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अमूमन लोग कॉफी तब पीते हैं, जब बॉडी में एनर्जी की कमी महसूस करते हैं या तनाव से जूझ रहे होते हैं। लेकिन, कॉफी के सबसे पुराने ठिकाने इथियोपिया में ऐसा नहीं है। यहां की हर दावत में आपको कॉफी मिलेगी। अफ्रीकी देश इथियोपिया को कॉफी का जन्मस्थल कहते हैं।
आज वर्ल्ड कॉफी डे है, इस मौके पर कॉफी के सबसे बड़े ठिकाने से जानिए 4 दिलचस्प किस्से...
1. जब कॉफी के बीज खाने के बाद बकरियां झूमने लगी थीं
इथियोपिया में कॉफी की खुशबू को कैसे पहचाना गया, इसका यहां एक सबसे दिलचस्प किस्सा मशहूर है। एक समय यहां कालदी नाम का चरवाहा अपनी बकरियों को काफा के जंगल से लेकर निकलता था। एक दिन उसने देखा, यहां जमीन पर पड़ी लाल चेरियां खाने के बाद बकरियां खुशी से झूम रही हैं। चरवाहे ने कुछ चेरियां तोड़ीं और खाईं। स्वाद पसंद आने पर चेरियों को अपने चाचा के पास ले गया।
चाचा बौद्ध धर्म के अनुयायी थे और मठ में रहते थे। उन्होंने मजहबी बंदिश के कारण कॉफी की चेरी को आग में डाल दिया। जैसे ही बीजों ने जलना शुरू किया उसकी खुशबू नशे की तरह चढ़ने लगी। इसके बाद कालदी के चाचा ने इन बीजों का इस्तेमाल खुशबू के लिए करना शुरू किया।
इन्हीं लाल चेरियों से बीज निकालकर उससे कॉफी तैयार की जाती है।
2. जले हुए कॉफी के बीजों को पानी में डाला और ऐसे हुई इसकी शुरुआत
इथियोपिया में काफा के रहने वाले मेसफिन तेकले कहते हैं, यहां कॉफी का चलन कैसे शुरू हुआ इसकी कहानी मैंने अपने दादा से सुनी थी। वह कहते थे एक बार चरवाहे कालदी की मां ने आग में जले हुए बीजों को साफ किया। फिर इसे ठंडा होने के लिए पानी में डाल दिया और तेज खुशबू आने लगी। यहीं से कॉफी पीने का चलन शुरू हुआ।
मेसफिन कहते हैं, यहां के जंगल दुनियाभर के लिए एक तोहफे की तरह हैं। दुनियाभर के लोग यहां पर उगी कॉफी की चुस्कियां लेते हैं। कॉफी यहां की मेहमान नवाजी का हिस्सा है। बचपन से लड़कियों को इसे तैयार करना सिखाया जाता है।
कॉफी सेरेमनी की तैयारी।
3. सामाजिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए 3 घंटे चलती है कॉफी सेरेमनी
इथियोपिया में हर खुशी के मौके पर कॉफी सेरेमनी आयोजित की जाती है। यह 2 से 3 घंटे का प्रोग्राम होता है। कॉफी को सर्व करने का काम घर की महिलाएं और बच्चे करते हैं। यह तैयार भी अलग तरह से होती है। कॉफी के दानों को रोस्ट करके उसे पीसते हैं और गर्म पानी के साथ मिलाते हैं। इसमें दूध नहीं मिलाया जाता है, लेकिन शक्कर की मात्रा अधिक रहती है। तैयार होने के बाद इसे सुराहीनुमा बर्तन में लाते हैं और मेहमानों को सर्व करते हैं।
4. यहां कॉफी के पेड़ लगाए नहीं जाते, अपने आप उग आते हैं
इथियोपिया के जंगल में कॉफी की 5 हजार से अधिक किस्में हैं। यहां की जमीन कॉफी के लिए इतनी उपजाऊ है कि पौधे लगाए नहीं जाते, अपने आप जमीन से उग आते हैं। यूनेस्को की रिपोर्ट कहती है, 40 साल पहले इथियोपिया के 40 फीसदी इलाकों में काॅफी के जंगल थे। अब ये घटकर 30 फीसदी रह गए हैं।
कैसे हुई इंटरनेशनल कॉफी डे की शुरुआत
इस दिन का मकसद कॉफी को प्रमोट करना और इसे एक ड्रिंक के तौर पर सेलिब्रेट करना है। इसकी शुरुआत 1 अक्टूबर 2015 को हुई जब इटली के मिलान में इंटरनेशनल कॉफी ऑर्गेनाइजेशन की शुरुआत हुई।
आईपीएल के 13वें सीजन का 13वां मैच किंग्स इलेवन पंजाब (KXIP) और मुंबई इंडियंस (MI) के बीच आज अबु धाबी में खेला जाएगा। इस सीजन में अब तक हुए 12 मैचों में ही 2 सुपर ओवर खेले गए। पहले सुपर ओवर में दिल्ली ने पंजाब को हराया। वहीं, दूसरे सुपर ओवर में मुंबई को बेंगलुरु के हाथों हार का सामना करना पड़ा। सीजन में अब तक दोनों ही टीमों ने 3-3 मैच खेले हैं। जिसमें दोनों को 1-1 मैच में ही जीत नसीब हुई।
मुंबई के कप्तान रोहित शर्मा आईपीएल में 5000 रन बनाने से 2 रन दूर हैं। वे 191 मैचों में 31.63 की औसत से 4998 रन बना चुके हैं। अब तक केवल दो बल्लेबाज ही आईपीएल में 5000 से ज्यादा रन बना सके हैं। कोहली ने 178 मैचों में 37.68 की औसत से 5426 रन बनाए हैं। रैना के 193 मैचों में 33.34 की औसत से 5368 रन हैं।
दोनों टीमों के सबसे महंगे खिलाड़ी
पंजाब में कप्तान लोकेश राहुल 11 करोड़ और ग्लेन मैक्सवेल 10.75 करोड़ रुपए कीमत के साथ सबसे महंगे प्लेयर हैं। वहीं, मुंबई में कप्तान रोहित शर्मा सबसे महंगे खिलाड़ी हैं। टीम उन्हें एक सीजन का 15 करोड़ रुपए देगी। उनके बाद टीम में हार्दिक पंड्या का नंबर आता है, उन्हें सीजन के 11 करोड़ रुपए मिलेंगे।
मुंबई में ईशान किशन और पोलार्ड से उम्मीद
पिछले मैच के हीरो मुंबई को ईशान किशन और कीरोन पोलार्ड पर एक बार फिर रन बनाने की जिम्मेदारी होगी। रोहित के अलावा क्विंटन डिकॉक और सूर्यकुमार यादव भी बल्लेबाजी में की-प्लेयर होंगे। गेंदबाजी में ट्रेंट बोल्ट और जसप्रीत बुमराह जैसे दिग्गज बॉलरों से काफी उम्मीदें होंगी।
पंजाब में गेल को मिल सकता है मौका
पंजाब में क्रिस गेल को मौका मिल सकता है। ग्लेन मैक्सवेल और निकोलस पूरन में से किसी एक की जगह गेल को प्लेइंग इलेवन में जगह मिल सकती है। कप्तान लोकेश राहुल और मयंक अग्रवाल शानार फॉर्म में हैं। वहीं, गेंदबाजी में शेल्डन कॉटरेल, मोहम्मद शमी के अलावा रवि बिश्नोई और मुरुगन अश्विन पर अहम जिम्मेदारी होगी।
हेड-टु-हेड
दोनों के बीच अब तक 24 मुकाबले हुए हैं। इसमें मुंबई ने 13 जबकि पंजाब ने 11 मैच जीते हैं। पिछले दोनों सीजन की बात की जाए तो दोनों टीमों के बीच 5 मैच खेले गए, जिसमें मुंबई ने 3 और पंजाब ने 2 मैच जीते।
पिच और मौसम रिपोर्ट
अबु धाबी में मैच के दौरान आसमान साफ रहेगा। तापमान 28 से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। पिच से बल्लेबाजों को मदद मिल सकती है। यहां स्लो विकेट होने के कारण स्पिनर्स को भी काफी मदद मिलेगी। शेख जायद स्टेडियम में टॉस जीतने वाली टीम पहले गेंदबाजी करना पसंद करेगी। यहां हुए पिछले 44 टी-20 में पहले गेंदबाजी करने वाली टीम की जीत का सक्सेस रेट 56.81% रहा है।
इस मैदान पर हुए कुल टी-20: 44
पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती: 19
पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती: 25
पहली पारी में टीम का औसत स्कोर: 137
दूसरी पारी में टीम का औसत स्कोर: 128
मुंबई ने सबसे ज्यादा 4 बार खिताब जीता
आईपीएल इतिहास में मुंबई ने सबसे ज्यादा 4 बार (2019, 2017, 2015, 2013) खिताब जीता है। पिछली बार उसने फाइनल में चेन्नई को 1 रन से हराया था। मुंबई ने अब तक 5 बार फाइनल खेला है। वहीं, पंजाब ने अब तक 1 बार फाइनल (2014) खेला था। उसे केकेआर ने 3 विकेट से हराया था।
आईपीएल में मुंबई का सक्सेस रेट 57.63%, यह पंजाब से ज्यादा
लीग में मुंबई का सक्सेस रेट पंजाब से ज्यादा है। मुंबई ने आईपीएल में 190 मैच खेले हैं। इसमें उसने 110 मैच जीते और 80 हारे हैं, यानि लीग में उसका सक्सेस रेट 57.63% है। वहीं, लीग में पंजाब का सक्सेस रेट 46.08% है। पंजाब ने लीग में अब तक 179 मैच खेले, जिसमें 83 जीते और 96 हारे हैं।
