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जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में इंटरनेट सेवाएं बंद करने के बयान वाला अमित शाह का फर्जी ट्वीट वायरल, गृह मंत्रालय ने भी इसे फेक बताया

क्या वायरल : गृह मंत्री अमित शाह का ट्वीट बताकर एक स्क्रीनशॉट शेयर किया जा रहा है। इस ट्वीट में लिखा है जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में इंटरनेट सेवाएं बंद की जा रही हैं।

सोशल मीडिया पर इस तरह के दावे किए जा रहे हैं

वायरल ट्वीट

फैक्ट चेक पड़ताल

  • वायरल ट्वीट में तारीख 21 जून, 2020 लिखी हुई है। जबकि गृह मंत्री अमित शाह के ट्विटर हैंडल पर ऐसा कोई ट्वीट ही नहीं है। गृह मंत्री के आधिकारिक ट्विटर अकाउंटOffice of Amit Shah से भी इस तारीख में कोई ट्वीट नहीं किया गया।
  • गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट करके वायरल हो रहे स्क्रीनशॉट को फर्जी बताया है।

निष्कर्ष : सोशल मीडिया पर गृह मंत्री अमित शाह का ट्वीट बताकर वायरल हो रहा स्क्रीनशॉट फर्जी है। हाल के दिनों में गृह मंंत्री ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख में इंटरनेट सेवाएं बंद करने जैसा कोई बयान नहीं दिया है।



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Amit Shah's fake tweet with a statement to stop internet services in Jammu and Kashmir and Ladakh, viral


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भारत सरकार ने बैन लगाया 59 चीनी ऐप्स पर, लेकिन बात हो रही सिर्फ एक ऐप टिक टॉक की

सोमवार को मोदी सरकार ने 59 चीनी ऐप्स को देश की सुरक्षा पर खतरा बताते हुए बैन कर दिया।भारत-चीन के बीच बढ़ रहे सीमा विवाद के बाद से ही लगातार चीनी ऐप्स को देश में बैन करने की मांग तेज हो रही थी।हालांकि, सरकार ने भले ही 59 ऐप्स को बैन किया है। लेकिन, सोशल मीडिया पर अधिकतर रिएक्शन टिकटॉक से जुड़े ही देखने को मिल रहे हैं।

टिकटॉक पर लगे बैन को लेकर लोग दो धड़ों में बंट गए हैं। एक पक्ष का कहना है कि टिकटॉक जैसे ऐप्स देश की सुरक्षा के लिए खतरा थे और इनपर बैन लगाकर सरकार ने बिल्कुल सही किया है। वहीं दूसरे पक्ष की तरफ से टिकटॉक में काम करने वाले लोगों की नौकरी और आर्टिस्ट का प्लेटफॉर्म छिन जाने की बात कही जा रही है।

यूजर टिकटॉक बैन को बता रहे देशहित में उठाया गया कदम

बैन के विरोध में यूजर बोले- नौकरी तो भारतीयों की ही जा रही है

पक्ष - विपक्ष के बीच मजे लेने वालों की भी कमीनहीं

हमारे मोबाइल में पहले से नहीं है टिकटॉक



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The government banned 59 Chinese apps, but on social media people are only talking about Tiktok.


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बालकृष्ण ने कहा- हमने काेराेना की दवा बनाने का दावा नहीं किया; नैनीताल हाईकोर्ट ने केंद्र को नोटिस भेजा

याेग गुरु रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद काेराेनावायरस की दवा बनाने के दावे से पलट गई है। उत्तराखंड आयुष विभाग के नोटिस के जवाब में पतंजलि ने कहा कि उसने कोरोना की दवा बनाने का काेई दावा नहीं किया। नाेटिस के जवाब में पतंजलि के सीईओआचार्य बालकृष्ण ने कहा कि सरकारी गाइडलाइन के अनुसार अनुमति लेकर तैयार दवा से कोरोना मरीज भी ठीक हुए हैं।रामदेव ने 23 जून को दावा किया था कि पतंजलि ने जयपुर की निम्स यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोरोना की दवा बना ली है।

वहीं, बालकृष्ण ने एक अन्य बयान में कहा कि इस मामले में याेजना बनाकर भ्रम और षड्यंत्र रचा गया। पतंजलि ने कोरोनिल के क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल का रिजल्ट बताया था। हमने कभी दवा से कोरोना ठीक या नियंत्रित करने का दावा नहीं किया। हमने कहा था कि एक दवा बनाई है, जिससे कोरोना के मरीज भी ठीक हुए हैं।

दूसरी तरफ, उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग के लाइसेंस अधिकारी वाईएस रावत ने कहा कि पतंजलि ने नोटिस के जवाब में लिखा है कि उन्हाेंने कोरोना किट के नाम से कोई किट पैक नहीं की। उन्हाेंने सिर्फदिव्य कोरोनिल टैबलेट, दिव्य अणु तेल और श्वासारी वटी को पैक किया है। रावत ने कहा कि अब पतंजलि काे काेराेना किट पर से वायरस का चित्र हटाने काे कहा जाएगा।

नैनीताल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया

कोरोना की दवा मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ याचिका भी दायर हो गई है। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया। असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया को आदेश दिया है कि बुधवार को होने वाली सुनवाई में वह खुद उपस्थित होकर इस मामले में केंद्र सरकार का पक्ष रखें।



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पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ बालकृष्ण ने कहा कि इस मामले में याेजना बनाकर भ्रम और षड्यंत्र रचा गया। (फाइल)


from Dainik Bhaskar /national/news/balakrishna-said-did-not-claim-to-make-medicine-for-kareena-high-court-sent-notice-to-central-government-127465687.html
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बैंकों में मिनिमम बैलेंस नहीं रखा तो चार्ज लगेगा; रेलवे में वेटिंग टिकट नहीं मिलेगा, अब तत्काल टिकट पर भी रिफंड

एक जुलाई से देशभर में अनलॉक-2 शुरू हो जाएगा। गृह मंत्रालय ने इससे संबंधित दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इस दौरान बैंकिंग से लेकर रेलवे में कई नियम बदलेंगे। 1 जुलाई से ज्यादातर बैंक फिर से तमाम बैंकिंग चार्ज वसूलना शुरू कर देंगे।

एटीएम कैश विड्राल चार्ज और मिनिमम अकाउंट बैलेंस (एमएबी) मेंटिनेंस जैसे बैंकिंग चार्ज पर सरकार ने 30 जून तक ही रोक लगाई थी। रेलवे में वेटिंग लिस्ट का टिकट नहीं मिलेगा जबकि कई स्पेशल ट्रेनों का समय बदला जाएगा। अटल पेंशन स्कीम में भी ऑटो डेबिट की सुविधा शुरू हो जाएगी। आइए जानें क्या कुछ बदलने वाला है आज से...

बैंक: दूसरे एटीएम से निकासी करने पर फिर चार्ज देना होगा

  • बैंक अकाउंट में तय सीमा से कम पैसा रखने पर एमएबी के नाम पर चार्ज लिया जाता है। जैसे एसबीआई में मेट्रो और शहरी क्षेत्रों में न्यूनतम बैलेंस 3000 रुपए रखना पड़ता है। सेमी अर्बन में 2000 रुपए और ग्रामीण इलाके में 1000 रुपए बैलेंस जरूरी है। एचडीएफसी और आईसीआईसीआई जैसे निजी क्षेत्र के बैंक मेट्रो और शहरी क्षेत्रों के लिए 10 हजार रुपए एमएबी रखे हैं। अब ये चार्ज फिर से वसूले जाएंगे।
  • पहले की तरह दूसरे बैंक के एटीएम से निश्चित संख्या से ज्यादा बार निकासी पर अब फिर चार्ज देना होगा। पहले की तरह हर महीने केवल मेट्रो शहरों में आठ और नॉन मेट्रो शहरों में लोग 10 ट्रांजेक्शन ही कर सकेंगे। कोरोनावायरस के चलते पहले लोगों को एटीएम से असीमित निकासी की सुविधा दी गई थी।
  • 1 जुलाई से कई बैंकों में जरूरी डॉक्यूमेंट जमा नहीं कराने पर लोगों के खाते फ्रीज हो जाएंगे। बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ ही विजया बैंक और देना बैंक में भी ये नियम लागू हो गया है। विजया और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय हो चुका है।

