कोरोनोवायरस ने जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया।इसकी वजह से पढ़ाई का भी बहुत नुकसान हुआ। लॉकडाउन की वजह से लगभग सभी देशों मेंंशिक्षण संस्थान बंद थे, लेकिन अब धीरे-धीरे स्कूलों को दोबारा खोला जा रहा है। भारत में शिक्षण संस्थान खोलने को लेकर जुलाई में फैसला किया जाएगा लेकिन कई देश ऐसे हैं, जहां स्कूलों में दोबारा पढ़ाई शुरू हो चुकी है।
दोबारा शुरू हुए स्कूलों में अब पढ़ाई का तरीका कुछ बदला नजर आ रहा है। दरअसल, अब स्कूल मैनेजमेंट के लिए पढ़ाई नहीं वायरस बड़ी चुनौती है और बच्चों के लिए भी किताबों से ज्यादा हाइजीन का सबक जरूरी है। बच्चों के लिए खासतौर परCOVID-Safe ABC बनाई गई है और उन्हें इनोवेटिव तरीकों से बचना सिखाया जा रहा है।
बच्चों को कोरोना से बचने के तरीके सिखाए जा रहे
इस वायरस ने दुनिया की तस्वीर और जीने के तौर तरीके पूरी तरह से बदल दिए हैं। ऐसे में इससे बचाव को ध्यान में रखते हुए स्कूलों में कई तरह के नए और अनोखे कदम उठाए जा रहे हैं। न्यूज एजेंसी राइटर्स, एपी, एएफपी और सोशल मीडिया परदुनिया के अलग-अलग देशों के स्कूलों से आई तस्वीरों से समझते हैं कि इस अदृश्यवायरस ने कितना बदला पढ़ाई का तरीका।
जापान के योकोहामा में नए बच्चोंके स्वागत के लिए समारोह का आयोजन किया गया। हालांकि इस दौरान सभी बच्चे टेप से खींची गई लकीरों के बीच सोशल डिस्टेंसिंगका पालन करते और फेस मास्क लगाए नजर आए। जापान हाइजीन के मामले में वैसे भी दुनिया की मिसाल है और यहां बच्चों को शुरू से ही स्कूल की सफाई, खाना परोसना और बिना छुए एक-दूसरे का सम्मान करना सिखाया जाता है।
कोरोनावायरस केसंक्रमण को रोकने के लिए ताइवान के लोग नए-नए तरीकेअपनाते नजर आ रहे हैं। इसी क्रम में ताइपेस्थित दाजिया एलीमेंट्री स्कूल में बच्चे होममेड प्लास्टिक डिवाइडर का इस्तेमाल कर रहे हैं। यहां कोरोना पर जल्दी काबू कर लिया गया था इसलिएस्थितियां नहीं बिगड़ी।
सिंगापुर में तेजी से वायरस फैला और तेजी से कंट्रोल में भी आया। इसी वजह से यहां के स्कूल बच्चों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने में सबसे आगे नजर आ रहे हैं। यहां 2 जून से स्कूल खुल गए हैं और उनमें यूवी स्टरलाइजर मशीने लगाई गईं हैं ताकि छोटे बच्चों के खिलौनों और बाकी सामान को वायरस मुक्त किया जा सके।
वायरस की शुरुआत चीन से होने की वजह से यहां इसका सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिला। ऐसे में स्कूल दोबारा लौटे बच्चे अपने सिर पर एक विशेष तरह की टोपी लगाए नजर आए। इसके दोनों ओर3 फुट लंबीएक पट्टी लगी हुई है, ताकि बच्चों के बीच कुल 6 फीट कीदूरी बनी रहे। ये बड़ा इनोवेटिव आइडिया था और टोपी परबच्चों के पसंदीदा कैरेक्टर भी बनाए गए।
डेनमार्क के कोपेनहेगन के उत्तर में स्थित स्टेंगार्ड स्कूल में एंट्री की प्रतीक्षा करते स्टूडेंट्स और उनके पैरेंट्स। यहां एक दूसरे से6 फीट की दूरी पर खड़े दिखाई दिए। डेनमार्क में पैरेंट्स और टीचर्स को निर्देश दिए गए हैं कि वे बच्चों को स्कूल में हो रहे बदलावों के बारे में पहले से तैयार रखें।
कोरोनावायरस के जोखिम के बीचइंडोनेशिया के एक स्कूल मेंपहुंचे स्टूडेंट्स की टीचर्स द्वारा थर्मल स्कैनिंग के जरिए तापमान की जांच की जा रही है। हालांकि टीचर्स के खुद मास्क न लगानेऔर बच्चों के बीच भी दूरी कम होने को लेकर सोशल मीडिया पर यूजर्स ने चिंता भी जताई।
कोरोनाकाल में दोबारा स्कूल खोलने पर फ्रांस की राजधानी पेरिस में बच्चे अलग- अलग तरीके से सोशल डिस्टेंसिंग कोफॉलो करते नजर आ रहे हैं। कहीं बच्चे स्माइली सर्कल पर खड़े नजर आए तो कहीं सीढ़ियों पर बने संकेतों के आधार पर डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है।
पेरिस में बच्चों के फ्लोर पर टेप की मदद से ऐसे संकेत चिन्ह भी बनाए गए ताकि वे एक-दूसरे से सही दूरी रखकर चलें।
बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में भी दोबारा स्कूल खोल दिए गए। हालांकि इस दौरान बच्चों को कोरोनावायरस से बचाव के बारे में जानकारी देने के लिए क्लासेज के बाहर डिस्प्ले बोर्ड पर पोस्टर के जरिए जागरूक किया जा रहा है।
वायरस से बचाव के लिए जरूरी सोशल डिस्टेंसिंग काफी जरूरी है। ऐसे में कनाडा के क्यूबेक स्थित एक स्कूल में बच्चों के बीच दूरी बनाए रखने के लिए परिसर में ग्रीन डॉट की मदद ली जा रही है। अभी स्कूलों में प्रेयर असेम्बली बंद है तो बच्चों को कम से कम समय एक साथ रखा जाता है।
कई दिनों से बंद स्कूल दोबारा खोलने पर नीदरलैंड के डान बॉश स्थित एक स्कूल में डेस्क और आसपास के परिसर को सैनेटाइजरजेल से साफ किया गया। इतना ही नहीं, यहां के बच्चे पढ़ाई के दौरान एक दूसरे से दूर रहने के लिए प्लैक्सीग्लास से बने ट्रांसपैरेंटडिवाइडर का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।
कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद वियतनाम में भी देशव्यापी लॉकडाउन जारी था। लेकिन अब धीरे-धीरे चीजे सामान्य होती नजर आ रही है। इसी क्रम में यहां छोटे बच्चों के स्कूलखोल दिए गए हैं, जहां बच्चे सुरक्षा के लिए मास्क पहने नजर आए। क्लासेज में बच्चों की संख्या में भी कमी की गई है और एक सीट पर एक बच्चे को बैठाया जा रहा है।
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