बाबरी मस्जिद मामले में अदालत ने आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि घटना पूर्व नियोजित नहीं लगती। वहीं, बरी होने के बाद एक आरोपी जय भगवान गोयल बोले कि ढांचा एजेंडे के तहत ही गिराया था। एकाएक कुछ नहीं हुआ। बहरहाल, चलिए शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
आज इन 7 इवेंट्स पर रहेगी नजर 1. IPL में आज मुंबई इंडियंस और किंग्स इलेवन पंजाब आमने-सामने होंगे। टॉस शाम 7 बजे होगा। मैच शाम साढ़े 7 बजे शुरू होगा। 2. आज अनुराग कश्यप को पूछताछ के लिए मुंबई के वर्सोवा पुलिस स्टेशन बुलाया गया है। फिल्ममेकर सुबह 11 बजे जाएंगे। 3. झारखंड में आज से स्कूल, सिनेमाघर और धार्मिक स्थल खोलने पर निर्णय लिया जा सकता है। 4. आज से राजस्थान का रणथंभौर टाइगर पार्क खोल दिया जाएगा। 5. मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग की ऑनलाइन कक्षाएं आज से, करीब 7 लाख छात्र जुड़ेंगे। 6. पंजाब में खेती बिलों को लेकर सबसे बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा। अकाली वर्कर और किसान-मजदूर मोहाली से राज्यपाल को मेमोरेंडम देने के लिए चंडीगढ़ जाएंगे। 7. आज से दुर्ग और धमतरी में लॉकडाउन होगा खत्म। दुर्ग में रात 8 बजे तक खुल सकेंगी दुकानें। साप्ताहिक बंदी का निर्णय व्यापारी खुद कर सकेंगे।
अब कल की महत्वपूर्ण 7 खबरें
1. बाबरी मामले में 28 साल बाद आडवाणी-मुरली समेत 32 आरोपी बरी
बाबरी मस्जिद ढांचा ढहाए जाने के 265 दिन बाद मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई टीम करीब 3 साल जांच करती रही। फिर सीबीआई के स्पेशल कोर्ट में ही सुनवाई शुरू हुई। आखिरकार 30 सितंबर को फैसला आ गया। घटना के 28 साल बाद बाबरी से सब बरी कर दिए गए। सब यानी सभी 32 आरोपी, जो जिंदा हैं। वैसे कुल 48 आरोपी थे। इनमें से 16 अब नहीं हैं। -पढ़ें पूरी खबर
2. राम मंदिर पर 57 दिन बाद बोले आडवाणी: ‘जय श्रीराम, ये खुशी का पल है’
बाबरी विध्वंस केस में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने बुधवार को लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। फैसले के बाद लालकृष्ण आडवाणी (92) ने कहा कि यह हम सभी के लिए खुशी का पल है। कोर्ट के निर्णय ने मेरी और पार्टी की रामजन्मभूमि आंदोलन को लेकर प्रतिबद्धता और समर्पण को सही साबित किया है। -पढ़ें पूरी खबर
3. हाथरस गैंगरेप: पुलिस ने रात में खुद ही पीड़िता का शव जला दिया
हाथरस में कथित गैंगरेप पीड़ित का बीती रात पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया। पीड़ित के भाई ने भास्कर से बात करते हुए कहा, 'पुलिस ने हमें उसका चेहरा तक नहीं देखने दिया। हमें नहीं पता पुलिस ने किसे जलाया।' मोदी ने योगी से कहा है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। राज्य सरकार ने 3 सदस्यों की एसआईटी बनाकर 7 दिन में रिपोर्ट देने को कहा है। -पढ़ें पूरी खबर
4. UPSC एग्जाम पर सुप्रीम कोर्ट: लास्ट अटेम्प्ट वाले कैंडीडेट्स को एक और मौका दें
सुप्रीम कोर्ट ने सिविल सेवा (प्रिलिम्स) परीक्षा 2020 पर बुधवार को कहा कि 4 अक्टूबर को होने वाले ये परीक्षाएं कोविड महामारी के कारण नहीं टाली जा सकतीं। केंद्र सरकार इस पर विचार करे कि ऐसे कैंडीडेट़्स को एक और मौका दिया जा सकता है जिनके पास अपना आखिरी अटेम्प्ट बचा है और जो कोरोना के कारण परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे। -पढ़ें पूरी खबर
5. अंगदान करेंगे अमिताभ बच्चन, ट्विटर पर लिखा- मैं अंगदान का संकल्प ले चुका हूं
अमिताभ बच्चन ने 77 साल की उम्र में अंगदान करने का संकल्प लिया है। इस बात की जानकारी उन्होंने मंगलवार देर रात ट्वीट कर दी। उन्होंने एक फोटो भी शेयर किया है, उनके कोट पर हरे रंग का रिबन लगा है, जो कि अंगदान के संकल्प का प्रतीक है। बच्चन ने अपने ट्वीट में लिखा, "मैं अंगदान का संकल्प ले चुका हूं...इसकी पवित्रता दिखाने के लिए हरे रंग का रिबन लगाया है।" -पढ़ें पूरी खबर
6. रिया को हो सकती है 10 से 20 साल की जेल
ड्रग्स मामले में मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की सुनवाई में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के एडीजी अनिल सिंह ने कहा था कि रिया चक्रवर्ती का सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में छोटा सा कनेक्शन है। अब एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दैनिक भास्कर से कहा- रिया और शोविक के केस में डेढ़ किलो चरस जब्त की गई है। उन्हें 10-20 साल तक की सजा हो सकती है। -पढ़ें पूरी खबर
7. आज से होंगे 9 अहम बदलाव: बीमा पॉलिसी में अब ज्यादा बीमारियां कवर होंगी
1 अक्टूबर से देशभर में कई नियमों में बदलाव होने जा रहे हैं। वाहन चलाने वालों और विदेश में पैसा भेजने वालों से लेकर गूगल पर मीटिंग करने वालों तक के लिए इन बदलावों को जानना जरूरी है। इनमें गाड़ी चलाते हुए मोबाइल के इस्तेमाल का भी जिक्र है और मिठाई खरीदते समय ध्यान रखने वाली बात का भी। -पढ़ें पूरी खबर
अब 1 अक्टूबर का इतिहास
1854: भारत में डाक टिकट का प्रचलन प्रारंभ हुआ।
1949: चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन आरंभ हुआ।
1967: भारतीय पर्यटन विकास निगम की स्थापना हुई।
आखिर में जिक्र मशहूर उर्दू शायर मजरूह सुल्तानपुरी का। आज ही के दिन 1919 में उनका जन्म हुआ था। पढ़िए उन्हीं का एक मशहूर शेर....
बिहार आबादी के लिहाज से देश का तीसरा बड़ा राज्य है। मुस्लिम आबादी भी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बाद यहां सबसे ज्यादा है। प्रदेश की 243 सीटों में से 38 ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर 20% से ज्यादा हैं। ये वोट महा गठबंधन का परंपरागत वोट बैंक कहे जाते हैं। लेकिन, जदयू, लोजपा जैसे एनडीए के दलों को भी मुस्लिम वोट मिलता है। इस चुनाव में मुस्लिम वोटर किस तरफ जाएगा ये तो 10 नवंबर को पता चलेगा। लेकिन,पिछले चुनावों में मुस्लिम वोटर किसके साथ रहा है और कितने मुस्लिम विधायक बन रहे हैं, आइए जानते हैं...
पिछली बार 23 मुस्लिम विधायक चुने गए थे
2015 के चुनाव में 23 मुस्लिम विधायक चुनकर आए थे। 2000 के चुनावों के बाद ये पहली बार था, जब इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम विधायक जीते थे। 2000 के चुनाव में 29 मुस्लिम विधायक चुने गए थे।
2015 में सबसे ज्यादा 11 मुस्लिम विधायक राजद से थे। कांग्रेस के 27 विधायकों में से 6, जदयू के 71 में 5 मुस्लिम विधायक बने। भाजपा के 53 में से एक भी विधायक मुस्लिम नहीं है।
1985 में सबसे ज्यादा मुस्लिम विधायक जीतकर आए थे
1951 में बिहार में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए। उस वक्त यहां 276 सीटें होती थीं। उस वक्त कुछ सीटों पर एक से ज्यादा विधायक भी चुने जाते थे। 1951 में कुल 330 विधायक चुने गए थे, जिनमें से 24 मुस्लिम थे।
उसके बाद 1957 में चुनाव हुए, जिसमें 319 विधायकों में से 25 मुस्लिम थे। 1962 में 21 मुस्लिम विधायक जीते। सबसे ज्यादा 34 मुस्लिम विधायक 1985 के चुनाव में चुनकर आए थे। जबकि, सबसे कम 16 मुस्लिम विधायक अक्टूबर 2005 के चुनाव में आए।
6 साल में तीन चुनाव, किस तरफ गए मुस्लिम वोट?