रेलवे: तत्काल टिकट कैंसिल कराई तो 50% रिफंड मिलेगा

  • 1 जुलाई से आपको वेटिंग लिस्ट का टिकट नहीं मिलेगा। रेलवे ने फैसला किया है कि अब लोगों को सिर्फ कंफर्म टिकट दिया जाएगा या फिर आरएसी टिकट दिया जाएगा। साथ ही, एक जुलाई से विभिन्न ट्रेनों का समय भी बदला है।
  • अभी तत्काल टिकट कैंसिल करवाने पर कोई रिफंड नहीं मिलता है, लेकिन बुधवार से रेलवे के नियमों में बदलाव के बाद तत्काल टिकट कैंसिल करवाने पर 50 फीसदी का रिफंड मिलेगा।

अटल पेंशन योजना में ऑटो डेबिट सुविधा फिर शुरू होगी

केंद्र सरकार की ओर से अटल पेंशन योजना चलाई जाती है, जिसके तहत फिलहाल ऑटो डेबिट नहीं हो रहा है। 30 जून को ये मियाद खत्म हो रही है। यानी 1 जुलाई से इस योजना में पैसा लगाने वाले लोगों के अकाउंट से पैसे अपने आप कट जाएंगे, यानी ऑटो डेबिट हो जाएंगे। यह काफी सुविधाजनक होगा।



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एटीएम कैश विड्राल चार्ज और मिनिमम अकाउंट बैलेंस (एमएबी) मेंटिनेंस जैसे बैंकिंग चार्ज पर सरकार ने 30 जून तक ही रोक लगाई थी। (फाइल)


from Dainik Bhaskar /local/rajasthan/jaipur/news/if-you-do-not-keep-minimum-balance-in-banks-there-will-be-a-charge-waiting-tickets-will-not-be-available-in-railways-127464719.html
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अतनु की हुईं दीपिका; दाे तीरंदाजों का अब एक निशाना, लद्दाख के इतिहास में पहली बार बिना भागीदारी के मनाया गया हेमिस फेस्टिवल

तीरंदाजी के दो धुरंधर मंगलवार को एक-दूजे के हो गए। ओलिंपियन पद्मश्री दीपिका और अतनु दास ने सात फेरे लेकर जिंदगी की नई पारी शुरू की। अतनु दास ने दीपिका को मास्कपहनाकर रक्षा का नया वचन दिया। अतनु दास सात बारातियों के साथ सोमवार को ही रांची पहुंच गए थे। वहीं परिवार की ओर से करीब 50 लोग समारोह में शामिल थे। शादी के बाद सीएमहेमंत सोरेन, सांसद संजय सेठ और विधायक सुदेश महतो व नवीन जायसवाल सहित कई लोगों ने वर-वधु को आशीर्वाद दिया। सीएम ने कहा-दीपिका हमारे राज्य की शान है। उन्हें जीवन की नई पारी की शुभकामनाएं।

लद्दाख के इतिहास में पहली बार बिना भागीदारी के मनात्योहार

लेह-लद्दाख का दो दिवसीय हेमिस फेस्टिवल मंगलवार से शुरू हो गया है। लद्दाख के इतिहास में यह पहला मौका है, जब इसे सांकेतिक रूप से मनाया जा रहा है। कोविड-19 को देखते हुए पहले दिन फेस्टिवल में 13 भिक्षु, 13 काली टोपी वाले नर्तक और पारंपरिक वेशभूषा वाले 16 नर्तक शामिल हुए। त्योहार लेह के एक खाली यार्ड में मनाया जा रहा है। स्थानीय लोग बताते हैं- ‘गुरु रिन्पोछे पद्मसंभव 8वीं सदी में महान बुद्धिष्ट मास्टर थे। उन्होंने लद्दाख से बुरी आत्माओं को भगाया था। इस कारण हेमिस फेस्टिवल बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर उन्हीं की याद में मनाया जाता है।

सेक्टर-17 में धूमधाम से मनायागर्व उत्सव

चंडीगढ़में एलजीबीटी और किन्नर समुदाय के लोगों ने सेक्टर-17 में सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए एक गर्व उत्सव मनाया। ताकि लैंगिक भेद और असमानता खत्म हो और सब मिलकर देश निर्माण में सहभागी बने।

आकाशीय बिजली गिरने से 11 लोगों की मौत

गुजरात में मंगलवार को आकाशीय बिजली गिरने की अलग-अलग घटनाओं में 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 17 अन्य झुलस गए। अधिकांश हादसे सौराष्ट्र अंचल में हुए। यहां दिख रहा फोटो भावनगर कीहै। यहां आकाशीय बिजली गिरने के पलों को एक्रेसिल लिमिटेड के चेयरमैन चिराग पारेख ने विक्टोरिया पॉर्क में मोबाइल कैमरे में कैद किया।

ट्यूबवैल खुदवाकर भूली पंचायत

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के भुंडेला में लंबे समय से पेयजल संकट है। सार्वजनिक ट्यूबवैल से ग्रामीण स्वयं मोटर लगवाकर हंस आश्रम की बिजली व टांके से पानी ले रहे हैं। ट्यूबवैल चालू होने से पहले ही यहां पानी के लिए रोजाना लंबी कतार लग जाती है। स्कूल परिसर में लगा हैंडपंप भी खराब पड़ा है।

पिछली बार से 90 मिमी ज्यादा पानी जून में गिरा

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में मंगलवार को जमकर बारिश हुई। एक ही दिन में 96 मिमी बारिश दर्ज की गई है। 30 जून तक 276.7 मिमी बारिश हो चुकी है। पिछले साल 187.1 मिमी बारिश हुई थी। इस तरह 89.6 मिमी अधिक वर्षा हुई। मौसम विभाग ने बुधवार को भी बारिश होने की संभावना जताई है। मौसम का एक चक्रवाती घेरा छत्तीसगढ़ में बना हुआ है इसलिए बारिश होगी। बुधवार को भी बारिश हो सकती है।

एक टांग पर 5 घंटे खड़े रहकर सो भी लेते हैं राजहंस

मध्यप्रदेश के गुना जिले में स्थित सिंगवासा तालाब में इस साल पहली बार ग्रेटर फ्लेमिंगों (राजहंस) की प्रजाति प्रवास पर आई है। आमतौर पर प्रवासी पक्षी सर्दियों में आते हैं। सिंगवासा पर कई बार साइबेरियन सारस देखे गए हैं पर ग्रेटर फ्लेमिंगो अपेक्षाकृत गर्म देशों की प्रजाति है।लॉकडाउन और भरपूर पानी के कारण हुआ प्रवास इस बार लॉकडाउन के कारण सिंगवासा के आसपास मानवीय गतिविधियां बहुत कम है। वहीं पिछले साल हुए गहरीकरण के शानदार नतीजे इस बार दिखाई दे रहे हैं। इन दोनों अनुकूल स्थितियों के कारण यह पक्षी पहली बार हमारे यहां आएहैं।

कोरोना काल में इस तरह परिजनों से मुलाकात

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के नवापारा बारीडीह पंचायत के प्राइमरी सरकारी स्कूल में इलाहाबाद से लौटा मजदूर का परिवार क्वारैंटाइन में है। मजदूर अशोकअपने बच्चों ने मिलने शुक्रवार को क्वारैंटाइन सेंटर पहुंचे। वे स्कूल के गेट पर खड़े हो गए और अपने बच्चे, पत्नी,बहन और बहनोई को दूर से देखा। गेट के बाहर से ही बातचीत की। उन्होंने बताया कि घर पर आज अच्छी सब्जी बनी थी, सोचा बच्चों को खिला दूं।



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Deepika became Atanu; Now a target of archers, Hemis Festival was celebrated for the first time in the history of Ladakh without participation.


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भारत सरकार ने बैन लगाया 59 चीनी ऐप्स पर, लेकिन बात हो रही सिर्फ एक ऐप टिक टॉक की

सोमवार को मोदी सरकार ने 59 चीनी ऐप्स को देश की सुरक्षा पर खतरा बताते हुए बैन कर दिया।भारत-चीन के बीच बढ़ रहे सीमा विवाद के बाद से ही लगातार चीनी ऐप्स को देश में बैन करने की मांग तेज हो रही थी।हालांकि, सरकार ने भले ही 59 ऐप्स को बैन किया है। लेकिन, सोशल मीडिया पर अधिकतर रिएक्शन टिकटॉक से जुड़े ही देखने को मिल रहे हैं।

टिकटॉक पर लगे बैन को लेकर लोग दो धड़ों में बंट गए हैं। एक पक्ष का कहना है कि टिकटॉक जैसे ऐप्स देश की सुरक्षा के लिए खतरा थे और इनपर बैन लगाकर सरकार ने बिल्कुल सही किया है। वहीं दूसरे पक्ष की तरफ से टिकटॉक में काम करने वाले लोगों की नौकरी और आर्टिस्ट का प्लेटफॉर्म छिन जाने की बात कही जा रही है।

यूजर टिकटॉक बैन को बता रहे देशहित में उठाया गया कदम

बैन के विरोध में यूजर बोले- नौकरी तो भारतीयों की ही जा रही है

पक्ष - विपक्ष के बीच मजे लेने वालों की भी कमीनहीं

हमारे मोबाइल में पहले से नहीं है टिकटॉक



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The government banned 59 Chinese apps, but on social media people are only talking about Tiktok.


