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कोरोना से लड़ते शहीद हुए जूनी टीआई का इलाज कर रहे डॉक्टर ने भास्कर को बताया, ड्यूटी में सख्त देवेंद्र जुटे रहे, उनके फेफड़े कड़क होते गए

टीआई देवेंद्र कुमार का निमोनिया ठीक हो गया था।कोविड की रिपोर्ट निगेटिव आ गई थी।हमने उन्हें डिस्चार्ज आईसीयू में डाल दिया था। लेकिन, 3 घंटे में ही सब कुछ अचानक बदल गया। काश...देवेंद्र भाई 5-7 दिन पहले अस्पताल आ जाते। यह कहना है टीआई देवेंद्र कुमार का इलाज करने वाले डॉक्टर का। उन्होंने बताया किमेरा अनुभव कहता है कि जो लक्षणों की शुरुआत में आ गया, वह बच गया। चंद्रवंशी उन 25% लोगों में शामिल नहीं हैं, जिन्हें कोरोना के कोई लक्षण ही नजर नहीं आते। लेकिन, कोरोना से शहर के बिगड़ते हालात के चलते जिम्मेदारी और ड्यूटी का जुनून ऐसा कि निमोनिया से जूझते रहे और ड्यूटी करते रहे।

डॉक्टर के मुताबिक,इसी दौरान 5-7 दिन तक वे दूसरे अस्पतालों में ऊपरी इलाज भी करवाते रहे। हालत ज्यादा बिगड़ी तब अस्पताल में भर्ती हुए। हमने 20 दिन पूरी जान लगा दी और उसके अच्छे परिणाम भी दिखने लगे थे। कोविड-19 से जुड़ी रिसर्च भी यही कहती है कि इस बीमारी में खून के थक्के जमने का डर रहता है। इसके लिए हमने उन्हें खून पतला करने की दवाइयां दी। पांव में विशेष प्रकार के मोजे पहनाए, जो प्रेशर से खून का संचरण बनाए रखते हैं। उनका निमोनिया ठीक हो गया था। कोरोना रिपोर्ट निगेटिव थी। एक्स-रे भी बहुत संतोषजनक आया।

हमें उम्मीद थी कि वे फिर ड्यूटी पर लौटेंगे- डॉक्टर

डॉक्टर ने बताया किहालांकि, फेफड़ों की कमजोरी के चलते सांस लेने के लिए उन्हें एक-दो महीनों तक बायपेप मशीन के सहारे रहना पड़ता। हमें उम्मीद थी कि वे फिर ड्यूटी पर लौटेंगे। लेकिन, शनिवार रात 11 बजे के आसपास अचानक उनकी हालत बिगड़ने लगी। उन आखिरी 3 घंटों में मैं वहीं था। उनके दिल की धड़कन अचानक बहुत बढ़ गई और सांसें भी तेज-तेज चलने लगी। इस तरह की बीमारी में ऐसा होता है, लेकिन यह अप्रत्याशित था। हमने उन्हें तत्काल वेंटिलेटर पर भी लिया। धड़कन गायब हुई तो पंपिंग कर उनकी धड़कन वापस भी ले आए। लेकिन, दुख है कि बचाया नहीं जा सका। -जैसा उन्होंने सुनील सिंह बघेल को बताया

टीआई के लिए असाधारण पेंशन का प्रस्ताव

पुलिस अधिकारियों ने दिवंगत टीआई चंद्रवंशी के परिवार की आर्थिक मदद के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। एसपी पश्चिम ने परिवार को असाधारण पेंशन देने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को प्रस्ताव भेजा है। इसे स्वीकृति के लिए जल्द पुलिस मुख्यालय भेजा जाएगा। इधर, टीआई की 2007 की बैच के करीब 300 अफसरों ने उनके साले से संपर्क कर पिता और बेटी का अकाउंट नंबर लिया। सूत्रों के अनुसार, करीब 150 साथियों ने ही सात लाख रुपए से ज्यादा जुटाए हैं।



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जूनी इंदौर थाना के स्टॉफ ने दिवंगत अफसर को परिसर में सैल्यूट कर श्रद्धांजलि दी।


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