के 100 से ज्यादा देशों ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरीक्वीन दवा मांगी।

सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, अकेले अमेरिका में ही भारत ने 5 करोड़ हाइड्रोक्सीक्लोरीक्वीन दवा की सप्लाई की थी। हाइड्रोक्सीक्लोरीक्वीन का भारत दुनिया में सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर और एक्सपोर्टर है। सिर्फ हाइड्रोक्सीक्लोरीक्वीन ही नहीं, बल्कि पैरासिटामॉल की टैबलेट की मांग भी बढ़ गई।

जून में हुई यूनाइटेड नेशंस की इकोनॉमिक एंड सोशल काउंसिल में प्रधानमंत्री मोदी ने बताया था कि कोरोनाकाल में भारत ने 150 देशों तक मदद पहुंचाई है।

कोरोनाकाल में दुनियाभर के देशों की मदद करने पर यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने भारत की तारीफ भी की थी।

हालांकि, इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी है कि कोरोनाकाल में भारत ने किस देश की किस तरह मदद की। लेकिन, भारत हर साल नेपाल-भूटान समेत कई देशों की आर्थिक मदद करता है।



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Atmanirbhar Bharat Coronavirus Update | Pharmaceutical Products Export-Import Growth From April to June 2020, India Becomes 2nd Largest Manufacturer of PPE kits after China


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