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क्यों राफेल की तरह पहले मिग 21 और जगुआर भी अंबाला में ही तैनात हुए थे और इससे मुकाबले के लिए चीन के पास कोई फाइटर नहीं हैं

भारत को 27 जुलाई तक फ्रांस से 6 राफेल फाइटर जेट मिलने वाले हैं। इन फाइटर जेट को अम्बाला एयरबेस पर तैनात किया जाएगा। भारत राफेल बनाने वाली फ्रेंच कंपनी दसॉ एविएशन से 36 फाइटर जेट खरीदेगा। उम्मीद है कि 2022 तक ये सभीफाइटर जेट मिल जाएंगे।

एलएसी पर चीन के साथ जारी तनाव के बीच राफेल हमारे लिए बहुत जरूरी भी था। भारतीय वायुसेना ने पहले भी फ्रांस, रूस और ब्रिटेन जैसे देशों से फाइटर जेट खरीदे हैं। फ्रांस से हमने जो भी फाइटर जेट खरीदे हैं, वो सभी दसॉ एविएशन के हैं।

इसमें 1953 से 1965 के बीच 104 एमडी 450 ओरागेन (भारत में इसे हरिकेन कहते हैं) खरीदे थे। 1957 से 1973 के बीच 110 एमडी 454 मिस्टेरे-5 खरीदे थे। 1985 में मिराज 2000 खरीदे थे। मिराज का इस्तेमाल हम कारगिल की लड़ाई और बालाकोट एयरस्ट्राइक में भी कर चुके हैं।

27 जुलाई को फ्रांस से राफेल फाइटर जेट की पहले खेप आएगी। इसके तहत 6 विमान भारत पहुंचेंगे।

राफेल फाइटर जेट के आने के बाद भारत की कितनी ताकत बढ़ेगी? चीन के विमानों की तुलना में ये कितना शक्तिशाली होगा? ये सब समझने के लिए पढ़िए रिटायर्ड एयर मार्शल अनिल चोपड़ा का एक्सप्लेनर...

भारतीय पायलट राफेल भारत लेकर पहुंचेंगे
राफेल को भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट ही फ्रांस से लेकर भारत पहुंचेंगे। भारत आने से पहले पायलट फ्रांस में ही उड़ान भरकर प्रैक्टिस करेंगे। फ्रांस के बोर्डेक्स मेरिग्नेक एयरफील्ड से भारतीय पायलट 25 जुलाई को उड़ान भर सकते हैं। 6 एयरक्राफ्ट तीन-तीनविमान के ग्रुप में बंटेंगे। इन विमानों के साथ सी-70 या आईएल-76 जैसे ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भी होंगे। ये एयरक्राफ्ट इंजीनियर्स, टेक्नीशियन और स्पेयर पार्ट्स को लेकर आएंगे।

इसके लिए एक बड़े विमान की जरूरत है, क्योंकि एक विशेष लोडिंग ट्रॉली के साथ एक स्पेयर इंजन भी होगा। इस समय राफेल अनआर्मर्ड होंगे, इसलिए एक्सटर्नल फ्यूल टैंक की भी जरूरत होगी। फ्रांस से भारत आने के बीच सिर्फ एक ही स्टॉप होगा। पहले तो फ्रांस की वायुसेना इसमें फ्यूल भरने की सुविधा देगी। करीब 4 घंटे तक उड़ान भरने के बाद रिफ्यूलिंग के लिए और पायलट के आराम के लिए इसको रोकना होगा। मिराज 2000 जब भारत आया था तो कई जगह रुका था, लेकिन राफेल एक स्टॉप के बाद सीधे अम्बाला एयरबेस पर उतरेगा।

तस्वीर पिछले साल की है जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह राफेल विमान लाने के लिए फ्रांस पहुंचे थे।

फ्रांस में हुई है राफेल के पायलट्स की ट्रेनिंग

राफेल उड़ाने के लिए भारतीय वायुसेना के पायलट्स की ट्रेनिंग फ्रांस के मोंट-डे-मार्सन एयरबेस पर हुई। यहीं पर मिराज 2000 की ट्रेनिंग भी हुई थी। न सिर्फ भारतीय वायुसेना के पायलट्स बल्कि इंजीनियरों और टेक्नीशियंस को भी ट्रेनिंग दी गई है। यही लोग भारत आकर दूसरे साथियों को ट्रेनिंग देंगे।
17वीं स्क्वाड्रन गोल्डन एरोज राफेल की पहली स्क्वाड्रन होगी। खास बात ये है कि पूर्व एयर चीफ बीएस धनोआ ने कारगिल युद्ध के दौरान इस स्क्वाड्रन की कमान संभाली थी। विदेशों से ट्रेनिंग लेकर आए पायलट इस स्क्वाड्रन में तैनात होंगे। एक साल बाद जब हाशमीरा में राफेल की दूसरी स्क्वाड्रन तैयार होगी, तब वहां पायलट का ग्रुप बंट जाएगा।

मिग 21 और जगुआर भी अंबाला में ही तैनात हुए थे

शुरुआत में जगुआर और मिग-21 बाइसन जैसे लड़ाकू विमानों को भी अंबालाएयरबेस पर ही तैनात किया गया था। यह एयरबेस भारत की पश्चिमी सीमा से 200 किमी दूर है और पाकिस्तान के सरगोधाएयरबेस के नजदीक भी है। यहां पर तैनाती से पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के खिलाफ तेजी से एक्शन लिया जा सकेगा। दिलचस्प बात ये भी है कि अंबालाएयरबेस चीन की सीमा से भी 200 किमी की दूरी पर है। अंबालाएयरबेस से 300 किमी दूर लेह के सामने चीन का न्गारी गर गुंसा एयरबेस है।

राफेल की तैनाती के लिए यहां पर इन्फ्रास्ट्रक्चर भी तैयार किया गया है। स्पेशल ब्लास्ट पेन, एवियोनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स वारफेयर सिस्टम लैब, हथियार तैयार करने वाले क्षेत्रों समेत तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है या फिर उसे रिडेवलप किया गया है। हालांकि, इंजन के टेस्ट के लिए और सुविधाओं की जरूरत हो सकती है। बाद में इसी तरह का इन्फ्रास्ट्रक्चर हाशिमारा में भी तैयार किया जाएगा।

सबसे फुर्तिला विमान जिससे परमाणु हमला भी कर सकते हैं

राफेल डीएच (टू-सीटर) और राफेल ईएच (सिंगल सीटर), दोनों ही ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जनरेशन का विमान है। ये न सिर्फ फुर्तीला विमान है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है।

इस फाइटर जेट को रडार क्रॉस-सेक्शन और इन्फ्रा-रेड सिग्नेचर के साथ डिजाइन किया गया है। इसमें ग्लास कॉकपिट है। इसके साथ ही एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है। इसमें ताकतवर एम 88 इंजन लगा हुआ है। राफेल में एक एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट भी है। इसमें लगा रडार, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन सिस्टम और सेल्फ प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की लागत पूरे विमान की कुल कीमत का 30% है।

इस जेट में आरबीई 2 एए एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार लगा है, जो लो-ऑब्जर्वेशन टारगेट को पहचानने में मदद करता है। इसमें सिंथेटिक अपरचर रडार (SAR) भी है, जो आसानी से जाम नहीं हो सकता। जबकि, इसमें लगा स्पेक्ट्रा लंबी दूरी के टारगेट को भी पहचान सकता है।

तस्वीर पिछले साल अक्टूबर की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बीच में, एक तरफ भारत के सैन्य अधिकारी व दूसरी तरफ फ्रांस के।

