World Wide Facts

Technology

अमेरिका ने फिर लगाया रूसी हैकर्स पर साइबर हमलों का आरोप; जानिए चुनावों से पहले इन आरोपों का क्या मतलब है?

अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने 20 अक्टूबर को 6 रूसी सैन्य अफसरों पर ग्लोबल साइबर हमलों का आरोप लगाया। फिर 22 अक्टूबर को एडवायजरी जारी कर कहा कि रूसी हैकर्स ने स्टेट और लोकल सरकारों के नेटवर्क को निशाना बनाया और दो सर्वर से डेटा चुराया है।

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों से दो हफ्ते पहले इन आरोपों से चुनाव प्रक्रिया पर संदेह पैदा हो रहे हैं। यह डर भी बढ़ गया है कि वोटिंग प्रक्रिया में छेड़छाड़ हो सकती है। ऐसे में नतीजों पर भरोसा करना मुश्किल हो जाएगा। क्या वाकई में रूस हैकिंग के जरिए अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया में छेड़छाड़ कर रहा है? कोई देश किसी अन्य देश की चुनाव प्रक्रिया को कैसे प्रभावित कर सकता है?

रूस पर हैकिंग के आरोपों में कितना दम है?

  • अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों से ढाई महीने पहले सीनेट की खुफिया मामलों की कमेटी की रिपोर्ट आई थी। इसमें कहा गया था कि रूस ने रिपब्लिकन पार्टी के राजनीतिक मामलों के प्रबंधक पॉल मैनफोर्ट और विकीलीक्स के जरिए 2016 के चुनाव को प्रभावित किया था। इस चुनाव में ट्रम्प को डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रत्याशी हिलेरी क्लिंटन के मुकाबले अप्रत्याशित जीत हासिल हुई थी।
  • रिपब्लिकन पार्टी के बहुमत वाले सीनेट की रिपोर्ट में कहा गया है- 2016 में विकीलीक्स ने ट्रम्प को मिली रूसी मदद में अहम भूमिका निभाई। इस कैम्पेन को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन खुद देख रहे थे। कंप्यूटर नेटवर्क हैक करवाकर ऐसी जानकारियां फैला रहे थे, जिनसे हिलेरी को नुकसान हो।
  • सीनेट की इस रिपोर्ट से पहले अमेरिकी चुनाव में रूसी दखल की जांच स्पेशल इन्वेस्टीगेटर रॉबर्ट मूलर ने भी की थी, लेकिन दो साल की जांच के बाद वह रूसी हस्तक्षेप के सबूत नहीं जुटा पाए थे। नतीजे पर पहुंचे बगैर उन्होंने जांच बंद कर दी थी।

FBI की नई एडवायजरी क्या कहती है?

  • रूस के सरकारी समर्थन वाले हैकिंग ग्रुप की गतिविधियों पर इस बार फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) और डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी की साइबर सिक्योरिटी एजेंसी ने एडवायजरी जारी की है।
  • एडवायजरी में यह तो नहीं बताया कि किसे टारगेट किया, लेकिन यह जरूर कहा है कि हैकर्स ने अमेरिकी नीतियों और सरकारी कामकाज को प्रभावित करने के उद्देश्य से जानकारी हासिल करने की कोशिश की है।

अमेरिका में वोटर्स को कैसे कंफ्यूज किया जा रहा है?

  • हाउ टू लूज द इंफर्मेशन वारः रशिया, फेक न्यूज एंड द फ्यूचर ऑफ कॉन्फ्लिक्ट की लेखिका नीना जैंकोविक का कहना है कि रूस ने 2016 में वोटर्स को कंफ्यूज किया। इस बार तो उसे इसकी जरूरत भी नहीं पड़ी।
  • ट्रम्प तो खुद दावा कर रहे हैं कि मेल-इन वोटिंग फ्रॉड है। उन्होंने डेमोक्रेट्स पर मेल-इन वोटिंग से चुनाव चुराने का आरोप लगाया है। उन्होंने नॉर्थ कैरोलिना में वोटर्स को दो बार वोट करने को प्रेरित किया, जो गैरकानूनी है।
  • सितंबर में होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट के मेमो ने कहा कि रूस ई-मेल वोटिंग की आलोचना कर रहा है। वोटिंग प्रोसेस शिफ्ट कर रहा है। कोरोना महामारी के बीच यह दुष्प्रचार चुनाव प्रक्रिया से भरोसा हटाने के लिए है।
  • प्रायमरी में रूसी सरकारी मीडिया और प्रॉक्सी वेबसाइट्स ने बैलट डिलीवरी से जुड़ी कहानियां गढ़ीं। रूसी मीडिया और प्रॉक्सी वेबसाइट्स ने यूनिवर्सल मेल-इन वोटिंग की आलोचना की। इस दलील को ट्रम्प ने भी आगे बढ़ाया।
  • मॉस्को ने अमेरिका में नस्लीय राजनीति और पुलिस बर्बरता का कोल्ड वॉर के दौरान भी लाभ उठाया, लेकिन इस बार यह एक प्रमुख मुद्दा है। पुलिस बर्बरता के खिलाफ पहले ही आंदोलन गरमाया था।
  • अमेरिका में एक धड़ा मानता है कि 2016 के चुनावों में रूस ने हस्तक्षेप किया, जबकि एक धड़ा मानता है कि यह ट्रम्प के खिलाफ साजिश है। एक सेग्मेंट मानता है कि मेल-इन वोटर फ्रॉड के जरिए चुनाव है।
  • एक ग्रुप को लगता है कि यूनाइटेड स्टेट्स पोस्टल सर्विस के जरिए मेल-इन वोटिंग को प्रभावित कर सकता है। एक सेग्मेंट अब भी क्वारैंटाइन में है, जबकि दूसरे को लगता है कि कोविड-19 एक अफवाह है और इसे ट्रम्प को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रचारित किया जा रहा है।