पिछले 6 साल में बिहार में तीन चुनाव हो चुके हैं। जिनमें 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव और 2015 का विधानसभा चुनाव है। तीनों ही बार ज्यादातर मुस्लिम वोट राजद के साथ गए।
2014 का लोकसभा चुनावः सीएसडीएस-लोकनीति के सर्वे में आया था कि इस चुनाव में 60% से ज्यादा मुस्लिम वोट (ओबीसी मुस्लिम भी शामिल) राजद-कांग्रेस गठबंधन को मिले थे। नीतीश की जदयू को 21% मुसलमानों ने वोट किया। जबकि, भाजपा को मुसलमानों ने पूरी तरह से खारिज कर दिया।
2015 का विधानसभा चुनावः इस चुनाव में राजद-कांग्रेस और जदयू के महा गठबंधन को मुसलमानों के 77.6% वोट मिले थे। जबकि, भाजपा और उसके सहयोगियों को महज 7.8% वोट मिले।
2019 का लोकसभा चुनावः पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए (भाजपा+जदयू+लोजपा) बिहार की 40 में से 39 सीटें जीतने में कामयाब रहा था। सीएसडीएस-लोकनीति के सर्वे के मुताबिक, इस चुनाव में महा गठबंधन (राजद+कांग्रेस+हम+वीआईपी+रालोसपा) को 77% से ज्यादा मुस्लिम वोट मिले थे, जबकि एनडीए को सिर्फ 6% मुसलमानों ने वोट किया।
बिहार के सहरसा जिले में एक गांव पड़ता है। नाम है पनगछिया। इस गांव में 26 जनवरी 1956 को एक लड़के का जन्म होता है। उसके दादा राम बहादुर सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे। ये लड़का जब 17 साल का था, तब बिहार में जेपी आंदोलन शुरू होता है और यहीं से उसके राजनीतिक करियर की शुरुआत भी।
आपातकाल के बाद जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो 1978 में उस समय के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई सहरसा आए थे। उस समय इस 22 साल के लड़के ने उन्हें काले झंडे दिखाए।
कहते हैं कि बिहार की राजनीति दो चीजों पर चलती है। पहली है जाति और दूसरी है दबंगई। इस लड़के ने इन दोनों का ही सहारा लेकर राजनीति में कदम रखा। इस लड़के की इतनी बात हो चुकी है, तो अब नाम भी जान ही लीजिए। उसका नाम है आनंद मोहन सिंह।
बिहार की राजनीति के बाहुबली नेता आनंद मोहन। जो इस वक्त एक डीएम की हत्या के मामले में सजा काट रहे हैं। इनकी पत्नी और पूर्व सांसद लवली आनंद हाल ही में राजद में शामिल हुई हैं।
आनंद मोहन और लवली की शादी 13 मार्च 1991 को हुई थी। आनंद मोहन एक बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं। लवली आनंद एक बार की सांसद हैं।
1983 में तीन महीने जेल में गुजारे, 1990 में चुनावी राजनीति में उतरे
80 के दशक में बिहार में आनंद मोहन सिंह बाहुबली नेता बन चुके थे। यही वजह थी कि उन पर कई मुकदमे भी दर्ज हुए। 1983 में पहली बार तीन महीने के लिए जेल जाना पड़ा। जेल से आने के बाद उन्होंने चुनावी राजनीति में कदम रखा।
1990 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए। आनंद मोहन ने जनता दल के टिकट पर महिषी से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के लहतान चौधरी को 62 हजार से ज्यादा वोट से हरा दिया।
ये वो समय था जब देश में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू की गई थीं। इन सिफारिशों में सबसे अहम बात थी सरकारी नौकरियों में ओबीसी को 27% का आरक्षण देना। जनता दल ने भी इसका समर्थन किया।
लेकिन, आनंद मोहन ठहरे आरक्षण विरोधी। उन्होंने 1993 में जनता दल से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई, जिसका नाम ‘बिहार पीपुल्स पार्टी’ यानी बीपीपी रखा। बाद में समता पार्टी से हाथ मिला लिया।
आनंद मोहन के घर बड़े नेताओं का आना-जाना लगा रहता था। इस तस्वीर में जो दिख रहे हैं, वो हैं पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर। एक समय बिहार में आनंद मोहन को लालू का विकल्प देखा जाने लगा था।
डीएम की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए, पहले नेता जिन्हें मौत की सजा मिली थी
जिस समय आनंद मोहन ने अपनी चुनावी राजनीति शुरू की थी, उसी समय बिहार के मुजफ्फरपुर में एक नेता हुआ करते थे छोटन शुक्ला। आनंद मोहन और छोटन शुक्ला की दोस्ती काफी गहरी थी।
1994 में छोटन शुक्ला की हत्या हो गई। आनंद उनके अंतिम संस्कार में भी पहुंचे। छोटन शुक्ला की अंतिम यात्रा के बीच से एक लालबत्ती की गाड़ी गुजर रही थी, जिसमें सवार थे उस समय के गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया।
लालबत्ती की गाड़ी देख भीड़ भड़क उठी और जी कृष्णैया को पीट-पीटकर मार डाला। जी कृष्णैया की हत्या का आरोप आनंद मोहन पर लगा। आरोप था कि उन्हीं के कहने पर भीड़ ने उनकी हत्या की। आनंद की पत्नी लवली आनंद का नाम भी आया।
आनंद मोहन को जेल हुई। 2007 में निचली अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुना दी। आनंद मोहन देश के पहले पूर्व सांसद और पूर्व विधायक हैं, जिन्हें मौत की सजा मिली।
मौत की सजा को उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी। पटना हाईकोर्ट ने दिसंबर 2008 में मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। बाद में वो सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट ने भी जुलाई 2012 में पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। आनंद मोहन अभी भी जेल में ही हैं।
जेल में थे, लेकिन चुनाव जीतते रहे
1996 में लोकसभा चुनाव हुए। उस वक्त आनंद मोहन जेल में थे। जेल से ही उन्होंने समता पार्टी के टिकट पर शिवहर से चुनाव लड़ा। उस चुनाव में उन्होंने जनता दल के रामचंद्र पूर्वे को 40 हजार से ज्यादा वोटों से हराया।
1998 में फिर उन्होंने शिवहर से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार राष्ट्रीय जनता पार्टी के टिकट पर। ये चुनाव भी उन्होंने जीत लिया। 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में भी आनंद मोहन खड़े हुए, लेकिन हार गए।
खुद तो राजनीति में थे, पत्नी को भी लाए
आनंद मोहन का नाम उन राजनेताओं में आता है, जो अपनी पत्नी को भी राजनीति में लेकर आए। आनंद मोहन ने 13 मार्च 1991 को लवली सिंह से शादी की। लवली स्वतंत्रता सेनानी माणिक प्रसाद सिंह की बेटी हैं।
शादी के तीन साल बाद 1994 में लवली आनंद की राजनीति में एंट्री उपचुनाव से हुई। 1994 में वैशाली लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए, जिसमें लवली आनंद यहां से जीतकर पहली बार संसद पहुंचीं।
बिहार में लवली आनंद को लोग भाभीजी कहकर बुलाते हैं। लोग बताते हैं कि जब भाभीजी रैली करने आती थीं, तो लाखों की भीड़ इकट्ठा होती थी। इतनी भीड़ तो आनंद मोहन की रैलियों में भी नहीं आती थी। बिहार की राजनीति को करीब से देखने वालों का कहना है कि लवली आनंद की रैलियों में भीड़ देखकर उस समय लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार जैसे सरीखे नेता भी दंग रह जाते थे।
हालांकि, लवली आनंद की रैलियों में आने वाली भीड़ वोटों में तब्दील नहीं हो पाती थी। जब वोटिंग होती थी, तो लवली आनंद की हार ही होती थी।
लवली पार्टियां बदलती रहीं, लेकिन जीत न सकीं
आनंद मोहन और लवली आनंद के बारे में कहा जाता है कि जितनी तेजी से लोग कपड़े नहीं बदलते थे, उतनी तेजी से तो ये पार्टियां बदल लेते थे।
लवली आनंद पहली बार 1994 में उपचुनाव जीतकर सांसद बनी। उस समय उन्होंने बिहार पीपुल्स पार्टी से चुनाव लड़ा था। उसके बाद 1999 के लोकसभा चुनाव में भी वैशाली से ही खड़ी हुईं, लेकिन हार गईं।
2009 का लोकसभा चुनाव लवली ने कांग्रेस के टिकट पर शिवहर से लड़ा, लेकिन हार गईं। इस बीच 2004 में बिहार पीपुल्स पार्टी का मर्जर कांग्रेस में भी हो गया। 2010 में बिहार विधानसभा चुनाव में लवली कांग्रेस के टिकट पर ही आलम नगर से खड़ी हुईं, लेकिन ये चुनाव भी हार गईं।
बाद में कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए लवली आनंद सपा में शामिल हो गईं। 2014 के लोकसभा चुनाव में लवली सपा के टिकट पर शिवहर से फिर लड़ीं, लेकिन हार गईं। 2015 के विधानसभा चुनाव में वो जीतन राम मांझी की पार्टी हम (सेक्युलर) से शिवहर से खड़ी हुईं, लेकिन फिर हार गईं।
अब चुनाव की तारीखें आने के बाद लवली आनंद राजद में शामिल हो गई हैं। क्योंकि, वो हमेशा शिवहर से ही लड़ती रही हैं और उनके पति आनंद मोहन भी शिवहर से सांसद रह चुके हैं, इसलिए माना तो यही जा रहा है कि इस बार भी वो शिवहर से ही लड़ सकती हैं। देखते हैं पार्टी बदलने का इस बार क्या नतीजा निकलता है?
इस वीडियो में मैं थोड़ा ज्यादा गुस्से में आ गया, एक दो बार गला भी भर आया है😢! पर आप सब मेरे चाहने वालों से, साहित्य से, भाषा से, उसकी मर्यादा से मैं माफ़ी नहीं मांगना चाहता ! यह जनबोधी कविता, यह ग़ुस्सा मेरे वंश की परम्परा है ! जिन्हें बुरा लगा हो वे मुझे गरियाने के लिए स्वतंत्र हैं 😢🙏 ।
उपनिषद भी कहता है कि कूपमंडूक की तरह अब भी अगर हम इस अंधियारी कोठरी से बाहर नहीं निकले तो धीरे-धीरे इस अनाचारी असुर लोक के ऐसे अंधकार में प्रवेश कर जाएंगे जो स्वयं हमारे विनाश का कारण बनेगा 👎। “असूर्य नाम ते लोकाः अंधे तमसावृताः।।”
उन्नीस सौ बासठ की चीन से लड़ाई के वक्त अपनी जरूरी जिम्मेदारी से बेखबर अपनी ही सरकार से अपनी कविता “परशुराम की प्रतीक्षा” में जब राष्ट्रकवि दिनकर जी ने सवाल पूछा था तो एक पंक्ति लिख दी थी, “छागियो करो अभ्यास रक्त पीने का !”
अपनी डायरी में दिनकर जी ने लिखा है कि मुझे एक शालीन कवि होने के नाते रक्त पीने जैसी बात शायद नहीं लिखनी चाहिए थी पर मैंने इसलिए लिख दी है ताकि आने वाले कल में इतिहास याद रखें कि जब सब सरकारी सरोकारी लोग मौन थे तो इस देश के एक कवि को इतना गुस्सा आया था कि उसने रक्त पी जाने जैसी कामना कर डाली थी !
🇮🇳😢 "कब तक मौन रहोगे विदुरों? कब अपने लब खोलोगे ? जब सर ही कट जायेगा तो किस मुंह से क्या बोलोगे..?”
वीडियो में कुमार विश्वास ने लगातार 19 मिनट तक हाथरस रेप केस को महाभारत की कथा और भारत की वर्तमान स्थिति से जोड़ा और नेताओं को जमकर कोसा। कुमार ने सवाल उठाए कि इतना बड़ा हादसा होने के बाद भी लोग सवाल क्यों नहीं उठा रहे?
