World Wide Facts

Technology

This is default featured slide 1 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.This theme is Bloggerized by Lasantha Bandara - Premiumbloggertemplates.com.

This is default featured slide 2 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.This theme is Bloggerized by Lasantha Bandara - Premiumbloggertemplates.com.

This is default featured slide 3 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.This theme is Bloggerized by Lasantha Bandara - Premiumbloggertemplates.com.

This is default featured slide 4 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.This theme is Bloggerized by Lasantha Bandara - Premiumbloggertemplates.com.

This is default featured slide 5 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.This theme is Bloggerized by Lasantha Bandara - Premiumbloggertemplates.com.

अब तक 34 हजार 862 केस: महाराष्ट्र में मरीजों की संख्या 10 हजार के पार, दिल्ली में 6 और सीआरपीएफ जवान संक्रमित मिले

देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 34हजार 862 हो गई है।9 हजार से ज्यादा मरीज हो ठीक भी हुए हैं।गुरुवार को महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 583, गुजरात में 313,राजस्थान में 144,पंजाब में 105,मध्यप्रदेश में 65समेत 1799रिपोर्ट पॉजिटिव आईं। दिल्ली में सीआरपीएफ के 6 नए जवानों में संक्रमण मिला।महराष्ट्र में संक्रमितों की संख्या 10 हजार के पार हो गई है। ये आंकड़े covid19india.org और राज्य सरकारों से मिली जानकारी के अनुसार हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में 33 हजार 610 संक्रमित हैं। इनमें से 24हजार 162का इलाज चल रहा है, 8373ठीक हुए हैं और 1075की मौत हुई।

​​​​​​​पीएम मोदीने मंत्रियों के साथ बैठक की
कोरोना संकट में घिरी अर्थव्यवस्था को संभालने की रणनीति पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक बुलाई। इसमें गृहमंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर मौजूद थे। मोदी ने महामारी और लॉकडाउन केबीचकोल और खनन सेक्टर में सुधारों के साथ अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के उपाय सुझाने को कहा। इस दौरान विदेशी निवेश आकर्षित करने और स्थानीय निवेश को बढ़ाने के उपाय खोजने पर जोर दिया गया।

5 दिन जब संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले आए

दिन मामले
28 अप्रैल 1902
25 अप्रैल 1835
29 अप्रैल 1702
23 अप्रैल 1667
26 अप्रैल 1607

26 राज्य,6 केंद्र शासित प्रदेशों में फैला संक्रमण
कोरोनावायरस का संक्रमणदेश के 26 राज्यों में फैला है।6 केंद्र शासित प्रदेश भीइसकी चपेट में हैं।इनमें दिल्ली, चंडीगढ़, अंडमान-निकोबार, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और पुडुचेरी शामिल हैं।

राज्य कितने संक्रमित कितने ठीक हुए कितनी मौत
महाराष्ट्र 10,498 1773 459

गुजरात

4395 613 214
दिल्ली 3515 1094 59

राजस्थान

2582 893 58
मध्यप्रदेश 2625 482 137
तमिलनाडु 2323 1258 27
उत्तरप्रदेश 2211 551 40
आंध्रप्रदेश 1403 321 31
तेलंगाना 1038 442 28
पश्चिम बंगाल 758 124 33
जम्मू-कश्मीर 614 216 8
कर्नाटक 565 229 22
केरल 498 383 4

पंजाब

480

104

20
हरियाणा 339 235 4
बिहार 425 84 2
ओडिशा 142 39 1

झारखंड

110 19 3
उत्तराखंड 57 36 0
हिमाचल प्रदेश 40 28 2
असम 42 29 1
छत्तीसगढ़ 40 36 0
चंडीगढ़ 74 18 0

अंडमान-निकोबार

33 16 0
लद्दाख 22 17 0
मेघालय 12 0 1

पुडुचेरी

8 5 1
गोवा 7 7 0
मणिपुर 2 2 0
त्रिपुरा 2 2 0
अरुणाचल प्रदेश 1 1 0
मिजोरम 1 1 0

ये आंकड़े covid19india.org और राज्य सरकारों से मिली जानकारी के अनुसार हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में 33 हजार 610संक्रमित हैं। इनमें से 24हजार 162का इलाज चल रहा है, 8373ठीक हुए हैं और 1075 की मौत हुई है।

5 राज्य और 1 केंद्र शासित प्रदेश का हाल

  • मध्यप्रदेश, संक्रमित- 2625: यहां गुरुवार को संक्रमण के 65 नए मामले सामने आए। यहां अब तक 137 मरीजों की मौत हो चुकी है। भोपाल एम्स मेंरोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवा माइक्रोबैक्टीरियम-डब्ल्यू (एमडब्ल्यू) का कोरोना के गंभीर रोगियोंपर ट्रायल शुरू हो गया है। राज्य में बुधवार को संक्रमण के175 मामले आए थे।
  • उत्तरप्रदेश, संक्रमित- 2211: प्रदेश में गुरुवार को 77 नए कोरोना पॉजिटिव मिले। राज्य में कुल संक्रमितों में 1053 जमाती और उनके संपर्क में आए लोग हैं। 551 लोग ठीक हो चुके हैं। 40 की मौत हुई है। संक्रमण राज्य के 75 में से 60 जिलों में फैल चुका है।
  • महाराष्ट्र, संक्रमित- 10498: यहां गुरुवार को 583 नए मरीज मिले। इनमें से 25 केस मुंबई के हॉट स्पॉट धारावी में सामने आए। यहां अब संक्रमितों की संख्या 369 हो गई है। महाराष्ट्र सरकार ने दूसरे राज्यों में फंसे अपने मजदूरों को वापस लाने की तैयारी कर ली है। इसके लिए 10 हजार बसें भेजी जाएंगी।
  • राजस्थान, संक्रमित- 2582:राज्य मेंगुरुवार को संक्रमण के 144 मामले आए। इनमें से जोधपुर में 59, जयपुर में 14, अजमेर में 4, चित्तौड़गढ़ में 3, कोटा और टोंक में 2-2, जबकि अलवर और धौलपुर में 1-1 मरीज मिला। प्रदेश में अब तक कोरोना से 58 लोगों की जान गई है।
  • दिल्ली, संक्रमित- 3515: यहां गुरुवार को सीआरपीएफ के 6 और जवान संक्रमित मिले। इनमें से एक जवान अर्धसैनिक बल की नेशनल कबड्डी टीम का खिलाड़ी है। इसी बटालियन में पहले कोरोना के 47 केस सामने आ चुके हैं। पिछले दिनों एक सब इंस्पेक्टर की मौत भी हो गई थी। आजादपुर सब्जी मंडी के 4 और व्यापारियों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
  • बिहार, संक्रमित- 422:प्रदेश में गुरुवार को 22 नए मामले सामने आए।बुधवार को 37 पॉजिटिव मिले। इनमें से बक्सर में 14, पश्चिमी चंपारण में 5, दरभंगा में 4, पटना और रोहतास में 3-3, भोजपुर और बेगूसराय में 2-2, जबकि औरंगाबाद, वैशाली, सीतामढ़ी और मधेपुरा में 1-1 मरीज थे।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Coronavirus | Mumbai Delhi Coronavirus News | Coronavirus Outbreak India Cases LIVE Updates; Maharashtra Pune Madhya Pradesh Indore Rajasthan Uttar Pradesh Haryana Bihar Punjab Novel Corona (COVID-19) Death Toll India Today


from Dainik Bhaskar /national/news/coronavirus-outbreak-india-live-today-news-updates-delhi-kerala-maharashtra-rajasthan-haryana-cases-novel-corona-covid-19-death-toll-127262830.html
Share:

अब तक 34 हजार 862 केस: महाराष्ट्र में मरीजों की संख्या 10 हजार के पार, दिल्ली में 6 और सीआरपीएफ जवान संक्रमित मिले

देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 34हजार 862 हो गई है।9 हजार से ज्यादा मरीज हो ठीक भी हुए हैं।गुरुवार को महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 583, गुजरात में 313,राजस्थान में 144,पंजाब में 105,मध्यप्रदेश में 65समेत 1799रिपोर्ट पॉजिटिव आईं। दिल्ली में सीआरपीएफ के 6 नए जवानों में संक्रमण मिला।महराष्ट्र में संक्रमितों की संख्या 10 हजार के पार हो गई है। ये आंकड़े covid19india.org और राज्य सरकारों से मिली जानकारी के अनुसार हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में 33 हजार 610 संक्रमित हैं। इनमें से 24हजार 162का इलाज चल रहा है, 8373ठीक हुए हैं और 1075की मौत हुई।

​​​​​​​पीएम मोदीने मंत्रियों के साथ बैठक की
कोरोना संकट में घिरी अर्थव्यवस्था को संभालने की रणनीति पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक बुलाई। इसमें गृहमंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर मौजूद थे। मोदी ने महामारी और लॉकडाउन केबीचकोल और खनन सेक्टर में सुधारों के साथ अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के उपाय सुझाने को कहा। इस दौरान विदेशी निवेश आकर्षित करने और स्थानीय निवेश को बढ़ाने के उपाय खोजने पर जोर दिया गया।

5 दिन जब संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले आए

दिन मामले
28 अप्रैल 1902
25 अप्रैल 1835
29 अप्रैल 1702
23 अप्रैल 1667
26 अप्रैल 1607

26 राज्य,6 केंद्र शासित प्रदेशों में फैला संक्रमण
कोरोनावायरस का संक्रमणदेश के 26 राज्यों में फैला है।6 केंद्र शासित प्रदेश भीइसकी चपेट में हैं।इनमें दिल्ली, चंडीगढ़, अंडमान-निकोबार, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और पुडुचेरी शामिल हैं।

राज्य कितने संक्रमित कितने ठीक हुए कितनी मौत
महाराष्ट्र 10,498 1773 459

गुजरात

4395 613 214
दिल्ली 3515 1094 59

राजस्थान

2582 893 58
मध्यप्रदेश 2625 482 137
तमिलनाडु 2323 1258 27
उत्तरप्रदेश 2211 551 40
आंध्रप्रदेश 1403 321 31
तेलंगाना 1038 442 28
पश्चिम बंगाल 758 124 33
जम्मू-कश्मीर 614 216 8
कर्नाटक 565 229 22
केरल 498 383 4

पंजाब

480

104

20
हरियाणा 339 235 4
बिहार 425 84 2
ओडिशा 142 39 1

झारखंड

110 19 3
उत्तराखंड 57 36 0
हिमाचल प्रदेश 40 28 2
असम 42 29 1
छत्तीसगढ़ 40 36 0
चंडीगढ़ 74 18 0

