World Wide Facts

Technology

मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए स्टडी फ्रॉम होम; स्कूल की घंटी की जगह अब टीचर, पेरेंट्स बजा रहे थाली

श्रीलंका की राजधानी काेलंबाे में लाॅकडाउन के बाद पहली बार जब स्कूल खुले ताे टीचर्स ने असेंबली के दाैरान गाने गाकर औरडांस करके स्टूडेंट्स का मनाेरंजन किया। ताकि बच्चे मानसिक तनाव महसूस न करें। कोरोना के चलते देश भर में जहां यह बहस छिड़ी है कि बच्चों को अभी स्कूल भेजा जाए या नहीं।क्याेंकि कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है।

ऐसे में अपने अजब-गजब कारनामों को लेकरहमेशा चर्चा में रहने वाले मध्य प्रदेश ने सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर्स को कहा है कि वेबच्चों के घर जाकर उन्हें पढ़ाएं।यहां बच्चों को स्टडी फ्रॉम होम दिया गया है और सरकारी स्कूलाें के टीचर्स घर-घर जाकर थाली और ताली बजाकर बच्चों को हमारा घर, हमारा विद्यालय अभियान के बारे में बता रहे हैं।

आठवीं तक के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले सभी टीचर्स को रोजाना अपने स्कूल के 5 बच्चों तक पहुंचना है।

मध्य प्रदेश में जहां मंत्री अपने विभागों के मिलने का इंतजार कर रहे हैं वहीं ब्यूरोक्रेट्स एसी कमरों में बैठकर ग्रांउड जीरो के लिए योजना बना रहे हैं। ऐसी ही एक योजना बनाई है मप्र राज्य शिक्षा केंद्र ने। जिसके तहत 6 जुलाई से “हमारा घर, हमारा विद्यालय” अभियान की शुरुआत की गई। इसमें आठवीं तक के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले सभी टीचर्स को रोजाना अपने स्कूल के 5 बच्चों तक पहुंचना है। जिन बच्चों के पास स्मार्ट फोन नहीं है, उनके घर जाकर उनके बड़े भाई-बहन को वालंटियर्स के तौर पर तैनात करना है ताकि वो बच्चों को घर में ही पढ़ाएं। सरकार की इस योजना की ग्राउंड रियलिटी क्या है, यह जानने के लिए दैनिक भास्कर ने भोपाल शहर से 10 किलोमीटर की दूर बागमुगालिया नई बस्ती के सरकारी स्कूल के आसपास के एरिया का जायजा लिया।

तस्वीर में टीचर बच्चों को उनके घर में पढ़ा रही हैं। कोरोना के चलते सभी ने मास्क पहन रखे हैं।

बच्चे ने टीचर से कहा- घर पर पढ़ाई करने में ज्यादा मजा आ रहा है

बागमुगालिया नई बस्ती के सरकारी स्कूल के हेड मास्टर प्रभाकर चौधरी और स्कूल के सभी टीचर्स सुबह 10 बजे से पहले पहुंच गए थे। इलाके के किन बच्चों के घर जाना है इस पर चर्चा हुई। इसके बाद सभी टीचर्स बच्चों के घरों की ओर निकल पड़े। टीचर ने एक घर का दरवाजा खटखटाया तो पता चला बच्चा घर कुछ हफ्तों से अपने रिश्तेदारों के घर गया हुआ है। इसके बाद टीचर्स तीसरी क्लास में पढ़ने वाली दीक्षा कामरे के घर पहुंचे, मां ने बच्ची को मास्क पहनकर आने को कहा।

दीक्षा के घर में मोबाइल था तो टीचर्स ने पढ़ाई के बाद होमवर्क का फोटो ग्रुप में भेजने को कहा। टीचर्स की एक टीम बस्ती में ही रहने वाले यश चौरे के घर पहुंची, टीचर्स ने मां को बताया कि जिस तरह स्कूल में घंटी बजती है वैसे ही सुबह ठीक 10 बजे आपको भी थाली बजाकर बच्चे को पढ़ने को कहना है। यश ने बताया कि उसे घर पर पढ़ाई करने में ज्यादा मजा आ रहा है।

टीचर्स ने कहा कि सरकार को भी अभियान का फीडबैक लेना चाहिए ताकि पता तो चले कि ग्राउंड पर काम करने वालों को किन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

दादा-दादी नहीं तो कौन सुनाएगा कहानी
टीचर्स जब बस्ती के एक और बच्चे के घर पहुंचे, पता चला मम्मी-पापा काम पर गए हैं औरबच्चा घर पर अकेला है।टीचर्स ने कहा कि जब मम्मी-पापा आ जाएं तो उनके मोबाइल से होमवर्क की फोटाे भेजनी है। मैडम ने शेड्यूल के हिसाब से रात में दादा-दादी से कहानी सुनने को कहा तो बच्चे ने बताया कि घर में सिर्फ मम्मी-पापा ही रहते हैं। इस पर मैडम ने कहा कि मम्मी से बोलना कि वही तुम्हें कहानी सुनाएं।

सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चों के घर नहीं है एंकात स्थान

शासकीय माध्यमिक शाला बागमुगालिया की एक टीचर ने बताया कि समस्या यह आ रही है कि कई बच्चों के पास मोबाइल नहीं हैं तो कुछ के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है। कुछ बच्चों के घर इतने छोटे हैं कि वहां बच्चे को पढ़ाई के लिए एकांत स्थान मिलना संभव ही नहीं है। यही हालात प्रदेश के दूसरे सरकारी स्कूलों के भी हैं। टीचर ने कहा कि सरकारी आदेश है तो हमें अभियान हर हाल में पूरा करना है लेकिन सरकार को भी अभियान का फीडबैक लेना चाहिए ताकि पता तो चले कि ग्राउंड पर काम करने वालों को किन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
कोरोना के चलते अभी स्कूल बंद हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इसलिए सरकार ने फैसला लिया है कि अब शिक्षक ही बच्चों के घर जाकर उन्हें पढ़ाएं।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/301yesb
Share:

Related Posts:

0 Comments:

Post a Comment

Definition List

header ads

Unordered List

3/Sports/post-list

Support

3/random/post-list