बकौल कुमार -
हर बार की तरह शुरुआत करते समय जय हिंद कहने में समस्या है। क्योंकि, हिंद भी अगर सुनता होगा और देश भी कभी सुनता होगा तो वो भी आपसे पूछता हाेगा कि मेरी जय कहने का तुम्हें अधिकार है या नहीं। जब बचपन में मैं महाभारत की पूरी कहानी अपनी दादी से सुनी थी, पिता से सुनी थी तो अक्सर सोचता था कि इतने नीतिज्ञ, इतने पढ़े-लिखे इतने विराट व्यक्तित्व के लोग एक ही सभाग्रह में उपस्थित थे। जहां चाहे द्वेष था, वैमनस्य था, ईर्ष्या थी, दोनों दलों के लोगों में एक-दूसरे के प्रति घृणा थी। ऐसा क्या हुआ होगा कि एक कुलवधु, जो बड़े आदर स्नेह के साथ उस परिवार में आई हो। जहां उसने भीष्म के चरण छुए हों, जिसने गुरुवर द्रोणाचार्य की पूजा की हो, महात्मा विदुर में पिता दिखाई दिए हों, जिसमें दुर्योधन में अपना देवर दिखाई दिया हो। जिसमें कृपाचार्य में अपना रिश्तेदार दिखाई दिया हो। उस पूरे परिवार में पूरे वंश में चाहे कितनी भी घृणा थी, कितना भी द्वेष हो, लेकिन ऐसा कैसे हो हुआ कि स्त्री को बालों से खींचकर सभाग्रह में लाया गया और सबने उसका चीरहरण किया।
सबसे बड़ी बात ये है कि कोई इस पर बोला नहीं। जिन लोगों ने उसे दांव पर लगाया वो तो अपराधी थे ही। लेकिन, मुझे उन लोगों पर दुख नहीं आता था, मुझे गुस्सा आता था भीष्म पर, द्रोणाचार्य पर, गुस्सा आता था कृपाचार्य पर। फिर मेरी छाती चौड़ी होती थी महात्मा विदुर के लिए। कि कोई एक आदमी ताे है जो खड़ा होकर धृतराष्ट्र से पूछ रहा है कि मेरी सिंहासन के प्रति पूरी निष्ठा है, लेकिन ये सवाल तो पूछूंगा ही कि आखिर ये हो क्या रहा है?
जिस समय विदुर सवाल पूछ रहे थे तो दुर्याेधन के चमचों ने उन्हें हस्तिनापुर का विद्रोही बताया था। और यह चमचों की छाप होती है कि अपने दुर्योधनों को बचाने के लिए और धृतराष्ट्रों को बचाने के लिए उनके अंधेपन को उस देश के ऊपर मढ़ देते हैं और कह देते हैं कि आप देश के खिलाफ जा रहे हैं। मैं बार-बार कहता हूं कि नंद मगध नहीं है। मगध था, है और रहेगा। भारत था, है और रहेगा। सरकारें आएंगी और जाएंगी, लेकिन ये देश रहेगा।
महाभारत में सवाल नहीं पूछा गया। लेकिन हमारी कविता ने कहा- अधिकार खोकर बैठे रहना, ये महादुष्कर्म है। न्यायार्थ अपने बंधकों को भी दंड देना धर्म है। इस हेतु ही तो कौरवों-पांडवों का रण हुआ, जो भव्य भारतवर्ष के कल्पांत का कारण हुआ।
बेटियों की, कुलवधुओं की, बहनों की चीखों पर खामोश होने जाने वाले हस्तिनापुर अक्सर खंडहर में बदल जाते हैं। लाशों पर रोने वाला कोई नहीं बचता। और ये जो पिछले दो दिन से देख रहा हूं कि सरकारें और सत्ताएं और उनका समर्थन करने वाले लोग, मैं आप सबसे प्रार्थना करता हूं कि आप किसी भी पार्टी के हों। उसके पूरे अच्छे से भक्त बनकर रहिए। चमचे बनकर रहिए। समर्थक बनकर रहिए। अगली बार भी इन्हें ही वोट दे दीजिए। पर क्या वोट देने से सवाल पूछने का अधिकार खत्म कर दिया है।
सवाल नहीं पूछेंगे तो ये अहंकारी हो जाएंगे, इन्हें लगेगा कि सब ठीक है। आप सबसे कहता हूं कि अपनी पार्टी से सवाल पूछिए। उन महिलाओं से सवाल पूछिए, जो बहुत ही सिलेक्टिव अप्रोच दिखाती हैं। उन जया बच्चन से सवाल कीजिए, जो आजम खान के अधोवृद्ध पर टिप्पणी करने पर चुप रह जाती हैं और मुंबई में कुछ होता है तो संसद में उसके खिलाफ बोलती हैं। स्मृति ईरानी से सवाल कीजिएगा कि जो हैदराबाद की बेटी पर तो आंसू बहाती हैं, लेकिन उन्नाव में उनका विधायक बिटिया के साथ दुष्कर्म कर उसे मारने की कोशिश करता है तो चुप रह जाती हैं। चिन्मयानंद पर चुप रह जाती हैं। बहनों, बेटियों, मांओं से कह रहा हूं कि आप सब पूछिए कि ये लोग चुप क्यों हैं?
इसलिए इस बिके हुए समय में जब सब बिके हुए हैं, आप और हम बचें हैं सामान्य नागरिक बोलेंगे तो सरकारें सुनेंगी। इनकी औकात नहीं है। अन्ना हजारे ठीक कहते थे, इनकी नाक दबाओ तो मुंह खुलता है। इनकी नाक दबाइए, इनका मुंह खुलेगा। आखिर में गुस्से में ऐसी कोई बात की हो जो आपको बुरी लगी तो क्षमा कीजिएगा। लेकिन बहुत कष्ट है। एक कवि हबीब जालिब पाकिस्तान पंजाब से थे। उन्होंने एक मुशायरे में जिया उल हक के वक्त में एक नज्म पढ़ी थी। तो वो नज्म पढ़ना शुरू की तो नीचे से किसी शायर ने उनका पजामा खींचा और कहा कि अभी वक्त नहीं है। तो उन्होंने कहा कि मैं वक्त देखकर तेवर बदलने वाला शायर नहीं हूं। उन्होंने कहा-
दीप जिस का महल्लात ही में जले
चंद लोगों की ख़ुशियों को ले कर चले
वो जो साए में हर मस्लहत के पले
ऐसे दस्तूर को सुब्ह-ए-बे-नूर को
मैं नहीं मानता मैं नहीं जानता
थोड़े दिनों के लिए, कुछ सालों के लिए दलित, हिंदू-मुस्लिम, ठाकुर बनिया, इन सब विमर्श से बाहर आइए, और देश का विमर्श संभालिए। बहुत मुश्किल वक्त है। फिक्र कर सकें तो बहुत अच्छा है और न कर सकें तो एक हजार साल में गुलामी गई है। फिर आपसे भी सवाल पूछा जाएगा आने वाले कल में..
दुनिया कोरोनावायरस से जूझ रही है। हमने साल 2020 का आधे से ज्यादा वक्त संक्रमण के डर में गुजार दिया है। इसी महामारी के दौरान हम पहली बार वर्ल्ड वेजिटेरियन डे भी मना रहे हैं। कोरोना की शुरुआत में कहा जा रहा था कि यह चमगादड़ों के जरिए फैला। बाद में इसमें पेंगोलिन का नाम भी शामिल हुआ।
हालांकि, यह जानना जरूरी है कि क्या मांस खाने की आदत इंसान के लिए जानलेवा भी बनी हुई है। वैज्ञानिक इस बात की चेतावनी देते हैं कि कोरोनावायरस के बाद भी हमें कई महामारियों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में हमें जानवरों से फैलने वाली बीमारियों पर गौर करने की जरूरत है।
4 में से 3 नए संक्रमण जानवरों से आते हैं
सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, हम रोज कई तरह से जानवरों के संपर्क में आते हैं, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि जानवरों में रहने वाले कुछ जर्म्स आपको बीमार भी कर सकते हैं। जानवरों के जरिए इंसानों तक पहुंचने वाले जर्म्स से होने वाली बीमारियों को जूनोटिक बीमारी कहते हैं। इन जर्म्स के कारण मौत भी हो सकती है।
सीडीसी के अनुसार, जूनोटिक बीमारियां काफी आम होती हैं। वैज्ञानिकों ने यह अनुमान लगाया है कि 10 में से 6 से ज्यादा संक्रमण जानवरों के जरिए इंसानों में फैल सकती है। इसके अलावा हर 4 नए या उभरते संक्रामक रोगों में से 3 जानवरों से आता है। यह जर्म्स खाने की वजह से भी फैल सकते हैं।
आपके नॉन वेज खाने के कारण लोग भूखे रहते हैं
पेटा के मुताबिक, भोजन के लिए जानवरों को पैदा करना या पालना काफी खराब है, क्योंकि जानवर ज्यादा अनाज खाकर थोड़ा मीट, डेरी प्रोडक्ट या अंडे उपलब्ध कराते हैं। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि जानवरों को एक किलो मांस के लिए 10 किलो तक अनाज खिलाना पड़ता है।
वर्ल्ड वॉच इंस्टीट्यूट के अनुसार, दुनिया में जहां हर 6 में से 1 व्यक्ति रोज भूखा रहता है। ऐसे में मीट का प्रोडक्शन करना अनाज का गलत उपयोग होता है। अगर अनाज का इस्तेमाल सीधे इंसान ही करे, तो यह ज्यादा असरदार होगा।
पेटा की वेबसाइट बताती है कि प्लांट बेस्ड डाइट दुनिया में भुखमरी को खत्म कर सकती है। 2050 तक अनुमानित 900 करोड़ लोगों के लिए धरती पर पर्याप्त खाना होगा। हालांकि, ऐसा तभी मुमकिन होगा, जब अनाज का 40% उत्पादन भोजन के लिए पाले गए जानवरों के बजाए सीधे इंसानों के ही काम आए।
इसके अलावा दुनिया के कई हिस्से पानी की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में मीट खाना उन लोगों की परेशानी और बढ़ा सकता है। पेटा इंडिया के अनुसार, एक शुद्ध वेजिटेरियन भोजन के लिए रोज 1137 लीटर पानी की जरूरत होती है, लेकिन मीट आधारित भोजन के लिए रोज 15 हजार लीटर से ज्यादा पानी की जरूरत होती है।
कई बीमारियों का कारण भी है मांसाहार
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अनुमान लगाया है कि हर साल जूनोसिस के कारण करीब 100 करोड़ लोग बीमारियों का शिकार होते हैं और इनमें से लाखों लोग अपनी जान गंवा देते हैं। पेटा के मुताबिक, आपकी थाली में शामिल मीट, डेरी प्रोडक्ट्स और अंडों के कारण आप दिल की बीमारियों, मोटापा, कैंसर, डायबिटीज और यहां तक कि नपुंसक भी हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया है कि वेजिटेरियन डाइट लेने वाले लोगों में कुछ तरह कैंसर की संभावना 50% तक कम हो जाती है।
अगर आप भी वेजिटेरियन डाइट अपनाना चाहते हैं तो यह कुछ टिप्स मददगार हो सकती हैं....