रूस से किसे ज्यादा खतरा, ट्रम्प को या बाइडेन को?

  • यदि पिछले चुनावों की बात करें तो एक्सपर्ट्स के मुताबिक, रूसी हस्तक्षेप का फायदा ज्यादातर ट्रम्प को मिला था और हिलेरी की हार में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन भी यही डर दोहरा रहे हैं।
  • एक इंटरव्यू में बाइडेन ने कहा कि अमेरिका की सुरक्षा और अलायंसेस के लिए रूस ही सबसे बड़ा खतरा है। अपने पूरे कैम्पेन में बाइडेन रूस की आलोचना करते रहे हैं। कुछ हफ्तों पहले व्लादिमीर पुतिन को बाइडेन के कमेंट्स पर जवाब देना पड़ा था।
  • बाइडेन ने 29 सितंबर की क्लीवलैंड में हुई पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट में ट्रम्प को पुतिन का पपी कहकर पुकारा था। बाइडेन का कहना है कि ट्रम्प ने सभी तानाशाहों को गले लगाया और दोस्तों को परेशान किया।

2016 में रूस ने कैसे किया था अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप?

  • अमेरिकी एक्सपर्ट्स का दावा है कि रूस का लक्ष्य चुनाव प्रक्रिया को लेकर वोटर्स को कंफ्यूज करना है। यह सिर्फ कंप्यूटर या नेटवर्क की हैकिंग नहीं है, बल्कि लोगों के दिमाग को हैक करना है।
  • अविश्वास का माहौल बनाना है। 2016 में भी उसने ऐसा ही किया था। इस बार भी वह इसके लिए कोशिश कर रहा है। इसमें उसकी मदद करने में अमेरिकी भी पीछे नहीं है। प्रेसीडेंट ट्रम्प के बयान भी कंफ्यूजन बढ़ा ही रहे हैं।
  • रॉबर्ट मूलर ने इंटरनेट रिसर्च एजेंसी की गतिविधियों की पड़ताल की। सीनेट कमेटी ने भी ऐसा ही किया। 2016 में रूसी मिलिट्री इंटेलिजेंस (GRU) से जुड़े हैकर्स ने डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी (DNC) और डेमोक्रेटिक कैम्पेन कमेटी (DCCC) के कंप्यूटर नेटवर्क में घुसपैठ की।
  • हैकर्स ने पर्सनल ई-मेल्स और अन्य दस्तावेज हासिल किए, फिर उन्हें ऑनलाइन पब्लिश किया। पहले तो फेक नाम से और फिर विकीलीक्स के जरिए। पहला लीक जुलाई 2016 में आया, ठीक डेमोक्रेटिक कन्वेंशन से पहले। कोशिश थी कि डेमोक्रेट्स की एकता खत्म हो सके।
  • सीनेट कमेटी ने यह भी पाया कि रूसी हैकर्स ने 2016 में सभी 50 राज्यों में वोटर और रजिस्ट्रेशन डेटाबेस को भी हैक किया। इसके कोई सबूत नहीं हैं कि वोट को चेंज किया गया, लेकिन इलिनोइस समेत कुछ जगहों पर कमेटी ने पाया कि रूस ने वोटर का डेटा बदला या डिलीट किया।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
US Election 2020 Russia Interference: Donald Trump Joe Biden | United States Accuses Russian Hackers Of Political Cyber Attacks? What Do These Allegations Mean


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/35G6jR6
Share:

0 Comments:

Post a Comment

Blog Archive

Definition List

header ads

Unordered List

3/Sports/post-list

Support

3/random/post-list