इन सबके अलावा किसी भी खतरे की आशंका की स्थिति मेंइसमें लगा रडार वॉर्निंग रिसिवर, लेजर वॉर्निंग और मिसाइल एप्रोच वॉर्निंग अलर्ट हो जाता है और रडार को जाम करने से बचाता है। इसके अलावा राफेल का रडार सिस्टम 100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है।

राफेल में आधुनिक हथियार भी हैं। जैसे- इसमें 125 राउंड के साथ 30 एमएम की कैनन है। ये एक बार में साढ़े 9 हजार किलो का सामान ले जा सकता है। इसमें हवा से हवा में मारने वाली मैजिक-II, एमबीडीए मीका आईआर या ईएम और एमबीडीए मीटियर जैसी मिसाइलें हैं। ये मिसाइलें हवा में 150 किमी तक के टारगेट को मार सकती हैं।

इसमें हवा से जमीन में मारने की भी ताकत है। इसकी रेंज 560 किमी है।इस एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल इराक, अफगानिस्तान, लीबिया, माली और सीरिया में हो चुका है। इस फाइटर जेट के आने से भारत की ताकत हिंद महासागर में भी बढे़गी।

राफेल से मुकाबले के लिए चीन के पास कोई फाइटर नहीं

चीन के पास अभी चेंगड़ू जे-10 विमान है, जो इजरायल के लावी एयरक्राफ्ट का मॉडिफाइड रूप है। चीन का ये विमान अमेरिका के एफ-16 ए/बी के बराबर ही है। चीन के पास ऐसे 400 विमान हैं। इस विमान में 100 किमी तक की रेंज में मारने वाली पीएल-12 बीवीआर मिसाइलें हैं। इसके अलावा चीन के पास शेन्यांग जे-11 भी है, जो सुखोई 27 की कॉपी है। इसमें पीएल-12 मिसाइलें लगी हैं। ये भारत के पास मौजूद सुखोई 30एमकेआई की तरह है।

इसके अलावा चीन ने एक शेन्यांग जे-16 फाइटर जेट भी बनाया है, जो रूस के सुखोई 30 एमकेके का मॉडिफाइड वर्जन है। चीन के पास ऐसे 130 फाइटर जेट हैं। इस विमान में 150 किमी तक की मारक क्षमता वाली पीएल15 मिसाइल भी तैनात हो सकती हैं। चीन के पास सुखोई 30 एमकेके भी है, जो भारतीय वायुसेना के पास मौजूद सुखोई-30एमकेआई की तरह है। चीन के पास सुखोई 35 भी है, जो सुखोई 30 एमकेके की तुलना में एडवांस्ड वैरियंट है। इन सबके अलावा चीन के पास 5वीं पीढ़ी का जे-20 फाइटर जेट भी है। जो अभी ऑपरेशनल नहीं है।

पिछले साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह नेराफेल में सवार हुए थे। उन्होंने करीब 30 मिनट तक उड़ान भरी।

जबकि, भारतीय वायुसेना के पास राफेल, सुखोई 30एमकेआई, मिराज 2000 और मिग 29 का एक शानदार कॉम्बिनेशन है। इसके अलावा जगुआर, मिग 21 बाइसन और स्वदेश एलसीए एमके1 भी है। भारत को जो राफेल मिलने वाला है, उसका मुकाबला करने के लिए चीन के पास कोई लड़ाकू विमान नहीं है।

वहीं, पाकिस्तान के पास सबसे अच्छा फाइटर जेट एफ-16 ब्लॉक 52 है, जिसकी मिसाइल की मारक क्षमता 120 किमी तक की है। कुल मिलाकर पाकिस्तान और चीन की तुलना में भारतीय वायुसेना के पास अच्छे फाइटर जेट हैं।

आधुनिक हथियारों से लैस राफेल सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमान है, जिसमें जमीनी हमले, एंटी-शिप स्ट्राइक और परमाणु हमले करने की ताकत है। दसॉ का बनाया गया फाइटर जेट एक ओम्नीरोल विमान है। इसमें AESA रडार, आईआरएसटी, एवियोनिक्स फ्यूस्ड डेटा, स्टील्थ फीचर्स, स्पेक्ट्रा प्रोटेक्शन सूट है। सबसे खास बात ये है कि इसके दोनों तरफ हथियार रखे जा सकते हैं। हमारे पास 36 राफेल विमान होंगे। हालांकि, इतने विमान दो स्क्वाड्रन भी नहीं बनाते। भारत ने भी पहले ऐसा किया है और बाद में 36 विमान ऑर्डर किए हैं।

(एयर मार्शल अनिल चोपड़ा, रिटायर्ड फाइटर पायलट हैं, वे बतौर एयर ऑफिसर इंचार्ज पर्सनल 2012 में रिटायर हुए हैं।)



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Importance and power of rafale fighter jet with compared to china.


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कश्मीरियों की मौत पर चुप रहे, कश्मीर के बच्चों को आतंकवादी बनाया और अपने बच्चों के लिए विदेश में पढ़ाई और नौकरियां बटोरी

तारीख थी 21 अक्टूबर 2010 और जगहदेश की राजधानी दिल्ली का एलटीजी ऑडिटोरियम। इस ऑडिटोरियम में सैयद अली शाह गिलानी वामपंथी कार्यकर्ताओं के एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस सम्मेलन का विषय था- "आजादी-द ओनली वे'। हॉल में मंच पर अरुंधति रॉय, वरवारा राव और एसएआर गिलानी भी बैठे हुए थे और नारे गूंज रहे थे "हम क्या चाहते आजादी'। सैयद अली शाह गिलानी जम्मू-कश्मीर पर भारत के रवैये के खिलाफ थे।

सोमवार सुबह अचानक गिलानी ने अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से इस्तीफे की घोषणा कर दी। 47 सेकंड की एक ऑडियो क्लिप में 91 साल के गिलानी ने कहा कि उन्होंने संगठन के मौजूदा हालात को देखते हुए हुर्रियत से अलग होने का फैसला लिया है। बाद में दो पन्ने के एक लेटर में उन्होंने अपने अलगाववादी साथियों पर राजनीतिक भ्रष्टाचार और फाइनेंशियल गड़बड़ियां करने का आरोप लगाया। इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान में हुर्रियत के अलगाववादियों पर भी मजहब को गलत तरीके से पेश करने और फैसले लेने से पहले उनसे सलाह न लेने का दोषी ठहराया।

हुर्रियत के पतन को राजनीतिक भ्रष्टाचार के परिणाम के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि गिलानी इतने सालों से निर्दोष कश्मीरियों की मौत पर चुप रहे और हमेशा तहरीक (आंदोलन) पर अपने परिवार को वरीयता दी। गिलानी ने अपने बच्चों और पोतों के लिए सरकारी नौकरी सुरक्षित रखने की कोशिश की, जिसे उनके सबसे करीबी दोस्तों और साथियों ने विश्वासघात के रूप में देखा।

यह तस्वीर रमजान के इफ्तार की है। यासीन मलिक और मीरवाइज उमर फारूक के साथ गिलानी (कुर्सी पर बैठे हुए)।

90 के दशक में गिलानी ने कट्टरपंथ का रास्ता अपनाया

गिलानी तीन बार जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विधायक चुनकर आए। उन्होंने भारत के संविधान की शपथ ली थी। गिलानी के कट्‌टरपंथी बनने का रास्ता 90 के दशक में तब शुरू हुआ, जब घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन हो रहा था। गिलानी पहले एक शिक्षक थे, लेकिन बाद में वो जमात की तरफ खींचते चले गए। 90 के दशक की शुरुआत से, गिलानी ने ये प्रचार करना शुरू कर दिया कि इस्लाम को हिंदू भारत से बचाने के लिए कश्मीर की आजादी जरूरी थी। इससे वो पाकिस्तान के करीब आते गए और धीरे-धीरे कश्मीर में भारत के खिलाफ जिहाद करने पर उतर आए।

गिलानी ने शुरू में निजाम-ए-मुस्तफा (पैगंबर का आदेश) का विचार कश्मीर में फैलाया, लेकिन बाद में यही विचार "गिलानी वाली आजादी' के रूप में बदल गया, जिसका मतलब था हिंसक रास्तों पर चलना। बाद में ये सब हाथ से निकलकर आतंकवाद बन गया और जिहादी मानसिकता खुद गिलानी से बड़ी हो गई।

2008 से 2010 तक और आखिरकार 2016 में भी, गिलानी ने बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शनों को उकसाने और जम्मू-कश्मीर में एक सांप्रदायिक विभाजन को भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आजगिलानी खुद अलग-थलग पड़ गए हैं।