अंडमान-निकोबार

33 16 0
लद्दाख 22 17 0
मेघालय 12 0 1

पुडुचेरी

8 5 1
गोवा 7 7 0
मणिपुर 2 2 0
त्रिपुरा 2 2 0
अरुणाचल प्रदेश 1 1 0
मिजोरम 1 1 0

ये आंकड़े covid19india.org और राज्य सरकारों से मिली जानकारी के अनुसार हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में 33 हजार 610संक्रमित हैं। इनमें से 24हजार 162का इलाज चल रहा है, 8373ठीक हुए हैं और 1075 की मौत हुई है।

5 राज्य और 1 केंद्र शासित प्रदेश का हाल

  • मध्यप्रदेश, संक्रमित- 2625: यहां गुरुवार को संक्रमण के 65 नए मामले सामने आए। यहां अब तक 137 मरीजों की मौत हो चुकी है। भोपाल एम्स मेंरोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवा माइक्रोबैक्टीरियम-डब्ल्यू (एमडब्ल्यू) का कोरोना के गंभीर रोगियोंपर ट्रायल शुरू हो गया है। राज्य में बुधवार को संक्रमण के175 मामले आए थे।
  • उत्तरप्रदेश, संक्रमित- 2211: प्रदेश में गुरुवार को 77 नए कोरोना पॉजिटिव मिले। राज्य में कुल संक्रमितों में 1053 जमाती और उनके संपर्क में आए लोग हैं। 551 लोग ठीक हो चुके हैं। 40 की मौत हुई है। संक्रमण राज्य के 75 में से 60 जिलों में फैल चुका है।
  • महाराष्ट्र, संक्रमित- 10498: यहां गुरुवार को 583 नए मरीज मिले। इनमें से 25 केस मुंबई के हॉट स्पॉट धारावी में सामने आए। यहां अब संक्रमितों की संख्या 369 हो गई है। महाराष्ट्र सरकार ने दूसरे राज्यों में फंसे अपने मजदूरों को वापस लाने की तैयारी कर ली है। इसके लिए 10 हजार बसें भेजी जाएंगी।
  • राजस्थान, संक्रमित- 2582:राज्य मेंगुरुवार को संक्रमण के 144 मामले आए। इनमें से जोधपुर में 59, जयपुर में 14, अजमेर में 4, चित्तौड़गढ़ में 3, कोटा और टोंक में 2-2, जबकि अलवर और धौलपुर में 1-1 मरीज मिला। प्रदेश में अब तक कोरोना से 58 लोगों की जान गई है।
  • दिल्ली, संक्रमित- 3515: यहां गुरुवार को सीआरपीएफ के 6 और जवान संक्रमित मिले। इनमें से एक जवान अर्धसैनिक बल की नेशनल कबड्डी टीम का खिलाड़ी है। इसी बटालियन में पहले कोरोना के 47 केस सामने आ चुके हैं। पिछले दिनों एक सब इंस्पेक्टर की मौत भी हो गई थी। आजादपुर सब्जी मंडी के 4 और व्यापारियों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
  • बिहार, संक्रमित- 422:प्रदेश में गुरुवार को 22 नए मामले सामने आए।बुधवार को 37 पॉजिटिव मिले। इनमें से बक्सर में 14, पश्चिमी चंपारण में 5, दरभंगा में 4, पटना और रोहतास में 3-3, भोजपुर और बेगूसराय में 2-2, जबकि औरंगाबाद, वैशाली, सीतामढ़ी और मधेपुरा में 1-1 मरीज थे।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Coronavirus | Mumbai Delhi Coronavirus News | Coronavirus Outbreak India Cases LIVE Updates; Maharashtra Pune Madhya Pradesh Indore Rajasthan Uttar Pradesh Haryana Bihar Punjab Novel Corona (COVID-19) Death Toll India Today


from Dainik Bhaskar /national/news/coronavirus-outbreak-india-live-today-news-updates-delhi-kerala-maharashtra-rajasthan-haryana-cases-novel-corona-covid-19-death-toll-127262830.html
Share:

लॉकडाउन में घर को निकले मजदूरों की कहानी, कोई 25 दिन में 2800 किमी सफर कर घर पहुंचा, तो किसी ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया

देश में कोरोना के चलते अचानक लगाया लॉकडाउन प्रवासी मजदूरों पर सबसे ज्यादा भारी पड़ा है। उन्हें जब ये पता चला की जिन फैक्ट्रियों और काम धंधे से उनकी रोजी-रोटी का जुगाड़ होता था, वह न जाने कितने दिनों के लिए बंद हो गया है, तो वे घर लौटने को छटपटाने लगे।

ट्रेन-बस सब बंद थीं। घर का राशन भी इक्का-दुक्का दिन का बाकी था। जिन ठिकानों में रहते थे उसका किराया भरना नामुमकिन लगा। हाथ में न के बराबर पैसा था। और जिम्मेदारी के नाम पर बीवी बच्चों वाला भरापूरा परिवार था। तो फैसला किया पैदल ही निकल चलते हैं। चलते-चलते पहुंच ही जाएंगे। यहां रहे तो भूखे मरेंगे।

कुछ पैदल, कुछ साइकिल पर तो कुछ तीन पहियों वाले उस साइकिल रिक्शे पर जो उनकी कमाई का साधन था। लेकिन जो फासला तय करना था वह कोई 20-50 किमी नहीं बल्कि 100-200 और 3000 किमी लंबा था।

1886 की बात है। तारीख 1 मई थी। अमेरिका के शिकागो के हेमोर्केट मार्केट में मजदूर आंदोलन कर रहे थे। आंदोलन दबाने को पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें कुछ मजदूर मारे भी गए। प्रदर्शन बढ़ता गया रुका नहीं। और तभी से 1 मई को मारे गए मजदूरों की याद में मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

आज फिर 1 मई आई है। इस बार थोड़ी अलग भी है। इसलिए, मजदूर दिवस पर लॉकडाउन में फंसे, पैदल चले और अपनी जान गंवा बैठे प्रवासियों के संघर्ष और सफर की पांच कहानियां -

ये तस्वीर 27 मार्च की दिल्ली-यूपी बॉर्डर की है। लॉकडाउन लगने के दो दिन बाद ही प्रवासी मजदूर बच्चों को कंधे पर बैठाकर पैदल ही घर के लिए निकल पड़े थे।

पहली कहानी : मुंबई से 500 दूर उप्र सिर्फ बिस्किट खाकर निकले थे, घर तो पहुंच लेकिन मौत हो गई

उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले का इंसाफ अली मुंबई में एक मिस्त्री का हेल्पर था। लॉकडाउन की वजह से काम बंद हुआ तो घर पहुंचने की ठानी। इंसाफ 13 अप्रैल को मुंबई से यूपी के लिए निकल पड़ा। 1500 किमी के सफर में ज्यादातर पैदल ही चला। बीच-बीच में अगर कोई गाड़ी मिल जाती, तो उसमें सवार हो जाता।

जैसे-तैसे 14 दिन बाद यानी 27 अप्रैल को इंसाफ अपने गांव मठकनवा तो पहुंच गया, लेकिन वहां क्वारैंटाइन कर दिया गया। उसी दिन दोपहर में इंसाफ की मौत हो गई। पत्नी सलमा बेगम का कहना था कि इंसाफ ने उसे फोन पर बताया था कि वह सिर्फ बिस्किट खाकर ही जिंदा है।

ये तस्वीर भी 27 मार्च की दिल्ली-यूपी बॉर्डर के पास एनएच-24 की है। प्रवासी मजदूरों की जो भीड़ शहरों से अपने गांव की तरफ जा रही थी। उनमें छोटे-छोटे बच्चे भी थे।

दूसरी कहानी : 1400 किमी दूर घर जाने के लिए पैदल निकला, 60 किमी बाद दम तोड़ दिया

मध्य प्रदेश के सीधी के मोतीलाल साहू नवी मुंबई में हाउस पेंटर का काम करते थे। जब देश में पहला लॉकडाउन लगा तब तक मोतीलाल मुंबई में ही रहे। लेकिन, दूसरे फेज की घोषणा होने के बाद 24 अप्रैल को वे पैदल ही घर के लिए निकल पड़े। उनका घर नवी मुंबई से 1400 किमी दूर है।

मोतीलाल के साथ 50 और प्रवासी मजदूर भी थे। मोतीलाल खाली पेट ही चल पड़े थे। उन्होंने 60 किमी का सफर तय किया ही था कि रास्ते में ठाणे पहुंचते ही उनकी मौत हो गई। उनके परिवार में पत्नी और तीन बेटियां हैं और बड़ी मुश्किल से घर का गुजारा हो पाता है।

तीसरी कहानी : दिल्ली से 1100 किमी दूर बिहार जा रहे थे, आधे रास्ते पहुंच बेहोश होकर गिर पड़े, मौत हो गई

बिहार के बेगूसराय के रहने वाले रामजी महतो दिल्ली से अपने घर के लिए पैदल ही निकल पड़े। दिल्ली से बेगूसराय के बीच की दूरी 1100 किमी है। उन्होंने 850 किमी का सफर तय भी कर लिया था। रामजी 3 अप्रैल को दिल्ली से निकले, लेकिन 16 अप्रैल को यूपी के वाराणसी में बेहोश होकर गिर पड़े। उन्हें एंबुलेंस में चढ़ाया ही था कि उन्होंने दम तोड़ दिया।

जिन घर वालों के पास पहुंचने के लिए रामजी बिना कुछ सोचे-समझे पैदल ही निकल पड़े थे, उन घर वालों के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वे वाराणसी जाकर रामजी का शव ले सकें और उनका अंतिम संस्कार कर सकें। बाद में वाराणसी पुलिस ने ही उनका अंतिम संस्कार किया।

ये तस्वीर 30 मार्च की मुंबई-अहमदाबाद हाईवे की है। इसी रास्ते से पालघर में मजदूरी करने वाला एक मजदूर अपने पूरे परिवार के साथ भूख-प्यास की चिंता किए बगैर घर की ओर लौट रहा है।

चौथी कहानी : 300 किमी जाना था, 200 किमी चलने के बाद पुलिस के मुताबिक हार्टअटैक से मौत हो गई
39 साल के रणवीर सिंह मध्य प्रदेश के मुरैना के बादफरा गांव के रहने वाले थे। तीन साल पहले पत्नी और तीन बच्चों की परवरिश के लिए दिल्ली आ गए। यहां आकर एक रेस्टोरेंट में डिलीवरी बॉय का काम भी किया। लेकिन, लॉकडाउन की वजह से सब काम बंद हो गया। इससे रणवीर दिल्ली से मुरैना के लिए पैदल ही निकल गए।

