World Wide Facts

Technology

आचार्य विद्यासागर जी बता रहे हैं महावीर की 5 शिक्षा, जो कोरोना के मौजूदा दौर में हर किसी के लिए आवश्यक और बेहद उपयोगी हैं

(आचार्य विद्यासागर जी ) .आज महावीर जयंती है। जयंती मनाना और उनके सिद्धांतों को मानने में अंतर है। लोग जयंती मनाएं या न मनाएं, पर सिद्धांतों को जरूर अपनाएं। जिन्होंने इन्हें अपनाया, उनके जीवन में उतार-चढ़ाव तो आए, मगर वे विचलित नहीं हुए। इनमें अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के सिद्धांत हंै। आज कोरोना फैला है। ये सिद्धांत इससे निपटने में बेहद उपयोगी हैं…

1. तामसिक खाने से कोरोना फैला, शाकाहार से बच सकते हैं

अहिंसा | अहिंसा को मानने वाले जितने भी लोग या देश हैं। आज वे जिस स्थिति में हैं, उससे संतुष्ट हैं। कोरोना की वजह जीव हत्या और तामसिक भोजन है। चीन में तो लोग पशु-पक्षियों से लेकर जंगली जीव-जंतुओं को मारकर खाते हैं। यही वजह है कि यह बीमारी चीन से ही फैली। मांसाहार का त्याग कर एेसी बीमारियों से बचा जा सकता है।

2. बीमारी का सत्य बता अपनों और दूसरों को बचा सकते हैं

सत्य | सत्य का जीवन जीने वाले संत होते हंै। आज झूठ का बोलबाला है। सत्य अहिंसा से अपना इतना सा ही नाता है- दीवारों पर लिख देते हैं और दीपावली पर घर पर सफेदी कर देते हैं। हमें बीमारी होती है तो हमें इस सत्य को बताना चाहिए। इससे परिवार या दूसरों को बीमारी से बचाया जा सकता है। सत्य बताना चाहिए, छिपाना नहीं चाहिए।

3. घर में परमात्मा का ध्यान कर इस बीमारी से बच सकते हैं

ब्रह्मचर्य | यानी अपनी आत्मा में, स्वभाव में लीन होना। जब व्यक्ति बाहर जाता है तो दुनिया उसे अशांत करती है। इसके उलट जब आत्मा की ओर जाता है,तो उसे ब्रह्म दिखाई देता है। जो शांति देता है। आज के वक्त में सबसे अच्छा साधन है, परमात्मा का ध्यान, उनका स्मरण करना। अगर ऐसा करते हैं तो कोरोना महामारी से बचा जा सकता है।

4. दूसरों की उन्नति पर नीयत खराब होना चोरी से कम नहीं

अचौर्य | यानी चोरी नहीं करना। न मन से, न वचन से। किसी की गिरी हुई, भूली हुई वस्तु उठाना भी चोरी है। किसी पर नीयत खराब होना भी चोरी है। आज कई लोग और देश दूसरे देशों की उन्नति नहीं देख पा रहे हैं। उन्हें पीछे करने के लिए बीमारी फैला रहे हैं। कहा जा रहा कि चीन ने अपना प्रभुत्व जमाने के लिए इस बीमारी का इस्तेमाल किया।

5. दान कर हम इस महामारी से समय रहते उबर सकते हैं

अपरिग्रह | यानी अनावश्यक चीजों को नहीं जुटाना। हमें जितनी जरूरत है उतना ही उपयोग में लेना। अपरिग्रह का पालन नहीं करने से ही दुनिया में लड़ाइयां होती हैं। जमीन, धन आदि के लिए व्यक्ति हिंसक हो जाता है। जो परिग्रह हमने जोड़ रखा है, उसे जरूरतमंदों को दान करें तो इस महामारी से उबर सकते हैं।
जैसा इंदौर में अमित सालगट को बताया



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
आचार्य विद्यासागर जी ने इस मुश्किल घड़ी का सामना करने के लिए देशवासियों को कुछ सुझाव दिए।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2RaCAJG
Share:

Related Posts:

0 Comments:

Post a Comment

Definition List

header ads

Unordered List

3/Sports/post-list

Support

3/random/post-list