World Wide Facts

Technology

गुत्थमगुत्था हुए यात्री, घंटों लाइन में लगना पड़ा, फिर भी सोशल डिस्टेंसिंग जीरो, जो साथ पानी नहीं लाए वो घंटों प्यासे रहे

मेरा सफर सोमवार रात 9.15 बजे भोपाल के हबीबगंज स्टेशन से शुरू हुआ था, जो बुधवार को सुबह 7.30 बजे यहीं खत्म हुआ। 1400 किमी की इसयात्रा के उन अनुभवों के बारे में बता रहा हूं, जो ट्रेन में सफर करने के दौरान आपके काम आ सकते हैं।


हबीबगंज स्टेशन : सोमवार शाम 6 से रात 8.15 बजे तक

दो घंटे तक लाइन में लगे रहे, जिनके पास लगैज ज्यादा था वो परेशान हुए

हबीबगंज स्टेशन से सोमवार रात नौ बजे ट्रेन थी लेकिन यात्री शाम 6 बजे से ही स्टेशन के बाहर जुटना शुरू हो गए थे, क्योंकि सभी को यह लग रहा था कि लंबी प्रॉसेस है। मैं भी 6 बजे पहुंच गया था क्योंकि पता नहीं था कि रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद क्या होगा।कितना वक्त लगेगा।

6 बजे से ही प्लेटफॉर्म नंबर 1 के सामने लाइन लग गई थी, जो लोग 6 बजे के भी पहले आए थे, वो सबसे आगे खड़े थे, जो बाद में आए वो पीछे लगतेगए। देखते ही देखते चार लाइनें लग गईं।

स्टेशन के सामने इस तरह से यात्रियों की लाइनें लगी थीं।

लंबी लाइन होने के बावजूद यात्रियों की एंट्री 7.30 बजे तक भी शुरू नहीं हो सकी थी, क्योंकि थर्मल स्क्रीनिंग करने वाले डॉक्टर आ नहीं पाए थे।

इधर गर्मी में लाइन में लगे यात्रियों की हालत खराब हो रही थी। सबसे ज्यादा तकलीफ में बच्चे और बुजुर्ग थे। जिन लोगों के पास ज्यादा लगैज था, उनके लिए दोहरी चुनौती थी।

8 बजे के करीब डॉक्टर आए तो एंट्री शुरू हुई। एंट्री गेट पर तीन कर्मचारी बैठे थे। एक नाम-नंबर नोट कर रहा था। दूसरा उसका सहयोगी था। तीसरा डॉक्टर था जो थर्मल स्क्रीनिंग कर रहा था।

आरपीएफ के जवान भी तैनात थे। जो लोग नियम तोड़ने की कोशिश कर रहे थे, उन्हें पुलिस के गुस्से का सामना करना पड़ रहा था।

कॉन्टेक्टलैस टिकट का सिस्टम लगा जरूर लेकिन काम नहीं कर सका

कॉन्टैक्टलेस टिकट चेकिंग के लिए कैमरा और स्क्रीन स्टेशन के एंट्री गेट पर लगा दी गई है।

एंट्री गेट पर एक स्क्रीन लगी थी। नीचे कैमरा लगा था। वहां खड़े कर्मचारी से पूछा कि ये क्या है। जवाब मिला, यह सिस्टम कॉन्टैक्टलेस टिकट चेकिंग के लिए लगाया गया है।
यात्रियों को कैमरे के सामने टिकट दिखाना होगा। ऐसा करते ही टिकट स्क्रीन पर नजर आएगी और रेलवे के रिकॉर्ड में सेव हो जाएगी।
इसके बाद टीटीई को ट्रेन में यात्री की टिकट चेक नहीं करनी होगी। हालांकि, सोमवार को कुछ तकनीकी गड़बड़ी होने से हबीबगंज स्टेशन पर यह सिस्टम शुरू नहीं हो सका।
अधिकारियों ने बताया एक-दो दिन में काम करने लगेगा। जो लोग प्लेटफॉर्म पर पहुंच रहे थे, उन्हें फिर वहां बनाए गए गोलों में खड़ा होना पड़ रहा था।

लाइन से ही ट्रेन में एक-एक करके जाना था। पुलिसकर्मी लाइन लगवाने के लिए तैनात थे। हालांकि कई यात्री सीधे ही चढ़ गए।