दिल्ली से उनके गांव तक की दूरी 300 किमी के आसपास थी। वे 200 किमी तक चल भी चुके थे, लेकिन 28 मार्च को रास्ते में ही आगरा पहुंचते ही उनकी मौत हो गई। उनके घरवालों का कहना था कि रणवीर की मौत भूख-प्यास से हुई है। जबकि, पुलिस का कहना था कि पोस्टमार्टम के मुताबिक, उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई है।

पांचवी कहानी : 25 दिन में 2800 किमी का सफर तय कर गुजरात से असम पहुंचे जादव

पैदल घर जाने वालों में एक नाम जादव गोगोई का भी है। वे असम के नागांव जिले में रहते हैं। लेकिन, मजदूरी गुजरात के वापी शहर में करते हैं। लॉकडाउन लगने के बाद 27 मार्च को जादव वापी से अपने घर आने के लिए निकल पड़े। 25 दिन में 2800 किमी का सफर तय करने के बाद, 19 अप्रैल को आखिरकार जादव अपने घर पहुंच ही गए।

46 साल के जादव चार हजार रुपए लेकर वापी से निकले थे। कभी पैदल तो कभी ट्रक वालों से लिफ्ट भी ली। ऐसा करते-करते बिहार तक आ गए। बिहार से फिर पैदल ही असम भी पहुंच गए।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Labour Day 2020/Majdur Diwas | Latest Story On Migrant Workers Travel Death Due To Coronavirus Lockdown


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2VUm9UO
Share:

लॉकडाउन में घर को निकले मजदूरों की कहानी, कोई 25 दिन में 2800 किमी सफर कर घर पहुंचा, तो किसी ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया

देश में कोरोना के चलते अचानक लगाया लॉकडाउन प्रवासी मजदूरों पर सबसे ज्यादा भारी पड़ा है। उन्हें जब ये पता चला की जिन फैक्ट्रियों और काम धंधे से उनकी रोजी-रोटी का जुगाड़ होता था, वह न जाने कितने दिनों के लिए बंद हो गया है, तो वे घर लौटने को छटपटाने लगे।

ट्रेन-बस सब बंद थीं। घर का राशन भी इक्का-दुक्का दिन का बाकी था। जिन ठिकानों में रहते थे उसका किराया भरना नामुमकिन लगा। हाथ में न के बराबर पैसा था। और जिम्मेदारी के नाम पर बीवी बच्चों वाला भरापूरा परिवार था। तो फैसला किया पैदल ही निकल चलते हैं। चलते-चलते पहुंच ही जाएंगे। यहां रहे तो भूखे मरेंगे।

कुछ पैदल, कुछ साइकिल पर तो कुछ तीन पहियों वाले उस साइकिल रिक्शे पर जो उनकी कमाई का साधन था। लेकिन जो फासला तय करना था वह कोई 20-50 किमी नहीं बल्कि 100-200 और 3000 किमी लंबा था।

1886 की बात है। तारीख 1 मई थी। अमेरिका के शिकागो के हेमोर्केट मार्केट में मजदूर आंदोलन कर रहे थे। आंदोलन दबाने को पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें कुछ मजदूर मारे भी गए। प्रदर्शन बढ़ता गया रुका नहीं। और तभी से 1 मई को मारे गए मजदूरों की याद में मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

आज फिर 1 मई आई है। इस बार थोड़ी अलग भी है। इसलिए, मजदूर दिवस पर लॉकडाउन में फंसे, पैदल चले और अपनी जान गंवा बैठे प्रवासियों के संघर्ष और सफर की पांच कहानियां -

ये तस्वीर 27 मार्च की दिल्ली-यूपी बॉर्डर की है। लॉकडाउन लगने के दो दिन बाद ही प्रवासी मजदूर बच्चों को कंधे पर बैठाकर पैदल ही घर के लिए निकल पड़े थे।

पहली कहानी : मुंबई से 500 दूर उप्र सिर्फ बिस्किट खाकर निकले थे, घर तो पहुंच लेकिन मौत हो गई

उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले का इंसाफ अली मुंबई में एक मिस्त्री का हेल्पर था। लॉकडाउन की वजह से काम बंद हुआ तो घर पहुंचने की ठानी। इंसाफ 13 अप्रैल को मुंबई से यूपी के लिए निकल पड़ा। 1500 किमी के सफर में ज्यादातर पैदल ही चला। बीच-बीच में अगर कोई गाड़ी मिल जाती, तो उसमें सवार हो जाता।

जैसे-तैसे 14 दिन बाद यानी 27 अप्रैल को इंसाफ अपने गांव मठकनवा तो पहुंच गया, लेकिन वहां क्वारैंटाइन कर दिया गया। उसी दिन दोपहर में इंसाफ की मौत हो गई। पत्नी सलमा बेगम का कहना था कि इंसाफ ने उसे फोन पर बताया था कि वह सिर्फ बिस्किट खाकर ही जिंदा है।

ये तस्वीर भी 27 मार्च की दिल्ली-यूपी बॉर्डर के पास एनएच-24 की है। प्रवासी मजदूरों की जो भीड़ शहरों से अपने गांव की तरफ जा रही थी। उनमें छोटे-छोटे बच्चे भी थे।

दूसरी कहानी : 1400 किमी दूर घर जाने के लिए पैदल निकला, 60 किमी बाद दम तोड़ दिया

मध्य प्रदेश के सीधी के मोतीलाल साहू नवी मुंबई में हाउस पेंटर का काम करते थे। जब देश में पहला लॉकडाउन लगा तब तक मोतीलाल मुंबई में ही रहे। लेकिन, दूसरे फेज की घोषणा होने के बाद 24 अप्रैल को वे पैदल ही घर के लिए निकल पड़े। उनका घर नवी मुंबई से 1400 किमी दूर है।

मोतीलाल के साथ 50 और प्रवासी मजदूर भी थे। मोतीलाल खाली पेट ही चल पड़े थे। उन्होंने 60 किमी का सफर तय किया ही था कि रास्ते में ठाणे पहुंचते ही उनकी मौत हो गई। उनके परिवार में पत्नी और तीन बेटियां हैं और बड़ी मुश्किल से घर का गुजारा हो पाता है।

तीसरी कहानी : दिल्ली से 1100 किमी दूर बिहार जा रहे थे, आधे रास्ते पहुंच बेहोश होकर गिर पड़े, मौत हो गई

बिहार के बेगूसराय के रहने वाले रामजी महतो दिल्ली से अपने घर के लिए पैदल ही निकल पड़े। दिल्ली से बेगूसराय के बीच की दूरी 1100 किमी है। उन्होंने 850 किमी का सफर तय भी कर लिया था। रामजी 3 अप्रैल को दिल्ली से निकले, लेकिन 16 अप्रैल को यूपी के वाराणसी में बेहोश होकर गिर पड़े। उन्हें एंबुलेंस में चढ़ाया ही था कि उन्होंने दम तोड़ दिया।

जिन घर वालों के पास पहुंचने के लिए रामजी बिना कुछ सोचे-समझे पैदल ही निकल पड़े थे, उन घर वालों के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वे वाराणसी जाकर रामजी का शव ले सकें और उनका अंतिम संस्कार कर सकें। बाद में वाराणसी पुलिस ने ही उनका अंतिम संस्कार किया।

ये तस्वीर 30 मार्च की मुंबई-अहमदाबाद हाईवे की है। इसी रास्ते से पालघर में मजदूरी करने वाला एक मजदूर अपने पूरे परिवार के साथ भूख-प्यास की चिंता किए बगैर घर की ओर लौट रहा है।

चौथी कहानी : 300 किमी जाना था, 200 किमी चलने के बाद पुलिस के मुताबिक हार्टअटैक से मौत हो गई
39 साल के रणवीर सिंह मध्य प्रदेश के मुरैना के बादफरा गांव के रहने वाले थे। तीन साल पहले पत्नी और तीन बच्चों की परवरिश के लिए दिल्ली आ गए। यहां आकर एक रेस्टोरेंट में डिलीवरी बॉय का काम भी किया। लेकिन, लॉकडाउन की वजह से सब काम बंद हो गया। इससे रणवीर दिल्ली से मुरैना के लिए पैदल ही निकल गए।

दिल्ली से उनके गांव तक की दूरी 300 किमी के आसपास थी। वे 200 किमी तक चल भी चुके थे, लेकिन 28 मार्च को रास्ते में ही आगरा पहुंचते ही उनकी मौत हो गई। उनके घरवालों का कहना था कि रणवीर की मौत भूख-प्यास से हुई है। जबकि, पुलिस का कहना था कि पोस्टमार्टम के मुताबिक, उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई है।

पांचवी कहानी : 25 दिन में 2800 किमी का सफर तय कर गुजरात से असम पहुंचे जादव

पैदल घर जाने वालों में एक नाम जादव गोगोई का भी है। वे असम के नागांव जिले में रहते हैं। लेकिन, मजदूरी गुजरात के वापी शहर में करते हैं। लॉकडाउन लगने के बाद 27 मार्च को जादव वापी से अपने घर आने के लिए निकल पड़े। 25 दिन में 2800 किमी का सफर तय करने के बाद, 19 अप्रैल को आखिरकार जादव अपने घर पहुंच ही गए।

46 साल के जादव चार हजार रुपए लेकर वापी से निकले थे। कभी पैदल तो कभी ट्रक वालों से लिफ्ट भी ली। ऐसा करते-करते बिहार तक आ गए। बिहार से फिर पैदल ही असम भी पहुंच गए।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Labour Day 2020/Majdur Diwas | Latest Story On Migrant Workers Travel Death Due To Coronavirus Lockdown


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2VUm9UO
Share:

शाम के सात बजते ही मस्जिद की मीनारों से अजान तो हमेशा की तरह हुई लेकिन सजदे में झुकने वाले सर नदारद रहे

शाम के सात बजने को हैं। रमजान का महीना है और दिल्ली के जामा मस्जिद में मगरिब की अजान होने में बस कुछ ही मिनट बाकी हैं। आम तौर पर रमजान के दिनों में जामा मस्जिद के इस इलाके में पैर रखने की भी जगह नहीं होती। करीब 15 से 20 हजार लोग हर शाम यहां रोजा खोलने और नमाज के लिए पहुंचते हैं। लेकिन इन दिनों कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में यह पूरा इलाका सन्नाटे में डूबा हुआ है।