हुर्रियत अलगाववाद की कमर तोड़ने के लिए भारत सरकार ने अब चुप रहने का ही रास्ता चुन लिया है। हालांकि, सूत्रों से पता चलता है कि गिलानी को पाकिस्तान का समर्थन करने की अपनी मूर्खता का एहसास हो गया है।लोकल आबादी को खत्म करने के लिए पाकिस्तान सालों से कश्मीर में हथियारों और नशीली दवाओं का इस्तेमाल कर रहा है। सूत्र कहते हैं कि अब पाकिस्तान ने गिलानी को समझा दिया है कि वो अब उनके लिए उतने उपयोगी नहीं रह गए हैं।

क्या परिवार की वजह से हुर्रियत में दरार पड़ी?
गिलानी के इस फैसले से उस जॉइंट रेसिस्टेंस लीडरशिप को भी झटका लगा है, जो उन्होंने कुछ साल पहले मीरवाइज उमर फारूक और यासीन मलिक के साथ मिलकर बनाई थी। दिल्ली की तिहाड़ जेल में कैद मीरवाइज उमर फारूक और यासीन मलिक, गिलानी के फैसले पर चुप हैं और कोई भी अलगाववादी नेता इस पर कुछ भी कहने से बच रहा है।

गिलानी की ये तस्वीर अशरफ सहराई के साथ है, जिन्हें उनके बाद हुर्रियत का सबसे बड़ा नेता माना जा रहा है।

क्योंकि, गिलानी के अचानक इस्तीफे के कारणों पर बहस जारी है और अब ध्यान हुर्रियत के भीतरी नेतृत्व संकट की ओर जाता है। गिलानी की जगह कौन होगा? इस पर अभी कुछ तय नहीं है। हालांकि, सालों से पत्थरबाजी का काम कर रहे मसरत आलम को गिलानी के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन वो अभी तिहाड़ जेल में है। उसके अलावा अशरफ सहराई का नाम भी चर्चा में है।

हुर्रियत के नेता नईम खान ने गिलानी पर लगाया था आरोप

हुर्रियत में भीतरी दरार कोई नया मामला नहीं है। मई 2017 में एक पत्रकार से टेलीफोन पर बातचीत में हुर्रियत के नेता नईम खान और हिजबुलमुजाहिदीन के फाउंडर अहसान डार ने कहा था कि जब हवाला फंडिंग के मामले में एनआईए ने उनके घर पर छापा मारा था, तब गिलानी ने उनकी कोई मदद नहीं की थी। बातचीत में नईम खान ने तो ये तक कहा था कि अगर गिलानी की मौत हो जाती है, तो उनके जनाजे में उनके परिवार के अलावा और कोई भी कश्मीरी शामिल नहीं होगा।

ऑडियो क्लिप में नईम खान को ये कहते हुए भी सुना गया था कि गिलानी ने उन्हें बलि का बकरा बनाया। हालांकि, उन्होंने उसके बाद भी एनआईए पर पत्थरबाजी करना जारी रखा। नईम ने कहा था, "ये कैसी तहरीक (आंदोलन) है? उधर कश्मीर में मेजर गोगोई को भारतीय सेना सम्मानित करती है और यहां हमें डिमोरलाइज्ड किया जाता है। जब मुझे उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब उन्होंने (गिलानी ने) मुझे छोड़ दिया।'

नईम ने कहा था कि गिलानी का एक ही मकसद हैकि जब तक वो जिंदा हैं, तब तक वही लीडर रहेंगे और उनकी मौत के बाद उनके परिवार का कोई व्यक्ति लीडर बनना चाहिए। अल्ताफ फंटोश न सिर्फ गिलानी के दामाद हैं, बल्कि हुर्रियत की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य भी हैं।

मार्च 2013 में एक पत्रकार ने दक्षिणदिल्ली में मालवीय नगर में स्थित खिरकी एक्सटेंशन हाउस में गिलानी का इंटरव्यू लिया। ये वही जगह थी, जहां गिलानी सालों से पाकिस्तानी उच्च आयुक्त से मिलते थे और उनसे पैसा भी लेते थे। गिलानी ने उस समय भी पाकिस्तानी आतंकवादियों और निर्दोष कश्मीरियों की हत्या से जुड़े ज्यादातर सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया।

गिलानी ने हुर्रियत के बाद धड़ों को साथ लाकर अलगाववादियों का एक ज्वाइंट फोरम बनाया था।

जब गिलानी से पाकिस्तानी आतंकी हाफिज सईद और यासीन मलिक के एक ही मंच साझा करने पर सवाल किया गया, तो उन्होंने हंसते हुए कहा, "ये मेरे लिए अप्रासंगिक सवाल है और मुझे इसका जवाब देने की जरूरत नहीं है।' इसके बाद जब गिलानी से हिजबुलमुजाहिदीन और उसके चीफ कमांडर सैयद सलाहुद्दीन के बारे में पूछा गया तो गिलानी ने कहा, "अगर कश्मीर में आतंकवाद और गन कल्चर आता है, तो इसकाजिम्मेदार भारत सरकार है।'

ईडी ने गिलानी पर 14.4 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था

6 साल बाद मार्च 2019 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने गिलानी के खिरकी एक्सटेंशन निवास को सील कर दिया, क्योंकि वो 1996-97 से 2001-02 तक का टैक्स भरने में नाकाम रहा था। इसके साथ ही गिलानी पर उसकी प्रॉपर्टी को ट्रांसफर करने से भी रोक दिया गया। इससे पहले ईडी ने गिलानी पर 2002 में अवैध तरीके से 10 लाख रुपए कमाने और 10 हजार डॉलर की हेराफेरी करने के आरोप में 14.4 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था।

गिलानी की वजह से ही कश्मीरी युवा पत्थरबाज बनने पर मजबूर हुए

पिछले कुछ सालों में गिलानी की कई आतंकवादियों के साथ तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आई हैं। पाकिस्तान के नेताओं के साथ भी गिलानी की बातचीतकिसी से छुपी नहीं है। गिलानी की वजह से ही कश्मीरी युवा पत्थरबाज बनने या आत्मघाती हमलावर बनने पर मजबूर हुए हैं।

एनआईए और जम्मू-कश्मीर पुलिस समेत कई भारतीय एजेंसियों ने अपनी जांच में ये भी पाया है कि गिलानी और उनके अलगाववादी साथियों ने कश्मीरी युवाओं को हायर एजुकेशन के लिए पाकिस्तान का वीजा दिलाने के लिए पाकिस्तानी हाई कमिश्नर से सिफारिश की थी। ये वही युवा थे, जिन्हें हायर एजुकेशन की आड़ में पाकिस्तान की आईएसआई हथियार चलाने की ट्रेनिंग देती थी और बाद में ये युवा कश्मीर में सुरक्षाबलों के एनकाउंटर में मारे गए।

जम्मू-कश्मीर में सांप्रदायिक विभाजन को भड़काने में गिलानी ने कोई कसर नहीं छोड़ी।आजगिलानी खुद अलग-थलग पड़ गए हैं।

इतना ही नहीं, पाकिस्तान के आतंकवादियों के चंगुल से बचकर आए लोगों के माता-पिता के प्रति गिलानी ने कभी कोई सहानुभूति नहीं जताई। इसके बजाय गिलानी ने युवाओं को आतंक के आत्मघाती रास्ते पर धकेलना चुना।

जैसे-जैसे गिलानी राजनीति की गुमनामी में ढलते गए, वैसे-वैसे उनके साथी अलगाववादियों के पास सिर्फ दो ही रास्ते रह गए। पहला कि वो भी गिलानी की तरह ही पाकिस्तान की कठपुतली बनकर रह जाएं या फिर जम्मू-कश्मीर के विकास और भविष्य में यहां के युवाओं को मौका दें। गिलानी का इस्तीफा उन लोगों के लिए एक मौका है, जो कट्‌टरपंथ पर एजुकेशन को, एनकाउंटर पर सिनेमा को और गन कल्चर पर क्रिएटिव आर्ट्स को तरजीह देते हैं।

