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दुनियाभर में शोर थमा और हवा भी साफ हुई; कार्बन उत्सर्जन 5% घटा, दूसरे विश्वयुद्ध के बाद ऐसा पहली बार हुआ

(अनिरुद्ध शर्मा) कोरोनावायरस के संक्रमण से बचने के लिए दुनिया के तमाम देशों ने लॉकडाउन किया है। इसके कारण देश और दुनिया की हवा स्वच्छ हो गई है। धरती का शोर और कंपन कम हो गया और कार्बन उत्सर्जन की मात्रा भी 5 फीसदी कम हो गई है। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से पहली बार कार्बन उत्सर्जन का स्तर इतना गिरा है। देश में 2014 से जारी हो रहे एयर क्वालिटी इंडेक्स में अब तक का इतना बेहतर आंकड़ा कभी दर्ज नहीं हुआ।

85 शहरों में एक्यूआई 100 से नीचे

देश के 85 से अधिक शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स बीते एक हफ्ते से लगातार 100 से नीचे चल रहा है। यानी इन शहरों में हवा अच्छी श्रेणी की है। लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण के कारक धूल कण पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा में 35 से 40% गिरावट आई है। कॉर्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन, सल्फर ऑक्साइड व ओजोन के स्तर में भी कमी दर्ज की गई। अहम बात यह है कि प्रदूषण रहित यह स्तर बारिश में भी नहीं रहता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. डी साहा ने कहा कि 2014 में जब से एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) बनाया जा रहा है, ऐसा पहली बार है जब प्रदूषण न्यूनतम स्तर पर है। सर्दी में ऑड-ईवन लागू करने से दिल्ली की हवा में 2 से 3% का सुधार आ पाता है। उसकी तुलना में एनसीआर में 15 गुना से अधिक सुधार आ चुका है।

16 मार्च को 55 शहरों में हवा संतोषजनक थी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक जनता कर्फ्यू के 6 दिन पहले 16 मार्च को 55 शहरों में हवा अच्छी व संतोषजनक थी। धीरे-धीरे इस श्रेणी की हवा वाले शहर घटते गए। 21 मार्च तक यही ट्रेंड रहा। 22 को ऐसे शहर 67 हो गए। 28 मार्च को यह संख्या 92 हो गई। 29-30 मार्च को एक भी शहर ऐसा नहीं था, जहां की हवा खराब हो। 31 मार्च व एक अप्रैल को बुलंदशहर व गुवाहाटी को छोड़कर सभी शहरों की हवा संतोषजनक श्रेणी में रही। बोर्ड के प्रशांत गार्गव ने बताया कि एक हफ्ते से 85 से अधिक शहरों में एक्यूआई 100 को पार नहीं कर रहा है।

एयर क्वालिटी के मानकों में सुधार हो

एयर क्वालिटी एक्सपर्ट डॉ. डी साहा ने कहा कि फिलहाल हवा की क्वालिटी सर्वश्रेष्ठ है। हमें 2009 में तय एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड और 2014 में बने एयर क्वालिटी इंडेक्स के मानकों में सुधार करना चाहिए।

कोई दीर्घकालिक हल भी ढूंढ़ना होगा
सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रायचौधरी ने कहा कि अभी वर्क फ्रॉम होम ज्यादा हो रहा है। हमें सोचना होगा कि इस समय जो तरीका हम अपना रहे हैं, क्या उससे दीर्घकालिक समाधान भी ढूंढ़ सकते हैं?

ये ट्रेंड है, 3 हफ्ते बाद सटीक विश्लेषण होगा

वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि कोविड-19 बढ़ा है तो बाकी बीमारियां कम दिख रही हंै। एक हफ्ते में यह ट्रेंड दिख रहा है। तीन हफ्ते पूरे होने पर और सटीक विश्लेषण हो सकेगा।



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तस्वीर दिल्ली के इंडिया गेट की है। सर्दी में ऑड-ईवन लागू करने से दिल्ली की हवा में 2 से 3% का सुधार आ पाता है। उसकी तुलना में एनसीआर में 15 गुना से अधिक सुधार आ चुका है। 


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