जामा मस्जिद के गेट नंबर 1 के बाहर दिल्ली पुलिस के कुछ जवान तैनात हैं। उनके साथ ही अर्धसैनिक बलों की एक टुकड़ी भी यहां मौजूद है। इन लोगों के अलावा सड़क पर दूर-दूर तक कोई इंसान नजर नहीं आ रहा। मुख्य सड़क पर एक-एक दुकान बंद है और एक-एक गली खाली।

दिल्ली पुलिस की एक गाड़ी अभी-अभी लगभग 40-50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 1 नंबर गेट से तीन नंबर गेट की तरफ गई है। दशकों में शायद पहली बार ऐसा हुआ है जब इस इलाके में कोई गाड़ी इस रफ्तार से चली है। पुरानी दिल्ली का यह इलाका जिसने भी देखा है, वह समझ सकता है कि यहां किसी गाड़ी का ऐसे गुजरना कितनी गैर-मामूली घटना है। जिसने यह इलाका नहीं देखा वह इस तथ्य से अंदाजा लगा सकता है कि ये देश ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे व्यस्त इलाकों में शामिल है और यहां पैदल आगे बढ़ना भी किसी चुनौती से कम नहीं होता।

17वीं सदी में बनी जामा मस्जिद देश की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। सदियों से यहां रमजान के दौरान रोजेदारों की भीड़ आती रही है। मस्जिद की मीनारों से उठती अजान की आवाज के साथ ही हजारों सिर सजदे में झुकते रहे हैं। आज भी ठीक सात बजते ही अजान तो हमेशा की तरह हुई है लेकिन सजदे में झुकने वाले सर नदारद हैं। मस्जिद के बाहर सड़क पर बैठे एक बेघर शख्स के अलावा आज यहां ऐसा कोई नहीं है जो अजान होने पर रोजा खोलता नजर आया हो।

गुरुवार की शाम 7 बजे जब जामा मस्जिद की मीनारों पर लगे माइकों से अजान की आवाज आई तो इस बेघर शख्स ने फुटपाथ पर ही कालीन बिछाकर नमाज अता की। लॉकडाउन के चलते मस्जिद में लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध है।

पुरानी दिल्ली के रहने वाले अबू सूफियान बताते हैं, ‘रमजान के दौरान मटियामहल से लेकर तिराहा बैरम खां तक बड़ा जबरदस्त बाजार सजता रहा है। खाने-पीने की तमाम दुकानों से लेकर कपड़ों और जूतों तक की दुकानें यहां लगती हैं जिनमें खरीददारी के लिए लोग देश भर से आते हैं। यह बाजार सिर्फ दिन में ही नहीं बल्कि रात भर भी लगा करता था और चौबीसों घंटे रौनक रहती थी। इस रौनक की कमी खलती तो है लेकिन यह लॉकडाउन बेहद जरूरी भी है।’

लॉकडाउन ने पुरानी दिल्ली में होने वाली रमजान के बाजारों की रौनक को ही नहीं बल्कि ऐसी कई परंपराओं पर भी अल्पविराम लगा दिया है जो बीते कई दशकों से यहां होती आई थी। मसलन रोजा खुलने के वक्त मस्जिद से हरा झंडा फहराया जाता था, फिर पटाखों का शोर होता था और इसके साथ ही सबको मालूम चलता था कि इफ्तार का वक्त हो गया है। इस बार ऐसा कुछ नहीं है, सिर्फ मस्जिद की अजान ही है जिसे लोग अपने-अपने घरों में सुनकर ही रोजा खोल रहे हैं।

अबू सूफियान बताते हैं, ‘सहरी के वक्त गली-गली में जाकर लोगों को जगाने वाले लोग खास तौर से आया करते थे। इनके अलावा कई लोग रात के दो-ढाई बजे तक नात-ए-पाक गाते थे जिसे सुनना बेहद दिलचस्प होता था। मस्जिद के अंदर भी रात भर रौनक रहती थी क्योंकि ईशा की नमाज के बाद तरावीह पढ़ने का दौर चलता था। तरावीह वो लोग पढ़ते हैं जो हफिजी कुरान होते हैं, यानी जिन्हें पूरी कुरान कंठस्थ होती है। उनके पीछे आम लोग पढ़ते हैं। लोग साल भर इस मौके का इंतजार करते हैं।’

पुरानी दिल्ली का यह इलाका खान-पान के लिए खास तौर से जाना जाता है। मस्जिद के एक नंबर गेट के ठीक सामने वाली गली में मौजूद करीम और अल-जवाहर जैसी दुकानें तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम बना चुकी हैं। इसके अलावा तौफीक की बिरयानी, असलम का बटर चिकन, बड़े मियां की खीर और चंदन भाई का ‘वेद प्रकाश बंटा लेमन’ खास तौर से लोगों को आकर्षित करता रहा है। मजेदार है कि रमजान के दौरान पूरी रात बंटा-लेमन बेचने वाले चंदन भाई इसे गंगाजल मिलाकर तैयार करते हैं और दिन भर रोजे में रहने वाले हजारों खुश्क गले रात भर इसकी ठंडक से तरावट पाते हैं।

रमजान के वक्त जामा मस्जिद के आस-पास इन गलियों में दुकानें सजी होती थीं, इन दिनों सब-कुछ बंद है।

जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर उज्मा अजहर अली बताती हैं, ‘रमजान के दौरान पुरानी दिल्ली में कई फूड वॉक हुआ करती हैं जिनके लिए लोग बहुत पहले से बुकिंग शुरू कर देते हैं। इस दौरान कई लोग तो सिर्फ और सिर्फ नहारी बनाया करते हैं और पूरे साल की कमाई इसी दौरान करते हैं। शीरमाल, शाही टुकड़ा और खजला-फेनी जैसे व्यंजन भी रमजान में खास तौर से बनाए जाते हैं और लोग दिल्ली के कोने-कोने से यहां इनका लुत्फ लेने आते हैं। इसके अलावा एक शेक वाला भी पुरानी दिल्ली में खासा मशहूर है जहां रमजान के दौरान खूब भीड़ हुआ करती है। फलों से बनने वाला वह शरबत ‘प्यार मोहब्बत का शरबत’ के नाम से पुरानी दिल्ली में मशहूर है।’

ये सारी रौनक इस साल सिर्फ लोगों की यादों तक ही सिमट गई है। लेकिन लोगों में इसे लेकर कोई नाराजगी का भाव नहीं दिखता। जामा मस्जिद के ठीक सामने ही रहने वाले मोहम्मद अब्दुल्ला कहते हैं, ‘इस वक्त जब पूरी दुनिया ही ठप पड़ी है तो पुरानी दिल्ली क्यों न हो। ये महामारी ही ऐसी है कि इससे निपटने के लिए घरों में कैद रहना जरूरी है। ये महामारी निपट जाए तो रौनक तो अगले साल फिर से लौट ही आएगी। उन लोगों के नुकसान की चिंता जरूर होती है जो पूरे साल रमजान का इंतजार किया करते थे कि इस दौरान कुछ कमाई हो सके।’

रमजान के दौरान पुरानी दिल्ली में सैकड़ों करोड़ का कारोबार होता है। असंगठित क्षेत्र के इस कारोबार का कोई सटीक आंकड़ा मिलना मुश्किल है लेकिन इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां छोटी-मोटी दुकान चलाने वाला आदमी भी रमजान के दौरान औसतन दस हजार रुपए का कारोबार हर दिन करता है।

मटियामहल के रहने वाले सैय्यद आविद अली कहते हैं, ‘ईद नजदीक आती है तो हर कोई खरीददारी करता है। घर के बच्चे से लेकर बूढ़े तक, सभी उस दिन नए कपड़े पहनते हैं। जूतों से लेकर रूमाल तक नया रखते हैं। जाहिर है कि इतनी खरीददारी होती है तो इतनी ही बिक्री भी होती है। बहुत लोगों के लिए रमजान का महीना पूरे साल की कमाई का समय होता है। उन लोगों के लिए ये वक्त बेहद मुश्किल बन पड़ा है।’

शाम को सुनसान नजर आ रही पुरानी दिल्ली की इन गलियों मेंइन दिनों बस कुछ देर की ही चहल-पहल हो रही है। कई बार तो यह चहल-पहल भगदड़ में भी बदल जाती है। कोरोना संक्रमण के चलते यहां कई इलाकों को ‘रेड जोन’ घोषित किया गया है लिहाजा पूरे क्षेत्र में पाबंदियां कुछ ज्यादा हैं। इन दिनों पुरानी दिल्ली के अधिकतर इलाकों में सिर्फ तीन या चार घंटों के लिए फल-सब्जी जैसी जरूरी चीजों की दुकानें खुल रही हैं। सीमित वक्त के खुल रही इन दुकानों पर कई बार बहुत ज्यादाभीड़ हो जाती है।

मोहम्मद अब्दुल्ला बताते हैं, पहले यहां दुकानें करीब चार घंटे सुबह और चार घंटे शाम को खुल रही थी। लेकिन बीते कुछ समय से सिर्फ दोपहर तीन से शाम के छह बजे तक ही दुकान खुल रही हैं। इस कारण कभी इतनी भीड़ हो जाती है कि भगदड़ जैसा माहौल बन पड़ता है। दो दिन पहले तो पुलिस ने यहां लाठी चार्ज करके भीड़ को हटाया है।’

पुरानी दिल्ली में रमजान की ऐतिहासिक रौनक को कोरोना संक्रमण ने इस साल फीका कर दिया है। लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो इसे सकारात्मक नजरिए से देख रहे हैं और धार्मिक पहलू से इसे बेहतर मान रहे हैं। ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के मुखिया डॉक्टर उमेर अहमद इलयासी कहते हैं, ‘इससे बेहतर क्या होगा कि इस बार लोग पूरा महीना घरों में बंद हैं तो इबादत को गंभीरता से ले रहे हैं।

जामा मस्जिद को भी इबादत के लिए मशहूर होना चाहिए, लेकिन वो इलाका खाने-पीने के लिए ज्यादा मशहूर है। वहां लोग इबादत से ज्यादा खाने-पीने पहुंचते थे। इस बार कुछ नया अनुभव करने का मौका है। लोगों को घरों में रह कर सच्चे मन से इबादत करनी चाहिए। रमजान का महीना आखिर इबादत का ही होता है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
17वीं सदी में बनी जामा मस्जिद देश की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। रमजान के दिनों में रोजेदारों की भीड़ के बीच पैरों को यहां बमुश्किल जगह मिल पाती थी।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2KQGFPA
Share:

भारत में हर 10 कैंसर मरीजों में से 7 की मौत हो जाती है, यहां एक डॉक्टर पर 2000 मरीजों का बोझ होता है