सरकार कोहुर्रियत पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए

घाटी में एक इंटरनल इकोसिस्टम बना है, जो अलगाववाद और आतंकवाद को फलने-फूलने देता है। बीमारी का इलाज करने की बजाय, उसके लक्षणों को ठीक करना चाहिए। अभी के लिए सरकार हुर्रियत को अपनी मौत मरने का विकल्प चुनने दे सकती है, लेकिन उसे इस्लामी संगठन पर प्रतिबंध लगाने से नहीं कतराना चाहिए, जिसने घाटी में सिर्फ जिहादी विचारधारा को बढ़ावा दिया।

गिलानी भले ही अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल370 हटने के बाद हुए विरोध प्रदर्शन या आंदोलन के लिए अपने अलगाववादियों की विफलता की जिम्मेदारी लेने से भाग सकते हैं, लेकिन कश्मीरियों की हत्या को आसानी से न भूल सकते हैं और न ही माफ कर सकते हैं।

कश्मीर की सड़कों पर इस्लामिक कट्‌टरपंथी के खून और पाकिस्तान के छद्म युद्ध पर चुप्पी ने कश्मीर में एक पूरी पीढ़ी को बर्बाद कर दिया। हजारों मांओं ने अपने बच्चों को खो दिया है और आजादी की इस नासमझी लड़ाई में हजारों बच्चे अनाथ हो गए।



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सैयद अली शाह गिलानी शायद कश्मीर के वो शख्स हैं जो सबसे ज्यादा पुलिस हिरासत में या घर में नजरबंद रहे हैं।


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तिरुपति में हर रोज बाहर से आ रहे 12 हजार श्रद्धालु; जितने पहले दो घंटे में दर्शन करते थे, अब पूरे दिन में कर रहे हैं

सुबह के साढ़े पांच बजे हैं। कडप्पा से आए पीएस सुधीर अपनी पत्नी औरबेटे के साथ श्रीवारी ट्रस्ट के दानदाताओं के लिए ब्रेक (वीआईपी) दर्शन की लाइन में लगे हैं। वे पहले हर महीने दर्शन करने आते थे। लेकिन, पिछले तीन महीने से यहां नहीं आ पाए। हाल ही में उन्होंने श्रीवारी ट्रस्ट में 10 हजार रुपए से ज्यादका दान दिया था। इसलिएउन्हें बिना दिक्कत के ब्रेक दर्शन का विकल्प मिल गया।

ब्रेक दर्शन काटिकट होने की वजह से उन्हें तिरुमाला में एक रात रुकनेके लिए भी कमरा भी मिल गया। सुधीर सोमवार को मंदिर पहुंचे उन 12 हजार श्रद्धालुओं में से एक हैं, जिन्होंनेवेंकटेश बालाजी का दर्शन किया।

तिरुमाला पहाड़ी में कोरोना का एक भी मरीज नहीं

8 से 10 जून तक हर दिन 6 हजार से ज्यादा ट्रस्ट कर्मचारियों और स्थानीय लोगों के साथ किए गए दर्शन के ट्रायल के बाद 11 जून से आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन खोल दिया गया। इसके बाद हर दिन यह संख्या बढ़ती गई। जून के आखिर तक यह संख्या बढ़कर 12 हजार हो गई है। खास बात यह है कि तिरुमाला पहाड़ी, जहां वेंकटेश बालाजी का मंदिर है, वहां कोरोनाका एक भी मरीज नहीं है और वह ग्रीन जोन है।

यहां11 जून से आम श्रद्धालुओं के दर्शन लिए मंदिर खोल दिया गया है।

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट (टीटीडी) के धर्मा रेड्‌डी के मुताबिक तिरुमाला आने के लिए करीब 20 किमीपहले तिरुपति के अलीपिरी टोल गेट से आगे कोई तभी आ सकता है, जब उसके पास विशेष दर्शन, सर्वदर्शनम का ऑनलाइन बुक किया हुआ टिकट हो।

टाइम स्लॉट के आधार पर जारी हो रहे टिकट

टोल गेट पर थर्मल स्कैनिंग के दौरान यदि किसी श्रद्धालु में लक्षण पाए जाते हैं तो उन्हें वहीं रोक दिया जाता है। टीटीडी के गेस्ट हाउस में रुकने वाले श्रद्धालुओं को 24 घंटे में कमरा खाली करना होता है। यहां कमरे ऑड-ईवन के आधार पर बुक हो रहे हैं ताकि इन्हें ठीक से सैनिटाइज किया जा सके।

टिकट भी टाइम स्लॉट के आधार पर जारी किए जा रहे हैंताकि तय समय पर दर्शन करके श्रद्धालु तुरंत वापस लौट जाए। किसी को तिरुमाला में रुकने व सड़क किनारे फुटपाथ पर भी कहीं बैठने की इजाजत नहीं है। मुख्य मंदिर के अलावा परिसर के वाराही सहित अन्य मंदिर बंद हैं, पुष्करणी सरोवर में स्नान करने पर पाबंदी है।

भीड़ नहीं होने से आसानी से हो रहे दर्शन

चाय, कॉफी की इक्का-दुक्का स्टॉलों के अलावा पूरे तिरुमाला में रेस्तरां, खाने-पीने व अन्य चीजों की सभी दुकानें बंद हैं। दोपहर के समय का विशेष दर्शन करने के बाद हैदराबाद की पी विजया ने कहा कि वह पिछले 15 साल से यहां आ रही हैं। साल में एक बार जरूर यहां आती हैं। विजया ने कहा कि इस बार दर्शन करना उनके लिए बेहद आसान रहा।महज 20 मिनट में उन्होंने दर्शन कर लिया।

बालाजी का मंदिर के पास अभी कोरोनाका एक भी मरीज नहीं है। यह ग्रीन जोन है।

चित्तूर से आए अरुण अय्यर कहते हैं, वे सर्वदर्शन की टिकट लेकर करीब 12 बजे वैकुंठम कॉम्पलैक्स में दाखिल हुए थे, अभी डेढ़ बजे वह दर्शन करके बाहर भी आ चुके। अरुण कहते हैं, ऐसा लगा मानो वीआईपी दर्शन किए हों, न धक्का-मुक्की, न इंतजार, जहां पहले एक से दो सेकेंड भी दर्शन नहीं हो पाते थे, वहीं आज 10-15 सेकेंड बालाजी को निहारने का मौका मिला। उनका सुझाव है कि टीटीडी को सदा के लिए यह व्यवस्था अपनानी चाहिए।

उनके साथ आईं नीलिमा कहतीं हैं, कोरोना का डर तो है, इसीलिए यात्री मास्क भी पहने हुए हैं और दूर-दूर भी चल रहे हैं। हम भी हिम्मत करके आ गए। अब यदि कुछ हुआ भी तो मन में संतोष है कि हमने बालाजी के दर्शन कर लिया है। हम तो काफी सावधानी बरत रहे हैं बाकी बालाजी देखभाल करेंगे।

आम दिनों में मंदिर की सेवा-पूजा में कम से कम 50 अर्चक (पुजारी) मौजूद रहते हैं। लेकिन, इन दिनों केवल 15 अर्चक ही सुबह ढाई से तीन बजे के बीच सुप्रभातम से लेकर रात्रि पौने एक बजे की एकांत सेवा तक रहते हैं।

तिरुपति शहर में बढ़ रहे संक्रमण के मामले

तिरुपति शहर में अब तक 231 लोग संक्रमित मिले हैं। यहां के 50 वार्डों में से 36 में कंटेनमेंट जोन बन चुका है।

हालांकि तिरुपति शहर के हालात बिल्कुल अलग हैं। देश के अन्य हिस्सों की तरह यहां भी कोरोनासंक्रमण बढ़ रहा है। तिरुपति के 50 में से 36 वार्डों में कंटेनमेंट जोन बन चुका है। करीब साढ़े तीन लाख की आबादी वालेइस शहर में अब तक 231 लोग संक्रमित हो चुके हैं। 8 जून को तिरुपति में मरीजों की संख्या महज 22 थी, जो 22 दिन में (30 जून) 10 गुना बढ़ गई। तिरुपति के रुइया अस्पताल की एमएस डॉ. टी भारती ने कहा कि इनमें से स्थानीय लोग तो 30 से भी कम हैं, ज्यादातरमरीज तिरुपति के बाहर के इलाकों से हैं।

