
(माइक बेकर) डॉक्टर रेयान पडगेट 45 साल के हैं। वहसिएटल के किर्कलैंड हॉस्पिटल में इमरजेंसी डॉक्टर हैं। जबरदस्त फिटनेस की वजह से उनके साथीउन्हें आयरन मैन कहते हैं। लेकिन, जब कोरोना ने इन्हें जकड़ा, तो मौत की कगार पर पहुंचा दिया।डॉक्टरों ने रेयान से कहा था किइनका मरना तय है, लेकिन वे कोरोना को मात देकर लौट आए। वे अमेरिका के पहले कोरोना संक्रमित का इलाज करने वाले डॉक्टर भी हैं।
इलाज करते वक्त मैं खुद के लिए चिंतित नहीं था: रेयान
डॉक्टर रेयान बताते हैं,‘फरवरी के अंत में साथियों ने फोन कर बताया कि जिस मरीज की एक दिन पहले मौत हुई वह कोरोना पॉजिटिव निकला। यह अमेरिका में कोरोना से पहली मौत थी। इसके बाद तो किर्कलैंड कोरोना का पहला केंद्र बन गया। ज्यादातर मरीज बुजुर्ग थे और बुरी हालत में थे। वे सांस लेने के लिए संघर्ष कर रहे थे। मैं इलाज में जुटा रहा। खुद के लिए ज्यादा चिंतित नहीं था।
लेकिन, मार्च के पहले हफ्ते में अचानक सिर और मांसपेशियों में तेज दर्द होने लगा। यह मेरे लिए असामान्य था। उन्होंने बताया कि मेरी होने वाली पत्नी ने मुझसे कहा कि अस्पताल चलते हैं, पर मैंने मना कर दिया। दो दिन बाद लगा कि अपने ही अस्पताल में मरीज बनने वाला हूं।
मौत की कगार पर पहुंच गया था: रेयान
रेयान ने बताया, '16 मार्च को दिल, किडनी और फेफड़े संघर्ष कर रहे थे। कोमा के बाद तो मौत की कगार पर पहुंच गया। तब स्वीडिश हेल्थ सर्विसेज के सर्जन डॉ. मैट हार्टमैन और डॉ. सैम्युअल यूसिफ ने जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने कहा कि मेरा मरना तय है क्योंकि और कुछ गुंजाइश नहीं है, लेकिन आखिरी कोशिश कर लेते हैं। बच गए, तो दूसरे मरीजों के इलाज में मदद मिलेगी।
उन्होंने मुझे ईसीएमओ मशीन पर रखा, जिसे कृत्रिम दिल और फेफड़ों के रूप में जाना जाता है और जो खून को निकालकर वापस शरीर में डाल देती है। मार्च के तीसरे हफ्ते में बुखार कम हुआ। 23 मार्च को मशीन हटाई गई। 27 मार्च को श्वास नली निकाली गई। इसके दो हफ्ते बाद मैं कोमा से जागा। पता चला कि कोरोना ने सबकी जिंदगी पलटकर रख दी है।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2RCUUve
0 Comments:
Post a Comment