पिछले दो दिनों में बॉलीवुड ने अपने दो बेहतरीन कलाकार खो दिए। दोनों को वह बीमारी थी, जो दुनिया की हर छठीमौत का कारण बनती है।ऋषि कपूर को ब्लड कैंसर था और इरफान खान को ब्रेन कैंसर। दोनों का इलाज देश में भी चला और विदेश में भी, लेकिन इलाज के 2 साल के अंदर ही दोनों की मौत हो गई।

हर साल देश और दुनिया में कैंसर से लाखों मौत होती हैं। डबल्यूएचओ के एक अनुमान के मुताबिक, 2018 में कैंसर से कुल 96 लाख मौतें हुईं थीं। इनमें से 70% मौतें गरीब देश या भारत जैसे मिडिल इंकम देशों में हुईं। इसी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कैंसर से 7.84 लाख मौतें हुईं। यानी कैंसर से हुईं कुल मौतों की 8% मौतें अकेले भारत में हुईं।


जर्नल ऑफ ग्लोबल एंकोलॉजी में 2017 पब्लिश हुईएक स्टडी के मुताबिक, भारत में कैंसर से मरने वालों की दर विकसित देशों से लगभग दोगुनी है। इसके मुताबिक भारत में हर 10 कैंसर मरीजों में से 7 की मौत हो जाती है जबकि विकसित देशों में यह संख्या 3 या 4 है। रिपोर्ट में इसका कारण कैंसर का इलाज करने वाले डॉक्टरों की कमी बताया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2000 कैंसर मरीजों पर महज एक डॉक्टर है। अमेरिका में कैंसर मरीजों और डॉक्टरों का यही रेशियो 100:1 है, यानी भारत से 20 गुना बेहतर।


कम डॉक्टर होने के बावजूद भारत में कैंसर के कई बड़े अस्पताल हैं, जहां स्पेशलिस्ट और सुविधाएं बेहतर हैं। खाड़ी देशों समेत कई अफ्रीकी देशों के मरीज भी यहां इलाज के लिए आते हैं। इसका एक बड़ा कारण यह है कि विकसित देशों के मुकाबले में भारत में कैंसर का बेहद सस्ता इलाज होता है। लेकिन इसके बावजूद भारत से कई लोग विदेशों में कैंसर का इलाज करवाना पसंद करते हैं।


ऋषि कपूर अपने इलाज के लिए न्यूयॉर्क गए थे। इसी तरह इरफान खान का इलाज लंदन में चला था। बॉलीवुड में यह फेहरिस्त लंबी है। इसमें सोनाली बेंद्रे और मनीषा कोइराला और क्रिकेटर युवराज सिंह जैसे सितारे भी शामिल हैं, जिनका इलाज अमेरिका के ही कैंसर अस्पतालों में हुआ।


एक्सपर्ट मानते हैं कि कैंसर के इलाज में भारत कहीं भी विकसित देशों से पीछे नहीं हैं लेकिन जब लोगों के पास पैसा होता है तो वे और बेहतर के विकल्प खोजते रहते हैं। हां यह जरूर है कि भारत में सभी मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पाता इसलिए विकसित देशों के मुकाबले डेथ रेशियो ज्यादा है, लेकिन जिन्हें भी सही इलाज मिल जाता है, तो ठीक होने की संभावना विकसित देशों के ही बराबर ही होती है।

भारत: साल 2018 में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में कैंसर के मामले कम रहे, लेकिन मौतें ज्यादा हुईं
डब्लूएचओ की ही रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में साल 2018 में महिलाओं में कैंसर के 5.87 लाख मामले आए थे जबकि पुरुषों में यह संख्या 5.70 लाख थी। हालांकि कैंसर से हुईं मौतों के मामले में पुरुषों की संख्या महिलाओं से 42 हजार ज्यादा थी। 2018 में कैंसर से 4.13 लाख पुरुषों की मौत हुई जबकि महिलाओं की संख्या 3.71 लाख थी। पुरुषों में जहां सबसे ज्यादा मामले मुंह और फेफड़ों के कैंसर के आए, वहीं महिलाओं में सबसे ज्यादा मामले ब्रेस्ट और गर्भाशय के कैंसर के रहे।

पुरुषों में

कैंसर

नए मामले

महिलाओं में

कैंसर

नए मामले

मुंह का कैंसर

92 हजार

ब्रेस्ट कैंसर

1.62 लाख

फेफड़ों का कैंसर

49 हजार

गर्भाशय का कैंसर

97 हजार

अमाशय का कैंसर

39 हजार

अंडाशय का कैंसर

36 हजार

मलाशय का कैंसर

36 हजार

मुंह का कैंसर

28 हजार

आहार नली का कैंसर

34 हजार

मलाशय का कैंसर

20 हजार

सोर्स: ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी, डब्लूएचओ (आंकड़े-2018)

-भारत में साल 2018 में ब्रेस्ट कैंसर से 87 हजार महिलाओं की मौत हुई यानी हर दिन 239 मौत। इसी तरह गर्भाशय के कैंसर से हर दिन 164 और अंडाशय के कैंसर से हर दिन 99 मौतें हुईं।


दुनिया : 18% मौतें फेफड़ों के कैंसर से
साल 2018 में कैंसर के कुल 1.81 करोड़ मामले आए। इसमें पुरुषों के 94 लाख और महिलाओं के 86 लाख मामले थे। मौतें भी पुरुषों में ज्यादा देखी गई। 53.85 लाख पुरुषों की कैंसर से मौत हुई, वहीं महिलाओं की संख्या 41.69 लाख रही। पुरुषों में सबसे ज्यादा मामले फेफेड़ों, प्रोस्टेट और मलाशय कैंसरके आए। वहीं महिलाओं में ब्रेस्ट, मलाशय और फेफड़ों के कैंसर के ज्यादा केस थे।

कैंसर

मामले मौतें

फेफड़ों का कैंसर

20.93 लाख

17.61 लाख

ब्रेस्ट कैंसर

20.88 लाख

6.26 लाख

प्रोस्टेट कैंसर

12.76 लाख

3.59 लाख

आंत का कैंसर

10.96 लाख

5.51 लाख

अमाशय का कैंसर

10.33 लाख

7.82 लाख

सोर्स: ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी, डब्लूएचओ (आंकड़े-2018)

- दुनियाभर में साल 2018 में कैंसर की22% मौतों का कारण महज तंबाकू था। गरीब और मिडिल इनकम देशों में कैंसर के25% मामले हैपेटाइटिस और एचपीवी जैसे वायरस इंफेक्शन के कारण हुए।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
In India, 7 out of every 10 cancer patients die, here a doctor carries a burden of 2000 patients.


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2VSF5D7
Share:

अलग किस्म के अभिनेता थे ऋषि कपूर, 'ना' से होती थी 'हां' की शुरुआत

(अंकिता जोशी). जयप्रकाश चौकसे फिल्म समीक्षक हैं और ऋषि कपूर के पुराने दोस्त भी। ऋषि की रुख्सती से चौकसे साहब दुखी हैं। उनकी यादों में अलग किस्म का ऋषि बसता है। वह अटेंशन सीकर एक्टर भी है और तुनकमिजाज दोस्त भी। अपनी ही दुनिया में मगन रहने वाला इंसान भी है और बच्चों की फिक्र में रात भर बेचैन रहनेवाला पिता भी। लड़कियों के सिरहाने मिलने वाला खूबसूरत नौजवान भी है और जीवनभर सिर्फ नीतू को चाहते रहने वाला सच्चा आशिक भी। ऋषि की ऐसी ही शख्सियत के कुछ अलहदा रंग चौकसे साहब ने कुछ यूं बयां किए।

''मूडी, गुस्सैल, शॉर्ट टेम्पर्ड, मुंहफट...सब थे वो। लेकिन, ऋषि कपूर की शख्सियत को एक लफ्ज में बयां करना हो तो उनकी आत्मकथा का शीर्षक ‘खुल्लमखुल्ला' सटीक शब्द होगा। वे हर बात उतनी ही साफगोई से रख देते थे, जैसी उनके दिल-ओ-दिमाग में आती थी। उनके दोस्त कम ही रहे, लेकिन जो उनके करीबी हैं वो जानते हैं कि ऋषि जितनी जल्दी गुस्सा हो जाते, गलती का अहसास होने पर उतनी ही जल्दी माफी भी मांग लेते। हम भी कई बार उलझे, लेकिन ऋषि कपूर से कोई ज्यादा देर नाराज नहीं रह पाता था। एक दफा मैं और ऋषि रात दो बजे आर के स्टूडियो से निकले। उनकी गाड़ी में थे हम। मैंने कहा मुझे एयरपोर्ट छोड़ दीजिए, पांच बजे मेरी फ्लाइट है। रास्ते में किसी बात पर हमारी कहासुनी हो गई।

कपूर फैमिली के साथऋषि कपूर (बाएं से पहले)

उन्होंने मुझे एयरपोर्ट पर ड्रॉप कर दिया। मैं जब यहां इंदौर स्थित अपने घर पहुंचा तो पत्नी ने बताया कि ऋषि जी के तीन फोन आ चुके हैं, आपके लिए। मैंने उन्हें फोन लगाया कि क्या बात हो गई। वो बोले- ‘मैं माफी मांगना चाहता हूं, गुस्से में बहुत कुछ बोल गया।’ गुस्सा तो वो करते थे, बहुत जल्दी और बहुत ज्यादा करते थे, लेकिन माफी मांगने में देरी नहीं करते थे। ऐसे ही थे ऋषि...।''

झूम-झूम कर गीत गाए थे नेहरू स्टेडियम में, सुरीले थे
ऋषि कपूर दो बार इंदौर आए। एक बार 1986 में फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' के फंक्शन के लिए। नेहरू स्टेडियम में हुआ था वह कार्यक्रम औरऋषि ने प्रेम रोग का गीत- मैं हूं प्रेम रोगी गाया था। मस्त होकर झूम-झूमकर गाया था। गाने के शौकीन थे ऋषि और ठीकठाक गा लेते थे। सुरीले थे। दूसरी बार वो 2008 में इंदौर आए थे। साहित्यकार हरिकृष्ण प्रेमी जन्म शताब्दी समारोह में शामिल होने। मेरे इस घर में दो बार हम लोगों के साथ लंच कर चुके हैं। खाने-पीने के खूब शौकीन थे। मेरी आखिरी मुलाकात उनसे तब हुई थी, जिस दिन श्रीदेवी की मौत की खबर आई थी।

मां कृष्णा राजकपूर के साथ ऋषि कपूर(दाएं से पहले) उनके पास भाई राजीव कपूर और रणधीर कपूर (बाएं से पहले)।

