
कोरोना वायरस महामारी से लड़ने में मदद के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में ‘आरोग्य सेतु’ नाम का एप लॉन्च किया है। इसे केवल 4 दिन में ही एक करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है। इसे ज्यादा से ज्यादा लोग डाउनलोड करें, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। रेलवे मंत्रालय ने अपने 13 लाख कर्मचारियों से इस एप को डाउनलोड करने को कहा है। मानव संसाधन मंत्रालय ने शैक्षणिक संस्थाओं से जुड़े सभी लोगों, छात्रों और शिक्षकों को भी आरोग्य सेतु इंस्टॉल करने को कहा है। वहीं गृह मंत्रालय ने भी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के सभी जवानों को एप इंस्टॉल का निर्देश दिया है।
इंस्टॉल करने का तरीका:
- सबसे पहले आरोग्य सेतु एप को एपल स्टोर या गूगल प्ले स्टोर से इंस्टॉल करें। अब एप खोलने से पहले मोबाइल की लोकेशन और ब्लूटूथ ऑन करें। इसके बाद एप खोलें। ये दोनों हमेशा ऑन रहेंगे, तभी यह एप काम करेगा। आप अपनी लोकेशन शेयरिंग को हमेशा Always पर रखें ताकि एप को पता रहे कि आप कब, कहां जा रहे हैं। एप लोकेशन इस्तेमाल करने की अनुमति मांगेगा। यह अनुमति दें।
- रजिस्ट्रेशन के लिए नाम, उम्र, लिंग आदि की जानकारी देनी होगी। साथ ही बताना होगा कि हाल ही में विदेश यात्रा की है या नहीं।
इससेक्या फायदा होगा?
- एप कोरोना से आपको जोखिम का स्तर बताता है। यह ‘सेल्फ असेसमेंट टेस्ट’ में दिए गएलक्षणों, बीमारियों जैसी जानकारियों और आपकी लोकेशन के आधार पर बताता है कि आपको कोरोना का कितना जोखिम है। यह बताता है कि क्या आपको टेस्ट की, डॉक्टर को दिखाने की या फोन पर परामर्श की जरूरत है।
- एप पर सभी प्रदेशों और सेंट्रल हेल्पलाइन नंबर की जानकारी है, जिस पर सीधे क्लिक पर आप डायल कर सकते हैं।
- एप आपको ट्वीट फीड के जरिए कोराेना से जुड़ी लाइव जानकारियां भी देता रहता है।
एप कैसे काम करता है?
यह आपकी लोकेशन और ब्लूटूथ का इस्तेमाल कर यह जांचता रहता है कि आपके आसपास कोई संक्रमित व्यक्ति या संभावित संक्रमित तो नहीं है। साथ ही संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने की आशंका के बारे में अलर्ट/नोटिफिकेशन भी देता है। इसके लिए आपको मोबाइल में बैकग्राउंड में एप हमेशा चालू रखना होगा, साथ ही ब्लूटूथ और लोकेशन भी ऑन रखनी होगी।
क्या जान सकते हैं?
आप जो जानकारियांदेंगे, उस आधार पर एप बताएगा कि क्या आपको कोरोना का जोखिम है। अगर है, तो क्या परीक्षण की जरूरत है या क्वारेंटाइन से काम चल जाएगा। अगर परीक्षण की जरूरत है, तो आप कहां परीक्षण करा सकते हैं, इसकी जानकारी भी मिलेगी। इस टेस्ट के आधार पर ही यूजर के लिए जोखिम का अंदाजा लगाया जाता है और बाकी यूजर्स को भी अलर्ट किया जाता है। इसलिए इसमें सही जानकारी ही भरें।
डेटा सुरक्षित रहेगा?
एप की प्राइवेसी पॉलिसी में दावा है कि डेटा केवल भारत सरकार के साथ साझा होगा। आपके नाम या नंबर को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। निजी जानकारी को अलर्ट करने या अन्य जरूरी जानकारी देने के लिए ही इस्तेमाल किया जाएगा। एप अनइंस्टॉल करने के बाद भी जानकारी को अपने पास रख सकता है।
विदेशों में भी काम कर रहे ऐसे एप:
सिंगापुर : ट्रेस टूगेदर सेकोरोना संक्रमितों को ट्रैक किया गया
यह एप यूजर की लोकेशन को ट्रैक करता है। यहब्लूटूथ से एप के दूसरे यूजर्स के संपर्क में आने का रिकॉर्ड रखता है। इसकी मदद से यहां उन लोगों को ट्रैक किया गया, जो बाद में कोरोना संक्रमित पाए गए। चूंकि सकरार के पास यूजर का रिकॉर्ड रहता है, इसलिए पता चल जाता है कि वो कब इस एप को इस्तेमाल करने वाले दूसरे यूजर के संपर्क में आया है। यह ये भी बता देता है कि वो व्यक्ति कितनी देर तक के लिए संपर्क में रहा है। आरोग्य सेतु में भी ऐसे ही फीचर्स हैं।
चीन: क्लोज कॉन्टैक्ट डिटेक्टर एप नेबताया किकोई संक्रमित करीब तो नहीं
यह एप यूजर को बताता है कि वो किसी संक्रमित व्यक्ति या इसकी आशंका होने वाले किसी व्यक्ति के करीब है। चीन ने इस एप के लिए कैमरा, फेशियल रिकग्निशन सॉफ्टवेयर और एआई की मदद से डेटा जुटाया। चीन में हेल्थ कोड नाम से एक और एप शुरू किया गया। इसमें ट्रैवेल हिस्ट्री और शरीर के तापमान के हिसाब से एक कलर कोर्ड मिलता है जिसके आधार पर तय होता है कि क्वारेंटाइन करना है या नहीं।
ब्रिटेन: सी-19 कोविड एपकहां खतरा है, इसका अलर्ट देता है
ब्रिटेन में सी-19 कोविड सिम्पटम्स ट्रैकर एप को लंदन के किंग्स कॉलेज हॉस्पिटल ने ज़ो नाम के स्टार्टअप के साथ मिलकर लॉन्च किया था। इसपर मरीज खुद अपने लक्षण बता सकता है। यही नहीं वो उन स्थानों का पता भी कर सकता है जहां खतरा ज्यादा है।
दक्षिणकोरिया: कोरोना मैप एपमरीज किस रूट से गया है, इसकी खबर देता है
कोरोनामैप के इस्तेमाल से यूजर उन स्थानों का पता कर सकता है जहां कोई संक्रमित मरीज भर्ती हुआ हो। इसमें मरीज की लोकेशन से लेकर उसके अस्पताल की जानकारी और वो कब से पीड़ित है जैसे जानकारियां मिल जाती हैं। अच्छी बात ये है कि एप मरीज का ट्रैवल रूट भी दे देता है। इसी तरह कोरोना 100एम एक जीपीएस बेस्ड एप है। यह यूजर्र की लोकेशन के 100 मीटर के दायरे में संक्रमित व्यक्ति की जानकारी देता है।
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