World Wide Facts

Technology

कतार में लगे शव भी कर रहे इंतजार, एक साथ 12 शवों का अंतिम संस्कार और जगह भी इतनी ही

(गौरव शर्मा) राजधानी में कोरोना संक्रमण जिस तेजी से बढ़ रहा है, मौत के आंकड़े भी उसी तेजी से बढ़ रहे हैं। हम ये नहीं कहते कि ये सारी मौतें कोरोना सेे हो रही हैं, लेकिन यह सच है कि ये सारी मौतें कोरोनाकाल में ही हो रही हैं। लॉकडाउन से पहले यानी फरवरी-मार्च के मुकाबले अगस्त में शहर में होने वाली मौतों का आंकड़ा दोगुना हो गया था। सितंबर के आंकड़े चौंकाने वाले हैं क्योंकि सितंबर के 15 दिनों में ही मौतों की संख्या अगस्त में हुई कुल मौत के बराबर और कहीं-कहीं तो इस आंकड़े को भी पार कर गई है।

आंकड़े बताते हैं कि शहर के मुक्तिधाम और कब्रिस्तानों में मार्च-अप्रैल के मुकाबले हर दिन करीब दो से ढाई गुना ज्यादा शव पहुंच रहे हैं। इसकी वजह से कई जगहों पर ऐसी भी स्थिति हो गई है कि चिता जलाने के लिए शेड कम पड़ रहे हैं। मुक्तिधाम में अर्थी आने पर अस्थाई शेड बनाकर शवों का अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है।

ऐसा नहीं है कि यह हाल सिर्फ मुक्तिधामों का है। मुस्लिम और क्रिश्चियन कब्रिस्तानों में पहुंचने वाले जनाजे भी अगस्त-सितंबर के महीने में दोगुने हो गए हैं। सबसे ज्यादा शव महादेवघाट, मारवाड़ी श्मशानघाट और मौदहापारा कब्रिस्तान पहुंच रहे हैं। हालांकि, सरकारी आंकड़ों को देखें तो शहर में कोरोना से मरने वालों की संख्या अब तक 301 ही है।

सिर्फ मारवाड़ी श्मशानघाट के आंकड़ों को देखिए: मई में 81, जून में 73, जुलाई में 90 और अगस्त में 158 शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे। इधर, सितंबर के सिर्फ 15 दिनों में ही 135 शव पहुंच चुके हैं। जबकि 15 दिनों के आंकड़े बाकी हैं। रायपुर के प्रमुख श्मशानगृहों में भी इसी अनुपात में आंकड़े बढ़ रहे हैं।

पंडित-पुरोहितों की रोजी रोटी पर असर: कोरोनाकाल में सार्वजनिक अनुष्ठानों पर प्रतिबंध की वजह से पंडित-पुरोहितों की रोजी-रोटी पर बुरा असर पड़ा है। दूसरी ओर जिन कर्मकांडी ब्राह्मणों को महीने में बमुश्किल 10-15 दिन काम मिलता था, उन्हें पिछले 2 माह से काम से फुर्सत ही नहीं है।

बारिश में सूखी लकड़ियों का संकट: एक शव को जलाने के लिए करीब 3 क्विंटल लकड़ी लगती है। अभी ज्यादा शव आ रहे हैं, लिहाजा मुक्तिधामों में लकड़ियों की मांग भी बढ़ गई है। अगस्त के आखिरी हफ्तों में भारी बारिश की वजह से लकड़ियां नहीं मिल रहीं थीं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
यह फोटो महादेवघाट मुक्तिधाम की है। यहां एक साथ 12 शवों का अंतिम संस्कार किया जा सकता है। पिछले कुछ दिनों से यहां लगातार शव आ रहे हैं और उन्हें इंतजार करना पड़ रहा है। लगभग सभी मुक्तिधामों में यही स्थिति है। कब्रिस्तानों में भी शवों की संख्या बढ़ती जा रही है। शहर के ऐसे मुक्तिधाम जो घनी आबादी के बीच हैं, आसपास के रहवासी वहां अंतिम संस्कार का विरोध करने लगे हैं। शहर में ऐसे आधा दर्जन मुक्तिधाम हैं। (फोटो : सुधीर सागर)


from Dainik Bhaskar /national/news/the-dead-bodies-in-the-queue-are-also-waiting-the-funeral-of-12-bodies-together-and-the-place-is-same-127732857.html
Share:

Related Posts:

0 Comments:

Post a Comment

Definition List

header ads

Unordered List

3/Sports/post-list

Support

3/random/post-list