"ना' से होती थी "हां' की शुरुआत
सुबह उठना, नाश्ता करना, आरके स्टूडियो जाना, जो भी उन्हें जानता था, उसे मालूम था कि ऋषि महीनों तक उन्हें फोन नहीं करेंगे और फिर मिलने पर शिकायत भी करेंगे कि तुम मुझे भूल गए। नाराज हो जाएंगे। रूठ कर चले भी जाएंगे। उन्हें हर चीज़ को पहली बार में 'ना' कहने की आदत थी। जैसे किसी फिल्म का ब्रीफ उन्हें देकर पूछें कि करेंगे, तपाक से कह देते- नहीं करूंगा। फिर थोड़ी देर बाद दोबारा स्क्रिप्ट सुनेंगे। बातचीत करेंगे और फिर ऐसे उत्साह से उस फिल्म के लिए हां कहते, जैसे किसी बच्चे को नया खिलौना मिल गया हो। ताल फिल्म का डिस्ट्रीब्यूशन था मेरे पास। मैंने उन्हें ट्रैक सुनाया। उन्होंने सुना और बोले छोड़ दे यह फिल्म। बकवास है। फिर एक-दो पैग पीने के बाद दोबारा सुना और बोले कमाल है यह ट्रैक। बढ़िया फिल्म है।

ऋषि कपूर (बाएं से पहले) इसके बाद राज कपूर उनके पास राजीव कपूर और आखिर में रणधीर कपूर। बीच में कृष्णा राज कपूर।

नीतू ने अपने लिए कुछ मंगाया और ऋषि तीन सूटकेस में अपने कुत्ते के बिस्किट ले आए
ऋषि को जानने वाला हर शख्स इस बात से राजी होगा कि इतने साल ऋषि कपूर के साथ सुखी दाम्पत्य में रहने के लिए नीतू को वीरता पुरस्कार देना चाहिए। मामूली नहीं था ऐसे मूडी इंसान के साथ निबाह करना, लेकिन नीतू विलक्षण महिला हैं। किसी का स्नेह पात्र बनने की अदभुत क्षमता है उनमें। एक बार ऋषि अमेरिका गए। नीतू ने उनसे अपने लिए कुछ चीजें लाने को कहा। ऋषि तीन सूटकेस लेकर लौटे। नीतू को लगा इस बार तो सारी फरमाइशें पूरी हो गईं, लेकिन जब सूटकेस खोले तो देखा कि ऋषि तीनों सूटकेस में अपने लाडले डॉगी के बिस्किट भर लाए हैं। नीतू बहुत नाराज़ हुई थीं तब।

परिजन के साथ हंसी-मजाक के पलों के बीच काले शर्ट में ऋषि कपूर साथ में पत्नी नीतू सिंह।

बिना फर्स्ट ऐड फिल्माते रहे रऊफ लाला के एक्शन सीन
सिनेमा के लिए उनका जुनून बेमिसाल था। तीन साल की उम्र में पहला फिल्म श्री 420 में उन्होंने शॉट दिया था। 63 की उम्र तक कई बेहतरीन फिल्में कीं, लेकिन मेरी पसंदीदा है दो दूनी चार। अग्निपथ में रऊफ लाला का किरदार उनका सबसे अलहदा किरदार था। इस फिल्म के एक्शन दृश्यों में ऋषि को कई चोटें आईं, लेकिन वो बिना फर्स्ट ऐड के शूट करते गए। वो पूरी तरह किरदार में उतर चुके थे और वे एक पल को भी यह महसूस नहीं करना चाहते थे कि वो एक फूहड़, बर्बर कसाई नहीं, बल्कि ऋषि कपूर हैं। अभी अपना बंगला तोड़कर 22 माले की जो इमारत वे बना रहे थे, वह किराए से देने के लिए नहीं है। उसमें 4 फ्लोर पर तो स्टूडियो बनवा रहे थे ऋषि। सिनेमा के लिए ऐसा जुनून था उनमें।

मां कृष्णा राजकपूर के साथ ऋषि कपूर।

यात्रा पूरी होने पर जब तक उन्हें 'जय माता दी' टेक्स्ट न करते, वो बेचैन रहते
हां वो मूडी थे, शॉर्ट टेम्पर्ड भी कह सकते हैं, लेकिन अपनों के प्रति बेहद फिक्रमंद रहते थे। एक पैक्ट था उनकी फैमिली का, परिवार में से कोई भी कहीं जाता तो टेक ऑफ पर और फ्लाइट लैंड होते ही ऋषि को 'जय माता दी' टेक्स्ट करना होता था। जब तक उन्हें यह मैसेज न मिले वो बेचैन रहते। एक बार रणबीर ने उन्हें फ्लाइट में बैठने के बाद मैसेज भेज दिया, लेकिन टेक ऑफ देर से हुआ। ऋषि ने अनुमान लगा लिया कि अब तो फ्लाइट लैंड हो गई होगी, लेकिन रणबीर का मैसेज नहीं आया। ऋषि ने सारा घर सर पर उठा लिया। लौटने पर रणबीर को उन्होंने डांटा भी कि उसने पहले ही मैसेज क्यों भेज दिया।

कपूर परिवार के साथ ऋषि कपूर (बाएं से पहले) और उनके ठीक पीछेऔर नीतू सिंह।

आखिर उन्होंने नहीं ली 'रिश्वत'
उन्होंने एक से एक फिल्में कीं जिनमें से मेरी पसंदीदा है मुल्क और दो दूनी चार। लेकिन, एक फिल्म की कहानी जो राज कपूर साहब ने सिर्फ मुझे सुनाई थी, वह फिल्म मैंने ऋषि को करने को कहा था। फिल्म का टाइटल था रिश्वत। एक रिटायर्ड मास्टर था, जिसका बेटा मंत्री बन जाता है। मास्टर उससे मिलने दिल्ली पहुंचता है, लेकिन रास्ते में सामान चोरी हो जाता है। संतरी उसे अंदर नहीं आने देता। वो पीछे के दरवाजे से किसी तरह घर के भीतर पहुंच जाता है और देखता है कि उसका बेटा किसी करोड़पति से रिश्वत ले रहा है। मास्टर उसे बेल्ट से पीटते हुए संसद ले जाता है और कहता है यह तुम्हारी औलाद है। मैंने तो इस शहर में अपना ईमानदार बच्चा भेजा था। लेकिन, ऋषि ठहरे मूडी। उन्होंने यह फिल्म नहीं की।

एक पार्टी में मां कृष्णा राजकपूर के साथ ऋषि कपूर। (दाएं से पहले)


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
ऋषि कपूर के बचपन की तस्वीर (सबसे दाएं)।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/35lgPg1
Share:

देश की पहली काेराेना मरीज उषा ने कहा- संक्रमण हुआ तो डर नहीं लगा, तीन हफ्ते में ही ठीक हो गई थी

देश की पहली काेरोना मरीज केरल की मेडिकल छात्रा उषा राम मनोहर संक्रमण से उबरकर फिर से पढ़ाई में जुट गई हैं। 20 वर्षीय उषा ने बताया कि वह चीन के वुहान में अपने विवि की ऑनलाइन क्लासलेने के साथ खाना पकाने में मां का हाथ भी बंटा रही हैं। तीन महीने पहले जब कोरोना संक्रमित पाए जाने की पुष्टि हुई थी, तो भी डरी नहीं थीं। अस्पताल में ठीक होने में उषा कोतीन हफ्ते लगे। मेडिकल में तीसरे वर्ष की छात्रा ने न्यूज एजेंसी को बताया कि अब कैसी है उसकी लाइफ और क्या बदलाव आए...

‘सेमेस्टर खत्म होने के बाद छुट्टियों हाेने के कारण मैं वुहान विवि से केरल स्थित अपने घर लौटी थी। मुझे गले में खराश और सूखी खांसी थी। 30 जनवरी को मुझे कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद मुझे त्रिशूर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया। तीन सप्ताह तक इलाज के बाद मुझे संक्रमण मुक्त पाया गया। 20 फरवरी को मुझे अस्पताल से छुट्टी दी गई। इसके बाद मैंने जल्द ही अपनी ऑनलाइन कक्षाएं लेनी शुरू कर दीं। मेरी क्लास सुबह 5:30 बजे (चीन के समयानुसार सुबह 8 बजे) शुरू होती हैं और सुबह 9 बजे तक चलती हैं। बीच में 10 मिनट का अल्पावकाश मिलता है।

उषा ने कहा- विमान सेवाएं शुरू होने के बाद हीवुहान जा पाएंगे
यूनिवर्सिटीके फैकल्टी मेंबर्स में चीन, पाकिस्तान और श्रीलंका के शिक्षक हैं, लेकिन हमारे संकाय सदस्य ज्यादातर चीन के हैं और वे अंग्रेजी में पढ़ाते हैं। हालांकि, यूनिवर्सिटी ने कहा है कि छात्रों की वापसी पर क्लास नए सिरे से लगेंगी। लेकिन, अभी तक कोई समय सीमा तय नहीं है। हमें बताया गया है कि शायद वुहान में अब कोई मरीज नहीं है, लेकिन विमान सेवाएं शुरू होना जरूरी है, तभी हम वहां जा सकेंगे।’



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
यह फोटो केरल की है। यहां संक्रमण रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। अब तक मिले 498 मरीजों में से 383 ठीक हुए, सिर्फ 4 मौतें हुईं। (फाइल)


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2z1JaMA
Share:

दुनिया में 32 लाख से ज्यादा संक्रमित और 2.23 लाख से ज्यादा मौतों के बावजूद 32 देश ऐसे, जहां कोरोनावायरस नहीं पहुंचा

दुनिया में 32 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमण और 2.23 लाख से ज्यादा मौतों के बावजूद 32 देश ऐसे हैं, जहां कोरोनावायरस नहीं पहुंच पाया है। वहां कोरोना का एक भी मामला नहीं मिला है। हालांकि, उत्तर कोरिया पर संशय हो सकता है। 29 अप्रैल तक की स्थिति में 247 देशों में से 215 में कोरोना फैल चुका है। ताजा नाम तजाकिस्तान का है, जहां गुरुवार को पहला मामला सामने आया।

9 देशों की आबादी एक लाख से ज्यादा

जिन 32 देशों में कोरोना अभी तक नहीं पहुंच पाया है, उनमें से 9 देशों की आबादी एक लाख से ज्यादा है। सबसे ज्यादा 2.57 करोड़ आबादी उत्तर कोरिया की है। हालांकि, वह चीन के करीब है और वहां की ज्यादा जानकारी बाहर नहीं आ पाती। ऐसे में वहां के आंकड़ों की जानकारी को लेकर संशय की स्थिति है। सबसे कम आबादी कोकोस आइलैंड की है।

