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हमेशा सच बोलना चाहिए, ये बात तो सभी जानते हैं, लेकिन इसका पालन करना आसान नहीं

कहानी- रामायण के समय एक दिन वशिष्ठ ऋषि ने भरत से कहा था कि तुम्हारे पिता राजा दशरथ की तरह कोई दूसरा सत्यवादी न हुआ है और ना ही भविष्य में कभी होगा।

इस संबंध में आज के विद्वान चर्चा करते हैं कि वशिष्ठ ने ऐसा क्यों कहा? क्या केवल राजा दशरथ सत्यवादी थे? या वे श्रीराम के पिता थे इसलिए उन्हें सत्यवादी माना जाता है? तो क्या श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव सत्यवादी नहीं थे?

वशिष्ठ ने राजा दशरथ को सबसे बड़ा सत्यवादी बताया, इसकी एक वजह है। जीवन में सत्य के लिए बड़ा दृढ़ संकल्प चाहिए। राजा दशरथ के सामने स्थिति ये थी कि अगर वे सत्य को बचाते तो राम वनवास चले जाते और अगर वे राम को बचाते तो उनका सत्यव्रत टूट जाता। उस समय दशरथ ने सत्य को बचाया और राम को वनवास भेज दिया।

ठीक इसी तरह की स्थिति वसुदेव के साथ भी बनी थी। वसुदेव ने कंस को वचन दिया था कि हम हमारी आठों संतान तुम्हें सौंप देंगे। लेकिन, जब आठवीं संतान का जन्म हुआ तो वे उस बच्चे को मथुरा से गोकुल छोड़ आए। यहां वसुदेव ने कृष्ण को बचा लिया, लेकिन सत्य को छोड़ दिया।

दशरथ इसीलिए महान माने गए हैं, क्योंकि उन्होंने सत्य को बचाया और पुत्र वियोग में अपने प्राण भी त्याग दिए। हमारे लिए प्राण त्यागने का अर्थ ये नहीं है कि हम भी सत्य के लिए अपना जीवन खत्म कर लें, बल्कि सच को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक देनी चाहिए।

सीख- अगर हम सच का पालन करना चाहते हैं तो ये काम आसान नहीं है। सत्यव्रत का पालन करना है तो हमारे लिए दृढ़ संकल्प जरूरी है। थोड़े बहुत संघर्ष से सच को बचाया नहीं जा सकता है, इसके लिए हमें पूरी ताकत लगाने की जरूरत होती है।



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