ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) वीजी सोमानी ने कोवीशील्ड और कोवैक्सिन को आपात मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही भारत में 30 करोड़ लोगों के प्रायोरिटी ग्रुप को वैक्सीनेट करने की प्रक्रिया तेज हो गई है।
कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने बनाया है। भारत में इसे अदार पूनावाला की कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) बना रही है। वहीं, कोवैक्सिन को हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी (NIV) के साथ मिलकर बनाया है।
इन दोनों वैक्सीन को अप्रूवल मिलने के बाद, अब भी सात वैक्सीन ऐसी हैं, जिन पर भारत में काम हो रहा है। जानिए उनका स्टेटस क्या है और वे कब तक उपलब्ध होगी?
1. ZyCoV-D (जायडस कैडिला)
अहमदाबाद की कंपनी जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन को DNA प्लेटफॉर्म पर बनाया जा रहा है। कैडिला इसके लिए बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के साथ मिलकर काम कर रही है।
स्टेटसः DCGI ने कैडिला की वैक्सीन को फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल्स की अनुमति दे दी है।
कब मिलेगीः कम से कम तीन महीने का वक्त लग सकता है।
2. स्पुतनिक V (डॉ. रेड्डी'ज लैबोरेटरी)
रूस के गामालेया इंस्टिट्यूट की बनाई इस वैक्सीन को रूस समेत कुछ देशों में अप्रूवल मिल चुका है। रूसी इंस्टिट्यूट का दावा है कि फेज-3 ट्रायल्स के अंतरिम नतीजों में यह वैक्सीन 91.4% इफेक्टिव साबित हुई है। रूस में अगस्त में वैक्सीनेशन शुरू हुआ था। अब तक एक लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है।
स्टेटसः भारत में डॉ. रेड्डी'ज लैबोरेटरी इस वैक्सीन के फेज-2/3 ट्रायल्स कर रही है।
कब मिलेगीः फरवरी तक डॉ. रेड्डी'ज के ट्रायल्स पूरे होने की उम्मीद है। भारत में इसके 30 करोड़ डोज उपलब्ध होंगे।
3. NVX-Cov 2373 (सीरम इंस्टिट्यूट)
अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स ने यह वैक्सीन बनाई है। इसके फेज-3 ट्रायल्स अमेरिका और मैक्सिको में पिछले महीने ही शुरू हुए हैं। इसमें 30 हजार वॉलंटियर शामिल होंगे।
स्टेटसः भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ही इसे बना रहा है। इसके फेज-2/3 ट्रायल्स पर विचार हो रहा है।
कब मिलेगीः ट्रायल्स में कम से कम तीन महीने लग जाएंगे। यानी अप्रैल के बाद ही यह उपलब्ध होगी।
4. डायनावैक्स वैक्सीन (बायोलॉजिकल E)
हैदराबाद की कंपनी बायोलॉजिकल E लिमिटेड ने ह्यूस्टन में बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन और अमेरिका की ही कंपनी डायनावैक्स टेक्नोलॉजी कॉर्प के साथ मिलकर इस वैक्सीन को बनाया है।
स्टेटसः बायोलॉजिकल E ने नवंबर में इसके शुरुआती ट्रायल्स किए हैं। नतीजे फरवरी अंत तक आ सकते हैं।
कब मिलेगीः अप्रैल में फेज-3 ट्रायल्स शुरू होंगे यानी जुलाई से पहले तो वैक्सीन मिलने से रही।
5. भारत की mRNA वैक्सीन (जेनोवा फार्मा)
पुणे की कंपनी जेनोवा फार्मा मैसेंजर-RNA (mRNA) प्लेटफॉर्म पर वैक्सीन HGCO19 बना रही है। इसके लिए जेनोवा ने अमेरिका की HDT बायोटेक कॉर्पोरेशन के साथ हाथ मिलाया है। यह वैक्सीन फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन की तरह mRNA वैक्सीन प्लेटफॉर्म पर बनी है। इसे केंद्र सरकार के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट की ओर से Ind-CEPI मिशन के तहत आर्थिक मदद दी गई है।
स्टेटसः फेज-1 ट्रायल्स शुरू होने वाले हैं। इसके लिए 120 वॉलंटियर्स को एनरोल किया जाएगा।
कब मिलेगीः कम से कम छह महीने तो ट्रायल्स और रेगुलेटरी प्रोसीजर में लग ही जाएंगे। जुलाई के बाद ही मिलेगी।
6. नैजल वैक्सीन (भारत बायोटेक)
हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक इस समय दो नैजल वैक्सीन बना रही है। इनमें से एक वैक्सीन यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के स्कूल ऑफ मेडिसिन के साथ मिलकर बना रहे हैं और दूसरी अमेरिकी कंपनी फ्लूजेन और यूनिवर्सिटी ऑफ विसकॉन्सिन-मैडिसन के साथ।
स्टेटसः फेज-1 ट्रायल्स जल्द ही शुरू होंगे। छह से सात महीने लग जाएंगे।
कब मिलेगीः सितंबर के बाद ही यह वैक्सीन उपलब्ध होगी। अच्छी बात यह है कि यह सिंगल डोज होगी और नाक में ड्रॉप्स के जरिए डाली जाएगी।
7. अरबिंदो फार्मा वैक्सीन
अरबिंदो फार्मा ने अमेरिकी सहायक कंपनी ऑरो वैक्सीन के साथ मिलकर इस वैक्सीन पर काम शुरू किया है। इसे प्रोफेक्टस बायोसाइंसेस ने विकसित किया है। इसके अलावा कंपनी अमेरिकी कंपनी COVAXX की वैक्सीन भी भारत में बनाएगी और बेचेगी।
स्टेटसः यह वैक्सीन इस समय प्री-क्लीनिकल ट्रायल्स में है।
कब मिलेगीः सब कुछ ठीक रहा तो इसके ट्रायल्स छह से सात महीने चल सकते हैं। यानी सितंबर के बाद मिलेगी।
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