ज्यादा आबादी वाले देश

  • उत्तर कोरिया- जनसंख्या 2.6 करोड़
  • तुर्कमेनिस्तान-जनसंख्या 60 लाख
  • लीसोथो-जनसंख्या 21.4 लाख
  • कोमोरोस-जनसंख्या 8.7 लाख
  • माइक्रोनेशिया-जनसंख्या 5.5 लाख

कम आबादी वाले देश

  • कोकोस आइलैंड- जनसंख्या 596
  • तोकलाऊ- जनसंख्या 1357
  • क्रिसमस आइलैंड- जनसंख्या 1402
  • नियू आइलैंड- जनसंख्या 1626
  • सेंट हेलेना- जनसंख्या 6077

इन 5 देशों ने संक्रमण पूरी तरह खत्म किया

  • अंगुला, ग्रीनलैंड, कैरिबियन आइलैंड, सेंट बार्ट्स एंड सेंट लूसिया और यमन।
  • 214 में से 166 देशों में कोरोना की वजह से कम से कम एक व्यक्ति की मौत हुई।
  • ओशिनिया में 29 देशों और क्षेत्रों में से केवल 8 में संक्रमण के मामले आए हैं।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
जिन 32 देशों में कोरोना अभी तक नहीं पहुंच पाया है, उनमें से 9 देशों की आबादी एक लाख से ज्यादा है। सबसे ज्यादा 2.57 करोड़ आबादी उत्तर कोरिया की है। -प्रतीकात्मक फोटो


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2Smk81g
Share:

वैष्णोदेवी में 35 पुजारियों को अनुमति, अब बारी-बारी से पांच-पांच करते हैं पूजा; 27 किमी लंबे पूरे ट्रैक का सैनिटाइजेशन कराया

(श्राइन बोर्ड के सीईओ रमेश जांगिड़ की भास्कर के लिए लाइव रिपोर्ट)देश में खास श्रद्धा स्थलों में से एक है माता वैष्णोदेवी का मंदिर। जम्मू में स्थित इस शक्तिपीठ पर शीश नवाने हर साल 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन इन दिनों यहां सन्नाटा है। कोरोना के चलते 18 मार्च से वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड ने यात्रा स्थगित कर दी थी, लेकिन श्राइन बोर्ड जिम्मेदारी से कार्य को अंजाम दे रहा है। इसकी बागडोरश्राइन बोर्ड के सीईओ आईएएस रमेश कुमार जांगिड़ के हाथों में है। वे बाड़मेर (राजस्थान) के भियाड़ गांव के हैं। जांगिड़ ने बाड़मेर के दोस्त अली को ताजा हालात बताए।

उनके मुताबिक,मंदिर में 35 पुजारियों को ही मंदिर परिसर में जाने की अनुमति है। बारी-बारी से 5-5 पुजारी आरती करते हैं। पहले पिंडी दर्शन का सीधा प्रसारण होता था। अब सुबह-शाम की आरती और लाइव दर्शन कर पा रहे हैं। मंदिर तक 27 किमी ट्रैक सहित कटरा को सैनिटाइज किया गया है। जम्मू स्थित वैष्णवी धाम, कालिका धाम और सरस्वती धाम जहां 1 हजार लोगों के ठहरने की व्यवस्था होती है, इसे 600बेड के क्वारैंटाइन सेंटर के लिए तैयार किया गया है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
वैष्णोदेवी की फोटो आईएएस जांगिड़ ने उपलब्ध कराई। यह बुधवार की है।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2zPscBv
Share:

अलग किस्म के अभिनेता थे ऋषि कपूर, 'ना' से होती थी 'हां' की शुरुआत

(अंकिता जोशी). जयप्रकाश चौकसे फिल्म समीक्षक हैं और ऋषि कपूर के पुराने दोस्त भी। ऋषि की रुख्सती से चौकसे साहब दुखी हैं। उनकी यादों में अलग किस्म का ऋषि बसता है। वह अटेंशन सीकर एक्टर भी है और तुनकमिजाज दोस्त भी। अपनी ही दुनिया में मगन रहने वाला इंसान भी है और बच्चों की फिक्र में रात भर बेचैन रहनेवाला पिता भी। लड़कियों के सिरहाने मिलने वाला खूबसूरत नौजवान भी है और जीवनभर सिर्फ नीतू को चाहते रहने वाला सच्चा आशिक भी। ऋषि की ऐसी ही शख्सियत के कुछ अलहदा रंग चौकसे साहब ने कुछ यूं बयां किए।

''मूडी, गुस्सैल, शॉर्ट टेम्पर्ड, मुंहफट...सब थे वो। लेकिन, ऋषि कपूर की शख्सियत को एक लफ्ज में बयां करना हो तो उनकी आत्मकथा का शीर्षक ‘खुल्लमखुल्ला' सटीक शब्द होगा। वे हर बात उतनी ही साफगोई से रख देते थे, जैसी उनके दिल-ओ-दिमाग में आती थी। उनके दोस्त कम ही रहे, लेकिन जो उनके करीबी हैं वो जानते हैं कि ऋषि जितनी जल्दी गुस्सा हो जाते, गलती का अहसास होने पर उतनी ही जल्दी माफी भी मांग लेते। हम भी कई बार उलझे, लेकिन ऋषि कपूर से कोई ज्यादा देर नाराज नहीं रह पाता था। एक दफा मैं और ऋषि रात दो बजे आर के स्टूडियो से निकले। उनकी गाड़ी में थे हम। मैंने कहा मुझे एयरपोर्ट छोड़ दीजिए, पांच बजे मेरी फ्लाइट है। रास्ते में किसी बात पर हमारी कहासुनी हो गई।

कपूर फैमिली के साथऋषि कपूर (बाएं से पहले)

उन्होंने मुझे एयरपोर्ट पर ड्रॉप कर दिया। मैं जब यहां इंदौर स्थित अपने घर पहुंचा तो पत्नी ने बताया कि ऋषि जी के तीन फोन आ चुके हैं, आपके लिए। मैंने उन्हें फोन लगाया कि क्या बात हो गई। वो बोले- ‘मैं माफी मांगना चाहता हूं, गुस्से में बहुत कुछ बोल गया।’ गुस्सा तो वो करते थे, बहुत जल्दी और बहुत ज्यादा करते थे, लेकिन माफी मांगने में देरी नहीं करते थे। ऐसे ही थे ऋषि...।''

झूम-झूम कर गीत गाए थे नेहरू स्टेडियम में, सुरीले थे
ऋषि कपूर दो बार इंदौर आए। एक बार 1986 में फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' के फंक्शन के लिए। नेहरू स्टेडियम में हुआ था वह कार्यक्रम औरऋषि ने प्रेम रोग का गीत- मैं हूं प्रेम रोगी गाया था। मस्त होकर झूम-झूमकर गाया था। गाने के शौकीन थे ऋषि और ठीकठाक गा लेते थे। सुरीले थे। दूसरी बार वो 2008 में इंदौर आए थे। साहित्यकार हरिकृष्ण प्रेमी जन्म शताब्दी समारोह में शामिल होने। मेरे इस घर में दो बार हम लोगों के साथ लंच कर चुके हैं। खाने-पीने के खूब शौकीन थे। मेरी आखिरी मुलाकात उनसे तब हुई थी, जिस दिन श्रीदेवी की मौत की खबर आई थी।

मां कृष्णा राजकपूर के साथ ऋषि कपूर(दाएं से पहले) उनके पास भाई राजीव कपूर और रणधीर कपूर (बाएं से पहले)।

"ना' से होती थी "हां' की शुरुआत
सुबह उठना, नाश्ता करना, आरके स्टूडियो जाना, जो भी उन्हें जानता था, उसे मालूम था कि ऋषि महीनों तक उन्हें फोन नहीं करेंगे और फिर मिलने पर शिकायत भी करेंगे कि तुम मुझे भूल गए। नाराज हो जाएंगे। रूठ कर चले भी जाएंगे। उन्हें हर चीज़ को पहली बार में 'ना' कहने की आदत थी। जैसे किसी फिल्म का ब्रीफ उन्हें देकर पूछें कि करेंगे, तपाक से कह देते- नहीं करूंगा। फिर थोड़ी देर बाद दोबारा स्क्रिप्ट सुनेंगे। बातचीत करेंगे और फिर ऐसे उत्साह से उस फिल्म के लिए हां कहते, जैसे किसी बच्चे को नया खिलौना मिल गया हो। ताल फिल्म का डिस्ट्रीब्यूशन था मेरे पास। मैंने उन्हें ट्रैक सुनाया। उन्होंने सुना और बोले छोड़ दे यह फिल्म। बकवास है। फिर एक-दो पैग पीने के बाद दोबारा सुना और बोले कमाल है यह ट्रैक। बढ़िया फिल्म है।

ऋषि कपूर (बाएं से पहले) इसके बाद राज कपूर उनके पास राजीव कपूर और आखिर में रणधीर कपूर। बीच में कृष्णा राज कपूर।

नीतू ने अपने लिए कुछ मंगाया और ऋषि तीन सूटकेस में अपने कुत्ते के बिस्किट ले आए
ऋषि को जानने वाला हर शख्स इस बात से राजी होगा कि इतने साल ऋषि कपूर के साथ सुखी दाम्पत्य में रहने के लिए नीतू को वीरता पुरस्कार देना चाहिए। मामूली नहीं था ऐसे मूडी इंसान के साथ निबाह करना, लेकिन नीतू विलक्षण महिला हैं। किसी का स्नेह पात्र बनने की अदभुत क्षमता है उनमें। एक बार ऋषि अमेरिका गए। नीतू ने उनसे अपने लिए कुछ चीजें लाने को कहा। ऋषि तीन सूटकेस लेकर लौटे। नीतू को लगा इस बार तो सारी फरमाइशें पूरी हो गईं, लेकिन जब सूटकेस खोले तो देखा कि ऋषि तीनों सूटकेस में अपने लाडले डॉगी के बिस्किट भर लाए हैं। नीतू बहुत नाराज़ हुई थीं तब।

परिजन के साथ हंसी-मजाक के पलों के बीच काले शर्ट में ऋषि कपूर साथ में पत्नी नीतू सिंह।