मोटिवेट रहें: अगर आपने अपनी प्लेट से नॉन वेज डाइट को हटाना चाहते हैं, तो आपको इसके लिए अच्छे कारण की जरूरत होगी। यह कारण ही आपको वेज डाइट पर रहने के लिए मोटिवेट करेगा। ऐसे में पहले यह पता कर लें कि आप नॉनवेज क्यों छोड़ना चाहते हैं।
अच्छी रेसिपी तलाशें: नॉन वेज छोड़ने के कारण हो सकता है कि आप स्वाद को लेकर परेशान रहें। ऐसे में अच्छी वेजिटेरियन रेसिपी आपकी मदद कर सकती हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि आप एक साथ कई किताबें खरीद लें। इसके लिए आप इंटरनेट की मदद ले सकते हैं। एक-एक कर रेसिपी बनाने के कारण आपकी प्लेट में नयापन होगा और स्वाद भी बना रहेगा।
धीरे-धीरे नॉन वेज छोड़ें: वेजिटेरियन डाइट की तरफ जा रहे हैं और नॉनवेज एकदम नहीं छोड़ पा रहे हैं तो धीरे-धीरे अपनी डाइट में वेज की मात्रा बढ़ाएं। हर हफ्ते नई वेज रेसिपी इस काम में आपकी मदद कर सकती है। नॉन वेज छोड़ने की शुरुआत रेड मीट से करें। इसके बाद आने वाले हफ्तों में दूसरे तरह के मांसाहार को भी पूरी तरह बंद कर दें।
नया डाइट प्लान बनाएं: आप जो भी खाना रोज खाते हैं, उसकी एक लिस्ट तैयार करें। इस लिस्ट में आपकी प्लेट की हर जरूरी चीज को शामिल करें। इसके बाद देखें कि आपकी पुरानी नॉन वेज डाइट के वेज विकल्प क्या हो सकते हैं। नए विकल्पों की मदद से नई लिस्ट तैयार करें, जिसमें केवल वेज डाइट शामिल हो।
जंक फूड से बचें: वेजिटेरियन डाइट शुरू करने से आपको जंक फूड खाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता है। हो सकता है कि नॉन वेज नहीं खाने के कारण जंक फूड की तरह ज्यादा अट्रैक्ट हो जाएं। अगर ऐसा हो रहा है तो अपनी डाइट में फलों और सब्जियों की मात्रा को बढ़ा दें। इसके अलावा साबुत अनाज, बीन्स, नट्स, सोया प्रोटीन और दूसरे पोषण आपकी मदद कर सकते हैं।
दूसरे देशों के खाने का स्वाद: वेजिटेरियन बनने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको इससे नई चीजों को ट्राय करने की प्रेरणा मिलती है। इस बात का फायदा उठाएं और इंटरनेट या रेसिपी बुक्स की मदद से नए देशों की वेज रेसिपी का स्वाद लें। इटली के पास्ता से लेकर भारत के भोजन, मसालेदार थाई भोजन से लेकर चीनी, इथियोपिया, मैक्सिको समेत कई जगहों के वेज खाने का मजा ले सकते हैं।
परिवार और दोस्तों की भूमिका: अगर आप वेजिटेरियन बनने जा रहे हैं, तो आपको परिवार और दोस्तों से इस बारे में बात करनी होगी। क्योंकि नॉन वेज बंद करने के बाद भी आप उनके साथ खाना तो खाएंगे ही। ऐसे में उन्हें इस बात की जानकारी देना आपके लिए मददगार होगा, ताकि अगली बार जब भी आप उनके साथ खाना खाएं तो आपके लिए वेज डिश मौजूद हो। कई बार लोग आपके इस फैसले को नहीं समझेंगे, लेकिन बिना बहस किए उन्हें अपनी बात समझने के लिए कहें।
मजा लें: यह सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप अपनी डाइट में आए बदलाव का मजा लें। क्योंकि, अगर आप इस बात को लेकर दुखी रहेंगे, तो आपको हमेशा यही महसूस होगा कि कुछ मिस कर रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं है। आपने वेजिटेरियन रहना चुना है। इस बात का मजा लें और खुश रहें। लगातार अच्छा खाना खाते रहना इस काम में आपकी मदद कर सकता है।
वेजिटेरियन और वीगन में क्या फर्क है?
हमनें वेजिटेरियन और वीगन शब्द कई बार सुने हैं, लेकिन इनके मतलब को लेकर हमेशा एक कंफ्यूजन रहती है। पेटा के मुताबिक, वेजिटेरियन डाइट लेने वाले लोग किसी भी जानवर को अपनी डाइट में शामिल नहीं करते हैं। जबकि, वीगन जानवरों से मिलने वाले किसी भी चीज का सेवन नहीं करते, जैसे- अंडे, दूध, पनीर।
हालांकि, पेटा वीगन अपनाने पर ज्यादा जोर देता है। संस्था की वेबसाइट के मुताबिक, लोगों को लगता है कि डेयरी प्रोडक्ट्स में क्रूरता नहीं होती, लेकिन ऐसा नहीं है। डेयरी उत्पादों के लिए भी जानवरों को मीट की तरह ही परेशान किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में पूरी दुनिया में 1991 से हर साल एक अक्टूबर को इंटरनेशनल डे फॉर ओल्डर पर्संस यानी अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस या अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है बुजुर्गों को उनके अधिकार दिलवाना।
14 दिसंबर 1990 को यूनाइटेड नेशंस की जनरल असेंबली ने तय किया था कि एक अक्टूबर को इंटरनेशनल डे ऑफ ओल्डर पर्संस के तौर पर मनाया जाए। इससे पहले 1982 में वर्ल्ड असेंबली ऑन एजिंग ने विएना इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन ऑन एजिंग को पास किया था। एक साल बाद यूएन की जनरल असेंबली ने भी इस पर मुहर लगाई थी।
भारत में 2007 में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण विधेयक पारित किया गया। इसमें माता-पिता के भरण-पोषण, वृद्धाश्रमों की स्थापना, चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था और वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा का प्रावधान किया गया है।
1949 में हुई थी पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना
1912 में क्विंग राजशाही का अंत हुआ और रिपब्लिक ऑफ चीन बना। यहीं से चीन का आधुनिक इतिहास शुरू हुआ। उस समय चीन को रिपब्लिक घोषित करने वाले नेशनलिस्ट नेता थे। इस दौरान वहां कम्युनिस्ट ताकतें भी तेजी से उभरीं। 1936 में जापान के हमले के खिलाफ दोनों ने मजबूती से युद्ध लड़ा। सेकंड वर्ल्ड वॉर खत्म होने पर 1945 में जापान ने सरेंडर किया। तब कम्युनिस्ट्स और नेशनलिस्ट्स के बीच जंग छिड़ गई थी। चार साल तक देश में सिविल वॉर की स्थिति बनी रही। इस युद्ध में चीन के लाखों नागरिक मारे गए थे। 1 अक्टूबर, 1949 को माओ त्से तुंग ने कम्युनिस्ट पार्टी की जीत का ऐलान किया और संविधान में देश का नाम पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना रखा।
इतिहास में आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए याद किया जाता है...