भोपाल एक्सप्रेस में सोमवार रात 8.15 बजे से मंगलवार सुबह 8 बजे तक

यात्रियों ने खुद अपनी सीट सैनिटाइज की
ट्रेन में एंट्री करने के बाद कुछ यात्री अपने साथ स्प्रे लाए थे, उससे पहले उन्होंने अपनी सीट को सैनिटाइज किया। सामान सैनिटाइज किया। इसके बाद ही बैठे।

जिनके पास स्प्रे नहीं था, वो ऐसे ही बैठ गए। रेलवे अभी बेडरोल की सुविधा नहीं दे रहा इसलिए एसी में रिजर्वेशन करवाने वाले भी चादर और तकिया अपने साथ लाए थे।

यात्रियों ने खुद अपनी सीट को सैनिटाइज किया। फिर चादर बिछाकर सोए।

एसी के डिब्बों में तो थोड़ी बहुत डिस्टेंसिंग फॉलो हो भी रही थी लेकिन, जनरल और स्लीपर कोच के हालात बहुत खराब थे। एक सीट पर पहले की तरह चार-चार, पांच-पांच यात्री बैठे थे।

स्टेशन पर एंट्री के दौरान मास्क सभी ने लगाया था लेकिन, ट्रेन में चढ़ने के बाद गर्मी के चलते अधिकतर ने उतार दिया।

जो लोग अपने साथ पीने का पानी नहीं लाए, उन्हें कई घंटों प्यासा ही रहना पड़ा क्योंकि पहले की तरह ट्रेन में अभी खाने-पीने को कुछ नहीं खरीदा जा सकता।

हालांकि, प्लेटफॉर्म से पीने का पानी भरा जा सकता है लेकिन कोरोना संक्रमण के डर की वजह से यात्री बाहर का पानी भरने से बचते दिखे।

ट्रेन लगभग आधी खाली थी, फिर भी स्लीपर क्लास में सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो नहीं हुई। ट्रेन में 8 की जगह 3 ही टीटीई थे, इसलिए वे स्लीपर कोच में जांच के लिए गए ही नहीं। एसी कोच में उन्होंने जांच की।

ये भी बताया गया कि स्टेशन पर जांच-पड़ताल हो गई है। आधा स्टाफ वहां भी तैनात है इसलिए ट्रेन में यह करने की जरूरत नहीं है।

झांसी, आगरा जैसे स्टेशनों पर कुछ ज्यादा यात्री उतरे, यहां से थोड़े ज्यादा चढ़े भी। बाकि सभी जगह इक्का-दुक्का ही उतरे और चढ़े।

हजरत निजामुद्दीन स्टेशन : मंगलवार सुबह 8 से रात 8.45 बजे तक

पहले ही तरह लग गई भीड़, पुलिस को देखकर लगे लाइन में

निजामुद्दीन स्टेशन से निकलते वक्त यात्री ऐसे गुत्थमगुत्था हो गए थे।

ट्रेन अपने तय समय पर सुबह 8 बजे दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्टेशन पर पहुंच गई। यात्रियों ने उतरने में किसी तरह की डिस्टेंसिंग फॉलो नहीं की। पहले की तरह भीड़ एक साथ उतरी और ओवरब्रिज की तरफ चल पड़ी।

आगे पुलिसकर्मी तैनात थे जो लाइन लगवा रहे थे, फिर सब लाइन में लग गए। लाइन में लगकर सब बाहर हो गए। यहां किसी तरह की पूछताछ नहीं की गई।

बाहर निकलते ही फिर यात्री आपस में गुत्थमगुत्था हो गए। काली-पीली, ऑटो खड़े थे जो बिना सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करते हुए चार-चार, पांच-पांच यात्रियों को भरकर ले जा रहे थे।

आरपीएफ जवानों को देख निजामुद्दीन में एग्जिट गेट के सामने यात्रियों ने लाइन बना ली थी।

एक से डेढ़ घंटे में सभी यात्री स्टेशन से जा चुके थे और स्टेशन वीरान था। बारह बजे के करीब दूसरी ट्रेन आई, तब फिर एकदम से भीड़ जुटी।