90 फीसदी होटल और गेस्ट हाउस बंद

तिरुपति में 800 से ज्यादा छोटे-बड़े होटल, लॉज व गेस्ट हाउस हैं लेकिन कंटेनमेंट जोन में होने के चलते 90 फीसदी से ज्यादा बंद हैं। तिरुपति में करीब 3 हजार टैक्सियां हैं, जिनमें से ज्यादातरका धंधा ठप पड़ा है। तिरुपति के वरिष्ठ पत्रकार ए रंगराजन कहते हैं कि तिरुपति आने पर यात्री तिरुमाला के साथ-साथ वेल्लूर के स्वर्ण मंदिर व कालाहस्ती भी जाना पसंद करते थे। लेकिन, इस समय आवागमन की छूट नहीं होने से वे केवल तिरुमाला अपने वाहनों से आ रहे हैं और कहीं जाए बगैर सीधे लौट रहे हैं।

संक्रमण के डर से लोग होटल में कम पहुंच रहे हैं। जो आ रहे हैं उनके लिए जरूरी एहतियात बरते जा रहे हैं।

संक्रमण के डर से कोई होटल, लॉज में रुकना भी नहीं चाहता। लोग पैकेट बंद नमकीन, बिस्किट या फल खाकर समय गुजार लेते हैं लेकिन जो रेस्तरां खुले हैं, वहां जाने से डर रहे हैं। रंगराजन कहते हैं कि तिरुमाला का श्रीवारी मंदिर देश का एकमात्र मंदिर है जिसके प्रबंधन में तीन सीनियर आईएएस (इनमें से एक प्रमुख सचिव स्तर के) अधिकारी लगे हैं। मंदिर के पास पर्याप्त फंड भी है और कर्मचारियों की फौज भी। यहीवजह है कि यहां यात्रियों कोदर्शन करने का मौका मिल रहा है।

धर्मारेड्डी ने कहा कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण में दर्शन खोलना बेहद जोखिम भरा है लेकिन टीटीडी ने इसे एक चुनौती की तरह लिया है। भगवान की कृपा से तिरुमाला में अभी तक सबकुछ नियंत्रण में हैं।

अभी फ्री दर्शन के लिए 3 हजार टिकट जारी किए जा रहे हैं, अगर हालात ठीक रहे तो संख्या बढ़ सकती है।

हालात ठीक रहे तो ज्यादा जारी होंगे टिकट

टीटीडी ने सोमवार को जुलाई महीने में दर्शन टिकट का कोटा जारी किया। अब प्रतिदिन विशेष दर्शन (300 रुपए) के 9000 टिकट और सर्वदर्शनम (निशुल्क दर्शन) के 3000 टिकट जारी हो रहे हैं। टीटीडी यह भी विचार कर रहा है कि यदि हालात ठीक रहे तोअगले 10 दिन में सर्वदर्शनम के लिए 4 से 5 हजार तक टिकट जारी होने लगेंगे।

पड़ोस के सभी प्रदेशों की सीमाएं सील होने के चलते तिरुपति पहुंचने वाले श्रद्धालुओं में फिलहाल 90 फीसदी सेज्यादा आंध्र प्रदेश के अलग-अलगजिलों से ही हैं। हालांकि निजी वाहनों से पड़ोसी राज्यों व दूरदराज के शहरों से उड़ान द्वारा भी श्रद्धालु तिरुपति आ रहे हैं।

तिरुपति एयरपोर्ट पर आने वाले यात्रियों का कोरोना टेस्ट जरूरी है। याताजा कोरोना-निगेटिव रिपोर्ट दिखाने पर ही उन्हें शहर में घूसनेकी इजाजत मिलती है। तिरुपति आने वाले श्रद्धालुओं में से 200 लोगों केरैंडम टेस्ट किए जा रहे हैं। हालांकि टीटीडी प्रशासन ने यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है कि इस रिपोर्ट के नतीजे क्या आ रहे हैं।



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तिरुपति बालाजी मंदिर देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शुमार हैं। कोरोना के कारण मंदिर में दर्शन पर पाबंदी लगा दी गई थी। 11 जून से दर्शन के लिए मंदिर खोल दिया गया है।


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डॉ. बिधान चंद्र रॉय से जुड़े 4 किस्से: जब गांधी ने कहा- तुम 40 करोड़ देशवासियों का फ्री इलाज नहीं करते हो, रॉय बोले- मैं 40 करोड़ लोगों के प्रतिनिधि का इलाज मुफ्त कर रहा हूं

दुनियाभर के मरीजों को बचाने में कोरोनावॉरियर यानी डॉक्टर्स जुटे हैं। संक्रमण के बीच वो मरीजों का इलाज भी कर रहे हैं और खुद को बचाने की जद्दोजहद में भी लगे हैं। आज नेशनल डॉक्टर्स डे है, जो देश के प्रसिद्ध चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय के सम्मान में मनाया जाता है। केंद्र सरकार ने देश में डॉक्टर्स डे मनाने की शुरुआत1 जुलाई 1991 में की। 1 जुलाई उनका जन्मदिवस है। जानिए उनकी लाइफ से जुड़े 5दिलचस्प किस्से...

डॉ. बिधान चंद्र रॉय बापू के पर्सनल डॉक्टर भी थे और एक दोस्त भी।

किस्सा 1 : जब बापू ने बिधान चंद्र से कहा, तुम मुझसे थर्ड क्लास वकील की तरह बहस कर रहे हो

1905 में जब बंगाल का विभाजन हो रहा था जब बिधान चंद्र रॉय कलकत्ता यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लेने की जगह अपनी पढ़ाई को प्राथमिकता दी। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े और धीरे-धीरे बंगाल की राजनीति में पैर जमाए। इस दौरान वह बापू महात्मा गांधी के पर्सनल डॉक्टर रहे।

1933 में ‘आत्मशुद्धि’ उपवास के दौरान गांधी जी ने दवाएं लेने से मना कर दिया था। बिधान चंद्र बापू से मिले और दवाएं लेने की गुजारिश की। गांधी जी उनसे बोले, मैं तुम्हारी दवाएं क्यों लूं? क्या तुमने हमारे देश के 40 करोड़ लोगों का मुफ्त इलाज किया है?

इस बिधान चंद्र ने जवाब दिया, नहीं, गांधी जी, मैं सभी मरीजों का मुफ्त इलाज नहीं कर सकता। लेकिन मैं यहां मोहनदास करमचंद गांधी को ठीक करने नहीं आया हूं, मैं उन्हें ठीक करने आया हूं जो मेरे देश के 40 करोड़ लोगों के प्रतिनिधि हैं।इस पर गांधी जी ने उनसे मजाक करते हुए कहा, तुम मुझसे थर्ड क्लास वकील की तरह बहस कर रहे हो।

यह तस्वीर उस दौर की है जब डॉ. रॉय पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री थे।

दूसरा किस्सा : रॉय इतने बड़े हैं कि नेहरू भी उनके हर मेडिकल ऑर्डर मानते हैं

डॉ. बिधान चंद्र रॉय की तारीफ का सबसे चर्चित किस्सा देश के पहले प्रधाानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से जुड़ा है। बिधानचंद्र देश के उन डॉक्टर्स में से एक थे जिनकी हर सलाह का पालन पंडित जवाहर लाल पूरी सावधानी के साथ करते हैं। इसका जिक्र पंडित जवाहर लाल ने वॉशिग्टन टाइम्स को 1962 में दिए एक इंटरव्यू में किया था। उन्होंने उस दौर की बात अखबार से साझा की जब वो काफी बीमार थे और इलाज के लिए डॉक्टर्स का एक पैनल बनाया गया था, जिसमें रॉय शामिल थे। इंटरव्यू के बाद अखबार ने लिखा था, रॉय इतने बड़े हैं कि नेहरू भी उनके हर मेडिकल ऑर्डर का पालन करते हैं।

डॉ. रॉय ने बंगाल में कई संस्थानों और 5 शहरों की स्थापना की। इनमें दुर्गापुर, कल्यानी, अशोकनगर, बिधान नगर और हाबरा शामिल है।

तीसरा किस्सा : सामाजिक भेदभाव का शिकार हुए, अमेरिक रेस्तरां ने रॉय को बाहर निकल जाने को कहा

1947 में बिधान चंद्र खाने के लिए अमेरिका के रेस्टोरेंटपहुंचे तो उन्हें देखकर सर्विस देने से मना कर दिया गया। पूरा घटनाक्रम न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित हुआ। न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, रॉय अपने पांच दोस्तों के साथ रेस्तरां पहुंचे। उनको देखकर रेस्तरां ऑपरेटर ने महिला वेटर से कहा, उनसे कहें, यहां उन्हें सर्विस नहीं जाएगी, वो यहां से खाना लेकर बाहर जा सकते हैं।