1838: भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड ऑकलैंड ने शिमला मैनिफेस्टो जारी किया, जिसकी वजह से पहला एंग्रो-अफगान युद्ध हुआ।
1854ः भारत में डाक टिकट का प्रचलन आरंभ हुआ।
1895ः पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान का जन्म।
1945ः भारत के मौजूदा एवं 14वें राष्ट्रपति रामनाथ काेविंद का जन्म।
1953ः आंध्र प्रदेश अलग राज्य बना। यह राज्य भी अब तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में बंट चुका है।
1960ः नाइजीरिया ब्रिटेन से स्वतंत्र हुआ।
1967ः भारतीय पर्यटन विकास निगम की स्थापना हुई।
1978ः भारत में लड़कियों की शादी की उम्र को 14 से बढ़ा कर 18 और लड़कों की 18 से बढ़ा कर 21 वर्ष किया गया।
1996ः अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन द्वारा पश्चिम एशिया शिखर सम्मेलन का उद्घाटन।
1998ः श्रीलंका में किलिनोच्ची एवं मानकुलम शहरों पर कब्ज़े के लिए सेना एवं लिट्टे उग्रवादियों के बीच हुए संघर्ष में 1300 लोगों की मौत।
2002: गोवा में एक कार्यक्रम के दौरान नेवी के दो विमान फ्लायपास्ट के दौरान आपस में टकराए।
2005ः इंडोनेशिया के बाली में हुए बम विस्फोट में 40 लोगों की मौत।
2007ः जापान ने उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रतिबंधों को अगले छह महीनों तक बढ़ाने की घोषणा की।
2008: यूएस सीनेट ने भारत के साथ परमाणु व्यापार पर लगे तीन दशक के प्रतिबंध को खत्म किया।
2016: भारत ने टेलीकॉम तरंगों की सबसे बड़ी नीलामी की। पहले दिन की बिक्री से 535.31 अरब रुपए की आय हुई।
2019: फोर्ड मोटर कंपनी और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कहा कि वे भारत में जॉइंट वेंचर शुरू करेंगे।
बाबरी मस्जिद मामले में अदालत ने आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि घटना पूर्व नियोजित नहीं लगती। वहीं, बरी होने के बाद एक आरोपी जय भगवान गोयल बोले कि ढांचा एजेंडे के तहत ही गिराया था। एकाएक कुछ नहीं हुआ। बहरहाल, चलिए शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
आज इन 7 इवेंट्स पर रहेगी नजर 1. IPL में आज मुंबई इंडियंस और किंग्स इलेवन पंजाब आमने-सामने होंगे। टॉस शाम 7 बजे होगा। मैच शाम साढ़े 7 बजे शुरू होगा। 2. आज अनुराग कश्यप को पूछताछ के लिए मुंबई के वर्सोवा पुलिस स्टेशन बुलाया गया है। फिल्ममेकर सुबह 11 बजे जाएंगे। 3. झारखंड में आज से स्कूल, सिनेमाघर और धार्मिक स्थल खोलने पर निर्णय लिया जा सकता है। 4. आज से राजस्थान का रणथंभौर टाइगर पार्क खोल दिया जाएगा। 5. मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग की ऑनलाइन कक्षाएं आज से, करीब 7 लाख छात्र जुड़ेंगे। 6. पंजाब में खेती बिलों को लेकर सबसे बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा। अकाली वर्कर और किसान-मजदूर मोहाली से राज्यपाल को मेमोरेंडम देने के लिए चंडीगढ़ जाएंगे। 7. आज से दुर्ग और धमतरी में लॉकडाउन होगा खत्म। दुर्ग में रात 8 बजे तक खुल सकेंगी दुकानें। साप्ताहिक बंदी का निर्णय व्यापारी खुद कर सकेंगे।
अब कल की महत्वपूर्ण 7 खबरें
1. बाबरी मामले में 28 साल बाद आडवाणी-मुरली समेत 32 आरोपी बरी
बाबरी मस्जिद ढांचा ढहाए जाने के 265 दिन बाद मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई टीम करीब 3 साल जांच करती रही। फिर सीबीआई के स्पेशल कोर्ट में ही सुनवाई शुरू हुई। आखिरकार 30 सितंबर को फैसला आ गया। घटना के 28 साल बाद बाबरी से सब बरी कर दिए गए। सब यानी सभी 32 आरोपी, जो जिंदा हैं। वैसे कुल 48 आरोपी थे। इनमें से 16 अब नहीं हैं। -पढ़ें पूरी खबर
2. राम मंदिर पर 57 दिन बाद बोले आडवाणी: ‘जय श्रीराम, ये खुशी का पल है’
बाबरी विध्वंस केस में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने बुधवार को लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। फैसले के बाद लालकृष्ण आडवाणी (92) ने कहा कि यह हम सभी के लिए खुशी का पल है। कोर्ट के निर्णय ने मेरी और पार्टी की रामजन्मभूमि आंदोलन को लेकर प्रतिबद्धता और समर्पण को सही साबित किया है। -पढ़ें पूरी खबर
3. हाथरस गैंगरेप: पुलिस ने रात में खुद ही पीड़िता का शव जला दिया
हाथरस में कथित गैंगरेप पीड़ित का बीती रात पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया। पीड़ित के भाई ने भास्कर से बात करते हुए कहा, 'पुलिस ने हमें उसका चेहरा तक नहीं देखने दिया। हमें नहीं पता पुलिस ने किसे जलाया।' मोदी ने योगी से कहा है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। राज्य सरकार ने 3 सदस्यों की एसआईटी बनाकर 7 दिन में रिपोर्ट देने को कहा है। -पढ़ें पूरी खबर
4. UPSC एग्जाम पर सुप्रीम कोर्ट: लास्ट अटेम्प्ट वाले कैंडीडेट्स को एक और मौका दें
सुप्रीम कोर्ट ने सिविल सेवा (प्रिलिम्स) परीक्षा 2020 पर बुधवार को कहा कि 4 अक्टूबर को होने वाले ये परीक्षाएं कोविड महामारी के कारण नहीं टाली जा सकतीं। केंद्र सरकार इस पर विचार करे कि ऐसे कैंडीडेट़्स को एक और मौका दिया जा सकता है जिनके पास अपना आखिरी अटेम्प्ट बचा है और जो कोरोना के कारण परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे। -पढ़ें पूरी खबर
5. अंगदान करेंगे अमिताभ बच्चन, ट्विटर पर लिखा- मैं अंगदान का संकल्प ले चुका हूं
अमिताभ बच्चन ने 77 साल की उम्र में अंगदान करने का संकल्प लिया है। इस बात की जानकारी उन्होंने मंगलवार देर रात ट्वीट कर दी। उन्होंने एक फोटो भी शेयर किया है, उनके कोट पर हरे रंग का रिबन लगा है, जो कि अंगदान के संकल्प का प्रतीक है। बच्चन ने अपने ट्वीट में लिखा, "मैं अंगदान का संकल्प ले चुका हूं...इसकी पवित्रता दिखाने के लिए हरे रंग का रिबन लगाया है।" -पढ़ें पूरी खबर
6. रिया को हो सकती है 10 से 20 साल की जेल
ड्रग्स मामले में मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की सुनवाई में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के एडीजी अनिल सिंह ने कहा था कि रिया चक्रवर्ती का सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में छोटा सा कनेक्शन है। अब एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दैनिक भास्कर से कहा- रिया और शोविक के केस में डेढ़ किलो चरस जब्त की गई है। उन्हें 10-20 साल तक की सजा हो सकती है। -पढ़ें पूरी खबर
7. आज से होंगे 9 अहम बदलाव: बीमा पॉलिसी में अब ज्यादा बीमारियां कवर होंगी
1 अक्टूबर से देशभर में कई नियमों में बदलाव होने जा रहे हैं। वाहन चलाने वालों और विदेश में पैसा भेजने वालों से लेकर गूगल पर मीटिंग करने वालों तक के लिए इन बदलावों को जानना जरूरी है। इनमें गाड़ी चलाते हुए मोबाइल के इस्तेमाल का भी जिक्र है और मिठाई खरीदते समय ध्यान रखने वाली बात का भी। -पढ़ें पूरी खबर
अब 1 अक्टूबर का इतिहास
1854: भारत में डाक टिकट का प्रचलन प्रारंभ हुआ।
1949: चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन आरंभ हुआ।
1967: भारतीय पर्यटन विकास निगम की स्थापना हुई।
आखिर में जिक्र मशहूर उर्दू शायर मजरूह सुल्तानपुरी का। आज ही के दिन 1919 में उनका जन्म हुआ था। पढ़िए उन्हीं का एक मशहूर शेर....
from Dainik Bhaskar /national/news/riya-may-be-jailed-for-10-years-babri-masjid-demolition-case-verdict-upsc-prelims-exam-will-not-be-postponed-morning-news-brief-127769440.html
क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के DA की कटौती का आदेश वापस ले लिया है। दावे के साथ एक आदेश की कॉपी भी वायरल हो रही है। ये आदेश 21 सितंबर को बताया जा रहा है।
दरअसल, कोविड-19 लॉकडाउन के चलते हुई आर्थिक सुस्ती को देखते हुए मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते की तीन अतिरिक्त किश्तों पर रोक लगाने का फैसला लिया था। केंद्र सरकार के इस फैसले का असर 50 लाख कर्मचारियों और 61 लाख पेंशनभोगियों पर पड़ा है। अब दावा किया जा रहा है कि ये आदेश वापस ले लिया गया है।
और सच क्या है?
इंटरनेट पर हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली जिससे पुष्टि होती हो कि केंद्र सरकार ने DA कटौती का आदेश वापस ले लिया है।
वायरल हो रही चिट्ठी को पढ़ने से स्पष्ट होता है कि ये DA कटौती वापस लेने का आदेश नहीं है। बल्कि केंद्र सरकार में जनरल सैक्रेटरी डॉ. एम रघवैय्या द्वारा लिखा गया एक आवेदन पत्र है। जो कि वित्त मंत्री को लिखा गया है।
इस पत्र में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अनुरोध किया गया है कि वे केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स को डियरनेस अलाउंस ( DA) का लाभ देने के लिए उचित कदम उठाएं। इसी आवेदन को वित्त मंत्रालय का आदेश बताकर गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
न्यूज एजेंसी पीटीआई की खबर के अनुसार, डॉ. एम रघवैय्या नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन के जनरल सैक्रेटरी हैं। और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी केंद्र सरकार के कर्मचारियों की DA कटौती वापस लेने का अनुरोध किया था। केंद्र सरकार के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पीआईबी फैक्ट चेक ने भी DA कटौती वापस लिए जाने वाले दावे को फेक बताया है।
केंद्र सरकार के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पीआईबी फैक्ट चेक ने भी DA कटौती वापस लिए जाने वाले दावे को फेक बताया है।
दावा: @FinMinIndia को लिखे गए एक अनुरोध पत्र पर अलग से हेडलाइन जोड़कर यह दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने DA कटौती की घोषणा वापस ले ली है। #PIBFactCheck: यह हेडलाइन फर्जी है। यह अनुरोध पत्र मई 2020 में लिखा गया था। केंद्र सरकार द्वारा ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है। pic.twitter.com/W6vOvGB1E2
from Dainik Bhaskar /no-fake-news/news/fact-check-modi-government-withdrawing-da-cut-order-of-employees-know-the-truth-of-viral-messages-127767208.html
संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में पूरी दुनिया में 1991 से हर साल एक अक्टूबर को इंटरनेशनल डे फॉर ओल्डर पर्संस यानी अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस या अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है बुजुर्गों को उनके अधिकार दिलवाना।
14 दिसंबर 1990 को यूनाइटेड नेशंस की जनरल असेंबली ने तय किया था कि एक अक्टूबर को इंटरनेशनल डे ऑफ ओल्डर पर्संस के तौर पर मनाया जाए। इससे पहले 1982 में वर्ल्ड असेंबली ऑन एजिंग ने विएना इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन ऑन एजिंग को पास किया था। एक साल बाद यूएन की जनरल असेंबली ने भी इस पर मुहर लगाई थी।
भारत में 2007 में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण विधेयक पारित किया गया। इसमें माता-पिता के भरण-पोषण, वृद्धाश्रमों की स्थापना, चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था और वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा का प्रावधान किया गया है।
1949 में हुई थी पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना
1912 में क्विंग राजशाही का अंत हुआ और रिपब्लिक ऑफ चीन बना। यहीं से चीन का आधुनिक इतिहास शुरू हुआ। उस समय चीन को रिपब्लिक घोषित करने वाले नेशनलिस्ट नेता थे। इस दौरान वहां कम्युनिस्ट ताकतें भी तेजी से उभरीं। 1936 में जापान के हमले के खिलाफ दोनों ने मजबूती से युद्ध लड़ा। सेकंड वर्ल्ड वॉर खत्म होने पर 1945 में जापान ने सरेंडर किया। तब कम्युनिस्ट्स और नेशनलिस्ट्स के बीच जंग छिड़ गई थी। चार साल तक देश में सिविल वॉर की स्थिति बनी रही। इस युद्ध में चीन के लाखों नागरिक मारे गए थे। 1 अक्टूबर, 1949 को माओ त्से तुंग ने कम्युनिस्ट पार्टी की जीत का ऐलान किया और संविधान में देश का नाम पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना रखा।
इतिहास में आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए याद किया जाता है...