बिना फर्स्ट ऐड फिल्माते रहे रऊफ लाला के एक्शन सीन
सिनेमा के लिए उनका जुनून बेमिसाल था। तीन साल की उम्र में पहला फिल्म श्री 420 में उन्होंने शॉट दिया था। 63 की उम्र तक कई बेहतरीन फिल्में कीं, लेकिन मेरी पसंदीदा है दो दूनी चार। अग्निपथ में रऊफ लाला का किरदार उनका सबसे अलहदा किरदार था। इस फिल्म के एक्शन दृश्यों में ऋषि को कई चोटें आईं, लेकिन वो बिना फर्स्ट ऐड के शूट करते गए। वो पूरी तरह किरदार में उतर चुके थे और वे एक पल को भी यह महसूस नहीं करना चाहते थे कि वो एक फूहड़, बर्बर कसाई नहीं, बल्कि ऋषि कपूर हैं। अभी अपना बंगला तोड़कर 22 माले की जो इमारत वे बना रहे थे, वह किराए से देने के लिए नहीं है। उसमें 4 फ्लोर पर तो स्टूडियो बनवा रहे थे ऋषि। सिनेमा के लिए ऐसा जुनून था उनमें।

मां कृष्णा राजकपूर के साथ ऋषि कपूर।

यात्रा पूरी होने पर जब तक उन्हें 'जय माता दी' टेक्स्ट न करते, वो बेचैन रहते
हां वो मूडी थे, शॉर्ट टेम्पर्ड भी कह सकते हैं, लेकिन अपनों के प्रति बेहद फिक्रमंद रहते थे। एक पैक्ट था उनकी फैमिली का, परिवार में से कोई भी कहीं जाता तो टेक ऑफ पर और फ्लाइट लैंड होते ही ऋषि को 'जय माता दी' टेक्स्ट करना होता था। जब तक उन्हें यह मैसेज न मिले वो बेचैन रहते। एक बार रणबीर ने उन्हें फ्लाइट में बैठने के बाद मैसेज भेज दिया, लेकिन टेक ऑफ देर से हुआ। ऋषि ने अनुमान लगा लिया कि अब तो फ्लाइट लैंड हो गई होगी, लेकिन रणबीर का मैसेज नहीं आया। ऋषि ने सारा घर सर पर उठा लिया। लौटने पर रणबीर को उन्होंने डांटा भी कि उसने पहले ही मैसेज क्यों भेज दिया।

कपूर परिवार के साथ ऋषि कपूर (बाएं से पहले) और उनके ठीक पीछेऔर नीतू सिंह।

आखिर उन्होंने नहीं ली 'रिश्वत'
उन्होंने एक से एक फिल्में कीं जिनमें से मेरी पसंदीदा है मुल्क और दो दूनी चार। लेकिन, एक फिल्म की कहानी जो राज कपूर साहब ने सिर्फ मुझे सुनाई थी, वह फिल्म मैंने ऋषि को करने को कहा था। फिल्म का टाइटल था रिश्वत। एक रिटायर्ड मास्टर था, जिसका बेटा मंत्री बन जाता है। मास्टर उससे मिलने दिल्ली पहुंचता है, लेकिन रास्ते में सामान चोरी हो जाता है। संतरी उसे अंदर नहीं आने देता। वो पीछे के दरवाजे से किसी तरह घर के भीतर पहुंच जाता है और देखता है कि उसका बेटा किसी करोड़पति से रिश्वत ले रहा है। मास्टर उसे बेल्ट से पीटते हुए संसद ले जाता है और कहता है यह तुम्हारी औलाद है। मैंने तो इस शहर में अपना ईमानदार बच्चा भेजा था। लेकिन, ऋषि ठहरे मूडी। उन्होंने यह फिल्म नहीं की।

एक पार्टी में मां कृष्णा राजकपूर के साथ ऋषि कपूर। (दाएं से पहले)


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
ऋषि कपूर के बचपन की तस्वीर (सबसे दाएं)।


from Dainik Bhaskar /national/news/rishi-kapoor-was-a-different-type-of-actor-naa-started-with-yes-127262565.html
Share:

भारत में हर 10 कैंसर मरीजों में से 7 की मौत हो जाती है, यहां एक डॉक्टर पर 2000 मरीजों का बोझ होता है

पिछले दो दिनों में बॉलीवुड ने अपने दो बेहतरीन कलाकार खो दिए। दोनों को वह बीमारी थी, जो दुनिया की हर छठीमौत का कारण बनती है।ऋषि कपूर को ब्लड कैंसर था और इरफान खान को ब्रेन कैंसर। दोनों का इलाज देश में भी चला और विदेश में भी, लेकिन इलाज के 2 साल के अंदर ही दोनों की मौत हो गई।

हर साल देश और दुनिया में कैंसर से लाखों मौत होती हैं। डबल्यूएचओ के एक अनुमान के मुताबिक, 2018 में कैंसर से कुल 96 लाख मौतें हुईं थीं। इनमें से 70% मौतें गरीब देश या भारत जैसे मिडिल इंकम देशों में हुईं। इसी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कैंसर से 7.84 लाख मौतें हुईं। यानी कैंसर से हुईं कुल मौतों की 8% मौतें अकेले भारत में हुईं।


जर्नल ऑफ ग्लोबल एंकोलॉजी में 2017 पब्लिश हुईएक स्टडी के मुताबिक, भारत में कैंसर से मरने वालों की दर विकसित देशों से लगभग दोगुनी है। इसके मुताबिक भारत में हर 10 कैंसर मरीजों में से 7 की मौत हो जाती है जबकि विकसित देशों में यह संख्या 3 या 4 है। रिपोर्ट में इसका कारण कैंसर का इलाज करने वाले डॉक्टरों की कमी बताया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2000 कैंसर मरीजों पर महज एक डॉक्टर है। अमेरिका में कैंसर मरीजों और डॉक्टरों का यही रेशियो 100:1 है, यानी भारत से 20 गुना बेहतर।


कम डॉक्टर होने के बावजूद भारत में कैंसर के कई बड़े अस्पताल हैं, जहां स्पेशलिस्ट और सुविधाएं बेहतर हैं। खाड़ी देशों समेत कई अफ्रीकी देशों के मरीज भी यहां इलाज के लिए आते हैं। इसका एक बड़ा कारण यह है कि विकसित देशों के मुकाबले में भारत में कैंसर का बेहद सस्ता इलाज होता है। लेकिन इसके बावजूद भारत से कई लोग विदेशों में कैंसर का इलाज करवाना पसंद करते हैं।


ऋषि कपूर अपने इलाज के लिए न्यूयॉर्क गए थे। इसी तरह इरफान खान का इलाज लंदन में चला था। बॉलीवुड में यह फेहरिस्त लंबी है। इसमें सोनाली बेंद्रे और मनीषा कोइराला और क्रिकेटर युवराज सिंह जैसे सितारे भी शामिल हैं, जिनका इलाज अमेरिका के ही कैंसर अस्पतालों में हुआ।


एक्सपर्ट मानते हैं कि कैंसर के इलाज में भारत कहीं भी विकसित देशों से पीछे नहीं हैं लेकिन जब लोगों के पास पैसा होता है तो वे और बेहतर के विकल्प खोजते रहते हैं। हां यह जरूर है कि भारत में सभी मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पाता इसलिए विकसित देशों के मुकाबले डेथ रेशियो ज्यादा है, लेकिन जिन्हें भी सही इलाज मिल जाता है, तो ठीक होने की संभावना विकसित देशों के ही बराबर ही होती है।

भारत: साल 2018 में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में कैंसर के मामले कम रहे, लेकिन मौतें ज्यादा हुईं
डब्लूएचओ की ही रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में साल 2018 में महिलाओं में कैंसर के 5.87 लाख मामले आए थे जबकि पुरुषों में यह संख्या 5.70 लाख थी। हालांकि कैंसर से हुईं मौतों के मामले में पुरुषों की संख्या महिलाओं से 42 हजार ज्यादा थी। 2018 में कैंसर से 4.13 लाख पुरुषों की मौत हुई जबकि महिलाओं की संख्या 3.71 लाख थी। पुरुषों में जहां सबसे ज्यादा मामले मुंह और फेफड़ों के कैंसर के आए, वहीं महिलाओं में सबसे ज्यादा मामले ब्रेस्ट और गर्भाशय के कैंसर के रहे।

पुरुषों में

कैंसर

नए मामले

महिलाओं में

कैंसर

नए मामले

मुंह का कैंसर

92 हजार

ब्रेस्ट कैंसर

1.62 लाख

फेफड़ों का कैंसर

49 हजार

गर्भाशय का कैंसर

97 हजार

अमाशय का कैंसर

39 हजार

अंडाशय का कैंसर

36 हजार

मलाशय का कैंसर

36 हजार

मुंह का कैंसर

28 हजार

आहार नली का कैंसर

34 हजार

मलाशय का कैंसर

20 हजार

सोर्स: ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी, डब्लूएचओ (आंकड़े-2018)

-भारत में साल 2018 में ब्रेस्ट कैंसर से 87 हजार महिलाओं की मौत हुई यानी हर दिन 239 मौत। इसी तरह गर्भाशय के कैंसर से हर दिन 164 और अंडाशय के कैंसर से हर दिन 99 मौतें हुईं।


दुनिया : 18% मौतें फेफड़ों के कैंसर से
साल 2018 में कैंसर के कुल 1.81 करोड़ मामले आए। इसमें पुरुषों के 94 लाख और महिलाओं के 86 लाख मामले थे। मौतें भी पुरुषों में ज्यादा देखी गई। 53.85 लाख पुरुषों की कैंसर से मौत हुई, वहीं महिलाओं की संख्या 41.69 लाख रही। पुरुषों में सबसे ज्यादा मामले फेफेड़ों, प्रोस्टेट और मलाशय कैंसरके आए। वहीं महिलाओं में ब्रेस्ट, मलाशय और फेफड़ों के कैंसर के ज्यादा केस थे।

कैंसर

मामले मौतें

फेफड़ों का कैंसर

20.93 लाख

17.61 लाख

ब्रेस्ट कैंसर

20.88 लाख

6.26 लाख

प्रोस्टेट कैंसर

12.76 लाख

3.59 लाख

आंत का कैंसर

10.96 लाख

5.51 लाख

अमाशय का कैंसर

10.33 लाख

7.82 लाख

सोर्स: ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी, डब्लूएचओ (आंकड़े-2018)

- दुनियाभर में साल 2018 में कैंसर की22% मौतों का कारण महज तंबाकू था। गरीब और मिडिल इनकम देशों में कैंसर के25% मामले हैपेटाइटिस और एचपीवी जैसे वायरस इंफेक्शन के कारण हुए।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
In India, 7 out of every 10 cancer patients die, here a doctor carries a burden of 2000 patients.


from Dainik Bhaskar /dboriginal/news/in-india-7-out-of-every-10-cancer-patients-die-here-a-doctor-carries-a-burden-of-2000-patients-127262568.html
Share:

Blog Archive

Definition List

header ads

Unordered List

3/Sports/post-list

Support

3/random/post-list