यह बात सुनने के बाद रॉय वहां से उठे और चले गए। घटना के बाद इस सामाजिक भेदभाव का पूरा किस्सा रिपोर्टर से साझा किया और भारत लौट आए।

डॉ. रॉय को 1961 में भारत सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया था।

चौथा किस्सा : आर्थिक तंगी से जूझ रहे सत्यजीत रे को आर्थिक मदद उपलब्ध कराई

जानेमाने फिल्मकार सत्यजीत रे को अपनी फिल्म पाथेर पंचाली बनाने के लिए आर्थिक संघर्ष से जूझना पड़ा था। कई दिक्कतों के बाद उनकी मां ने उन्हें अपने परिचितों से मिलवाया। रॉय उनमें से एक थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री भी थे। रॉय सत्यजीत रे के इस प्रोजेक्ट से काफी प्रभावित हुए और उन्हें सरकारी आर्थिक मदद देने के लिए राजी हुए। इतना ही नहीं फिल्म पूरी होने के बाद रॉय ने जवाहर लाल नेहरू के लिए इस फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग भी रखवाई। फिल्म में गरीबी से जूझते देश की कहानी दिखाई गई।

तत्कालीन मुख्यमंत्री बिधान चंद्र रॉय साल्ट लेक सुधार स्कीम के उद्घाटन के दौरान। यह तस्वीर 16 अप्रैल 1962 की है। काले चश्मे में डॉ. रॉय (दाएं)

पांचवा किस्सा : डीन से 30 मुलाकातों के बाद उन्हें लंदन में मिला एडमिशन

रॉय हायर स्टडी के लिए 1909 में लंदन के सेंट बार्थोलोमिव्स हॉस्पिटल पहुंचे थे। लेकिन यहां उनके लिए एडमिशन लेना आसान नहीं रहा। सेंट बार्थोलोमिव्स हॉस्पिटल के डीन ने रॉय को एडमिशन न देने के लिए काफी कोशिशें की। उन्होंने करीब डेढ़ महीने तक रॉय को रोके रखा ताकि वे वापस लौट जाएं। रॉय ने भी एडमिशन के अपनी कोशिशें जारी रखीं। डीन से एडमिशन के लिए 30 बार मुलाकात की। अंतत: डीन का दिल पिघला और एडमिशन देने के लिए राजी हुए।



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National Doctors Day 2020; Four Interesting Facts About Dr Bidhan Chandra Roy


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नासा की कई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल मेडिकल साइंस में

जिस तरह एक बीमारी को दूर करने के लिए एक डॉक्टर मानव शरीर को सूक्ष्म तरीके से समझने की कोशिश करता है, उसी प्रकार नासा अथाह अंतरिक्ष को गहराई से समझने की कोशिश करता है, ताकि हर नई खोज और ज्ञान को मानव कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जा सके। नासा अधिकतर सरकारी एजेंसियों से बहुत अलग है। यह दुनियाभर की बाकी स्पेस एजेंसियों से भी अलग है।

बहुत कम लोग जानते हैं कि नासा के पास देश की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी नहीं है। हम सिर्फ खोज और आविष्कार करते हैं। नासा पर पैसा कमाने का भार भी नहीं है। नासा दुनिया को एक अविभाजित अस्तित्व के तौर पर देखता है। नासा जब धरती को अंतरिक्ष से देखता है तो उसे सीमाएं नजर नहीं आती।

नासा में डॉक्टर होने के नाते मेरा काम यह सुनिश्चित करना है कि अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले एस्ट्रोनॉट्स हर हाल में तंदरुस्त रहें। आज नासा की कई टेक्नोलॉजी मेडिकल साइंस में इस्तेमाल हो रही हैं। उदाहरण के तौर पर मानव शरीर के तापमान को नापने के लिए आज जिस थर्मो गन का इस्तेमाल हो रहा है, वह थर्मो स्कैन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से नासा ग्रहों के तापमान को नाप लेता है।

नासा ने और भी कई ऐसी तकनीक इजाद की हैं, जिनका मेडिकल साइंस में इस्तेमाल हो सकता है। हमारे पास एक ऐक्वा सैटेलाइट है, जो हवा और मिट्टी में नमी को नापने का काम करता है। इस टेक्नोलॉजी के उपयोग से यह पता किया जा सकता है कि कहां मच्छर पनप रहे हैं, जो डेंगू और जीका जैसी बीमारियां बढ़ा सकते हैं। इस जानकारी के आधार पर पब्लिक हेल्थ अथॉरिटी सचेत होकर रोकथाम की कार्यवाही कर सकती है।

कोविड-19 के मरीजों को वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ती है। नासा की जॉइंट प्रपल्शन लैब के इंजीनियरों ने मात्र 39 दिनों में न सिर्फ हल्का और कारगर वेंटिलेटर बनाया, बल्कि बिना लाइसेंस फीस के कई देशों को इसे बनाने की छूट भी दे दी है। जो भी देश इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना चाहते हैं वे कर सकते हैं। कोरोना महामारी के दौरान मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। आप जानते हैं कि अंतरिक्ष में ऑक्सीजन है ही नहीं। हम ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं, जिसे ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर्स कहते हैं।

इसकी मदद से यंत्र वातावरण में मौजूद भाप को इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेस से ऑक्सीजन में बदल देगा। यानी ऑक्सीजन की बोतलों को भरने या बदलने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। इस तकनीक को हम स्पेस में तो इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन जल्दी ही इसका इस्तेमाल आसानी से अस्पतालों में हो सकेगा। इस तकनीक का सबसे ज्यादा लाभ उन देशों को होगा जो आज ऑक्सीजन के सप्लाई चेन से बहुत दूर हैं। वे जहां जरूरत हो ऑक्सीजन बना सकते हैं। आप सोच के देखिए वो परिस्थिति जब एक भी मरीज की मौत किसी भी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से नहीं होगी। ऐसा समय दूर नहीं है।

दिसंबर के अंत में या जनवरी की शुरुआत में हमें चीन में पनप रही बीमारी के बारे में पता लगना शुरू हुआ। हमें ऐसा लगा कि सार्स या मर्स की तरह ही इस बीमारी को भी रोक लिया जाएगा। लेकिन एक स्पेस एजेंसी होने के नाते हमने जनवरी की शुरुआत में अपने सिस्टम्स की टेस्टिंग इस नज़रिए से शुरू कर दी थी कि अगर जरूरत पड़ी तो क्या हम बिना ऑफिस आए काम जारी रख सकते हैं। हमारे लिए ये जानना जरूरी था कि अगर हम टेलिवर्क करते हैं तो हमारा आईटी सिस्टम कितना लोड ले सकता है।

कोरोना वारयस के बारे में जानकारी मिलने के तुरंत बाद ही नासा की टॉप लीडरशिप ने बहुत जल्दी ऐसे निर्णय लेने शुरू कर दिए थे ताकि कम से कम मानव संसाधन के इस्तेमाल से जरूरी काम नासा के सेंटर से किए जा सकें और बाकी सब लोग टेलिवर्क कर सकें। बिना यात्रा किए अगर काम को अंजाम देना हो तो लॉजिस्टिकल चुनौतियां क्या हो सकती हैं इसका मूल्यांकन भी हमने बहुत जल्दी शुरू कर दिया था। जिन लोगों को डीएम-2 स्पेस एक्स मिशन के लिए स्पेस यात्रा करनी थी, हमने तत्काल उनके लिए कोविड टेस्टिंग की व्यवस्था कर दी थी। हम स्पेस स्टेशन में किसी किस्म का संक्रमण बर्दाश्त नहीं कर सकते। खास तौर पर ऐसा संक्रमण, जिसकी न तो दवा हो और ना ही कोई वैक्सीन।

महामारियों का अनुमान लगाने और वैक्सीन-दवा बनाने तक में भविष्य में सुपर कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से काफी मदद मिलेगी। इसरो जैसे संस्थानों के साथ साझा कार्यक्रम भी बहुत कारगर सिद्ध हो सकता है। स्पेस हमें बताता है कि अनंत ब्रह्मांड में हम रेत के जर्रे के बराबर भी नहीं हैं। हम सिर्फ इतना ही मान सकते हैं कि यात्रा करना ही हम सब की नियति है। यात्रा की तुलना में मंजिल का अस्तित्व उतना महत्वपूर्ण नहीं है।

(जैसा उन्होंने रितेश शुक्ल को बताया)



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डॉ जेडी पोल्क, चीफ मेडिकल ऑफिसर, नासा


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