1838: भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड ऑकलैंड ने शिमला मैनिफेस्टो जारी किया, जिसकी वजह से पहला एंग्रो-अफगान युद्ध हुआ।
1854ः भारत में डाक टिकट का प्रचलन आरंभ हुआ।
1895ः पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान का जन्म।
1945ः भारत के मौजूदा एवं 14वें राष्ट्रपति रामनाथ काेविंद का जन्म।
1953ः आंध्र प्रदेश अलग राज्य बना। यह राज्य भी अब तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में बंट चुका है।
1960ः नाइजीरिया ब्रिटेन से स्वतंत्र हुआ।
1967ः भारतीय पर्यटन विकास निगम की स्थापना हुई।
1978ः भारत में लड़कियों की शादी की उम्र को 14 से बढ़ा कर 18 और लड़कों की 18 से बढ़ा कर 21 वर्ष किया गया।
1996ः अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन द्वारा पश्चिम एशिया शिखर सम्मेलन का उद्घाटन।
1998ः श्रीलंका में किलिनोच्ची एवं मानकुलम शहरों पर कब्ज़े के लिए सेना एवं लिट्टे उग्रवादियों के बीच हुए संघर्ष में 1300 लोगों की मौत।
2002: गोवा में एक कार्यक्रम के दौरान नेवी के दो विमान फ्लायपास्ट के दौरान आपस में टकराए।
2005ः इंडोनेशिया के बाली में हुए बम विस्फोट में 40 लोगों की मौत।
2007ः जापान ने उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रतिबंधों को अगले छह महीनों तक बढ़ाने की घोषणा की।
2008: यूएस सीनेट ने भारत के साथ परमाणु व्यापार पर लगे तीन दशक के प्रतिबंध को खत्म किया।
2016: भारत ने टेलीकॉम तरंगों की सबसे बड़ी नीलामी की। पहले दिन की बिक्री से 535.31 अरब रुपए की आय हुई।
2019: फोर्ड मोटर कंपनी और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कहा कि वे भारत में जॉइंट वेंचर शुरू करेंगे।
from Dainik Bhaskar /national/news/today-history-october-1st-international-day-for-older-persons-republic-of-china-formed-accident-during-flypast-in-goa-127769434.html
बाबरी मस्जिद मामले में अदालत ने आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि घटना पूर्व नियोजित नहीं लगती। वहीं, बरी होने के बाद एक आरोपी जय भगवान गोयल बोले कि ढांचा एजेंडे के तहत ही गिराया था। एकाएक कुछ नहीं हुआ। बहरहाल, चलिए शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
आज इन 7 इवेंट्स पर रहेगी नजर 1. IPL में आज मुंबई इंडियंस और किंग्स इलेवन पंजाब आमने-सामने होंगे। टॉस शाम 7 बजे होगा। मैच शाम साढ़े 7 बजे शुरू होगा। 2. आज अनुराग कश्यप को पूछताछ के लिए मुंबई के वर्सोवा पुलिस स्टेशन बुलाया गया है। फिल्ममेकर सुबह 11 बजे जाएंगे। 3. झारखंड में आज से स्कूल, सिनेमाघर और धार्मिक स्थल खोलने पर निर्णय लिया जा सकता है। 4. आज से राजस्थान का रणथंभौर टाइगर पार्क खोल दिया जाएगा। 5. मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग की ऑनलाइन कक्षाएं आज से, करीब 7 लाख छात्र जुड़ेंगे। 6. पंजाब में खेती बिलों को लेकर सबसे बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा। अकाली वर्कर और किसान-मजदूर मोहाली से राज्यपाल को मेमोरेंडम देने के लिए चंडीगढ़ जाएंगे। 7. आज से दुर्ग और धमतरी में लॉकडाउन होगा खत्म। दुर्ग में रात 8 बजे तक खुल सकेंगी दुकानें। साप्ताहिक बंदी का निर्णय व्यापारी खुद कर सकेंगे।
अब कल की महत्वपूर्ण 7 खबरें
1. बाबरी मामले में 28 साल बाद आडवाणी-मुरली समेत 32 आरोपी बरी
बाबरी मस्जिद ढांचा ढहाए जाने के 265 दिन बाद मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई टीम करीब 3 साल जांच करती रही। फिर सीबीआई के स्पेशल कोर्ट में ही सुनवाई शुरू हुई। आखिरकार 30 सितंबर को फैसला आ गया। घटना के 28 साल बाद बाबरी से सब बरी कर दिए गए। सब यानी सभी 32 आरोपी, जो जिंदा हैं। वैसे कुल 48 आरोपी थे। इनमें से 16 अब नहीं हैं। -पढ़ें पूरी खबर
2. राम मंदिर पर 57 दिन बाद बोले आडवाणी: ‘जय श्रीराम, ये खुशी का पल है’
बाबरी विध्वंस केस में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने बुधवार को लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। फैसले के बाद लालकृष्ण आडवाणी (92) ने कहा कि यह हम सभी के लिए खुशी का पल है। कोर्ट के निर्णय ने मेरी और पार्टी की रामजन्मभूमि आंदोलन को लेकर प्रतिबद्धता और समर्पण को सही साबित किया है। -पढ़ें पूरी खबर
3. हाथरस गैंगरेप: पुलिस ने रात में खुद ही पीड़िता का शव जला दिया
हाथरस में कथित गैंगरेप पीड़ित का बीती रात पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया। पीड़ित के भाई ने भास्कर से बात करते हुए कहा, 'पुलिस ने हमें उसका चेहरा तक नहीं देखने दिया। हमें नहीं पता पुलिस ने किसे जलाया।' मोदी ने योगी से कहा है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। राज्य सरकार ने 3 सदस्यों की एसआईटी बनाकर 7 दिन में रिपोर्ट देने को कहा है। -पढ़ें पूरी खबर
4. UPSC एग्जाम पर सुप्रीम कोर्ट: लास्ट अटेम्प्ट वाले कैंडीडेट्स को एक और मौका दें
सुप्रीम कोर्ट ने सिविल सेवा (प्रिलिम्स) परीक्षा 2020 पर बुधवार को कहा कि 4 अक्टूबर को होने वाले ये परीक्षाएं कोविड महामारी के कारण नहीं टाली जा सकतीं। केंद्र सरकार इस पर विचार करे कि ऐसे कैंडीडेट़्स को एक और मौका दिया जा सकता है जिनके पास अपना आखिरी अटेम्प्ट बचा है और जो कोरोना के कारण परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे। -पढ़ें पूरी खबर
5. अंगदान करेंगे अमिताभ बच्चन, ट्विटर पर लिखा- मैं अंगदान का संकल्प ले चुका हूं
अमिताभ बच्चन ने 77 साल की उम्र में अंगदान करने का संकल्प लिया है। इस बात की जानकारी उन्होंने मंगलवार देर रात ट्वीट कर दी। उन्होंने एक फोटो भी शेयर किया है, उनके कोट पर हरे रंग का रिबन लगा है, जो कि अंगदान के संकल्प का प्रतीक है। बच्चन ने अपने ट्वीट में लिखा, "मैं अंगदान का संकल्प ले चुका हूं...इसकी पवित्रता दिखाने के लिए हरे रंग का रिबन लगाया है।" -पढ़ें पूरी खबर
6. रिया को हो सकती है 10 से 20 साल की जेल
ड्रग्स मामले में मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की सुनवाई में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के एडीजी अनिल सिंह ने कहा था कि रिया चक्रवर्ती का सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में छोटा सा कनेक्शन है। अब एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दैनिक भास्कर से कहा- रिया और शोविक के केस में डेढ़ किलो चरस जब्त की गई है। उन्हें 10-20 साल तक की सजा हो सकती है। -पढ़ें पूरी खबर
7. आज से होंगे 9 अहम बदलाव: बीमा पॉलिसी में अब ज्यादा बीमारियां कवर होंगी
1 अक्टूबर से देशभर में कई नियमों में बदलाव होने जा रहे हैं। वाहन चलाने वालों और विदेश में पैसा भेजने वालों से लेकर गूगल पर मीटिंग करने वालों तक के लिए इन बदलावों को जानना जरूरी है। इनमें गाड़ी चलाते हुए मोबाइल के इस्तेमाल का भी जिक्र है और मिठाई खरीदते समय ध्यान रखने वाली बात का भी। -पढ़ें पूरी खबर
अब 1 अक्टूबर का इतिहास
1854: भारत में डाक टिकट का प्रचलन प्रारंभ हुआ।
1949: चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन आरंभ हुआ।
1967: भारतीय पर्यटन विकास निगम की स्थापना हुई।
आखिर में जिक्र मशहूर उर्दू शायर मजरूह सुल्तानपुरी का। आज ही के दिन 1919 में उनका जन्म हुआ था। पढ़िए उन्हीं का एक मशहूर शेर....
बिहार आबादी के लिहाज से देश का तीसरा बड़ा राज्य है। मुस्लिम आबादी भी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बाद यहां सबसे ज्यादा है। प्रदेश की 243 सीटों में से 38 ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर 20% से ज्यादा हैं। ये वोट महा गठबंधन का परंपरागत वोट बैंक कहे जाते हैं। लेकिन, जदयू, लोजपा जैसे एनडीए के दलों को भी मुस्लिम वोट मिलता है। इस चुनाव में मुस्लिम वोटर किस तरफ जाएगा ये तो 10 नवंबर को पता चलेगा। लेकिन,पिछले चुनावों में मुस्लिम वोटर किसके साथ रहा है और कितने मुस्लिम विधायक बन रहे हैं, आइए जानते हैं...
पिछली बार 23 मुस्लिम विधायक चुने गए थे
2015 के चुनाव में 23 मुस्लिम विधायक चुनकर आए थे। 2000 के चुनावों के बाद ये पहली बार था, जब इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम विधायक जीते थे। 2000 के चुनाव में 29 मुस्लिम विधायक चुने गए थे।
2015 में सबसे ज्यादा 11 मुस्लिम विधायक राजद से थे। कांग्रेस के 27 विधायकों में से 6, जदयू के 71 में 5 मुस्लिम विधायक बने। भाजपा के 53 में से एक भी विधायक मुस्लिम नहीं है।
1985 में सबसे ज्यादा मुस्लिम विधायक जीतकर आए थे
1951 में बिहार में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए। उस वक्त यहां 276 सीटें होती थीं। उस वक्त कुछ सीटों पर एक से ज्यादा विधायक भी चुने जाते थे। 1951 में कुल 330 विधायक चुने गए थे, जिनमें से 24 मुस्लिम थे।
उसके बाद 1957 में चुनाव हुए, जिसमें 319 विधायकों में से 25 मुस्लिम थे। 1962 में 21 मुस्लिम विधायक जीते। सबसे ज्यादा 34 मुस्लिम विधायक 1985 के चुनाव में चुनकर आए थे। जबकि, सबसे कम 16 मुस्लिम विधायक अक्टूबर 2005 के चुनाव में आए।
6 साल में तीन चुनाव, किस तरफ गए मुस्लिम वोट?
