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अफगानिस्तान की गर्ल्स रोबोटिक टीम ने कार के पुराने पार्ट्स से बना दिया वेंटिलेटर, इस पर महज 22,800 रुपए खर्च आया

कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए सबसे जरूरी चीज वेंटिलेटर की कमी से दुनियाभर के देश जूझ रहे हैं। अफगानिस्तानमें भी यही समस्या है। 3.5 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में महज 300 वेंटिलेटर हैं। यहां करीब 840 कोरोनासंक्रमित हैं, वहीं 30 लोगों की मौत भी इस वायरस से हो चुकी है।इस समस्या को दूर करने के लिए हेरात की गर्ल्स रोबोटिक टीम ने कार के पुराने पार्ट्स से वेंटिलेटर बनाया है। इस पर खर्च भी महज 22,800 रुपए आया है, जबकि बाजार में वेंटिलेटर 20-23 लाख रुपए के बीच मिलता है। इस डिवाइस को डब्लूएचओ की मंजूरी के लिए भेजा गया है।

लड़कियों की यह टीम हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और स्थानीय हेल्थ एक्सपर्ट के साथ इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं। अफगानिस्तान में टेक कंपनी संचालक और प्रोजेक्ट में मदद कर रहीं रोया महबूब के मुताबिक, मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा दिए गए डिजाइन के आधार पर उन्होंने यह प्रोटोटाइप तैयार किया है।

ईरान से लौटे लोगों के कारण कोरोना के मामले बढ़े

टीम में पांच लड़कियां हैं। इनकी उम्र 14-17 साल के बीच है। ये सभी हेरात प्रांत से हैं, जहां ईरान से लौटे लोगों के कारण कोरोना के मामले बढ़े हैं। जब हेरात के गवर्नर ने समस्या बताई तो इन्होंने पुरानी टोयोटा कार की बैटरी और पुर्जों से वेंटिलेटर बनाया। अफगानिस्तान स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता वाहिदुल्लाह मयार के मुताबिक, उन्होंने एक्सपर्ट्स और इंजीनियरों से इस टीम की मदद करने के लिए कहा है।

2017 में भी चर्चा में आई थी इन लड़कियों की टीम

अफगान ड्रीमर्स के तौर पर चर्चित यह टीम 2017 में भी चर्चा में आई थी। तब अमेरिका में रोबोटिक प्रतियोगितामें शामिल होने के लिए इन्हें वीजानहीं दिया गया था। राष्ट्रपति ट्रम्प की दखल के बाद टीम इवेंट में शामिल हो सकी थी।

ऑटोमैटिकली प्रेशर नियंत्रित कर सकता है यह वेंटिलेटर
टीम की प्रमुख 17 साल की सोमाया बताती हैं कि डिवाइस का सबसे खास पार्ट अम्बु बैग बनाना बड़ी चुनौती थी। स्वास्थ्यकर्मी मरीज की उम्र और जरूरत के हिसाब से इसका प्रेशर तय करते हैं। लेकिन, हमारे बनाए वेंटिलेटर में यह काम ऑटोमैटिक ही हो जाएगा।



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वेेंटिलेटर बनाने वाली टीम में पांच लड़कियां हैं, इनकी उम्र 14-17 साल के बीच है। इस डिवाइस को बनाने में मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने इनकी मदद की।


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