बहुत से यात्री निजामुद्दीन से दिल्ली स्टेशन गए। उनकी अगली ट्रेन से वहां से थी। कई अपनी अगली ट्रेन के इंतजार में स्टेशन के बाहर ही यहां-वहां आराम करते रहे।
मंगलवार को शाम पौन नौ बजे निकलने वाली भोपाल एक्सप्रेस शाम साढ़े पांच बजे ही प्लेटफॉर्म पर लग चुकी थी।

बाहर से आने वाले यात्रियों का सिर्फ टेम्प्रेचर चेक किया जा रहा था। न कोई सोशल डिस्टेंसिंग थी और न ही किसी तरह की जांच पड़ताल।
ट्रेन तय समय पर निजामुद्दीन से हबीबगंज के लिए निकल गई। डी-4 कोच का एसी खराब हुआ तो यात्रियों को दूसरे कोच में शिफ्ट किया गया।

ट्रेन आधी ही भरी थी इसके बावजूद स्लीपर कोच के हालात बहुत खराब थे। यहां कोई डिस्टेंसिंग फॉलो नहीं हो रही थी। पहले की तरह एक सीट पर चार से पांच यात्री तक बैठे थे।
आते वक्त भी वही तीन टीटीई ट्रेन में थे, जो यहां से जाते वक्त गए थे। यात्री चर्चा कर रहे थे कि दिल्ली में तो कोई जांच-पड़ताल नहीं हुई। पूरी दिल्ली खुल गई। ऐसे में कैसे कोरोना से बच पाएंगे।

हबीबगंज स्टेशन : बुधवार सुबह 7.05 बजे से 9 बजे तक

हबीबगंज स्टेशन से बाहर निकलते वक्त इस तरह यात्रियों की भीड़ लग गई। जांच के लिए आगे लाइन लगी थी।

ट्रेन तय वक्त पर सुबह 7.05 बजे हबीबगंज पहुंच चुकी थी। प्लेटफॉर्म नंबर-1 और 5 दोनों ही तरफ के एक-एक पॉइंट खोले गए थे। यहां भी यात्रियों ने भीड़ लगा ली।
जहां चेकिंग चल रही थी, वहां से चंद कदमों दूर से लाइन लगी थी। हर एक यात्री का नाम, नंबर नोट किया गया। टेम्प्रेचर चेक किया गया। इस प्रॉसेस में दो-ढाई घंटे लग गए।
7 बजे हबीबगंज पहुंच चुके यात्री साढ़े आठ बजे तक स्टेशन से निकल सके। जो ट्रेन से जल्दी उतरकर पहले लाइन में लग गए थे, वो पहले निकल गए। बाकि करीब दो घंटे तक भीड़ में फंसे रहे।
ऑटो अब भोपाल में भी शुरू हो चुके हैं। तो यात्रियों को स्टेशन से अपने घर जाने में किसी तरह की तकलीफ नहीं हुई।

ये भी पढ़ें

भोपाल से दिल्ली, ट्रेन का सफर / आरपीएफ-जीआरपी जवानों को देखते ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते दिखे लोग, उन्हें डर था कि यात्रा से ना रोक दिया जाए

भोपाल से दिल्ली, ट्रेन का सफर / पहली बार इस ट्रेन की आधी सीटें खालीं, डर इतना की लोग आपस में बात करने से भी बच रहे थे

भोपाल से दिल्ली, ट्रेन का सफर / दिल्ली में स्टेशन के बाहर निकलते ही खत्म हो गई सोशल डिस्टेंसिंग, सिर्फ गेट से निकलने के लिए आरपीएफ जवान ने लाइन लगवाई

भोपाल से दिल्ली, ट्रेन के सफर की चुनिंदा तस्वीरें / मुंह पर मुस्तैद मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए गोलों में पड़ते पैर और डर से मुसाफिर ऐसे सहमे कि बात करने से भी कतरा रहे हैं

दिल्ली से भोपाल, ट्रेन का सफर LIVE / दिल्ली से ट्रेन चली तो न सोशल डिस्टेंसिंग के एहतियात, न ही नाम-पता पूछा, सिर्फ बॉडी का टेम्प्रेचर देख दे दी मुसाफिरों को एंट्री



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Bhopal Delhi/Shaan-E-Bhopal SF Express Train Passenger Journey Details Updates


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3cxEBHA
Share:

0 Comments:

Post a Comment

Blog Archive

Definition List

header ads

Unordered List

3/Sports/post-list

Support

3/random/post-list