पिछले 6 साल में बिहार में तीन चुनाव हो चुके हैं। जिनमें 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव और 2015 का विधानसभा चुनाव है। तीनों ही बार ज्यादातर मुस्लिम वोट राजद के साथ गए।
2014 का लोकसभा चुनावः सीएसडीएस-लोकनीति के सर्वे में आया था कि इस चुनाव में 60% से ज्यादा मुस्लिम वोट (ओबीसी मुस्लिम भी शामिल) राजद-कांग्रेस गठबंधन को मिले थे। नीतीश की जदयू को 21% मुसलमानों ने वोट किया। जबकि, भाजपा को मुसलमानों ने पूरी तरह से खारिज कर दिया।
2015 का विधानसभा चुनावः इस चुनाव में राजद-कांग्रेस और जदयू के महा गठबंधन को मुसलमानों के 77.6% वोट मिले थे। जबकि, भाजपा और उसके सहयोगियों को महज 7.8% वोट मिले।
2019 का लोकसभा चुनावः पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए (भाजपा+जदयू+लोजपा) बिहार की 40 में से 39 सीटें जीतने में कामयाब रहा था। सीएसडीएस-लोकनीति के सर्वे के मुताबिक, इस चुनाव में महा गठबंधन (राजद+कांग्रेस+हम+वीआईपी+रालोसपा) को 77% से ज्यादा मुस्लिम वोट मिले थे, जबकि एनडीए को सिर्फ 6% मुसलमानों ने वोट किया।
बिहार के सहरसा जिले में एक गांव पड़ता है। नाम है पनगछिया। इस गांव में 26 जनवरी 1956 को एक लड़के का जन्म होता है। उसके दादा राम बहादुर सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे। ये लड़का जब 17 साल का था, तब बिहार में जेपी आंदोलन शुरू होता है और यहीं से उसके राजनीतिक करियर की शुरुआत भी।
आपातकाल के बाद जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो 1978 में उस समय के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई सहरसा आए थे। उस समय इस 22 साल के लड़के ने उन्हें काले झंडे दिखाए।
कहते हैं कि बिहार की राजनीति दो चीजों पर चलती है। पहली है जाति और दूसरी है दबंगई। इस लड़के ने इन दोनों का ही सहारा लेकर राजनीति में कदम रखा। इस लड़के की इतनी बात हो चुकी है, तो अब नाम भी जान ही लीजिए। उसका नाम है आनंद मोहन सिंह।
बिहार की राजनीति के बाहुबली नेता आनंद मोहन। जो इस वक्त एक डीएम की हत्या के मामले में सजा काट रहे हैं। इनकी पत्नी और पूर्व सांसद लवली आनंद हाल ही में राजद में शामिल हुई हैं।
आनंद मोहन और लवली की शादी 13 मार्च 1991 को हुई थी। आनंद मोहन एक बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं। लवली आनंद एक बार की सांसद हैं।
1983 में तीन महीने जेल में गुजारे, 1990 में चुनावी राजनीति में उतरे
80 के दशक में बिहार में आनंद मोहन सिंह बाहुबली नेता बन चुके थे। यही वजह थी कि उन पर कई मुकदमे भी दर्ज हुए। 1983 में पहली बार तीन महीने के लिए जेल जाना पड़ा। जेल से आने के बाद उन्होंने चुनावी राजनीति में कदम रखा।
1990 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए। आनंद मोहन ने जनता दल के टिकट पर महिषी से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के लहतान चौधरी को 62 हजार से ज्यादा वोट से हरा दिया।
ये वो समय था जब देश में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू की गई थीं। इन सिफारिशों में सबसे अहम बात थी सरकारी नौकरियों में ओबीसी को 27% का आरक्षण देना। जनता दल ने भी इसका समर्थन किया।
लेकिन, आनंद मोहन ठहरे आरक्षण विरोधी। उन्होंने 1993 में जनता दल से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई, जिसका नाम ‘बिहार पीपुल्स पार्टी’ यानी बीपीपी रखा। बाद में समता पार्टी से हाथ मिला लिया।
आनंद मोहन के घर बड़े नेताओं का आना-जाना लगा रहता था। इस तस्वीर में जो दिख रहे हैं, वो हैं पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर। एक समय बिहार में आनंद मोहन को लालू का विकल्प देखा जाने लगा था।
डीएम की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए, पहले नेता जिन्हें मौत की सजा मिली थी
जिस समय आनंद मोहन ने अपनी चुनावी राजनीति शुरू की थी, उसी समय बिहार के मुजफ्फरपुर में एक नेता हुआ करते थे छोटन शुक्ला। आनंद मोहन और छोटन शुक्ला की दोस्ती काफी गहरी थी।
1994 में छोटन शुक्ला की हत्या हो गई। आनंद उनके अंतिम संस्कार में भी पहुंचे। छोटन शुक्ला की अंतिम यात्रा के बीच से एक लालबत्ती की गाड़ी गुजर रही थी, जिसमें सवार थे उस समय के गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया।
लालबत्ती की गाड़ी देख भीड़ भड़क उठी और जी कृष्णैया को पीट-पीटकर मार डाला। जी कृष्णैया की हत्या का आरोप आनंद मोहन पर लगा। आरोप था कि उन्हीं के कहने पर भीड़ ने उनकी हत्या की। आनंद की पत्नी लवली आनंद का नाम भी आया।
आनंद मोहन को जेल हुई। 2007 में निचली अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुना दी। आनंद मोहन देश के पहले पूर्व सांसद और पूर्व विधायक हैं, जिन्हें मौत की सजा मिली।
मौत की सजा को उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी। पटना हाईकोर्ट ने दिसंबर 2008 में मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। बाद में वो सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट ने भी जुलाई 2012 में पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। आनंद मोहन अभी भी जेल में ही हैं।
जेल में थे, लेकिन चुनाव जीतते रहे
1996 में लोकसभा चुनाव हुए। उस वक्त आनंद मोहन जेल में थे। जेल से ही उन्होंने समता पार्टी के टिकट पर शिवहर से चुनाव लड़ा। उस चुनाव में उन्होंने जनता दल के रामचंद्र पूर्वे को 40 हजार से ज्यादा वोटों से हराया।
1998 में फिर उन्होंने शिवहर से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार राष्ट्रीय जनता पार्टी के टिकट पर। ये चुनाव भी उन्होंने जीत लिया। 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में भी आनंद मोहन खड़े हुए, लेकिन हार गए।
खुद तो राजनीति में थे, पत्नी को भी लाए
आनंद मोहन का नाम उन राजनेताओं में आता है, जो अपनी पत्नी को भी राजनीति में लेकर आए। आनंद मोहन ने 13 मार्च 1991 को लवली सिंह से शादी की। लवली स्वतंत्रता सेनानी माणिक प्रसाद सिंह की बेटी हैं।
शादी के तीन साल बाद 1994 में लवली आनंद की राजनीति में एंट्री उपचुनाव से हुई। 1994 में वैशाली लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए, जिसमें लवली आनंद यहां से जीतकर पहली बार संसद पहुंचीं।
बिहार में लवली आनंद को लोग भाभीजी कहकर बुलाते हैं। लोग बताते हैं कि जब भाभीजी रैली करने आती थीं, तो लाखों की भीड़ इकट्ठा होती थी। इतनी भीड़ तो आनंद मोहन की रैलियों में भी नहीं आती थी। बिहार की राजनीति को करीब से देखने वालों का कहना है कि लवली आनंद की रैलियों में भीड़ देखकर उस समय लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार जैसे सरीखे नेता भी दंग रह जाते थे।
हालांकि, लवली आनंद की रैलियों में आने वाली भीड़ वोटों में तब्दील नहीं हो पाती थी। जब वोटिंग होती थी, तो लवली आनंद की हार ही होती थी।
लवली पार्टियां बदलती रहीं, लेकिन जीत न सकीं
आनंद मोहन और लवली आनंद के बारे में कहा जाता है कि जितनी तेजी से लोग कपड़े नहीं बदलते थे, उतनी तेजी से तो ये पार्टियां बदल लेते थे।
लवली आनंद पहली बार 1994 में उपचुनाव जीतकर सांसद बनी। उस समय उन्होंने बिहार पीपुल्स पार्टी से चुनाव लड़ा था। उसके बाद 1999 के लोकसभा चुनाव में भी वैशाली से ही खड़ी हुईं, लेकिन हार गईं।
2009 का लोकसभा चुनाव लवली ने कांग्रेस के टिकट पर शिवहर से लड़ा, लेकिन हार गईं। इस बीच 2004 में बिहार पीपुल्स पार्टी का मर्जर कांग्रेस में भी हो गया। 2010 में बिहार विधानसभा चुनाव में लवली कांग्रेस के टिकट पर ही आलम नगर से खड़ी हुईं, लेकिन ये चुनाव भी हार गईं।
बाद में कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए लवली आनंद सपा में शामिल हो गईं। 2014 के लोकसभा चुनाव में लवली सपा के टिकट पर शिवहर से फिर लड़ीं, लेकिन हार गईं। 2015 के विधानसभा चुनाव में वो जीतन राम मांझी की पार्टी हम (सेक्युलर) से शिवहर से खड़ी हुईं, लेकिन फिर हार गईं।
अब चुनाव की तारीखें आने के बाद लवली आनंद राजद में शामिल हो गई हैं। क्योंकि, वो हमेशा शिवहर से ही लड़ती रही हैं और उनके पति आनंद मोहन भी शिवहर से सांसद रह चुके हैं, इसलिए माना तो यही जा रहा है कि इस बार भी वो शिवहर से ही लड़ सकती हैं। देखते हैं पार्टी बदलने का इस बार क्या नतीजा निकलता है?